Rajasthan

Barmer

CC/348/12

BHAGWAN SINGH OSWAL - Complainant(s)

Versus

MARVOL ELE. AND OTHERS - Opp.Party(s)

O.P.VISHNOI

11 Mar 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, बाड़मेर (राजस्थान)
अध्यक्ष: श्री मिथिलेश कुमार शर्मा
सदस्या: श्रीमति ममता मंगल
सदस्य : श्री अशोक कुमार सिंधी

परिवाद संख्या 348/2012

परिवादी:
भगवानसिंह ओसवाल पुत्र पन्नालाल ओसवाल जाति जाटव
हाल अध्यापक रा.मा.वि. नेगरड़ा पं.स. शिव
तहसील शिव जिला बाड़मेर।
 

        बनाम
विप्रार्थीगण :
1.    मारवेल इलैक्ट्रोविजन गुरूद्वारा रोड़ बाड़मेर
2.    भारत बिजनिश चैनल लि. प्रथम फ्लोर टचबेव सेंटर लिंग रोड़, नियम मेगा मेल, ओसीवारा मुम्बई 400102 इण्डिया।

उपस्थित:-
1.    परिवादी की ओर से श्री ओम प्रकाश विशनोई एडवोकेट।
2.    विप्रार्थी सं. 1 की ओर से श्री रमेश डांगरा ।
3.    विप्रार्थी सं. 2 की ओर से श्री सुरेश मोदी एडवोकेट।
 
