Abhishek Rastogi filed a consumer case on 11 Jul 2018 against Maruti Suzuki india in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/77/2017 and the judgment uploaded on 31 Aug 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/77/2017
Abhishek Rastogi - Complainant(s)
Versus
Maruti Suzuki india - Opp.Party(s)
11 Jul 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-77/2017
अभिषेक रस्तौगी पुत्र श्री अखिल रस्तौगी निवासी मौहल्ला लोहागढ़ तहसील व शहर मुरादाबाद जिला मुरादाबाद। ….......परिवादी
बनाम
1-मारूति सुजूकी इंडिया लि. मुख्य कार्यालय 01 नेल्सन मण्डेला मार्ग पाकेट-10 सेक्टर बी, बसन्त कुंज नई दिल्ली 110070 द्वारा डायरेक्टर।
3-आकांक्षा आटोमोबाइल्स प्रा.लि. दिल्ली रोड मुरादाबाद द्वारा डायरेक्टर।
….......विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 03-08-2017 निर्णय तिथि: 11.07.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे इंवायस तथा कोटेशन में अंतर की धनराशि तथा पंजीकरण के लिए धनराशि लेने के बाद भी वाहन का पंजीकरण न कराने के कारण अंकन-178749/-रूपये की धनराशि 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलायी जाये। मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी ने तीन लाख रूपये अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी को एक अच्छी गाड़ी की आवश्यकता थी। परिवादी को विपक्षी-1 द्वारा निर्मित मारूति सुजूकी की गाड़ी की विपक्षी-3 ने मुरादाबाद में ऑन रोड कीमत लगभग सवा पाँच लाख रूपये बतायी। विपक्षी-3 के सेल्स कर्मचारी ने परिवादी को यह भी बताया कि विपक्षी-3 के रूद्रपुर स्थित कार्यालय में यही गाड़ी परिवादी को अंकन-5,09,000/-रूपये में ऑन रोड मिल जायेगी। परिवादी ने सेल्स कर्मचारी से कोटेशन मंगाने को कहा। दिनांक 22-9-2016 को विपक्षी-3 के माध्यम से परिवादी को विपक्षी-2 का कोटेशन प्राप्त हुआ, जिसमें उक्त गाड़ी की कीमत अंकन-5,09,000/-रूपये अंकित थी। परिवादी ने इसे खरीदने हेतु अंकन-4,30,000/-रूपये बैंक से लोन लिये और शेष अंकन-79,000/-रूपये नकद विपक्षी-2 के कार्यालय में जमा किये। इस प्रकार अंकन-5,09,000/-रूपये प्राप्त कर विपक्षी-2 ने परिवादी को एक वैगन-आर वीएक्सआई गाड़ी दे दी। परिवादी से कहा गया कि गाड़ी के कागजात यथा आर.सी., इंश्योरेंस, बिल इत्यादि परिवादी को मुरादाबाद स्थित कार्यालय से मिल जायेंगे। परिवादी गाड़ी लेकर आ गया। कई बार अनुरोध करने के बाद माह अक्टूबर,2016 में विपक्षी-2 के कार्यालय से परिवादी को एक लिफ़ाफ़े में जो इंवायस दिनांकित 26.09.2016 परिवादी को मिली थी, उसमें गाड़ी की कीमत अंकन-3,99,731/-रूपये अंकित थी। परिवादी ने विपक्षी-2 से आर.सी. न मिलने की शिकायत की तो परिवादी को आश्वासन दिया गया कि पंजीकरण की धनराशि उसे वापस कर दी जायेगी। माह दिसम्बर, 2016 में परिवादी को मात्र अंकन-7000/-रूपये विपक्षी-2 ने अदा किये, जबकि गाड़ी के पंजीकरण हेतु परिवादी से उन्होंने अंकन-41,119/-रूपये वसूल किये थे। परिवादी ने अग्रेत्तर कथन किया है कि जब उसने गाड़ी के कागजात इंवायस इत्यादि बैंक में प्रस्तुत किये तो बैंक द्वारा परिवादी से गाड़ी की वास्तविक कीमत के बारे में पूछा गया, इसपर विपक्षी-2 ने परिवादी को एक अन्य इंवायस दिनांकित 26.09.2016 उपलब्ध करायी, जिसमें गाड़ी की कीमत अंकन-4,45,243/-रूपये अंकित थी। परिवादी का कथन है कि दोनों इंवायस और कोटेशन सब में गाड़ी की कीमत अलग-अलग लिखी होने की वजह से परिवादी की गाड़ी का पंजीकरण आर.टी.ओ. कार्यालय में नहीं हो सका, बड़ी मुश्किल से अंकन-58630/-रूपये अदा करके उसका आर.टी.ओ. कार्यालय में पंजीकरण हो पाया। परिवादी ने कहा है कि विपक्षीगण ने उससे कुल अंकन-1,78,749/-रूपये अधिक वसूले हैं, जिन्हें वे वापस करने हेतु उत्तरदायी हैं। परिवादी ने यह कहते हुए कि बार-बार अनुरोध के बावजूद भी विपक्षीगण ने परिवादी को हुए नुकसान की भरपायी नहीं की है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवादी ने परिवाद के साथ विपक्षी-2 द्वारा दी गई कोटेशन दिनांकित 22.09.2016, इंवायस दिनांकित 26.09.2016, जिसमें वैट सहित गाड़ी की कीमत अंकन-3,99,731/-रूपये अंकित है, दूसरी इंवायस जिसमें वैट सहित गाड़ी की कीमत अंकन-4,45,243/-रूपये अंकित है तथा गाड़ी की बीमा पालिसी की छायाप्रतियों को दाखिल किया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-6/1 लगायत 6/4 हैं।
