जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-1175/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-25.11.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-26.08.2023
विनोद महाराज पुत्र श्री चुल्हाई महाराज, मकान नं0 594ख/106/38, शाहीनूर कालोनी, निलमथा, लखनऊ-226002 ..................परिवादी।
बनाम
प्रो0 मनोज कुमार राय, एम0के0 ट्रेडर्स विजय नगर (निकट साई पब्लिक इन्टर कालेज/रेलवे क्रासिंग नगराम रोड) निलमथा, लखनऊ-226002 ।
................विपक्षी।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री विनोद महाराज स्वयं।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री आमोद राठौर।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 के अन्तर्गत परिवाद योजित किया गया है। प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से दूसरी बोरिंग अविलम्ब मुहैया कराने अथवा परिवादी को हुए आर्थिक नुकसान 57,500.00 रूपये 12 प्रतिशत ब्याज के साथ, शारीरिक, सामाजिक और मानसिक कष्ट के लिये 2,00,000.00 रूपये एवं कोर्ट फीस, वकील फीस व अन्य खर्च के लिये 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथानक इस प्रकार हैं परिवादी ने घर में बोरिंग कराने हेतु एम0के0 ट्रेडस से सभी मैटेरियल एवं लेबर चार्ज सहित 60,355.00 रूपये का करार हुआ किया। एम0के0 ट्रेडर्स के प्रोपराइटर मनोज कुमार राय ने परिवादी से अग्रिम राशि के रूप में 30,000.00 रूपये यू0बी0आई0 की चैक संख्या-003181 दिनॉंक 07 सितम्बर 2019 के माध्यम से प्राप्त किया। एम0के0 ट्रेडर्स ने बताया कि उसके पास सिर्फ हिलोरा कम्पनी का लोकल मोटर उपलब्ध है जिसके लिये परिवादी ने इनकार कर दिया। एम0के0 ट्रेडर्स के कहने पर 18,000.00 रूपये में अलग से क्राम्पटन का मोटर व पैनल क्रय करके उसे दिया। दिनॉंक 11 से 13 सितम्बर के बीच में एम0के0 ट्रेडर्स ने बोरिंग का काम कराया तथा अंतिम समय में करारनामा में सुप्रीम कम्पनी की पाइप के विपरीत अन्य कम्पनी की पाइप लगाना शुरू कर दिया। इसके लिये परिवादी द्वारा आपत्ति करने पर उसने किसी भी प्रकार की खामी न होने की पूरी जिम्मेदारी ली तथा कहा-
‘महाराज जी आप क्यों घबराते हो, निगेटिव मत सोचो, कुछ भी प्रॉब्लम नहीं होगा। मैं हॅूं तथा मेरी दुकान यहीं है। पहली बात तो कुछ भी गड़बड़ नहीं होगा और यदि किसी प्रकार की प्रॉब्लम होने से उसकी जिम्मेदारी मेरी होगी। मैं उसी बोरिंग के एक फुट अगल-बगल में दूसरी बोरिंग मुफ्त में कराके दूँगा।’
3. बोरिंग हो जाने के बाद एम0के0 ट्रेडर्स ने शेष धनराशि 6,500.00 रूपये परिवादी से देने को कहा। परिवादी द्वारा बिल मांगने पर कहा कि बिल बुक खत्म हो गयी है छपकर आने पर दो-तीन दिन के बाद रसीद देगा। विपक्षी ने दिनॉंक 15/16 सितम्बर 2019 को परिवादी को बिल लेने व शेष राशि का भुगतान करने के लिये बुलाया। परिवादी ने 6,500.00 रूपये नेट बैंकिग के माध्यम से एम0के0ट्रेडस के प्रोपराइटर मनोज कुमार राय के खाता संख्या-62508354113 में भुगतान कर दिया।
4. विपक्षी ने जी0एस0टी0 सहित सिर्फ 21,790.00 रूपये का बिल दिनॉंक 06 सितम्बर 2019 को दिया। बाकी रूपये 15,059.00 का बिल अलग दिया और बताया कि लेबर सर्विस मुहैया कराने का चार्ज तथा कुछ आइटम का बिल किसी वजह से नहीं दे सकता। बाद में ज्ञात हुआ कि एम0के0ट्रेडर्स का जी0एस0टी0एन0 09/10/2018 पिछले एक वर्ष से अधिक से निरस्त है। एम0के0ट्रेडर्स फर्जी तरीके से सरकार और ग्राहक दोनों से ठगी कर लाभ अर्जित कर रहा है।
