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GHANSHYAM VERMA filed a consumer case on 31 Jan 2022 against MAX LIFE INSURANCE in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/149/2013 and the judgment uploaded on 02 Feb 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 149 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 18.09.2013
निर्णय दिनांक 31.01.2022
घनश्याम वर्मा पुत्र स्वo गिरजाशंकर ग्राम- चकसेठवल, पोस्ट+थाना- रानी की सराय, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo) मृतक।
1/1. राजीव वर्मा उम्र 30 वर्ष पुत्र स्वo घनश्याम वर्मा ग्राम-चकसेठवल, पोस्ट+थाना- रानी की सराय, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)
1/3. पूजा वर्मा उम्र 25 वर्ष पुत्री स्वo घनश्याम वर्मा ग्राम- चकसेठवल, पोस्ट+थाना- रानी की सराय, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी संख्या 1/1ता1/4 की माँ मनोरमा देवी के नाम से पॉलिसी संख्या 877436022 विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से लिया था। प्रीमियम की रकम 50,000/- रुपए जो विपक्षी संख्या 02 के यहाँ स्थित खाते से दिनांक 09.02.2013 को बीमाधारक की सहमति से विपक्षी संख्या 01 को प्रेषित कर दिया और शिकायतकर्त्ता को उसमें नामिनी बनाया गया। बीमा 10,00,000/- रुपए का था और वार्षिक प्रीमियम 50,000/- रुपए था। बीमा 06 वर्षों के लिए किया गया था। दिनांक 10.02.2013 को सीने में दर्द की वजह से मनोरमा देवी की मृत्यु हो गयी। बीमाधारक मनोरमा देवी की मृत्यु के उपरान्त परिवादी ने दिनांक 28.06.2013 को समस्त कागजात विपक्षी संख्या 02 के यहाँ जमा कर दिया। दिनांक 26 जुलाई, 2013 का एक पत्र रुपया 50,000/- का चेक संलग्न करके विपक्षी संख्या 01 द्वारा भेजा गया तथा शेष रकम के भुगतान के सन्दर्भ में सूचित किया कि प्रपोजल फार्म उसके शाखा द्वारा 14 फरवरी, 2013 को प्राप्त किया गया था जबकि मनोरमा देवी की मृत्यु 10 फरवरी, 2013 को हो चुकी थी, लेकिन पत्र में यह कथन नहीं किया गया कि उसके एजेन्ट विपक्षी संख्या 02 के यहाँ से खाता से प्रीमियम की रकम रुपया 50,000/- कब काटी गयी तथा प्रपोजल फार्म कब भरा गया? बीमाधारक का प्रपोजल फार्म पर हस्ताक्षर करवा कर उसके बीमा की धनराशि 50,000/- रुपए उसकी सहमति से दिनांक 09.02.2013 को जमा कर दिया। उसके द्वारा पॉलिसी नं. 877436022 जारी किया गया। दिनांक 26 जुलाई, 2013 के पत्र के बाबत दिनांक 19.08.2013 को विपक्षी संख्या 02 के यहाँ पत्र दिया गया तथा उनसे व्यक्तिगत तौर पर अनेक बार मिलकर क्लेम के बाबत भुगतान करने हेतु कहा लेकिन उनके द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। इसके कारण यह परिवाद दाखिल किया गया। अतः विपक्षीगण से बीमित धनराशि मय 18% वार्षिक ब्याज की दर से दिलवाया जाए साथ ही 1,00,000/- रुपया मानसिक व शारीरिक पीड़ा के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में तथा 20,000/- रुपया वाद व्यय के रूप में दिलवाया जाए।
परिवादीगण द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण ने कागज संख्या 6/1 घनश्याम वर्मा द्वारा एक्सिस बैंक के प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 बीमा कम्पनी द्वारा दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 विपक्षी संख्या 02 को दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4व5 नियमावली सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/6 स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 7क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने यह कहा है कि परिवादी ने अपना परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया है। परिवादी उस पॉलिसी के विषय में मुकदमा दाखिल किया है जो कि उसकी मां की मृत्यु के पश्चात् जारी किया गया था। प्रपोजल फॉर्म पर दिनांक 09.02.2013 को उसकी मां ने हस्ताक्षर किया था और उसके दूसरे ही दिन 10.02.2013 को उसकी मृत्यु हो गयी, लेकिन परिवादी ने विपक्षी को सूचित नहीं किया। परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार हासिल नहीं है। मृतका ने बीमा कराते वक्त आवश्यक तथ्यों को छिपाया था। पॉलिसी निर्धारित समय 15 दिन प्रपोजल फार्म मिलने के पश्चात् जारी की जाती है। लेकिन परिवादी की मां 12घण्टे बाद ही मर गयी। अतः क्लेम संधार्य नहीं है। परिवादी की मां को आई.