ःःनिर्णय:ः        दिनांक: 11.03.2015
1.    परिवादी ने यह परिवाद इन तथ्यों का पेश किया है कि परिवादी एम.ए., एम.काॅम योग्यताधारी अध्यापक हॅू तथा परिवादी की पत्नी पढ़ी लिखी है तथा परिवादी के बच्चे अध्ययन करते है। ज्ञान दैनिक समाचार आदि की जानकारी हेतु परिवादी ने विप्रार्थी संख्या 1 की दुकान से जरिये बिल संख्या 1580 दिनांक 12.02.2012 को रूपये 12250/- रोकड़ अदा कर हायर एल.सी.डी. 22 एवं विडियोकाॅन डी2एच खरीदी। इस बाबत् विप्रार्थी संख्या 1 ने परिवादी को पूर्ण विश्वास दिलाकर आश्वासन दिया कि यह सबसे अच्छा आईटम है जिसकी कम्पनी जिम्मेवारी लेती है परन्तु स्थानीय निवासी है जो पूर्णरूप से आपको हर प्रकार की त्रुटि या असुविधा होने पर तुरन्त निदान करेंगे। विप्रार्थी संख्या 1 ने परिवादी को यह कहा था कि दिनाक 14.02.2012 को विप्रार्थी का आदमी आकर आपके निवास के पते पर डी2एच लगा देगा एवं डी2एच में एक माह के बैलेंस की राशि आपके यहां डी2एच शिफ्ट कर डाल दी जायेगी। अतः आपको एक माह तक एक पैसा भी भुगतान हम विप्रार्थीगण को करने की आवश्यकता नहीं है। विप्रार्थी संख्या 1 की उपर्युक्त वर्णित समस्त बातों पर परिवादी ने विश्वास कर विपक्षी संख्या 1 से हायर एल.सी.डी. 22 एवं विडियोकाॅन डी2एच क्रय की।
2.    परिवादी के निवास पर विप्रार्थी संख्या 1 द्वारा दिनांक 16.02.2012 तक भी डी2एच नहीं लगाई गई तब परिवादी ने विप्रार्थी संख्या 1 से मोबाईल से दिनांक 17.02.2012 को वार्तालाप कर कहा कि आपने तो वादा किया था कि दिनांक 14.02.2012 तक आपके निवास पर डी2एच शिफ्ट कर चालू कर दूंगा परन्तु आज तो तीन दिन ओर ऊपर हो गये है, अतः आपके आदमी को तुरन्त भेजकर आज की आज डी2एच लगाओ, तब विप्रार्थी संख्या 1 ने कहा कि आदमी तो भेज ही रहा हॅू परन्तु आप कस्टमर केयर से भी बात करलो, जिस पर परिवादी ने मोबाईल से कस्टमर केयर से दिनांक 17.02.2012 को बात की एवं शिकायत नम्बर 97776213 दर्ज किये गये एवं कस्टमर केयर द्वारा परिवादी से कहा गया कि कम्पनी का आदमी आज तो नहीं आ सकता है परन्तु दिनांक 18.02.2012 को 1ः25 पीएम पर आपके निवास पर आकर डी2एच लगा देगा। आप इस बारे में हमारे पर पूर्ण भरोसा कर निश्चित रहिये। दिनांक 18.02.2012 को विप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा कोई आदमी नहीं भेजने पर दिनांक 19.02.2012 को मैने शिकायत संख्या 97966833 दर्ज करवाई तब परिवादी को शाम तक डी2एच लगाने का कहा गया परन्तु इस दिन भी विप्रार्थीगण का कोई आदमी निवास पर नहीं आया तब फिर परिवादी द्वारा दिनांक 20.02.2012 को डी2एच लेकर परिवादी के निवास स्थल नेगरड़ा से लेकर बाड़मेर विप्रार्थी संख्या 1 की दुकान पर गया तब उसने परिवादी से कहा कि आप आज तो डी2एच वापिस लेकर नेगरड़ा चले जाओ। दिनांक 21.02.2012 विप्रार्थी का आदमी आकर डी2एच लगा देगा आप पूर्णरूप से निश्चिंत रहिये। परन्तु बड़े खेद की बाद है कि विप्रार्थी संख्या 1 व 2 ने परिवादी को पूर्ण विश्वास दिलाकर उसके विपरीत आचरण कर परिवादी के साथ गंभीर त्रुटि बरती है क्योंकि विप्रार्थी संख्या 1 ने परिवादी से प्रतिफल लिया एवं वह उसका सद्भाविक उपभोक्ता है तथ विपक्षी संख्या 2 विपक्षी संख्या 1 के उत्पाद की निर्माता कम्पनी है। अतः इस कारण विपक्षी संख्या 2 को आवश्यक पक्षकार बनाया गया है। परिवादी के निवास स्थल पर विप्रार्थीगण ने दिनांक 22.02.2012 को आकर डी2एच शिफ्ट कर चालू की अर्थात् अपने वादे की दिनांक 14.02.2012 से 8 दिन बाद में डी2एच शिफ्ट कर चालू की।
3.    दिनांक 14.03.2012 को प्रातः 8ः00 बजे विप्रार्थीगण द्वारा परिवदी की डी2एच की सेवा पूर्णरूपेण बंद कर दी तथा बैलेन्स राशि एक माह की अवधि के लिए कंपनी द्वारा निःशुल्क देने का वादा उपभोक्ता के साथ किया था परन्तु उसके अनुरूप परिवादी की डी2एच सेवा दिनांक 22.02.2012 से दिनांक 21.03.2012 तक निःशुल्क थी तो भी विप्रार्थीगण ने अपने वादे को सिर्फ आकर्षित करने का मिथ्या ही किया था परन्तु अपनी सेवा में उपभोक्ता के साथ गम्भीर त्रुटि की है।
4.    परिवादी ने दिनांक 14.03.2012 को विप्रार्थी संख्या 2 के यहां वार्तालाप कर कहा कि उपभोक्ता की डी2एच सेवा बंद क्यों की गई जबकि परिवादी की डी2एच दिनांक 22.02.2012 को आपके आदमी द्वारा शिफ्ट कर चालू की गई थी तो दिनांक 21.03.2012 तक एक माह की अवधि होती है जिस पर उन्होंने कहा कि शिफ्ट करने से हमें कोई लेना-देना नहीं है। बिल की दिनांक से हम डी2एच में बैलेन्स डालते है। इस प्रकार विप्रार्थीगण परिवादी से प्रतिफल राशि प्राप्त कर सेवा नहीं कर अपनी सेवामें गम्भीर त्रुटि की है।
5.    विप्रार्थीगण के इस कृत्य से परिवादी एवं परिवादी के परिवार को मानसिक वेदना एवं तनाव हुआ जबकि प्रतिफल के बदले में विप्रार्थीगण द्वारा जानबूझकर परिवादी का डी2एच का कनेक्शन का बैलेंस होते हुए भी डी2एच बंदकर के अपनी सेवामें में घोर गम्भीर त्रुटि की है जिसके पेटे मानसिक वेदना एवं तनाव के बदले 95000/- रूपये विप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है।
