Uttar Pradesh

StateCommission

CC/26/2022

Brij Kishor Jaiswal - Complainant(s)

Versus

Max Life Insurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Alok Kumar Singh

28 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/26/2022
( Date of Filing : 08 Mar 2022 )
 
1. Brij Kishor Jaiswal
R/o A2/1203 Parijat Apartment Vikrant Khand Gomti nagar Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Max Life Insurance Co. Ltd
Operations Centre-2 2nd Floor 90-A Sector-18 Udyog Vihar Gurugaon Hariyana
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Sep 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

   परिवाद संख्‍या- 26/2022

श्री बृज किशोर जायसवाल निवासी- ए2 /1203 परिजात अपार्टमेंट, विक्रांतखण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ-226010

                                                                                                                           परिवादी

                                बनाम

  1. मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0, आपरेसन्‍स सेन्‍टर- द्धितीय तल,  90 ए, सेक्‍टर-18 उद्योग विहार गुड़ग्राम-122015 हरियाणा द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।
  2.  एक्सिस बैंक लि0, एक्सिस हाउस, तृतीय तल, सी-2 वाडिया इण्‍टरनेशनल सेन्‍टर, पंडुरंग बुद्धकर मार्ग, वर्ली मुम्‍बई-400025 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।
  3.  

     समक्ष  :-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

     उपस्थिति-

     परिवादी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह

     विपक्षीगण की ओर से उपस्थित-  विद्वान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक भटनागर

     दिनांक :  10-11-2022

मा0 सदस्‍य श्री सुशील कुमार, द्वारा उदघोषित

 निर्णय

      प्रस्‍तुत परिवाद, परिवादी श्री बृज किशोर जायसवाल द्वारा विपक्षीगण मैक्‍स लाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 व एक अन्‍य के विरूद्ध अन्‍तर्गत धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 इस आयोग के समक्ष योजित किया गया है।

     यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध बीमित धनराशि बीमा पालिसी के अनुसार प्राप्‍त करने के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में रू० 5,00,000/-

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प्राप्‍त करने के लिए तथा वाद व्‍यय के रूप में रू० 5,00,000/- दिलाए जाने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है साथ ही 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज की मांग भी की गयी है।

     परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी की पत्‍नी श्रीमती शालिनी जायसवाल द्वारा एक्सिस बैंक लि0 से अंकन 75,00,000/-रू० का ऋण प्राप्‍त किया गया जिसमें से 68,91,925/-रू० दिनांक 26-02-2021 को ही वितरित कर दिये गये। इस ऋण के लिए बीमा पालिसी ली गयी जिसका नं० 35003248 है।  यह पालिसी विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा परिवादी की पत्‍नी के नाम जारी की गयी जो दिनांक 26-02-2021 से दिनांक 25-02-2031 तक की अवधि तक वैध थी। इस पालिसी के लिए 1,65,007.83 प्रीमियम का भुगतान किया गया और 68,91,925/-रू० का बीमा किया गया। इस पालिसी में परिवादी नामिनी है।

     परिवादी की पत्‍नी का दिनांक 21-04-2021 को परीक्षण हुआ और वह कोविड पाजिटिव पायी गयी। उन्‍हें चन्‍दन हास्पिटल में दिनांक  23-04-2021 को भर्ती किया गया। इलाज के दौरान दिनांक 05-05-2021 को वह कोविड निगेटिव हो गयी और दिनांक 06-05-2021 को MICU में शिफ्ट किया गया।  चन्‍दन हास्पिटल में इलाज के दौरान हास्पिटल की लापरवाही के कारण  Tracheostomy tube slipped from Lungs जिसके कारण EMPHYSEMA तथा BILATERAL  PNEUMOTHORAX with BPF (Bronchopleural Fistula) विकसित हो गयी जिसके कारण दिनांक 02-06-2021 को परिवादी की प‍त्‍नी की मृत्‍यु हो गयी।

    परिवादी ने अपनी पत्‍नी की मृत्‍यु के बाद 68,91,925/-रू० का बीमा क्‍लेम विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी के यहॉं प्रस्‍तुत किया। बीमा कम्‍पनी

