Chhattisgarh

Korba

CC/14/47

H L Nirmalkar - Complainant(s)

Versus

Maruti Suzuki india Ltd And Other - Opp.Party(s)

Shriram Shriwas

31 Mar 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Korba (Chhattisgarh)
 
Complaint Case No. CC/14/47
 
1. H L Nirmalkar
M-148,Urja Nagar Project,Tah-Katghora
korba
Chhattisgarh
...........Complainant(s)
Versus
1. Maruti Suzuki india Ltd And Other
Maruti Suzuki India Ltd. , Palm Gudganv Road , Gudganv 122015
Gudganv
Hariyana
2. Satya Auto Mobiles
150 Indira Commercial Complex TP Nagar Korba
Korba
Chhattisgarh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. C.L.PATEL PRESIDENT
 HON'ABLE MRS. ANJU GAVEL MEMBER
 HON'ABLE MR. RAJENDRA PRASAD PANDEY MEMBER
 
For the Complainant:
Shriram Shriwas
 
For the Opp. Party:
Mr Sharad Kumar Kashyap
Mr Amitabh Shrivastav
 
ORDER

 

जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, कोरबा (छ0ग0)

                                              प्रकरण क्रमांक:- CC/14/47

                                                  प्रस्‍तुति दिनांक:- 28/06/2014

समक्ष:- छबिलाल पटेल, अध्‍यक्ष,

       श्रीमती अंजू गबेल, सदस्‍य,

       श्री राजेन्‍द्र प्रसाद पाण्‍डेय, सदस्‍य

 

एच. एल. निर्मलकर, उम्र-44 वर्ष,

पिता श्री संतु निर्मलकर, निवासी-एम-148, उर्जा नगर प्रोजेक्‍ट,

तहसील-कटघोरा व जिला-कोरबा (छ.ग.)..................................................आवेदक/परिवादी

 

विरूद्ध

 

01.   मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड,

पालम गुडगॉंव रोड, गुडगॉंव-122015 (हरियाणा)

द्वारा- श्री पंकज नरूला एक्‍जीक्‍वूटिव डायरेक्‍टर,

पता- मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड, पालम गुड़गॉंव रोड गुड़गांव

 

02.   सत्‍या ऑटोमोबाईल्‍स 150,

इंदिरा कॉमर्शियल कॉम्‍पलेक्‍स टी.पी.नगर, कोरबा, जिला कोरबा (छ.ग.)

द्वारा- डायरेक्‍टर, सत्‍या ऑटोमोबाईल्‍स 150,

इंदिरा कॉमर्शियल कॉम्‍पलेक्‍स टी.पी.नगर, कोरबा,

तहसील व जिला- कोरबा (छ.ग.)……........................अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण

 

 

            आवेदक द्वारा श्रीराम श्रीवास अधिवक्‍ता।

            अनावेदक क्रमांक 01 द्वारा श्री शरद कश्‍यप अधिवक्‍ता।

            अनावेदक क्रमांक 02 द्वारा श्री अमिताभ श्रीवास्‍तव अधिवक्‍ता।

 

 

आदेश

(आज दिनांक 31/03/2015 को पारित)

 

01.         परिवादी / आवेदक एच.एल. निर्मलकर ने उसके स्‍वामित्‍व की वाहन वैगन आर.व्‍ही.एक्‍स.आई.पंजीयन क्रमांक सीजी-12 एई-8644 की वारंटी अवधि में खराबी आ जाने पर अनावेदक के द्वारा उसकी मरम्‍मत राशि की मांग कर सेवा में कमी किये जाने एवं व्‍यवसायिक कदाचरण के आधार पर नई वाहन तथा आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि 1,00,000/-रू0 तथा सेवा में की गयी लापरवाही के एवज में 1,00,000/-रू0 इस पर प्रकार कुल 2,00,000/-रू0 को ब्‍याज एवं वाद व्‍यय सहित दिलाये जाने हेतु, यह परिवाद-पत्र धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रस्‍तुत किया है।

 

