सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता आयोग, फतेहपुर द्वारा परिवाद संख्या 07 सन 2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.04.2013 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1058 सन 2013
गरिमा कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 ग्राम कलाना पोस्ट जहानाबाद तह0 बिन्दकी जिला फतेहपुर द्वारा प्रोपराइटर राघवेन्द्र सिंह पुत्र स्व0 बदन सिंह निवासी ग्राम कलाना पोस्ट जहानाबाद तह0 बिन्दकी जिला फतेहपुर ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
मनोज कुमार पुत्र स्व0 श्री रामनरायण निवासी ग्राम रनूपुर पोस्ट विरनई परगना कोडा, तहसील बिन्दकी जिला फतेहपुर ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य ।
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री ए0के0 पाण्डेय ।
दिनांक:-18-08-21
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, फतेहपुर द्वारा परिवाद संख्या 07 सन 2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.04.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं परिवादी ने अपने खेतो में 265.90 कुन्तल आलू पैदाकर उसका भण्डारण अपीलार्थी गरिमा कोल्ड स्टोरेज में किया। अक्टूबर 2008 में जब वह अपना आलू निकलवाने कोल्ड स्टोरेज में गया तो उसे बताया गया कि उसका आलू खराब हो गया है। परिवादी ने क्षतिपूर्ति की मांग की, जिसे अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज ने देने से मना कर दिया। अत: परिवादी ने आलू की कीमत, वाद व्यय एवं मानसिक क्लेश हेतु परिवाद जिला आयोग में योजित किया।
विपक्षी की ओर से पर्याप्त तामीला के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ।
जिला मंच ने परिवादी के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर एक पक्षीय आदेश पारित करते हुए निम्न आदेश पारित किया :-
'' उपभोक्ता परिवाद संख्या 07/2010 मनोज कुमार बनाम गरिमा कोल्ड स्टोर प्रा0लि0 ग्राम कलाना पोस्ट जहानाबाद तह0 बिन्दकी जिला फतेहपुर द्वारा प्रोपराइटर सव्यय विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्दर वादो को रू0 2,41,660.00 रू0 का भुगतान करे। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील फेडरल बैंक लि0 द्वारा योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। उसे सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और एक पक्षीय आदेश पारित किया गया है। अपील स्वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाए ।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्त किए जाने योग्य है।
हमने के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है परिवादी ने अपना 265.90 कुन्तल आलू का भण्डारण अपीलार्थी गरिमा कोल्ड स्टोरेज में किया। जब वह अपना आलू निकलवाने कोल्ड स्टोरेज में गया तो उसे बताया गया कि उसका आलू खराब हो गया है। परिवादी ने क्षतिपूर्ति की मांग की जिसे भी देने से मना कर दिया गया।
पत्रावली का अवलोकन दर्शाता है कि जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय पारित करने से पूर्व अपीलार्थी को विधिवत नोटिस भेजी गयी लेकिन तामीला के बावजूद अपीलार्थी की ओर से अपना पक्ष रखने हेतु जिला मंच के समक्ष उपस्थित न होने पर एक पक्षीय कार्यवाही के तहत निर्णय पारित किया गया है।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि विधिसम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
तद्नुसार, प्रस्तुत अपील किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाएगी ।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(गोवर्धन यादव) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-2)