(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1537/2011
(जिला आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-238/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.5.2011 के विरूद्ध)
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0, रजिस्टर्ड आफिस आईसीआईसीआई बैंक टावर, बैन्ड्रा काला काम्पलेक्स, मुम्बई, वर्तमान द्वारा एरिया मैनेर, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, चतुर्थ फ्लोर, एल्डिको कारपोरेट चैम्बर 1, विभूति खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम
1. मनोज कुमार गोयल पुत्र देवी चरन गोयल, निवासी जी-491, गामा-2, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर।
2. आईसीआईसीआई बैंक लि0, द्वितीय तल, एस.डी. टावर, रोहिनी, नई दिल्ली, द्वारा कनेक्शन मैनेजर (आटो)।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुचिता सिंह।
दिनांक: 13.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-238/2009, मनोज कुमार गोयल बनाम आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.5.2011 के विरूद्ध यह अपील विपक्षी संख्या-1, बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया है कि वह बीमा दावे के रूप में अंकन 2,00,000/-रू0, मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 06 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करे।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 7.7.2007 को वाहन निलामी में क्रय किया गया, जिसके कागजात पूरे कराने का दायित्व विपक्षी सं0-2 बैंक का था। दिनांक 27.7.2007 को परिवादी अपनी बीमार सास को देखने मुम्बई गया था, जहां से उन्हें नोएडा अस्पताल में भर्ती कराया गया तथा दिनांक 3.9.2007 को उनका देहांत हो गया। दिनांक 10.12.2007 तक परिवादी को मुम्बई में ही रहना पड़ा, इसलिए वाहन को ट्रांसफर करने के लिए जानकारी नहीं दे सका। दिनांक 12.12.2007 को यह वाहन क्षतिग्रस्त हो गया, जिसमें परिवादी को भी चोटें आयीं। दुर्घटना के समय कागजात के अनुसार वाहन का पंजीकृत स्वामी श्री मनोहर लाल था और उसी के नाम यह कार थी, जबकि पालिसी में परिवादी का नाम डाल दिया जाना चाहिए था। परिवादी का पालिसी में नाम न होने के कारण बीमा नकार दिया गया।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि परिवादी वाहन का पंजीकृत स्वामी नहीं है। बीमा पालिसी परिवादी के नाम नहीं है। कभी भी वाहन क्रय करने की सूचना बीमा कंपनी को नहीं दी गई। पालिसी परिवर्तित कराने की कोई कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
4. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि परिवादी द्वारा निलामी में प्रश्नगत कार खरीदी गई थी, जो भी व्यक्ति कार का स्वामी है, वह क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। पंजीकरण होना आवश्यक नहीं है। इसी आधार पर बीमा क्लेम अदा करने का आदेश पारित किया गया।
5. अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
6. बीमा कंपनी की अपील के ज्ञापन एवं बहस का सार यह है कि परिवादी द्वारा जो वाहन क्रय किया गया, उसका बीमा वाहन के पूर्व मालिक श्री मनोहर लाल द्वारा कराया गया था। वाहन क्रय करने की कोई सूचना बीमा कंपनी को नहीं दी गई। वाहन कभी भी परिवादी के नाम पंजीकृत नहीं हुआ, इसलिए बीमा पालिसी में परिवादी को कोई बीमा हक अंतरित नहीं हुआ, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
7. परिवाद पत्र में स्वंय परिवादी ने कथन किया है कि अपनी पारिवारिक परेशानियों के कारण वह बीमा कंपनी को वाहन क्रय करने की सूचना नहीं दे सका, परन्तु चूंकि बीमा कंपनी को वाहन के अंतरण का कोई ज्ञान नहीं है और पालिसी अंतरण का भी ज्ञान नहीं है। पालिसी के अंतरण के लिए वांछित शुल्क भी परिवादी की ओर से जमा नहीं किया गया, इसलिए वाहन के पूर्व मालिक के नाम जारी की गई बीमा पालिसी पर परिवादी को किसी प्रकार का बीमा हक अंतरित नहीं हुआ। विद्वान जिला आयोग ने विधिक स्थिति के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.05.2011 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2