विपक्षी-1 व 2 ने परिवाद के नोटिस तामील होने के बावजूद भी प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया। फोरम के आदेश दिनांकित 12.04.2018 के अनुपालन में विपक्षी-1 व 2 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
विपक्षी-3 ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं.-15/1 लगायत 15/2 दाखिल किया। जिसमें कहा गया कि उत्तरदाता विपक्षी-3 के विरूद्ध परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ, उसकी जो भी शिकायत है, वह विपक्षी-2 से है। परिवादी का यह कथन भी असत्य है कि उत्तरदाता विपक्षी-3 के सेल्स मैन ने परिवादी को यह बताया हो कि उनके रूद्रपुर स्थित कार्यालय से प्रश्नगत गाड़ी ऑन रोड अंकन-5,09,000/-रूपये में मिल जायेगी। परिवादी को उत्तरदाता द्वारा कोई कोटेशन उपलब्ध नहीं करायी गई। यह भी कहा गया कि फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-16/1 लगायत 16/4 दाखिल किया।
विपक्षी-3 की ओर से उनके निदेशक श्री अमित गोयल का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-17/1 लगायत 17/2 दाखिल हुआ।
विपक्षी-3 के अतिरिक्त अन्य किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
हमने परिवादी तथा विपक्षी-3 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद कथनों के समर्थन में दाखिल अभिलेखों और साक्ष्य को इंगित करते हुए तर्क दिया कि कोटेशन कागज सं.-6/1 के अनुसार विपक्षी-2 के लिए आवश्यक था कि वह परिवादी द्वारा खरीदी गई कार का रजिस्ट्रेशन और उसका इंश्योरेंस कराते किन्तु विपक्षी-2 ने केवल कार का इंश्योरेंस कराकर दिया किन्तु कार का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, जिसके अनुसार परिवादी को अनावश्यक रूप से पैनल्टी देनी पड़ी। इंवायस की नकल कागज सं.-6/2 की और हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने यह भी तर्क दिया कि विपक्षी-2 ने कोटेशन में कार की कीमत अधिक लिखी और तद्नुरूप परिवादी से कार का अधिक मूल्य चार्ज किया, जो गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी-2 के कृत्य अनुचित व्यापार पद्धति की श्रेणी में आते हैं।
परिवादी की ओर से दाखिल साक्ष्य सामग्री और परिवाद कथनों का खण्डन करने के लिए तामीला के बावजूद विपक्षी-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुए। विपक्षी-3 के विद्वान अधिवक्ता ने यह कहते हुए कि परिवादी को जो भी शिकायत है, वह विपक्षी-2 से है, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी-3 ने परिवादी को न तो कार का कोटेशन मंगाकर दिया और न ही प्रश्नगत मामले से विपक्षी-3 का कोई लेना-देना है। उन्होंने यह भी कहा कि फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
जहां तक फोरम के क्षेत्राधिकार का प्रश्न है इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि परिवादी को परिवाद का कारण इस फोरम के क्षेत्राधिकार में उत्पन्न हुआ है क्योंकि विपक्षी-2 ने कार का इंश्योरेंस कराकर उसका पालिसी शैड्यूल परिवादी के मुरादाबाद स्थित पते पर उपलब्ध कराया है और कार के रजिस्ट्रेशन हेतु पैसे लेने के बावजूद कार की आर.सी. परिवादी को उपलब्ध नहीं करायी गई, ऐसी दशा में इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
