Uttar Pradesh

StateCommission

A/162/2020

Pawan Bhaskar - Complainant(s)

Versus

Maurya Restaurant - Opp.Party(s)

Naved Ali & Pratul Pratap Singh

09 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/162/2020
( Date of Filing : 24 Feb 2020 )
(Arisen out of Order Dated 04/02/2020 in Case No. C/592/2017 of District Lucknow-II)
 
1. Pawan Bhaskar
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Maurya Restaurant
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Feb 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-162/2020

पवन भास्‍कर पुत्र बी0एल0 भास्‍कर, संचाल का पता:- ए-3/945, इंदिरा नगर, लखनऊ उत्‍तर प्रदेश।

........... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम              

मौर्य रेस्‍टोरेंट पता:- एएफ 40/308, मौरंग मंडी रोड 6 नंबर पार्किंग के पास, ट्रांसपोर्ट नगर कानपुर रोड, लखनऊ।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य                     

अपीलार्थी की ओर से           : श्री प्रतुल प्रताप सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री जसकरन लाल मार्या

दिनांक :- 09.02.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी पवन भास्‍कर द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-592/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.02.2020 के विरूद्ध योजित की गई है। 

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी दिनांक 20.8.2017 को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के रेस्‍टोरेंट में अपने मित्र विवेकानन्‍द शुक्‍ला के साथ लंच के लिए गये एवं जैसे ही वे एवं उनके मित्र रेस्‍टोरेंट में कुर्सी पर बैठे वैसे ही कुर्सी टूट गई तथा कुर्सी की राड से अपीलार्थी/परिवादी को चोट आ गई, जिस हेतु उन्‍हें 07 टॉके लगाये गये और उन्‍हें रोज के कार्यो को करने में काफी तकलीफ उठानी पड़ी, अत्एव अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला

-2-

उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया।

परिवाद पत्र का परिशीलन करने पर इस न्‍यायालय को यह अवगत हुआ कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह कथन किया गया कि वे अपने एक मित्र विवेकानन्‍द शुक्‍ला के साथ दोपहर भोजन हेतु दिनांक 20.8.2017 को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के द्वारा संचालित मौर्या रेस्‍टोरेंट में भोजन करने हेतु गये। परिवाद पत्र के प्रस्‍तर-2 में यह उल्लिखित किया गया कि दोपहर का भोज करते समय जिस कुर्सी पर अपीलार्थी/परिवादी एवं उनके मित्र बैठे थे वह कर्सी एकाएक टूट गई, जिसके कारण उस कुसी में लगी स्‍टील की रॉड से अपीलार्थी/परिवादी के कमर में चोट आ गई एवं उपरोक्‍त चोटों के कारण अपीलार्थी/परिवादी को चिकित्‍सक द्वारा 07 टॉके लगाये गये। उपरोक्‍त चिकित्‍सा सम्‍बन्‍धी न तो कोई विवरण परिवाद पत्र में विस्‍तार से उल्लिखित किया गया, न ही पाया गया, न ही उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में चिकित्‍सक की कोई रिपोर्ट पत्रावली पर उपलब्‍ध है।

परिवाद पत्र में यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त चोटों के कारण अपीलार्थी/परिवादी को दिन प्रतिदिन का कार्य करने में कठिनाई हुई। परिवाद पत्र में यह भी तथ्‍य उल्लिखित किया गया कि चोटग्रस्‍त होने के कारण अपीलार्थी/परिवादी को आर्थिक हानि हुई तथा दिन प्रतिदिन की आय में भी हानि हुई।

परिवाद पत्र में यह भी उल्लिखित किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी को उपरोक्‍त के अलावा आर्थिक व मानसिक कष्‍ट भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के द्वारा सेवा में कमी के कारण हुआ, जिस हेतु अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में आर्थिक एवं मासिक प्रताड़ना हेतु 1,25,000.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा दिलाये जाने का उल्‍लेख किया,

-3-

साथ ही वाद व्‍यय के रूप में 5,000.00 रू0 प्रदान किये जाने की प्रार्थना की।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों को विस्‍तार से उल्लिखित करते हुए अंततोगत्‍वा परिवाद को निरस्‍त कर दिया है, जिससे व्‍यथित होकर प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गई है।

 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा अपने उत्‍तर शपथपत्र में यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित किया गया कि वास्‍तव में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा पूर्व में अनेकों बार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के रेस्‍टोरेंट में अपने साथियों के साथ आकर भोजन किया जाता रहा और जब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा पूर्व में बाकी की देय धनराशि रू0 30,000.00 देने हेतु तगादा किया गया तब अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को न अपने साथियों के साथ सिर्फ धमकाया गया, वरन परिवाद प्रस्‍तुत करते हुए गलत प्रकार से धन वसूली की प्रक्रिया अपनाई गई।

हमारे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रतुल प्रताप सिंह को पूर्व में एवं पुन: आज सुना गया तथा पक्षकारों से आपस में समझौते हेतु आग्रह किया गया, परन्‍तु परिवादी की शुरू से ही हठधर्मिता के कारण सहमति हेतु कोई भी प्रयास नहीं किया गया, जबकि विपक्षी के अधिवक्‍ता द्वारा उक्‍त हेतु न्‍यायालय के प्रस्‍ताव का समादर करते हुए स्‍वेच्‍छा से सहमति दी जाती रही एवं आज भी सुनवाई के समय उक्‍त हेतु स्‍वीकृति दी गई, परन्‍तु परिवादी एवं उनके अधिवक्‍ता द्वारा उसे पूर्णत: अस्‍वीकृत करते हुए धनराशि प्राप्‍त करने हेतु दबाव बनाया गया, तदनुसार प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जसकरन लाल मौर्या को सुना तथा यह पाया गया कि दौरान बहस अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह कथन किया गया कि

-4-

अपीलार्थी द्वारा एल.एल.एम. की डिग्री की पढाई हेतु डॉ0 भीमराव अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय में एडमीशन लिया गया था तथा एल.एल.एम. की पढाई उपरोक्‍त विश्‍वविद्यालय से की जा रही थी जबकि यह घटना है।

प्रश्‍न यह है कि जब अपीलार्थी द्वारा स्‍वयं इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया कि उनके द्वारा एलएम.एम. की पढाई विश्‍वविद्यालय में की जा रही थी तब आर्थिक नुकसान एवं आय के सम्‍बन्‍ध में जो तथ्‍य परिवाद पत्र में एवं प्रश्‍नगत अपील में उल्लिखित किये गये हैं, उससे संदर्भित कोई प्रपत्र न तो इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किये जा सके, न ही कोई साक्ष्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किये गये। तद्नुसार हमारे विचार से विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग का निर्णय पूर्णत: उचित है, अत: अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)              (विकास सक्‍सेना)            

                  अध्‍यक्ष                                        सदस्‍य                                                                                         

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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