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द्वारा पत्र दिनांक- 09-10-2021 के द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि बीमित श्रीमती शालिनी जायसवाल "Hypothyroidism and Depression" की बी‍मारी से ग्रसित थी। इस पत्र के साथ कुछ दस्‍तावेज भी मांगे गये। परिवादी द्वारा सभी वांछित दस्‍तावेज उपलब्‍ध करा दिये गये परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी द्वारा पत्र दिनांक 01 दिसम्‍बर 2021 को असत्‍य आधार पर बीमा क्‍लेम नकार दिया गया जबकि बीमा प्रस्‍ताव होने के समय परिवादी की पत्‍नी श्रीमती शालिनी जायसवाल को कोई बीमारी नहीं थी। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं कराया गया है। इसलिए बीमा क्‍लेम नकारना अवैधानिक और अनुचित संविदा की श्रेणी में आता है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी की पत्‍नी कुशल व्‍यवसायी थी और 4000 स्‍क्‍वायर फिट शोरूम का संचालन करती थी एवं समस्‍त घरेलू कार्य भी देखती थी। डिस्‍चार्ज समरी दिनांक 06 मई 2021 एवं TSH रिपोर्ट दिनांक 08 मई 2021 से स्‍पष्‍ट है कि उन्‍हें "Hypothyroidism and Depression" की बी‍मारी नहीं थी। चन्‍दन हास्पिटल द्वारा अपनी लापरवाही छिपाने के उद्देश्‍य से यह कहानी तैयारी की गयी। यदि उपरोक्‍त बीमारी होती तो डिस्‍चार्ज समरी एवं TSH रिपोर्ट में इसका उल्‍लेख होता तथा इलाज के दौरान दी गयी दवाइयों में इसका उल्‍लेख होता। इसलिए बीमा कम्‍पनी डेथ बेनीफिट के रूप में कुल धनराशि अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है तथा मानसिक प्रताड़ना एवं वाद व्‍यय के रूप में उपरोक्‍त वर्णित राशि अदा करने के लिए भी उत्‍तरदायी है।

     परिवाद पत्र के समर्थन में विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा जारी दौरान पालिसी क्‍लेम तथा चन्‍दन हास्पिटल द्वारा जारी डिस्‍चार्ज समरी तथा मृत्‍यु प्रमाण पत्र की प्रति प्रस्‍तुत की गयी है साथ ही लामा समरी भी प्रस्‍तुत की गयी है जो दस्‍तावेज संख्‍या- 17 लगायत 19 पर मौजूद है। बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादी

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को जारी पत्र दिनांक 09 अक्‍टूबर 2021 की प्रति दस्‍तावेज संख्‍या-21 पर मौजूद है तथा अन्‍य पत्राचार की प्रतियां भी पत्रावली पर मौजूद हैं।

      बीमा कम्‍पनी कथन है कि बीमित द्वारा बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन किया गया है जबकि चन्‍दन हास्पिटल की रिपोर्ट के अनुसार बीमित पिछले 12 वर्ष से "Hypothyroidism and Depression" की बी‍मारी से ग्रसित थी तथा वर्ष 2018 में LSCS का उपचार हुआ था तथा वर्ष 2016 में सर्जरी भी हुयी थी जिससे यह तथ्‍य स्‍थापित होता है कि बीमित द्वारा पूर्व बीमारियों का इलाज कराया गया और बीमा पालिसी में इस तथ्‍य को छिपाया गया। इसलिए वैधानिक रूप से बीमा क्‍लेम नकार दिया गया। विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा चन्‍दन हास्पिटल की लापरवाही का आरोप लगाया गया है परन्‍तु चन्‍दन हास्पिटल को पक्षकार नहीं बनाया गया है।

परिवाद की सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह एवं विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक भटनागर उपस्थित हुए।

   उभय-पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया।

    प्रस्‍तुत परिवाद में परिवादी की पत्‍नी श्रीमती शालिनी जायसवाल द्वारा ऋण की सुरक्षा के लिए बीमा पालिसी प्राप्‍त किया जाना तथा बीमा प्रीमियम का भुगतान किया जाना आदि सभी तथ्‍य सुस्‍थापित हैं अत: इन बिन्‍दुओं पर विस्‍तृत विवेचना की आवश्‍यकता नहीं है।

      प्रस्‍तुत परिवाद के निस्‍तारण के लिए एक मात्र विनिश्‍चयात्‍मक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या परिवादिनी द्वारा बीमा पालिसी प्राप्‍त करने से पूर्व