02.         परिवादी/आवेदक का परिवाद-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक ने अनावेदक क्रमांक-1 के वाहन के अधिकृत डीलर सत्‍या आटो मोबाईल्‍स कोरबा से वैगन आर.व्‍ही.एक्‍स.आई. माडल जिसका पंजीयन क्रमांक सीजी-12 एई-8644 है को क्रय किया था, जिसके संबंध में तीन सर्विसिंग मुफ्त में किये जाने की बात बताया गया था। आवेदक के द्वारा उक्‍त वाहन की दो सर्विसिंग नियमानुसार कराया गया था। आवेदक उक्‍त वाहन में कोरबा से दिनांक 14/03/2014 को अपने गृहग्राम मालखरौदा, जिला-जांजगीर जा रहा था तब रास्‍ते में दमउ दहरा के पास उक्‍त वाहन का इंजन गरम होकर बंद हो गया जिसके कारण आवेदक मालखरौदा नही जा सका और कोरबा वापस आ गया। आवेदक के द्वारा उसके दूसरे दिन उक्‍त वाहन को टोचन कर अनावेदक क्रमांक 02 के सर्विसिंग सेंटर में लाया गया। आवेदक के उक्‍त वाहन को अनावेदक क्रमांक 02 से क्रय किये जाने के दिनांक 28/02/2013 से 24 माह अथवा 40,000 किलोमीटर जो भी पहले हो तक की अवधि के लिए वारंटी अवधि में होना बताया गया था, जिसके अनुसार उक्‍त वाहन में आई समस्‍त मशीनरी खराबी को सुधारने की संपूर्ण जवाबदारी अनावेदकगण की बनती है, परंतु अनावेदक क्र0 02 के वर्कशाप में उसे सुधार हेतु पेश करने पर अनावेदक के द्वारा वाहन सुधारने की राशि की मांग अवैध रूप से की जा रही है, जिससे आवेदक को अत्‍यधिक मानसिक शारीरिक एवं आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आवेदक को कहा जा रहा है कि सुधार की राशि तत्‍काल जमा कर अपनी वाहन ले जाये। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी की गई है। आवेदक के द्वारा विधिक सूचना पत्र प्रेषित किये जाने के बाद अनावेदक की ओर से लिखित में नोटिस भेजकर वाहन को गैरेज में रखने का किराया 150/-रू0 प्रतिदिन के हिसाब से मांगी जा रही है आवेदक को उसकी वाहन वारंटी अवधि में होने के कारण नई वाहन दिलायी जावे। तथा क्षतिपूर्ति के रूप में 2,00,000/-रू0 12 प्रतिशत के वार्षिक ब्‍याज के साथ वाद व्‍यय भी दिलाई जाये।  

 

03.         अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा प्रस्‍तुत जवाबदावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक इस अनावेदक  क्रमांक 01 का उपभोक्‍ता नहीं है, उसे वाहन की वारंटी के आधार पर दावा करने का अधिकार नहीं है। आवेदक के द्वारा वाहन को लापरवाही से एवं असावधानी से चलाये जाने के कारण उक्‍त वाहन में समस्‍या हुई। आवेदक स्‍वयं के द्वारा किये गये कार्य से परेशान हुआ जिसके लिए यह अनावेदक क्रमांक 01 उत्‍तरदायी नहीं है, वाहन की मरम्‍मत का खर्च वारंटी में सम्मिलित नहीं है फिर भी अनावेदक क्रमांक 01 के कंपनी के साख को बचाने के लिए उक्‍त वाहन की मुफ्त मरम्‍मत की गयी है। आवेदक उसके बाद भी वाहन को अनावेदक क्रमांक 02 के सर्विस सेंटर से नहीं ले जाकर अवैध लाभ अर्जित करना चाहता है। आवेदक की सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है, उसके वाहन की दुर्घटना होने के कारण हुए नुकसानी के लिए यह अनावेदक क्रमांक 01 उत्‍तरदायी नहीं है। आवेदक के द्वारा अनावेदक क्रमांक01 को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाकर एवं जान बूझकर झूठा मामला पेश किया गया है। आवेदक की वाहन की मुफ्त मरम्‍मत की जा चुकी है, इसलिए यह परिवाद-पत्र निष्‍फल हो चुका है। आवेदक के पक्ष में कोई उपभोक्‍ता विवाद उत्‍पन्‍न नहीं होने के कारण भी परिवाद-पत्र निरस्‍त किया जावे। आवेदक की इस विवादित इस वाहन की सर्विसिंग के पूर्व बड़ी वाहन दुर्घटना हुई थी, जिसके के कारण वाहन के पार्टस क्षतिग्रस्‍त हुए थे, वर्तमान में विवादित मरम्‍मत की आवश्‍यकता उसी पूर्व के दुर्घटना के कारण है जिसके कारण वारंटी लाभ आवेदक प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। आवेदक अवैध रूप से दबाव डालकर लाभ अर्जित करना चाहता है। आवेदक के वाहन का मरम्‍मत किये जाने के बाद भी वह जान बूझकर नहीं ले जा रहा है। वाहन निर्माता कंपनी के साख को ध्‍यान में रखते हुए कोई मरम्‍मत चार्ज नहीं लेते हुए वाहन को ले जाने के लिए आवेदक को सूचित कर दिया गया है। यह परिवाद-पत्र आवेदक ने बढ़ा चढ़ाकर अवैध लाभ प्राप्त करने के लिए पेश किया है। जिसे सारहीन होने से सव्‍यय निरस्‍त किया जावे।            

