Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :- 2449/2014 (जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-123/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09/07/2014 के विरूद्ध) - Birla Sun life Insurance Co. Ltd. Having its Regd. Office at One India Bulls Centre Tower 1, 15th Floor, Jupiter mill Compound, 841, Senapati Bapat Marg, Elphinstone Road, Mumbai-400013 through its Authorized Signatory.
- Branch Manager Birla Sun Life Insurance co. Ltd Branch Office at 295, S.N. Marg, Firozabad, U.P.
- Appellants
Versus Marg Shree W/O Late Sh. Rameshwar Dayal R/O Village Nizampur Post Office Jahgir District Mainpuri, U.P. समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री दिव्य कुमार श्रीवास्तव प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री एन0एन0 पाण्डेय दिनांक:-11.10.2022 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - परिवाद सं0 123/2013 मार्ग श्री बनाम शाखा प्रबंधक बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी को बीमित धनराशि अंकन 10,00,000/- रूपये 07 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है। मानसिक प्रताड़ना के मद मे अंकन 5,000/- रूपये एवं परिवाद व्यय रू0 2,000/- अदा करने के लिए आदेशित किया गया है।
- परिवाद के तथ्य के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र मनोज कुमार ने विपक्षी सं0 2 के माध्यम से विरला सन लाइफ इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 से दो पॉलिसी बाण्ड सं0 005474020 दिनांक 20.03.2012 रू0 पांच लाख व पॉलिसी बाण्ड सं0-005587023 दिनांक 24.05.2012 रू0 पांच लाख की ली थी। उक्त दोनों पॉलिसियों में परिवादिनी को उसके पुत्र द्वारा नॉमिनी अंकित किया था।
- प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पुत्र मनोज कुमार की मृत्यु दिनांक 13.03.2013 को हो गया, जिसका अंतिम संस्कार उसी दिन ग्राम निजामपुर में कर दिया गया तथा दिनांक 14.04.2013 को मृत्यु का पंजीकरण कराकर ग्राम विकास अधिकारी से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया। परिवादिनी के परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने विपक्षी के शाखा प्रबंधक से सम्पर्क किया तथा क्लेम फार्म प्राप्त किया। क्लेम फार्म पूर्ण करके तथा आवश्यक प्रपत्र जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र, पॉलिसी बाण्ड परिवार रजिस्टर की नकल आदि लेकर शाखा प्रबंधक को दिया परंतु उन्होंने प्राप्त नहीं किया अत: परिवादिनी ने दिनांक 23.09.2013 को क्लेम फार्म आवश्यक प्रपत्रों सहित पंजीकृत डाक से भेजा परंतु फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। अत: परिवाद योजित किया गया है।
- बीमा कम्पनी का कथन है कि बीमा कम्पनी द्वारा कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है जबकि जिला उपभोक्ता मंच ने पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित की गयी थी, जो कभी भी वापस प्राप्त नहीं हुई इसलिए तामील की उपधारणा की गयी और एकपक्षीय साक्ष्य पर विश्वास करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
- इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्ता मंच ने एकतरफा निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी को कभी भी नोटिस प्राप्त नहीं हुई। मनोज कुमार द्वारा जो पॉलिसी प्राप्त की गयी थी उनका नवीनीकरण प्रतिवर्ष होना था, परंतु पॉलिसीधारक द्वारा नवीनीकरण नहीं कराया गया इसलिए पॉलिसी के लैप्स होने का नोटिस क्रमश: 03.05.2013 एवं 05.07.2013 को प्रेषित किया गया।
- दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्ताओं को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की प्रथम बहस यह है कि उन्हें कभी भी नोटिस प्राप्त नहीं हुआ। निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि अपीलार्थी को पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित किये गये थे। पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित करने के पश्चात प्राप्तकर्ता पर तामील की उपधारणा होती है जब तक कि अन्यथा साबित न किया जाये। अत: माना जा सकता है कि अपीलार्थी पर नोटिस की तामील थी, परंतु इसके बावजूद स्वयं अपीलार्थी जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुए।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा एक बहस यह की गयी है कि स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा पॉलिसी का नवीनीकरण नहीं कराया गया इसलिए पॉलिसी लैप्स हो चुकी थी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क तथ्यों के सर्वथा विपरीत है। नवीनीकरण की तिथि के आने से पूर्व ही बीमाधारक की मृत्यु हो चुकी थी इसलिए पॉलिसी के नवीनीकरण का कोई अवसर नहीं था।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गयी, कोई अवसर नहीं था इसलिए मृत्यु से पूर्व पॉलिसी लैप्स नहीं हुई थी।
- प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा एक बहस यह की गयी है कि उन्हें कभी भी बीमा क्लेम प्राप्त नहीं हुआ। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि दिनांक 23.09.2013 को क्लेम फार्म आवश्यक दस्तावेजों के साथ पंजीकृत डाक से भेजा गया था। इस तथ्य को शपथ पत्र द्वारा भी साबित किया गया है, जिसका कोई खण्डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। अत: उपरोक्त विश्लेषण का निष्कर्ष यह है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश मे हस्तक्षेप करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश अपील खारिज की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है। अपील में उभय पक्ष अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3 | |