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अपनी बीमारी के महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को तथा पूर्व बीमारी के तथ्‍यों को छिपाया गया है अथवा नहीं ? यदि हॉ तब बीमारी के तथ्‍यों को छिपाने का क्‍या प्रभाव है ? दिनांक 26 फरवरी 2021 को पालिसी अस्तित्‍व में आयी है, इसी ति‍थि को पालिसी जारी भी की गयी है। पालिसी जारी होने के तीन माह सात दिन के अन्‍दर बीमा धारक की मृत्‍यु कारित हुयी है। इसलिए स्‍वतंत्र इंवेस्‍टीगेटर से बीमा कम्‍पनी द्वारा विवेचना करायी गयी। इन्‍वेस्‍टीगेटर द्वारा जो दस्‍तोवज प्राप्‍त किये गये उनके अनुसार यह निष्‍कर्ष दिया गया कि मृतक श्रीमती शालिनी जायसवाल स्‍वास्‍थ्‍य घोषणा फार्म जारी करने से पूर्व ही डिप्रेशन की मरीज थीं। चन्‍दन हास्पिटल के रिकार्ड के अनुसार जाहिर होता है कि बीमा धारक पिछले 12 वर्षों से "Hypothyroidism and Depression" नामक बीमारी से ग्रसित थी जिससे जाहिर हुआ कि बीमित द्वारा बीमा पालिसी प्राप्‍त करने के पूर्व ही अपना इलाज कराया जा रहा था। इसी इन्‍वेस्‍टीगेटर रिपोर्ट को आधार  मानते हुए बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा क्‍लेम नकारा गया है।

       बीमा धारक द्वारा स्‍वास्‍थ्‍य डिक्लिीरियेशन फार्म पत्रावली पर दस्‍तावेज संख्‍या– 12 एवं 13 के रूप में मौजूद है जिसमें स्‍वयं को पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ दिखाया गया है और किसी भी बीमारी से ग्रसित होना नहीं बताया गया है। दस्‍तावेज संख्‍या 14 लगायत 19 चन्‍दन हास्पिटल की डिस्‍चार्ज समरी है। बीमा धारक दिनांक 23 अप्रैल 2021 को अस्‍पताल में भर्ती हुयी और दिनांक 06 मई 2021 तक अस्‍पताल में भर्ती रही। मरीज कोविड पाजिटिव थी जो दिनांक     05-05-2021 को  कोविड निगेटिव हो गयी। इसके अतिरिक्‍त बीमा धारक को अन्‍य बीमारियॉं होना भी अंकित किया गया है।

     इन गम्‍भीर बीमारियों के बावजूद मरीज का इलाज नियमित रूप से नहीं कराया गया और डाक्‍टर की सलाह के विपरीत मरीज को अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज करा दिया गया। LAMA समरी पत्रावली पर दस्‍तावेज संख्‍या-17 लगायत 19 के

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रूप में मौजूद है। इस LAMA रिपोर्ट में मरीज के इतिहास के रूप में दर्ज है कि बीमाधारक पिछले 12 वर्षों से "Hypothyroidism and Depression"  नामक बीमारी से ग्रसित थीं और दिनांक 23-04-2021 को कोविड पाजिटिव हुयीं एवं दिनांक 05-05-2021 को कोविड निगेटिव पायी गयीं।

"Hypothyroidism नामक बीमारी में थाइराइड ग्रन्थि पर्याप्‍त हार्मोन उत्‍पन्‍न नहीं करती। यदि इस बीमारी का समुचित इलाज नहीं किया जाता है तब इस रोग से जीवन घातक बीमारी कोमा की स्थिति में जाने की सम्‍भावना रहती है। प्रस्‍तुत केस में बीमा धारक के नामिनी को इस स्थिति की पूर्ण जानकारी हो चुकी थी परन्‍तु इलाज कराने के बजाए बीमा धारक का LAMA कराया गया।

    LAMA कराने का उद्देश्‍य यह है कि बीमा धारक की बीमा राशि को वसूल करने के उद्देश्‍य से यह प्रिकिया अपनायी गयी और बीमित का सम्‍पूर्ण इलाज नहीं कराया गया। यदि बीमित का सम्‍पूर्ण इलाज कराया जाता तो बीमारी का इलाज सम्‍भव हो सकता था और बीमित व्‍यक्ति द्वारा लिये गये ऋण का भुगतान हो सकता था।