 

04.         अनावेदक क्र0 02 के द्वारा प्रस्‍तुत जवाबदावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक की उक्‍त वाहन पूर्व में दुर्घटनाग्रस्‍त हुई थी, वाहन के मरम्‍मत के बाद दिनांक 11/04/2014 को फोन से तथा बाद में दिनांक 16/04/2014, 15/05/2014 तथा 30/06/2014 को पंजीकृत डाक से सूचित कर दिया गया था, कि उसकी वाहन की मरम्‍मत हो चुकी है, आवेदक उसे ले जाये। उसके बाद भी इतनी लंबी अवधि तक आवेदक के द्वारा वाहन को नही ले जाने से उसे वर्कशाप में रखना पड़ रहा है, इसलिए आवेदक को वाहन गैरेज में रखे जाने का किराया राशि के संबंध में सूचित किया गया था। इस अनावेदक के द्वारा आवेदक की वाहन मरम्‍मत करने की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। इस अनावेदक के सर्विस सेंटर से आवेदक द्वारा वाहन नहीं ले जाकर आर्थिक क्षति कारित की जा रही है। आवेदक ने दिनांक 14/03/2014 को वाहन चलते समय गरम हो कर बंद हो जाना बताया है, उसके बाद दूसरे दिन उक्‍त वाहन को नहीं लाया गया था, बल्कि दिनांक 22/03/2014 को आवेदक द्वारा अनावेदक क्र0 02 के सर्विस सेंटर के पास लाया गया था, इस बीच की अवधि में आवेदक के द्वारा उक्‍त वाहन को कहां बनवाया गया, इसको स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। अनावेदक क्र.02 के संस्‍थान में वाहन निर्माता कंपनी के निर्देशों का पालन करते हुए मरम्‍मत व बिलिंग का काम ऑनलाईन होता है। आवेदक द्वारा वाहन मरम्‍मत पश्‍चात उसे ले जाने में कोई रूचि नहीं दिखाई गई, जिसके कारण वर्कशाप में स्‍थान की कमी होने से इस अनावेदक को कठिनाई एवं आर्थिक नुकसान हो रहा है। अत: परिवाद पत्र को निरस्‍त किया जाये।

     

05.         परिवादी/आवेदक की ओर से अपने परिवाद-पत्र के समर्थन में सूची अनुसार दस्‍तावेज तथा स्‍वयं का शपथ-पत्र दिनांक 28/06/2014 का पेश किया गया है। अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से अपने जवाबदावा के समर्थन में सूची अनुसार दस्‍तोवज तथा प्रतीक चंद का शपथ-पत्र दिनांक 30/01/2015 का पेश किया है। अनावेदक क्रमांक 02 के द्वारा जवाबदावा के समर्थन में सूची अनुसार दस्‍तावेज तथा शाईन के पोन्‍नाचन, प्रबंधक सत्‍याऑटो मोबाईल्‍स ट्रांसपोर्ट नगर, कोरबा, का शपथ-पत्र दिनांक 07/11/2014 का पेश किया गया है। उभय पक्षों द्वारा प्रस्‍तुत दस्‍तावेजों का अवलोकन किया गया।

 

06.         मुख्‍य विचारणीय प्रश्‍न है कि:-

क्‍या परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद-पत्र स्‍वीकार किये जाने योग्‍य हैॽ

