(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-414/2018
1. श्रीमती अनुराधा गोयल पत्नी स्व0 संजय गोयल।
2. श्री वासु गोयल पुत्र स्व0 संजय गोयल।
3. श्री शांतम गोयल पुत्र स्व0 संजय गोयल।
समस्त निवासीगण इंडियन अलाइड एक्सपोर्ट, एच-9 लाजपत नगर, मुरादाबाद 244001 ।
परिवादीगण
बनाम्
1. मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, कारपोरेट आफिस ब्लाक बी 1/1-2 मोहन कोआपरेटिव इंडस्ट्रियल स्टेट, मथुरा रोड न्यू दिल्ली 110044, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर रजिस्टर्ड आफिस मैक्स हाऊस, 1 डा0 झा मार्ग, ओखला, न्यू दिल्ली 110020 ।
2. मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ब्रांच आफिस 8th Km. स्टोन, दिल्ली रोड, अपोजिट नया मुरादाबाद, यू.पी. 244001, द्वारा सेल्स परसन।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार , सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 03.05.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 35 लाख रूपये बीमित राशि 24 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 05 लाख रूपये की मांग की गई है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षपे में इस प्रकार हैं कि संजय गोयल द्वारा एक पालिसी प्राप्त की गई थी, जो दिनांक 12.05.2016 से दिनांक 11.05.2017 तक वैध थी। बीमित राशि अंकन 35 लाख रूपये थी। पालिसी लेने के दो माह पश्चात बीमाधारक घर पर घायल हो गए, जिन्हें इंडियन स्पाईनल इन्जरी सेन्टर ले जाया गया, जहां पर हिप बोन फ्रैक्चर की जानकारी हुई बाद में सर्जरी की गई तथा अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, परन्तु दर्द होने पर पुन: सर्जरी के लिए कहा गया। इस मध्य बीमाधारक को स्वांस की समस्या बनी रही तथा पेट के निचले हिस्से में दर्द बना रहा, जिस कारण पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में भर्ती कराया गया, जहां से इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई थी, इसके बाद हिप सर्जरी के लिए संत परमानन्द हॉस्पिटल, दिल्ली में भर्ती हुए, जहां सर्जरी की गई। आपरेशन वाले क्षेत्र में पुन: इन्फेक्शन होने पर संत परमानन्द हॉस्पिटल, दिल्ली में बीमाधारक को भर्ती कराया गया। दिनांक 29.05.2017 को बीमाधारक की मृत्यु हो गई। सभी परिवादीगण मृतक बीमाधारक के वारिसान हैं, उनके द्वारा बीमा क्लेम प्रदान करने का अनुरोध किया गया, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम नहीं दिया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्नक 1 लगायत 12 दस्तावेज प्रस्तुत किए गए।
4. विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में यह उल्लेख किया गया कि स्वंय क्लीनिक दस्तावेजों से जाहिर होता है कि पालिसी प्राप्त करते समय तात्विक तथ्यों को छिपाया गया। उनके द्वारा क्रोनिक लीवर डीसीज तथा हाईपर टेन्शन के बारे में नहीं बताया गया, जबकि यह बीमारी बीमा प्रस्ताव भरते समय पूर्व से उन्हें मौजूद थी। अंकन 20 लाख रूपये के लिए पालिसी जारी की गई थी न कि अंकन 35 लाख रूपये के लिए। इस संबंध में असत्य कथनों का वर्णन किया गया है। चूंकि बीमाधारक द्वारा तथ्यो को छिपाया गया है, इसलिए बीमा पालिसी की क्लॉज संख्या-7 की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। प्रश्नगत पालिसी दिनांक 26.09.2016 को समाप्त कर दी गई। दिनांक 26.09.2016 के पश्चात कोई बीमा क्लेम देय नहीं है। बीमा पालिसी की अन्य शर्तों के अनुसार अस्पताल से डिसचार्ज होने के 30 दिन के पश्चात बीमा क्लेम प्रस्तुत किया जा सकता है। परिवादीगण द्वारा दिनांक 17.03.2018 को क्षतिपूर्ति के लिए क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो 536 दिन के बाद था। एक ही बिल में 09 अस्पतालों के बिलों की क्षतिपूर्ति मांगी गई। परिवादीगण को इस तथ्य की पूर्ण जानकारी है कि पालिसी रद्द कर दी गई है और यदि यह मान लिया जाए कि बीमा क्लेम का नकारना अनुचित है तब भी अंकन 35 लाख रूपये प्रदान नहीं किया जा सकता, क्योंकि बीमा पालिसी केवल 20 लाख रूपये के लिए जारी की गई थी, इसलिए बीमा कंपनी अंकन 20 लाख रूपये से ज्यादा की धनराशि अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। चूंकि वास्तविक तथ्यों से बीमा कंपनी को अवगत कराने का दायित्व बीमाधारक पर था, जिसे छिपाया गया, इसलिए कानून बीमाधारक की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी किसी भी प्रकार का बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्जर 1 लगायत 16 प्रस्तुत किए गए।
6. परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। केवल परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का अवलोकन किया गया।
7. परिवादीगण द्वारा बीमित राशि अंकन 35 लाख रूपये होने का उल्लेख किया गया है, जबकि बीमा कंपनी का कथन है कि केवल 20 लाख रूपये की राशि के लिए बीमा पालिसी जारी की गई थी। अत: इस परिवाद के विनिश्चय के लिए सर्वप्रथम विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि बीमा पालिसी किस राशि के लिए जारी की गई थी। बीमा पालिसी की प्रतिलिपि अनेक्जर संख्या-2 के रूप में पत्रावली पर मौजूद है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि अंकन 20 लाख रूपये की पालिसी प्राप्त की गई थी। बीमा कंपनी का यह कथन है कि यह पालिसी रद्द कर दी गई थी, परन्तु पालिसी रद्द होने की सूचना बीमाधारक को देने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अत: इस तथ्य का कोई महत्व नहीं है कि पालिसी रद्द कर दी गई थी। बीमाधारक की मृत्यु होने के तथ्य से इंकार नहीं किया गया है। किसी भी मेडिकल साक्ष्य से यह तथ्य साबित नहीं है कि बीमा प्रस्ताव भरते समय पूर्व से मौजूद किसी बीमारी के तथ्य को बीमाधारक द्वारा छिपाया गया हो, इसलिए परिवादीगण अंकन 20 लाख रूपये बीमित धनराशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं। चूंकि परिवादीगण को यह राशि उपलब्ध नहीं कराई गई और परिवाद प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होना पड़ा, इसलिए वाद खर्च और मानसिक प्रताड़ना की मद में संयुक्त रूप से अंकन 01 लाख रूपये की धनराशि परिवादीगण प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8.(क) प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को अंकन 20,00,000/-रू0 का भुगतान 03 माह के अंदर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ करें। यदि 03 माह के अन्दर भुगतान नहीं किया जाता है तब 12 प्रतिशत ब्याज देय होगा।
(ख) बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि परिवादीगण को मानसिक प्रताड़ना तथा वाद व्यय की मद में अंकन 01 लाख रूपये का भुगतान उपरोक्त 03 माह की अवधि में किया जाए। यदि उपरोक्त अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर भी 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2