5. उक्त बोरिंग के बावत परिवादी का 57,500.00 रूपये जिसका व्योरा निम्न प्रकार है, खर्च हो चुका है।
1. | मोटर एवं पैनल | 18,000.00 |
2. | पाइप एवं लेबर सेवा | 36,500.00 |
3. | डीजल, भाड़ा पर जनरेटर, तिरपाल पानी का प्रबन्ध वगैरह के लिये खर्च | 3,000.00 |
| कुल रकम | 57,500.00 |
6. परिवादी ने अवगत कराया कि तीन चार दिन बाद बोरिंग से पानी आना बन्द हो गया। इसकी सूचना देने पर विपक्षी मैकेनिक के साथ आया तथा सभी कोशिश के बाद भी बोरिंग ठीक नहीं कर पाये और ना मोटर निकाल पाए, क्योंकि पाइप फटने या ज्वाइन्ट टूटने के कारण पूरा मिट्टी व कचना भरने से सब जाम हो गया।
7. उक्त नुकसान सिर्फ घटिया पाइप लगाने के कारण हुआ जिसके लिये विपक्षी पूरी तरह जिम्मेदार है। विपक्षी ने अपने द्वारा किये गये वायदे के अनुसार दूसरी बोरिंग कराकर देने को कहा था, परन्तु आज कल करते हुए इस मसले को टालता रहा और बोरिंग की कोई कार्यवाही नहीं की गयी। करीब एक माह व्यतीत हो जाने के बाद भी विपक्षी द्वारा बोरिंग नहीं करायी गयी तो परिवादी ने विपक्षी को एक लीगल नोटिस दिनॉंक 14 अक्तूबर 2019 को रजिस्टर्ड डाक से भेजा, परन्तु विपक्षी द्वारा दूसरी बोरिंग नहीं करायी गयी और न ही नोटिस का कोई जवाब दिया गया।
8. विपक्षी ने उपस्थित होकर अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों को इनकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया कि परिवादी द्वारा जानबूझकर अनुचित दबाव डालकर निजी स्वार्थों की पूर्ति किये जाने हेतु परिवाद संस्थित किया गया है। परिवादी को स्पष्ट रूप से अभिकथन के अनुसार मोटर अन्यंत्र स्थान से दो हार्सपावर की खरीदी गयी, जबकि बोरिंग हेतु संदर्भित सामान 1.5 हार्सपावर हेतु दिया गया था।
9. जमीन के अन्दर पाइप परिवादी द्वारा डलवाये गये। परिवादी द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पाइप में जोड़ नहीं आने चाहिये थे, लेकिन छत होने के कारण तथा पाइप की लम्बाई छोटी करने के कारण पाइप में जोड़ परिवादी द्वारा डलवाये गये। उक्त त्रुटि के लिये विपक्षी कतई जिम्मेदार नहीं है। अधिक हार्स पावर की मोटर से की गयी बोरिंग फेल हो गयी जिसके लिये विपक्षी उत्तरदायी नहीं है। परिवादी द्वारा संदर्भित एस्टीमेट बोरिंग सही कराने हेतु बनवाया गया था जो संदर्भित अभिकथनों से अलग है, तदनुसार झूठे व भ्रामक अभिकथनों के आधार पर नोटिस देते हुए धन ऐठने की गरज से परिवाद दायर किया गया है। उपरोक्त विवेचित तथ्यों के आधार पर संदर्भित परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
10. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में बोरिंग हेतु लेबर चार्ज एवं मैटेरियल का डिटेल, बैंक पास बुक, मोटर का बिल, जी0एस0टी0 सहित बिल, लीगल नोटिस आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है। विपक्षी की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया है।
11. मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
12. परिवाद पत्र को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है। परिवादी को क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिये दो तथ्यों का होना आवश्यक है। एक परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता हो, एवं विपक्षी द्वारा परिवादी की सेवा में कमी की गयी हो।
13. परिवाद पत्र के कथानक एवं उत्तर पत्र के तहत परिवादी उपभोक्ता है। जहॉं तक सेवा में कमी का प्रश्न है परिवादी का कथानक है कि परिवादी ने घर में बोरिंग कराने हेतु एम0के0 ट्रेडस से सभी मैटेरियल एवं लेबर चार्ज सहित कुल 60,355.00 रूपये का करार हुआ। एम0के0 ट्रेडर्स के प्रोपराइटर मनोज कुमार राय ने परिवादी से अग्रिम राशि के रूप में 30,000.00 रूपये यू0बी0आई0 की चैक संख्या-003181 दिनॉंक 07 सितम्बर 2019 के माध्यम से प्राप्त किया।