 

07.         आवेदक का दस्‍तावेज क्रमांक ए-3 विवादित वाहन के स्‍वामित्‍व के संबंध में पंजीयन प्रमाण-पत्र की फोटोप्रति है, जो दिनांक 28/02/2013 को जारी होना दर्शित है, उक्‍त वाहन के संबंध में ओनर्स मेनुअल एवं सर्विस बुकलेट की फोटोप्रति दस्‍तावेज क्रमांक ए-1ए तथा मेंटनेस सर्विस रिकार्ड दस्‍तावेज क्रमांक ए-1बी तथा वाहन की विवरणी दस्‍तावेज क्रमांक ए-1सी है जिनके अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि आवेदक की उक्‍त वाहन खरीदी दिनांक से 24 माह के लिए अथवा 40,000 किलोमीटर जो भी पहले हो उक्‍त वाहन वारंटी अवधि में रही है। दस्‍तावेज क्रमांक ए-1बी में उक्‍त वाहन की पहली सर्विसिंग दिनांक 28/03/2013 को तथा दुसरी सर्विसिंग दिनांक 19/08/2013 को होना दर्शित है। उपरोक्‍त तथ्‍य से अनावेदकगण के द्वारा इंकार नहीं किया गया है।  

           

08.         अनावेदक क्रमांक 02 की ओर से प्रस्‍तुत दस्‍तावेज क्रमांक डी/1 विवादित वाहन के जॉब कार्ड दिनांक 03/04/2014 की फोटोप्रति है, जिसमें इंजन की ओव्‍हर हालिंग लक्ष्‍मण मिस्‍त्री के द्वारा किया जाना दर्शित है। उक्‍त वाहन रनिंग रिपेयर से संबंबधित फ्री इनवाईस दिनांक 03/04/2014 की फोटोप्रति दस्‍तावेज क्रमांक डी/2 है, जिसके अनुसार 10,527/- रू0 मरम्‍मत खर्च होना दर्शित है। अनावेदक क्रमांक 02 के दस्‍तावेज क्रमांक डी/3 वाहन के मरम्‍मत के लिए दिनांक 22/03/2014 को प्रस्‍तुत किये जाने पर उसमें इंजन के स्‍टार्टिग में समस्‍या होना दर्शित है। उक्‍त वाहन को दिनांक 10/04/2014 तक मरम्‍मत हो जाने का अनुमान लगाया गया था। अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से दस्‍तोवज क्रमांक डी/5 पत्र दिनांक 01/05/2014 का है जिसमें वाहन के मरम्‍मत के लिए अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से प्रतीक चंद के द्वारा अनावेदक क्रमांक 02 के अवधेश को सूचित किया जाना दर्शित है।   

  

09.         अनावेदक क्रमांक 02 के अनुसार दिनांक 16/04/2014 को दस्‍तोवज क्रमांक डी/4 का पत्र आवेदक के पास प्रेषित किया गया था और वाहन की मरम्‍मत हो जाने के बाद उसे सर्विस सेंटर से ले जाने हेतु आवेदक को कहा गया था, उसके बाद दिनांक 14/05/2014 को पहला स्‍मरण पत्र दस्‍तावेज क्रमांक डी/6 एवं दुसरा स्‍मरण पत्र दिनांक 30/06/2014 का दस्‍तावेज क्रमांक डी/7 तथा पुन: स्‍मरण पत्र दिनांक 17/07/2014 का दस्‍तावेज क्रमांक डी/8 का आवेदक के पास डाक के माध्‍यम से प्रेषित किया गया  उसके बाद भी आवेदक के द्वारा उक्‍त वाहन को नहीं ले जाया गया । उक्‍त पत्रोंमें आवेदक से वाहन को नहीं ले जाने पर गैरेज में रखने का प्रभार प्रतिदिन 150/-रू0 की दर से भुगतान करना पड़ेगा ऐसी चेतावनी भी दिया जाना स्‍पष्‍ट होता है।  

 