6.    विप्रार्थी संख्या 1 के यहां परिवादी दिनांक 20.02.2012 को डी2एच लेकर गया था जिससे परिवादी के निवास स्थान नेगरड़ा से बाड़मेर आने जाने में 120/- लगे तथा बस स्टेण्ड से विप्रार्थी सं. 1 की दुकान पर डी2एच सहित टैक्सी भाड़ा आने जाने के 50/- रूपये खर्च हुए उस समय परिवादी के साथ स्टाॅफ के अध्यापक श्री तेजपाल वर्मा थे जो नेगरड़ा से ही परिवादी के साथ बाड़मेर तब बाये एवं विप्रार्थी सं. 1 की दुकान तक परिवादी के साथ टैक्सी में गये थे। इसके अतिरिक्त मोबाईल से विपक्षीगण से बात करने में 50/- रूपये खर्च हुए जो परिवादी विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है।
7.    इस मंच को क्षैत्राधिकार होने का तथ्य वर्णित करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है।
8.    विप्रार्थी संख्या 2 की ओर से उक्त परिवाद के तथ्यों का जवाब पेश किया गया है जिसमें यह वर्णित है कि सम्पूर्ण प्रकरण संविदा के आधार पर है आधारहीन तथ्यों पर दुर्भावना से परिवाद प्रस्ततुत किया गया है और प्रारम्भिक आपŸिायों में ैज्टए क2ी   सेवाऐं दूरसंचार तंत्र का उपयोग किया जाने का आधार लेते हुए तथ्यात्मक विरोध किया है और साथ ही प्रार्थना की है कि परिवादी का परिवाद खारिज किया जावे। विप्रार्थी सं. 1 की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया है।
9.    उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया।
10.    विद्वान अभिभाषक परिवादी की दलील है कि जो तथ्य परिवाद में वर्णित किये गये है उनका समर्थन परिवाद, शपथ-पत्र व प्रस्तुत दस्तावेजात से होता है और इस आधार पर परिवाद स्वीकार करने की दलील दी।
11.    विद्वान अभिभाषक विप्रार्थी की दलील है कि जो तथ्य जवाब में वर्णित किये गये है उनके अनुसार परिवाद खारिज करने की दलील दी।
12.    उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अध्ययन किया तो पाया कि परिवादी ने जो तथ्य अपने परिवाद में वर्णित किये है और विपक्षी की ओर से जवाब पेश किया गया है उसमें विप्रार्थी सं. 2 ने अन्य तथ्यों के साथ-साथ चरण 1 के जवाब में वर्णित किया है कि परिवादी ने क2ी टी.वी. विप्रार्थी संख्या 1 से क्रया किया था लेकिन विप्रार्थी सं. 2 की ओर से जो स्टोलेशन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है उसमें वर्णित इबारत व शर्ते अपठनीय है, बिल संख्या 1580 दिनांक 12.02.2012 में क2ी के लिए 1500/- रूपये परिवादी से वसूल किये गये है और विप्रार्थी संख्या 1 की ओर से कोई संतोषजनक प्रत्युŸार परिवादी के क2ी के स्टोलेशन नहीं करने बाबत् पत्रावली पर नहीं है अतः परिवादी की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र व बिल आदि के तथ्यों के आधार पर परिवाद के तथ्यों का समर्थन होता है और विप्रार्थी सं. 2 द्वारा विक्रय करवाया क2ी समय पर उपयोग नहीं आने के कारण विप्रार्थी सं. 2 के द्वारा सेवादोष कारित करना पाया जाता है। विप्रार्थी सं. 1 के द्वारा विप्रार्थी सं. 2 के प्रतिनिधी के रूप में कार्य करते हुए अपने दायित्व का निर्वहन उचित प्रकार से करना व विक्रित माल की सेवाएॅ उचित देना विप्रार्थी सं. 1 भी प्रमाणित नहीं कर सका है। अतः उसे भी दायित्वाधीन माना जाना उचित है तद्नानुसार परिवादी स्वीकार किये जाने योग्य है।  
ःः आदेष:ः

अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाकर विप्रार्थी संख्या 2 को आदेशित किया जाता है कि वह विक्रित क2ी की कीमत 1500/- (अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपये मात्र) बिक्री दिनांक 12.02.2012 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को अदा करे।
विप्रार्थी संख्या 1 को आदेशित किया जाता है कि वह उक्त निर्णय से विप्रार्थी संख्या 2 को रजिस्टर्ड डाक से अवगत करावे तथा परिवाद व्यय के 1000/- (अक्षरे एक हजार रूपये मात्र) परिवादी को अदा करे। शेष प्रार्थना अस्वीकार की जाती है।
 

     (  श्रीमति ममता मंगल)    (श्री अशोककुमार सिंधी)    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)

           सदस्या                           सदस्य                                     अध्यक्ष 

निर्णय व आदेश आज दिनांक 11.03.2015 को खुले मंच पर लिखवाया जाकर सुनाया गया।  

 

 

(श्रीमति ममता मंगल)               (श्री अशोककुमार सिंधी)      (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
सदस्या                                               सदस्य                                  अध्यक्ष
                                                     
                                                                                

 

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