14. विपक्षी ने बताया कि उसके पास सिर्फ हिलोरा कम्पनी का लोकल मोटर उपलब्ध है जिसको लगाने के लिये परिवादी ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। एम0के0 ट्रेडर्स के कहने पर 18,000.00 रूपये में अलग से क्राम्पटन का मोटर व पैनल क्रय करके उसे दिया। दिनॉंक 11 से 13 सितम्बर के बीच में एम0के0 ट्रेडर्स ने बोरिंग का काम कराया तथा अंतिम समय में करारनामा में सुप्रीम कम्पनी की पाइप के विपरीत अन्य कम्पनी की पाइप लगाना शुरू कर दिया। इसके लिये परिवादी द्वारा आपत्ति करने पर उसने किसी भी प्रकार की खामी न होने की पूरी जिम्मेदारी ली
15. उक्त त्रुटि के लिये विपक्षी कतई जिम्मेदार नहीं है। अधिक हार्स पावर की मोटर से की गयी बोरिंग फेल हो गयी जिसके लिये विपक्षी उत्तरदायी नहीं है। परिवादी द्वारा संदर्भित एस्टीमेट बोरिंग सही कराने हेतु बनवाया गया था जो संदर्भित अभिकथनों से अलग है, तदनुसार झूठे व भ्रामक अभिकथनों के आधार पर रंगत देते हुए धन ऐठने की गरज से परिवाद दायर किया गया है।
16. विपक्षी का मौखिक रूप से कथानक है कि प्रारम्भ में परिवादी द्वारा डेढ़ हार्स पावर का मोटर क्रय किये जाने के संबंध में कोटेशन लिया गया। जबकि बाद में मोटर किसी अन्य स्थान से क्रय किया गया, और जिसमें वह दो हार्स पावर का मोटर क्रय किया गया तथा दो हार्स पावर के मोटर के संबंध में जो सामग्री लगी है वह उनके यहॉं से क्रय की गयी है।
17. परिवादी का कथानक यह है कि विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्राकृतिक रूप से बोरिंग अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग गहरायी में होती है। उनके इस तर्क से सहमत हॅूं। परिवादी द्वारा यह कहा गया कि बोरिंग का कार्य विपक्षी द्वारा कराया गया था। विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी ने उसके अनुसार कार्य नहीं किया गया और परिवादी ने डेढ़ हार्स पावर के बजाए दो हार्स पावर के सापेक्ष अलग-अलग सामान क्रय किया। मुख्य रूप स विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी की बोरिंग विपक्षी ने करायी थी। विपक्षी द्वारा रसीद बुक दाखिल की गयी है।
18. यह तथ्य विदित है कि प्रारम्भ में कुल 60,355.00 रूपये का था जिसमें लेबर चार्ज और मैटेरियल भी शामिल था। स्टेटमेंट ऑफ एकाउन्ट परिवादी द्वारा दाखिल किया गया है जो दिनॉंक 07.09.2019 को मनोज कुमार राय के खाते में 30,000.00 रूपये का भुगतान किया गया है। मनोज कुमार राय के बारे में परिवादी द्वारा बताया गया कि वह उनका पीछे का नाम था, जैसा कि परिवादी का कथानक है रवि ट्रेडर्स से नहीं सामग्री क्रय की थी। इस बात की पुष्टि विपक्षी भी करता है और कुछ सामग्री रवि ट्रेडर्स से क्रय किया था। एम0के0 ट्रेडर्स जो विपक्षी है के द्वारा दाखिल की गयी रसीद जिस पर यह जिन्दल पाइप का होने का तस्करा किया गया है। प्रारम्भ में जो कोटेशन सु्प्रीम कम्पनी के पाइप के संबंध में न लेकर जिन्दल की पाइप की रसीद होना पाया गया है और प्रारम्भ में स्टेटमेंट में इसमें सुप्रीम पाइप का बिल दिया गया है, और बाद में एक और बिल 17,059.00 रूपये का परिवादी द्वारा दिया गया है। विपक्षी को लेबर चार्ज भी दिया गया है।