10.         अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा आवेदक को प्रेषित किये गये पत्र दिनांक 16/04/2014 का दस्‍तावेज क्रमांक आर1/8ए, दिनांक14/05/2014 काआर1/8बी दिनांक 30/06/2014 का आर1/8सी के रूप में प्रस्‍तुत किया गया है, जिन्‍हें अनावेदक क्रमांक02 ने भी पेश किये है। जिसमें मरम्‍मत पश्‍चात वाहन को सर्विस सेंटर से ले जाने हेतु आवेदक को सूचित किया गया है। यह उल्‍लेखनीय है  कि आवेदक ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विधिक नोटिस दस्‍तावेज क्रमांक ए/4 का प्रेषित किया था, जिसका जवाब नहीं दिया गया। उसके बाद आवेदक ने यह परिवाद-पत्र प्रस्‍तुत किया है।

 

11.         अनावेदक क्र. 01 ने डीलरशीप एग्रीमेंट की फोटोप्रति दस्‍तावेज क्रमांक आर1/1 का प्रस्‍तुत किया है, वारंटी पॉलिसी दस्‍तावेज क्रमांक आर1/2 का प्रस्‍तुत किया है, जिसमें वाहन में उसके दुरूपयोग असावधानीपूर्वक वाहन चालन,असमान्‍य उपयोग तथा उचित रखरखाव नहीं किये जाने पर वारंटी का लाभ वाहन स्‍वामी को नहीं मिल सकता बताया गया है।  

 

12.         अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से विवादित वाहन का वर्तमान विवाद के पूर्व दिनांक 11/08/2013 को वाहन की मरम्‍मत हेतु प्रस्‍तुत किये जाने संबंधी जॉब कार्ड की फोटोप्रति दस्‍तावेज क्रमांक आर1/3ए, आर1/3बी का प्रस्‍तुत किये है तथा जॉब कार्ड रिटेल इनवाईस दिनांक 14/08/2013 की फोटोप्रति दस्‍तावेज क्रमांक आर1/4 के रूप में प्रस्‍तुत है। उक्‍त दस्‍तावेजों के आधार पर अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से तर्क किया गया है कि दुर्घटना के कारण आयी क्षति के कारण मरम्‍मत एवं पेंटिग आदि का कार्य उक्‍त वाहन में किया गया था इसलिए आवेदक को वारंटी शर्तो के उल्‍लंघन के कारण वारंटी अवधि का लाभ नहीं मिल सकता है। अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि वाहन निर्माता कंपनी की साख को ध्‍यान में रखते हुए वाहन की वर्तमान में की गयी मरम्‍मत की राशि से को न लेते हुए वाहन ले जाने हेतु आवेदक को सूचित किया गया इसलिए आवेदक अन्‍य कोई लाभ प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है।

 

13.         अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से प्रस्‍तुत दस्‍तावेज क्रमांक आर1/5 दिनांक 22/03/2014 को अनावेदक क्रमांक 02 के सर्विस सेंटर के पास विवादित वाहन को लाकर आवेदक के द्वारा प्रस्‍तुत किये जाने से संबंधित दस्‍तावेज है। जिसमें इंजन की स्‍टार्टिंग समस्‍या होना दर्शित है। अनावेदक क्रमांक 01 ने अनावेदक क्रमांक 02 द्वारा जारी जॉब कार्ड दिनांक 03/04/2013 की फोटोप्रति दस्‍तावेज क्रमांक आर1/6ए एवं आर1/6बी का प्रस्‍तुत किया है इसके साथ ही दस्‍तावेज क्रमांक आर1/7 अनावेदक क्रमांक 02 के द्वारा जारी टेक्‍स इन्‍वाईस दिनांक 31/07/2014 की फोटोप्रति है। जिसमें विवादित वाहन की मरम्‍मत की राशि के रूप में कोई राशि नहीं लिया जाना दर्शित है। उक्‍त टेक्‍स इन्‍वाईस आवेदक द्वारा परिवाद-पत्र दिनांक 28-06-2014 को प्रस्‍तुत करने के बाद तैयार किया गया है।   

 

14.         आवेदक के द्वारा तर्क किया गया है कि विवादित वाहन को वारंटी अवधि में होने से आवेदक से अनावेदकगण के द्वारा कोई भी मरम्‍मत की राशि की मांग नहीं की जा सकती अनावेदकगण के द्वारा उक्‍त राशि अवैध रूप से माँगे जाने के द्वारा सेवा में कमी करते हुए व्‍यवयासायिक कदाचरण भी किया गया है, इसलिए आवेदक को नयी वाहन एवं क्षतिपूर्ति की राशि दिलायी जावे।  