आर.डी.ए. के नियम को बता दिए गए थे। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या 01 ने परिवाद में किए गए कथनों से इन्कार किया है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 9/1ता9/4 प्रपोजल फार्म की छायाप्रति, कागज संख्या 9/5 मनोरमा देवी को कम्पनी द्वारा इन्श्योरेन्स कराने के पश्चात् दिया गया वेलकम लेटर की छायाप्रति, कागज संख्या 9/6 पॉलिसी डॉक्यूमेन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 9/7ता9/15 सेड्यूल पेज की छायाप्रति, कागज संख्या 9/16ता9/18 प्रपोजल फार्म की छायाप्रति, कागज संख्या 9/19 इन्श्योरेन्स प्रीमियम रिसिप्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 9/21व22 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/23 घनश्याम वर्मा के पहचान के प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/24 कैंसिल चेक की छायाप्रति, कागज संख्या 9/25 ड्राइविंग लाइसेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 9/26 निर्वाचन कार्ड की छायाप्रति, कागज संख्या 9/30व31 क्लेम सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/32व33 डेथ क्लेम अप्लीकेशन फार्म की छायाप्रति, कागज संख्या 9/34 मृतका का निर्वाचन प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/35 मनोरमा देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/36 ग्राम पंचायत द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/37 अटेन्डिंग फिजिसियन्स स्टेटमेन्ट फॉर डेथ क्लेम फार्म सी की छायाप्रति, कागज संख्या 9/38 डॉक्टर द्वारा जारी डेथ प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 9/39 शाखा प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 13क² विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा है कि परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार हासिल नहीं था। विपक्षी संख्या 02 मृतका का का खाताधारक होने के कारण उसके निर्देशानुसार खाते का संचालन किया गया है। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या 02 की कोई भूमिका नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इन्श्योरेन्स ऐक्ट की धारा-45 के अनुसार यदि जिसका बीमा हुआ है उसकी मृत्यु 03 साल के अन्दर हो जाती है तो उसके मृत्यु के कारण का अन्वेषण किया जाएगा, यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि बीमा कराते वक्त जिसने बीमा कराया है वह कम्पनी से अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी तथ्य को छिपाए नहीं। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “मिथ्थूलेट नायक बनाम एल.आई.सी. 1962 ए.आई.आर. 814 सुप्रीम कोर्ट” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि बीमा कराते वक्त बीमाधारक द्वारा उसके बीमारी को छिपाना फ्रॉड व कपट की श्रेणी में आता है। इस सन्दर्भ में यदि हम और अन्य न्याय निर्णय “ब्रान्च मैनेजर बजाज एलियान्स लिमिटेड बनाम दलवीर सिविल अपीन नं.3397/20 निर्णित द्वारा सुप्रीम कोर्ट”,“एल.आई.सी. कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया बनाम आशा गोयल (2001)2 एस.सी.सी.160”, “पी.सी. चाको बनाम चेयरमैन एल.आई.सी. (2008)1 एस.सी.सी.321”, “सतवन्त कौर बनाम न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कं.लि.(2009)8 एस.सी.सी. 316” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णयों में माo उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि इन्श्योरेन्स कराना गुड फेथ के अन्तर्गत आता है और उसमें कोई भी बात छुपाना नहीं चाहिए। इस सन्दर्भ में यदि हम कागज संख्या 9/37 का अवलोकन करें तो इसमें डॉक्टर द्वारा मृत्यु का कारण चेस्ट पेन और हर्ट ट्रबुल दिखलाया गया है तथा कागज संख्या 9/38 का अवलोकन करें तो इसमें दिनांक 10.02.2013 को हर्ट अटैक से मृत्यु होना दिखाया गया है। चूंकि बीमा कराने के दूसरे दिन ही परिवादी की मां की मृत्यु हो जाती है। इससे यह अभिधारित होता है कि बीमा कराते वक्त मनोरमा देवी ने अपने बीमारी को बीमा कम्पनी से छिपाया था। इस प्रकार उपरोक्त न्याय निर्णयों के आलोक में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 31.01.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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