(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 449/2013
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-131/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06/11/2009 के विरूद्ध)
Vimal Computers, Computers Sale & Service Office Address-HN 151, Moh, Sahadatpura, Behind Petrol Pump Maunathbhanjan Dist. Mau-275101 U.P.
Manoj Yadav S/O Ram Bali Yadav Village & Post Kanshari Dist Gazipur.
………Respondent
समक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री अनिल कुमार मिश्रा
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:-31.03.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0 131/2009 मनोज यादव बनाम विमल कम्प्यूटर्स सेल एण्ड सर्विस में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.11.2009 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी की दुकान से कम्प्यूटर मय एसेसरीज की बोर्ड, मानीटर आदि रू0 18,000/- दिनांक 30.06.2009 को रू0 2,000/- देकर क्रय किया तथा अपीलार्थी/विपक्षी ने 25.06.2009 को कैश मेमो भी दिया। कम्प्यूटर शुरू से ही काम नहीं कर रहा था, जिसकी मौखिक शिकायत प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षी से की गयी, जिस पर कोई कार्यवाही विपक्षी की ओर से नहीं की गयी। लीगल नोटिस दिनांक 19.08.2009 को अधिवक्ता के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षी को इस आशय का दिलवाया कि प्रतिवादी नोटिस पाने के एक माह के भीतर कम्प्यूटर बदल दे अथवा उसकी कीमत रू0 20,000/- अदा करे। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षी से कई अनुतोष हेतु वाद योजित किया गया।
- अपीलार्थी/विपक्षी पर तामीला होने के बावजूद वह उपस्थित नहीं हुआ, न ही कोई आपत्ति दाखिल की गयी।
- जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया कि एक माह के भीतर एक कम्प्यूटर मय एसेसरीज प्रत्यर्थी/परिवादी को दे अथवा उसके बदले में रू0 20,000/- देवें तथा ब्याज 18 प्रतिशत दावा दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक आदेशित किया गया है। वाद व्यय हेतु 1,000/- रू0 भी आदेश दिया गया है।
- अपीलार्थी की ओर यह आधार लिये गये है कि विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग ने पत्रावली का अवलोकन किये बिना अवैध, मनमाना एवं न्याय से परे आदेश पारित किया है।
- अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा को सुना। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया।
- अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया है कि उनके द्वारा कम्प्यूटर के एसेसरीज (अवयव) दिये गये हैं जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी ने कम्प्यूटर के चलने की बात कही है, उनके द्वारा कम्प्यूटर खरीदना रसीदों से अथवा परिवाद के अभिकथनों से स्पष्ट नहीं होता है। अपीलकर्ता के उक्त तर्क में बल है। प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि कम्प्यूटर कार्य नहीं कर रहा था, लेकिन कम्प्यूटर में क्या खरीदा गया था, उनके द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया है और न ही विशेषज्ञ की आख्या है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिये गये कम्प्यूटर के अवयव उचित एवं सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं। अत: परिवाद में प्रस्तुत किये गये अभिकथनों के आधार पर परिवाद के तथ्य साबित नहीं होते।
- अपीलार्थी का दूसरा तर्क यह भी है कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम गाजीपुर को उस परिवाद के श्रवण व निस्तारण का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं था क्योंकि सभी सम्व्यवहार मऊ में हुआ था। रसीदें भी मऊ की हैं एवं अपीलार्थी/विक्रेता मऊ मे ही अपना व्यापार करती है। इस प्रकार वाद का कारण उत्पन्न होने या प्रत्यर्थी/परिवादी का व्यवसाय या निवास स्थान कोई भी गाजीपुर में स्थित नहीं है। अपीलार्थी का यह तर्क भी उचित है धारा 11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार वाद का कारण उत्पन्न होने अथवा विपक्षी के कार्यस्थल, निवास स्थल अथवा शाखा कार्यालय पर परिवाद योजित हो सकता है, इनमें से कोई भी स्थान गाजीपुर में स्थित नहीं है। अत: अपीलार्थी का यह तर्क भी उचित है कि अपील गाजीपुर स्थित जिला उपभोक्ता आयोग में पोषणीय नहीं है।
- उपरोक्त विवेचन के आधार पर पीठ इस मत की है कि वाद का कारण जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर में पोषणीय नहीं है। परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार किया जाता है जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
धारा 15 के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा की गयी धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को नियमानुसार वापस की जाये।
उभय पक्ष परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3