कार की कोटेशन की नकल कागज सं.-6/1 के अनुसार कार का बीमा और उसके रजिस्ट्रेशन को जोड़ते हुए विपक्षी-2 ने कुल अंकन-5,09,000/-रूपये की कोटेशन परिवादी को दी थी। परिवादी के अनुसार उसने अंकन-5,09,000/-रूपये की यह धनराशि विपक्षी-2 के यहां जमा कर दी, इसमें से अंकन-70,000/-रूपये परिवादी ने नकद अदा किये और शेष धनराशि बैंक से लोन लेकर डी.डी. के माध्यम से परिवादी ने दी। कोटेशन में कार का मूल्य अंकन-4,45,243/-रूपये अंकित है। इसके विपरीत कार की इंवायस की नकल कागज सं.-6/2 में वैट सहित कार का मूल्य अंकन-3,99,731/-रूपये अंकित है। स्पष्ट है कि विपक्षी-2 ने परिवादी से कार का मूल्य अंकन-3,99,731/-रूपये समायोजित किया। इस प्रकार विपक्षी-2 ने परिवादी से कार के मूल्य की मद में अंकन-45,512/-रूपये अधिक चार्ज किये।
कोटेशन में कार के रजिस्ट्रेशन की मद में विपक्षी-2 ने परिवादी से अंकन-41,199/-रूपये लिये। परिवादी के अनुसार विपक्षी-2 ने कार का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। परिवादी द्वारा बार-बार कहने पर विपक्षी-2 ने उसे अंकन-7000/-रूपये वापस किये किन्तु शेष धनराशि वापस नहीं की और कार का रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया। इस प्रकार कार का रजिस्ट्रेशन कराये जाने की मद में विपक्षी-2 ने परिवादी से अंकन-34,119/-रूपये अधिक चार्ज किये।
परिवादी के अनुसार उसे कार का रजिस्ट्रेशन स्वयं कराना पड़ा। रजिस्ट्रेशन कराने में देरी होने की वजह से परिवादी को अंकन-17,910/-रूपये की पैनल्टी भी भरनी पड़ी, जैसा कि नकल रसीद कागज सं.-19/2 से प्रकट है। विपक्षी-2 यदि वायदे के अनुसार कार का रजिस्ट्रेशन करा देते तो परिवादी को यह पैनल्टी नहीं भरनी पड़ती, पैनल्टी की यह धनराशि भी परिवादी को विपक्षी-2 से दिलायी जानी चाहिए।
जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि विपक्षी-2 ने परिवादी से कार के मूल्य की मद में अंकन-45,512/-रूपये की धनराशि अधिक जमा करायी, कार के रजिस्ट्रेश्न की मद में विपक्षी-2 ने अंकन-34,119/-रूपये परिवादी को मांगने के बावजूद भी वापस नहीं किये और विपक्षी-2 के कृत्यों की वजह से कार का रजिस्ट्रेश्न कराने में हुई देरी की वजह से परिवादी को अंकन-17,910/-रूपये पैनल्टी भरनी पड़ी। इन धनराशियों का योग अंकन-97,541/-रूपये होता है, जो विपक्षी-2 से परिवादी को बयाज सहित दिलायी जानी चाहिए। विपक्षी-2 तामील के बावजूद फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। उनकी ओर से परिवादी के अभिकथनों और साक्ष्य का कोई खण्डन नहीं हुआ। ऐसी दशा में परिवादी के अभिकथनों एवं उसकी ओर से दाखिल अभिलेखों पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण दिखायी नहीं देता है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य, तथ्यों और परिस्थितियों से यह भी प्रमाणित है कि विपक्षी-2 ने अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है। परिवादी को अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा है, जिसके लिए विपक्षी-2 उत्तरदायी है। मामले के तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए हमारे विनम्र अभिमत में विपक्षी-2 से परिवादी को ब्याज सहित उक्त अंकन-97,541/-रूपये के अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-10,000/-रूपये और परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा। तद्नुसार परिवाद विपक्षी-2 के विरूद्ध स्वीकार होने योग्य है। विपक्षी-1 व 2 की ओर से परिवादी को सेवा प्रदान किये जाने में कोई कमी किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-97,541/-रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी-2 के विरूद्ध स्वीकृत किया जाता है। विपक्षी-2 से परिवादी क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-10,000/-रूपये और परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान परिवादी को एक माह में किया जाये।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 11-07-2018
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