 

15.         वर्तमान मामले में उभय पक्ष के द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट होता है कि विवादित वाहन को दिनांक 14/03/2014 को खराब होने पर दुसरे दिन आवेदक के द्वारा टोचन कर अनावेदक क्रमांक 02 के सर्विस सेंटर में लाया जाना बताया गया है जबकि दस्‍तावेज क्रमांक डी/3 के अनुसार दिनांक 22/03/2014 को सर्विस सेंटर के बाहर रात्रि में छोड़कर चले जाने का तथ्‍य दर्शाया गया है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि उक्‍त वाहन सर्विसिंग के लिए दिनांक 22/03/2014 को अनावेदक क्रमांक02 के सर्विस सेंटर में पहुंचाया जा चुका था। आवेदक के द्वारा उसे दिनांक 15/03/2014को ही उक्‍त सर्विस सेंटर में ही सौपा गया इसका प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं है।

 

16.         अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा प्रस्‍तुत दस्‍तावेज क्रमांक आर1/7 दिनांक 31/07/2014 के टेक्‍स इनवाईस की फोटोप्रति है, जिसमें आवेदक के उक्‍त वाहन के इंजन की ओव्‍हर हालिंग के संबंध में कोई राशि नहीं लिया जाना दर्शित है, किंतु उसकी सूचना आवेदक को कब दी गयी इसका कोई प्रमाण प्रसतुत नहीं है, ऐसी स्थिति में आवेदक की वाहन के संबंध में अनावेदकगण की ओर से वाहन की वारंटी अवधि में मरम्‍मत की राशि की मांग की गयी, और सेवा में कमी तथा व्‍यवसायिक कदाचरण किया गया, यही निष्‍कर्ष निकाला जा सकता है। ऐसी स्थिति में आवेदक के द्वारा उक्‍त वाहन को मरम्‍मत के पश्‍चात नहीं ले जाया गया इसके लिए अनावेदकगण ही उत्‍तरदायी माने जायेगे।

 

17.         आवेदक के विवादित वाहन में इंजन बंद हो जाने की जो समस्‍या थी वह मरम्‍मत किये जाने योग्‍य रहा है, इसलिए आवेदक उक्‍त वाहन को बदलकर उसके बदले नयी वाहन प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं होना पाया जाता है। वर्तमान मामले की परिस्थ्‍िाति को देखते हुए आवेदक के द्वारा वाहन का उपयोग नहीं कर पाने के कारण उसको आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है।

 

18.         अत: मुख्‍य विचारणीय प्रश्‍न का निष्‍कर्ष ‘’हॉ’’ में दिया जाता है।

 

19.         तद्नुसार परिवादी/आवेदक की ओर से प्रस्‍तुत इस परिवाद-पत्र को धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम1986 के तहत अंशत: स्‍वीकार करते हुए उनके पक्ष में एवं अनावेदकगण के विरूद्ध निम्‍नानुसार अनुतोष प्रदान किया जाता है और आदेश दिया जाता है कि:-

 

  1.    आवेदक को उसकी विवादित वाहन क्रमांक सीजी 12 एई 8644 वैगन आर व्‍ही एक्‍स आई को वारंटी अवधि में खराब होने के कारण उक्‍त वाहन मुफ्त पूर्णं सर्विसिंग कर आज से 01 माह के अंदर प्रदान करें।  

 

  1. आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 35,000/-रू. (पैतीस हजार रूपये) अनावेदकगण संयुक्‍त रूप से एवं पृथकत: प्रदान करें।

 

  1.   आवेदक को वाद व्‍यय के रूप में 2,000/- रू. (दो हजार रूपये) अनावेदकगण संयुक्‍त रूप से एवं पृथकत: प्रदान करें।

 

 

(छबिलाल पटेल)          (श्रीमती अंजू गबेल)              (राजेन्‍द्र प्रसाद पाण्‍डेय)

    अध्‍यक्ष                    सदस्‍य                          सदस्‍य

 
 
[HON'ABLE MR. C.L.PATEL]
PRESIDENT
 
[HON'ABLE MRS. ANJU GAVEL]
MEMBER
 
[HON'ABLE MR. RAJENDRA PRASAD PANDEY]
MEMBER

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