जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-217/2016
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-14/07/2016
परिवाद के निर्णय की तारीख:-17/11/2020
पुष्पा तिवारी उम्र लगभग 40 वर्ष पत्नी श्री राम कुमार तिवारी निवासी-232, रूस्तम विहार कालोनी निकट क्रिकेटग्राउण्ड, कानपुर रोड लखनऊ।
.........परिवादिनी।
बनाम
मनरेगा मानिटरिंग कमिटी द्वारा प्रमोद कुमार पाठक 3/198, विस्वासखण्ड गोमती नगर लखनऊ। .........विपक्षी।
आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
निर्णय
परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से 5,01,000.00 रूपये मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ, मानसिक एवं शारीरिक तथा आर्थिक कष्ट के लिये कम से कम 2,50,000.00रूपय, एवं वाद व्यय 25000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति ने अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिये परिवादिनी के नाम एक टाटा इण्डिका गाड़ी क्रय किया जिसको किराये पर चलाने के लिये विपक्षी की कम्पनी से एक एग्रीमेंट 43000.00 रूपये प्रतिमाह के हिसाब से गाड़ी चलाने की बात कही गयी थी, जिसके आधार पर गाड़ी विपक्षी चलाने लगे। लगभग 15 दिन बाद परिवादिनी के पति ने विपक्षी से कुछ पैसों की मॉंग की तो विपक्षी ने दिनॉंक: 06/06/2015 को एक चेक 10000.00 रूपये का दिया जिसे खाते में जमा किया तो विपक्षी के खाते में धनराशि न होने के कारण वापस हो गया। परिवादिनी के पति के विपक्षी से शिकायत के बाद विपक्षी के द्वारा 5000.00 रूपये कैश देकर बाकी धनराशि को बाद में देने को कहा। परिवादिनी का यह भी कथन है कि उनके पति ने विपक्षी
की उक्त कम्पनी के आश्वासन पर अपनी गाड़ी चलाते रहे और पैसों की मॉंग करते रहे और विपक्षी अलग अलग तिथियों में चेक देते रहे जो बाउंस होते रहे
और शिकायत करने पर कम्पनी का बिल पास होने पर भुगताने करने की बात कहकर टालते रहें। एक वर्ष व्यतीत होने केबाद जब परिवादिनी के पति ने विपक्षी से अपनी धनराशि की मॉंग की तो विपक्षी द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता रहा किन्तु आज तक धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी की कम्पनी में परिवादिनी का कुल 5,16,000.00 रूपये होता है जिसमें अभी तक मात्र 15,000.00 रूपये का ही भुगतान किया गया और बाकी धनराशि परिवादिनी को नहीं दी गयी। विपक्षी द्वारा बार बार दौड़ाने व परेशान करने के बाद भी भुगतान न करने के कारण परिवादिनी और उसके पति को मानसिक कष्ट के साथ साथ आर्थिक क्षति का भी सामना करना पड़ रहा है।
परिवाद का नोटिस विपक्षी को जारी किया गया परन्तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: आदेश दिनॉंक 21/03/2017 द्वारा विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
परिवादिनी ने शपथ पर साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि परिवादिनी ने किराये पर चलाने हेतु गाड़ी क्रय किया था और उसकी सेवा विपक्षी ने ली है। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है, अत: परिवाद इस आयोग के समक्ष चलने योग्य नहीं है। फिर भी यदि परिवादिनी को विधिक सलाह दी जाती है कि वह अपना परिवाद व्यवहार न्यायालय में समयावधि (Limitation) के अन्दर दाखिल कर सकती है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद इस आयोग में सुनवाई का क्षेत्राधिकार न होने के कारण खारिज किया जाता है।
(अशोक कुमार सिंह) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।