     बीमा धारक की मृत्‍यु का प्रमाण पत्र पत्रावली पर दस्‍तावेज संख्‍या-20 के रूप में उपलब्‍ध है जो रजिस्‍ट्रार जन्‍म एवं मृत्‍यु नगर निगम लखनऊ द्वारा जारी किया गया है। मृत्‍यु की तिथि दिनांक 02-06-2021 अंकित है जबकि दिनांक 26 मई 2021 को LAMA कराने के बाद बीमा धारक को मृत्‍यु की दशा में अग्रसारित होने के लिए छोड़ दिया गया। परिवाद पत्र में LAMA कराने के तथ्‍यों का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है। मृत्‍यु के स्‍थान का भी कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है बल्कि यह उल्‍लेख किया गया है कि कोविड निगेटिव आने के पश्‍चात PERCUTANEOUS  TRACHEOSTOMY  

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09 मई 2021 को कराया गया।  इसके पश्‍चात उल्‍लेख किया गया कि 14 मई को हास्पिटल के नर्सिंग स्‍टाफ की असावधानी के कारण दुर्घटना कारित हुयी जिसके कारण TRACHEOSTOMY TUBE LUNGS से अलग हट गया जिसके कारण EMPHYSEMA तथा BILATERAL  PNEUMOTHORAX with BPF (Bronchopleural Fistula) विकसित हो गयी। इस गम्‍भीर स्थिति के बावजूद मृतक का LAMA कराया गया।  LAMA कराने के कारण दिनांक 02-06-2021 को मृत्‍यु कारित हुयी।  इस प्रकार बीमा प्रस्‍ताव भरने से 12 वर्ष पूर्व बीमित "Hypothyroidism and Depression"  नामक बीमारी से ग्रसित थी जिसे छिपाने के साथ-साथ अनेकों बीमारियां मौजूद रहते हुए मरीज का LAMA कराना जाहिर करता है कि बीमा धारक के नामिनी का उद्देश्‍य केवल बीमित राशि को हड़पने का रहा है। इस स्थिति में बीमा क्‍लेम नकारने का बीमा कम्‍पनी का निर्णय विधि सम्‍मत है।

     डाक्‍टर द्वारा बरती गयी लापरवाही एवं चन्‍दन हास्पिटल द्वारा सेवा में की गयी कमी हेतु चन्‍दन हास्पिटल तथा नर्सिंग स्‍टाफ को पक्षकार नहीं बनाया गया है।

     बीमा कम्‍पनी द्वारा जब बीमित के मृत्‍यु के सम्‍बन्‍ध में जानकारी मांगी गयी तब बीमाधारक के नामिनी द्वारा यह कहा गया कि चन्‍दन हास्पिटल के कर्मचारियों की दया पर छोड़ने के बजाय मृतक को हेल्‍थसिटी हास्पिटल के डाक्‍टर सुबोध की देखभाल में शिफ्ट किया गया परन्‍तु परिवाद पत्र में चन्‍दन हास्पिटल से LAMA कराकर हेल्‍थ सिटी हास्पिटल के डाक्‍टर सुबोध से इलाज कराने का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है। डाक्‍टर सुबोध की देखभाल में रहते हुए मृत्‍यु होने का भी कोई प्रमाण पत्र पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं है। यद्यपि  मृत्‍यु प्रमाण पत्र में मृत्‍यु का स्‍थान हेल्‍थ सिटी

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हास्पिटल गोमती नगर लिखा गया है परन्‍तु हेल्‍थ सिटी हास्पिटल में भर्ती होने एवं डाक्‍टर सुबोध द्वारा इलाज कराने का कोई उल्‍लेख परिवाद पत्र में नहीं किया गया है। परिवाद पत्र में चन्‍दन हास्पिटल के कर्मचारियों द्वारा की गयी लापरवाही से दिनांक 02-06-2021 को मृत्‍यु होना अंकित किया गया है।

     उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना के आधार पर यह स्‍पष्‍ट होता है कि  परिवादी द्वारा वास्‍तविक तथ्‍यों को छिपाकर बीमाधारक की बीमारियों के सम्‍बन्‍ध में महत्‍वपूर्ण तथ्‍य छिपाकर, बीमित मृतक का LAMA कराकर केवल बीमा क्‍लेम हड़पने के उद्देश्‍य से यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है जो निरस्‍त होने योग्‍य है।

                        आदेश

       प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

     उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।.

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                             (सुशील कुमार)                    

             अध्‍यक्ष                                                  सदस्‍य

                                      

         कृष्‍णा–आशु0

            कोर्ट नं0 1

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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