19. अत: विपक्षी का यह कहना कि उनके द्वारा बोरिंग नहीं की गयी है यह गलत है। क्योंकि बोरिंग चार्ज लेबर चार्ज के रूप में उनके द्वारा लिया गया है। विपक्षी द्वारा एक अलग से रसीद दाखिल की गयी है जिसमें उन्होंने यह कहा कि यह जो रसीद है वह फर्जी है। वह भी दाखिल की गयी है, जो परिवादी के नाम का होना कटी है जिसमें लेबर चार्ज 13,000.00 रूपये का दर्शाया गया है। अत: विपक्षी द्वारा दाखिल कट्टे की रसीद से भी साबित हो रहा है कि लेबर चार्ज उससे लिया है, जबतक कोई व्यक्ति लेबर चार्ज नहीं लेगा तब तक उसकी बोरिंग नहीं करता अर्थात बोरिंग करायी गयी है।
20. विपक्षी द्वारा दोनों तर्क रखें गये कि डेढ़ हार्स पावर से दो हार्स पावर की बोरिंग कराये जाने के संबंध में कुछ सामान की आवश्यकता पड़ती है जो उनके द्वारा नहीं दिया गया था जिसमें मानक के अनुसार सामग्री नहीं थी और उसके न होने के कारण बोरिंग से पानी नहीं आता है या कम आता है, और न ही परिवादी द्वारा कहा गया। मेरे विचार से जो व्यक्ति बोरिंग का कार्य कर रहा है वह उसका दायित्व है कि इस तथ्य से उसको अवगत कराता। परिवादी की बोरिंग में हार्स पावर बदलने से जो सामान लगाया वह उपयुक्त नहीं है। यह परिवादी का दायित्व नहीं होता है क्योंकि वह बोरिंग करने का कोई एक्सपर्ट नहीं है और न ही वह बोरिंग के संबंध में कोई पैसा विपक्षी से ले रहा है। अत: विपक्षी के इस तर्क में कोई बल नहीं है। वह स्वयं की लापरवाही को इंगित कर रहा है।
21. पाइप में जोड़ के संबंध में भी विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि प्रथम तल में मकान होने के कारण पाइप में जोड़ लगाया गया और परिवादी का यह कथन कि जानबूझकर पाइप में जोड़ लगाया जिससे पानी उपयुक्त ढंग से नहीं आया। अगर प्रथम तल पर मकान है तो पाइप में जोड लगना संभव है और जोड लगा देने से पानी के प्रवाह में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। चॅूंकि विपक्षी द्वारा बोरिंग करायी गयी है, कोई भी व्यक्ति अगर कोई बोरिंग कराता है तो कम से कम साल दो साल निश्चिन्त रहता है कि उसका मोटर ठीक से चलता रहे। परिवादी का कथानक है तो परिवादी ने मौखिक साक्ष्य शपथ पत्र के रूप में दिया। अगर वास्तव में चार दिन बाद खराबी हुई तो यह इस तथ्य को विपक्षी परिवादी द्वारा दिये गये मौखिक साक्ष्य से जिरह करके स्थिति स्पष्ट कर सकता था, परन्तु उनके द्वारा कोई जिरह नहीं की गयी है। जो जिरह नहीं की गयी वह परिवादी को स्वीकृत है तथा इस प्रकार यह समझा जायेगा कि चौथे दिन ही पानी आना बन्द हो गया।
22. सामान्यत: यह बोरिंग की दशा में नहीं होता है कि चार दिन में ही बोरिंग से पानी आना बंद हो जाए। इस प्रकार मेरे विचार से विपक्षी द्वारा बोरिंग करते समय लापरवाही की गयी है। यह सेवा में अत्यन्त कमी की गयी है। प्रकरण में न्याय करने के उद्देश्य से यह उचित होगा कि विपक्षी को यह निर्देशित किया जाए कि वह उसको बोरिंग जो उसके द्वारा की गयी है उसको अपने खर्च पर पुन: मरम्मत करके बनवाकर चालू स्थिति में प्रदत्त कराये। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी की बोरिंग अपने खर्च पर पुन: मरम्मत करके बनवाकर चालू स्थिति में प्रदत्त कराये। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक कष्ट के लिये मुबलिग 15,000.00 (पन्द्रह हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर भुगतान करें। यदि पम्प व बोरिंग की मरम्मत नहीं कर पाते हैं तो विपक्षी की दुकान से क्रय की गयी पम्प व उससे संबंधित समस्त सामग्री के समस्त बिलों की धनराशि का भुगतान 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उक्त अवधि में भुगतान करेगें। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-26.08.2023