जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्याः-1058/2011
उपस्थितः-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
दिनाॅंकः-18 सितम्बर, 2017
अनिल कुमार, निवासी-सी-2/121, सेक्टर-एफ0 विस्तार, एल0डी0ए0 कालोनी, कानपुर रोड लखनऊ।
.....परिवादी।
बनाम
1-मेसर्स मारूती टेलीकाम सेन्टर, पुलिस आफीसर्स क्वाटर, पराग डेरी, लखनऊ-12-द्वारा प्रोपराइटर।
2-स्पाइस मोबिलिटी लिमिटेड, अधिकृत सर्विस सेंटर, एपेक्स इण्टरप्राइजेज, सूरज दीप बिल्डिंग, लखनऊ-226001 द्वारा सर्विस मैनेजर।
3-स्पाइस मोबाइल्स लिमिटेड, डी-1, सेक्टर-3, नोएडा-201301 ।
.....विपक्षीगण।
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण से क्रयशुदा मोबाइल बदलकर उसी कीमत का दूसरा मोबाइल पाने के लिए या मोबाइल की कीमत 1,599/-रूपये क्रय किये जाने की तिथि से 18 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने हेतु एवं मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति हेतु 20,000/-रूपये एवं वाद व्यय के लिए 10,000/-दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने एक स्पाइस मोबाइल सेट-क्यू0टू0-44 आई0एम0ई0आई0 नम्बर-910040880573261 दिनाॅंक 04.12.2010 को विपक्षी संख्या-1 से 1599/-रूपये में क्रय किया था, जो विपक्षी संख्या-3 के अधिकृत डीलर हैं। उक्त मोबाइल खरीदने के कुछ ही दिनों बाद स्वतः स्विच आॅफ होने की समस्या उत्पन्न हो गयी। परिवादी उक्त मोबाइल सेट को लेकर विपक्षी संख्या-1 के पास गया और मोबाइल में आयी समस्या के बारे में अवगत कराया, तो विपक्षी संख्या-1 द्वारा बताया गया कि आप अपना सेट विपक्षी संख्या-3 के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी संख्या-2 पर जाइये। विपक्षी संख्या-2 सर्विस सेन्टर पर सेट दिखाने हेतु गया। विपक्षी संख्या-2 द्वारा सेठ देखने के पश्चात परिवादी से कहा गया कि कुछ देर रूक जाइये आपका सेट अभी ठीक हो जायेगा। परिवादी दो घंटे बैठा रहा तथा विपक्षी संख्या-2 ने सेट ठीक करके दे दिया। कुछ दिन बाद सेट में फिर से वही समस्या उत्पन्न हो गयी। परिवादी बार बार विपक्षी संख्या-2 के सर्विस सेन्टर में सेट ठीक कराने हेतु दौड़ लगाता रहा। परन्तु उक्त मोबाइल सेट ठीक नहीं हो सका और दिनाॅंक 31.10.2011 को मोबाइल सेट पूर्ण रूप से बन्द हो गया। परिवादी का सारा सम्पर्क सूत्र कट गया जिससे परिवादी को काफी मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ा।
विपक्षी संख्या-3 की ओर से उनका च्वूमत व ।जजवतदमल (मुख्तार नामा) ने उत्तर पत्र प्रस्तुत किया एवं कथन किया कि परिवादी का दावा पोषणीय नहीं है, क्योंकि उनके द्वारा सेवा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी ने जाॅंबशीट दाखिल नहीं किया है। अतः यह मुश्किल है कि इस संबंध में सम्पूर्ण अभिलेख का अवलोकन किया जा सके। मोबाइल में किसी प्रकार की कोई खराबी नहीं थी, एवं परिवादी ने कभी भी विपक्षी संख्या-3 से संपर्क स्थापित नहीं किया और न ही मोबाइल खराब होने के विषय में बताया। परिवादी कभी भी विपक्षी के सर्विस सेन्टर पर अपना मोबाइल ठीक कराने के लिए जमा नहीं किया और न ही उसे ठीक करने के लिए संपर्क किया ।
विपक्षी संख्या-1 एवं 2 के विरूद्ध वाद की कार्यवाही एकपक्षीय चल रही है।
परिवादी एवं विपक्षी संख्या-3 ने शपथ पर साक्ष्य दिया है एवं परिवाद पत्र/प्रतिवाद पत्र में किये गये कथनों को ही दोहराया है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्य का अवलोकन किया, जिससे विदित होता है कि परिवादी की ओर से सर्विस रिक्वेस्ट दिनाॅंक 31.10.2011 दाखिल की गयी है, जिस पर सर्विस सेन्टर के कर्मचारी का हस्ताक्षर भी है। विपक्षी ने यह तथ्य छिपा लिया है, जबकि कि परिवाद पत्र में ही यह तथ्य अंकित है कि वह विपक्षी के यहाॅं गया था। उक्त सर्विस रिक्वेस्ट की प्रति भी परिवाद पत्र के साथ ही दाखिल की गयी है। मोबाइल खराब होने की स्थिति में वारन्टी समय सीमा में मोबाइल की कीमत परिवादी पाने का अधिकारी है, और उसका दावा स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादी का दावा स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मोबाइल की कीमत मुबलिग-1599/-(एक हजार पाॅंच सौ निन्यानवे रूपये मात्र) 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि (11.11.2011) से भुगतान की तिथि तक 45 दिन में अदा करेगें। मानसिक, एवं शारीरिक कष्ट हेतु मुबलिग-5000/-(पाॅंच हजार रूपया मात्र) भी परिवादी को अदा करेंगें।
(स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,
प्रथम, लखनऊ।