Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1981

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Manoj Kumar Garg - Opp.Party(s)

Mohan Agrwal

26 Feb 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1981
( Date of Filing : 24 Nov 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Manoj Kumar Garg
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Feb 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1981/2010

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन (I) दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, सिकन्‍दरा आगरा

 

बनाम

 

मनोज कुमार गर्ग पुत्र श्री सुरेश चन्‍द्र गर्ग, निवासी गांधी रोड, जगनेर, आगरा

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री मोहन अग्रवाल।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित        : कोई नहीं।

दिनांक : 26.02.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-268/2009, मनोज कुमार गर्ग बनाम अधिशासी अभियन्‍ता, विद्युत वितरण खण्‍ड तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) अगारा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.5.2010 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहन अग्रवाल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.        विद्वान जिला आयोग ने परिवादी पर विद्युत शुल्‍क की राशि के लिए जारी मांग पत्र को इस आधार पर निरस्‍त किया है कि परिवादी के विद्युत कनेक्‍शन पर चेक मीटर लगाकर लोड संबंधी समस्‍या का निस्‍तारण करे, इसके पश्‍चात अग्रिम बिल बनाया जाय।

-2-

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा स्‍वीकृत विद्युत लोड विद्युत भार के अनुसार विद्युत का उपयोग किया जा रहा है तथा नियमित बिल जमा किया जा रहा है। कभी भी एमआरआई की रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं करायी गयी और न ही उसके समक्ष एमआरआई की गई। विद्युत विभाग द्वारा फर्जी डिमांड नोटिस जारी किया गया है। अतिरिक्‍त बिल निर्धारण का आधार एमआरआई रिपोर्ट को बताया गया है, ज‍बकि परिवादी के यहां उक्‍त जांच कभी भी नहीं की गयी।

4.        विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा अधिक लोड का  प्रयोग किया जा रहा था। एमआरआई रिपोर्ट तैयार की गयी, जिसमें अतिरिक्‍त भार का प्रयोग पाया गया, इसलिए इस अतिरिक्‍त भार के प्रयोग के लिए अतिरिक्‍त धनराशि की मांग की जा रही है, जो विधिसम्‍मत है।

5.        पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि विद्युत विभाग द्वारा एमआरआई की जो रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गयी है, वह रिपोर्ट केवीए के अनुसार की गयी है, जबकि परिवादी को कनेक्‍शन एचपी श्रेणी में दिया गया है, इसलिए एमआरआई परीक्षण भी एचपी के अनुसार किया जाना चाहिये था और इस तकनीक के उपयोग के बारे में उपभोक्‍ता को नहीं बताया गया, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया और साथ ही यह भी निष्‍कर्ष दिया गया कि एमआरआई करते समय उपभोक्‍ता को मौके पर नहीं बुलाया गया तथा अधिक भार का निर्धारण एवं लो पावर फैक्‍टर का निर्धारण किये

-3-

बिना तथा आपत्तियों का अवसर दिये बिना विद्युत अधिनियम 2005 के पैरा संख्‍या 6.8 के प्रावधानों का उल्‍लंघन किया गया है और कम पावर की विद्युत आपूर्ति के तथ्‍य का निर्धारण नहीं किया गया और एकमुश्‍त मांग पत्र बनाकर एकमुश्‍त मांग पत्र भेजा गया।

6.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि एमआरआई की रिपोर्ट के आधार पर अधिक भार का निर्धारण किया गया है, यह रिपोर्ट इस अपील के दस्‍तावेज सं0-32 लगायत 39 पर मौजूद है, जिसके आधार पर अतिरिक्‍त भार का निर्धारण किया गया है तथा निर्धारण से संबंधित दस्‍तावेज क्रमांक सं0-42 पर मौजूद है। इस निरीक्षण रिपोर्ट से साबित होता है कि परिवादी द्वारा अधिक विद्युत का प्रयोग किया जा रहा था, इसके लिए परिवादी से किसी प्रकार का स्‍पष्‍टीकरण या आपत्ति तलब करने का कोई विधिक प्रावधान नहीं है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य की गलत व्‍याख्‍या पर आधारित है, जो अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

7.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) अगारा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.5.2010 अपास्‍त किया जाता है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

               प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

 

-4-

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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