(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2506/2011
Oriental Insurance Company
Versus
Manoj Yadav & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आशुतोष कुमार सिंह, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित:- श्री अशोक कुमार राय, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 1, 3 एवं 4 की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :06.11.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-602/2006, मनोज यादव बनाम ओरिएण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, देवरिया द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 09.09.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0 2 के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। परिवादी की ओर से सूचना के बावजूद कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित राशि अंकन 50,000/-रू0 अदा करने का आदेश दिया गया है।
- अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि बीमा पॉलिसी दिनांक 31.01.2006 से प्रारंभ हुई थी, जिसकी अवधि 30.01.2007 थी। एनेक्जर सं0 4 पर बीमा पॉलिसी की प्रति मौजूद है, जिसमें उपरोक्त अवधि का उल्लेख हुआ है, जबकि परिवाद पत्र के विवरण के अनुसार परिवादी के पिता की मृत्यु दिनांक 04.11.2005 को हुई है, परंतु सामूहिक बीमा योजना के अंतर्गत परिवादी के पिता के खाते से धनराशि दिनांक 31.10.2005 को निकाली गयी है, यह राशि बीमा कम्पनी के अभिकर्ता के नाते सचिव साधन सहकारी समिति द्वारा निकाली गयी है, इसलिए प्रीमियम की राशि की अदायगी दिनांक 31.10.2005 मानी जायेगी, जो परिवादी के पिता की मृत्यु से पूर्व की है। यदि विपक्षी सं0 5 द्वारा इस राशि का भुगतान बीमा कम्पनी को देरी से किया गया है तब बीमा कम्पनी के अभिकर्ता द्वारा त्रुटि कारित की गयी है, जिसके लिए स्वयं बीमा कम्पनी उत्तरदायी है। अत: बीमा राशि अदा करने के संबंध में पारित किया गया आदेश विधि-सम्मत है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2