राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1137/2009
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-163/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.5.2009 के विरूद्ध)
United India Insurance Co. Ltd. Regional Office, Kapoorthala Complex, Lucknow. Through the Dy. Manager.
........... Appellant/ Opp. Parties
Versus
Manoj Kumar Gupta, S/o Siddh Nath Gupta, R/o Plot No. 3, Lohiya Nagar Ashapur, P.S. Sarnath Varanasi.
……..…. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री आलोक कुमार सिंह
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री कोई नहीं।
दिनांक : 10-10-2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-163/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.5.2009 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"यह परिवाद स्वीकार किया जाता है व विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 27,660.00 रूपया (सत्ताइस हजार छ: सौ साठ) परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित तथा 3000.00 रूपया (तीन हजार रूपया) दो माह के भीरत भुगतान करें। अन्यथा उपरोक्त अवधि बीत जाने पर समस्त धनराशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी द्वारा परिवादी को देय होगा, चूंकि पर्याप्त दर से ब्याज दिये जाने का आदेश किया गया है, इसलिए परिवादी मानसिक आर्थिक शारीरिक क्षति पाने का अधिकारी नहीं होगा।"
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संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि वादग्रस्त ट्रक परिवादी प्रतिवादी बीमा कम्पनी से बीमित था एवं बीमा काल के दौरान ट्रक का टायर व रिम ट्रक के चालक आदि द्वारा चोरी कर लिया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंकित विवेचना में यह रिपोर्ट सही पायी गई एवं बीमा कम्पनी ने परिवादी के बीमा दावे को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि ट्रक के किसी पार्ट के चोरी हो जाने पर बीमाधन देय नहीं होगा और यदि ट्रक के सामान की चोरी परिवादी के कर्मचारी चालक ने की, इसलिए भी बीमाधन देय नहीं है। इसी आधार पर परिवादी का बीमा दावा खारिज किया गया है। जिसके फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रतिवादी बीमा कम्पनी से रू0 57,660.00 की धनराशि मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादी की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है प्रतिवादी की जिम्मेदारी क्षतिपूर्ति की नहीं बनती है और न्यायालय को वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादी की सूचना पर प्रतिवादी ने तत्काल अपने अन्वेषक श्री विजयान्नद चौबे एडवोकेट से घटना का अन्वेषण कराया तो जानकारी हुए कि वाहन सं0-यू0पी0 65एच-8757 के चालक व ढाबा मालिक ने आपस में मिलकर यह चोरी की घटना कारित की है और दोनों को पुलिस ने बन्द भी किया था और ट्रक चालक को अभियुक्त बनाया गया था और उसे धारा-406 भा0द0 संहिता में बन्द किया गया है, अत: प्रतिवादी की जिम्मेदारी क्षतिपूर्ति देने की नहीं बनती है और इसीलिए बीमा कम्पनी ने क्षतिपूर्ति की अदायगी नहीं की है और यह भी कहा गया है कि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार भारतीय जीवन बीमा नियामक अभिकरण के अनुसार किसी भी बीमित वाहन के पार्ट चोरी का जोखिम बीमा कम्पनी नहीं उठाती, बल्कि सम्पूर्ण वाहन के चोरी होने का ही जोखिम बीमा कम्पनी उठाती है। वाहन स्वामी सम्पूर्ण वाहन के चोरी हो जाने की स्थिति में ही क्षतिपूर्ति का दावा बीमा कम्पनी से कर सकता है न कि वाहन के किसी पार्ट के चोरी का। वाहन के मात्र दो टायर टायर रिम सहित कथित रूप से चोरी हुए है, अत:
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बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार प्रतिवादीगण की जिम्मेदारी क्षतिपूर्ति की बावत नहीं बनती है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 14.5.2009 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह को सुना की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता इस केस में पहले उपस्थित हो चुके है, लेकिन पिछली कई तिथियों से उपस्थित नहीं हो रहे है।
अपीलार्थी की ओर से United India Insurance Co. Ltd. Commercial Vehicle (Goods Carrying Vehicle) ‘B’ Policy दाखिल की गई है जिसके पैरा सं0-2 में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है कि:-
The Company Shall not be liable to make any payment in respect of:
- Consequential loss, depreciation, wear and tear, mechanical and electrical break down, falluros or breakage or for damage caused by over loading or strain of the Motor Vehicle not for loss of or damage to accessories by burglary house breaking or theft unless such Motor Vehicle is Stolen at the same time.
अपीलार्थी की ओर से मा0 राष्ट्रीय आयोग के समक्ष दाखिल रिवीजन पिटीशन सं0-1449/2012 निर्णीत दिनांकित 22.7.2013 Proprietor of Zuber Transport Sohaibbhai Unusbhai Vohra Vs. Reliance General Insurance Co. Ltd. में प्रतिपादित सिद्धांत की ओर पीठ का ध्यान दिलाया गया है, जिसके केस के तथ्य इस प्रकार है कि एक ट्रक चोरी हो गया था और बाद में ट्रक बरामद हो गया और पुलिस द्वारा पंचनामा भी किया गया था, जिसमें 11 टायर प्लेट व नट जोरी हो गयी थे, जिसकी कीमत लगभग 1,75,000.00 रू0 थी। इस केस में परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी से मॉगी की गई, लेकिन बीमा कम्पनी द्वारा यह कहा गया कि बीमा की शर्तों के अनुसार ट्रक के टायर बीमा से आच्छादित नहीं है और परिवादी को टायर की कीमत नहीं दी जा सकती है, इस सम्बन्ध में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा
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उक्त केस में यह तय किया गया है कि बीमा की शर्तों को देखने और पढ़ने से यह स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी टायर व ट्यूब की चोरी के संबंध में हुए नुकसान की भरपाई के लिए उत्तरदायी नहीं है, जब तक कि वाहन चोरी न चला जाय।
केस के तथ्यों व परिस्थितियों एवं अपीलार्थी की ओर से बीमा शर्तों तथा मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा रिवीजन पिटीशन सं0-1449/2012 में प्रतिपादित सिद्धांत को देखते हुए हम यह पाते हैं कि प्रस्तुत मामले में प्रत्यर्थी/परिवादी टायर चोरी के सम्बन्ध में कोई प्रतिकर पाने का अधिकारी नहीं है और हम यह भी पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा इस संदर्भ में जो निष्कर्ष दिया गया है, वह विधि सम्मत नहीं है और जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश निरस्त किए जाने योग्य है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-163/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.5.2009 को निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-4