Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/2167

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Manoj Kumar Agarwal - Opp.Party(s)

R.Chadha

28 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/2167
( Date of Filing : 14 Dec 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Manoj Kumar Agarwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2167/2009

यूनियन बैंक आफ इंडिया बनाम मनोज कुमार अग्रवाल पुत्र सत्‍य नारायण अग्रवाल

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  28.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.    परिवाद संख्‍या-94/2004, मनोज कुमार अग्रवाल बनाम शाखा प्रबंधक, यूनियन बैंक आफ इंडिया तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.07.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए.के. चौबे के सहायक श्री हरि कृष्‍ण चौबे को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.    विद्वान जिला आयोग ने परिवादी के खाते से दिनांक 28.9.2001 को निकाली गई राशि अंकन 3,25,000/-रू0 तथा दिनांक 13.10.2001 को निकाली गई राशि अंकन 14,25,000/-रू0 9 प्रतिशत ब्‍याज सहित परिवादी के खाते में जमा करने के लिए आदेशित किया है साथ ही मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 10,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।

3.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी का एक बचत खाता संख्‍या 4267 विपक्षी बैंक में संचालित है। परिवादी के खाते से दिनांक 28.9.2001 को अंकन 3,25,000/-रू0 तथा दिनांक 13.10.2001 को अंकन 14,25,000/-रू0 अवैध रूप से परिवादी की बगैर सहमति एवं अनुमति के निकाल ली गई। परिवादी को कोई सूचना नहीं दी गई, इसी कारण दिनांक

 

-2-

28.1.2004 को अंकन 50,000/-रू0 के लिए जारी किया गया चेक अनादर कर दिया गया तब परिवादी को ज्ञात हुआ कि परिवादी के खाते से उपरोक्‍त वर्णित धनराशियां निकाली गई हैं। चेक प्राप्‍तकर्ता ने चेक का अनादर होने पर धारा 138 NI एक्‍ट एवं धारा 420 IPC के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया।

4.    निर्णय/आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि अपीलार्थी की ओर से विद्वान जिला आयोग के समक्ष कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए निर्णय पारित किया गया है।

5.    इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग ने अवैध रूप से निर्णय/आदेश पारित किया है। प्रत्‍यर्थी मनोज कुमार अग्रवाल का बैंक में खाता संख्‍या 4267 संचालित है, जो सत्‍य नारायण अग्रवाल के पुत्र हैं, जिनकी एक पार्टनरशिप फर्म है, इस पार्टनरशिप फर्म द्वारा लिया गया ऋण खाता NPA हो गया था, इसी राशि की रिकवरी का प्रयास DRT इलाहाबाद के समक्ष कार्यवाही करके किया जा रहा है, इस कार्यवाही के लम्बित रहते हुए श्री सत्‍य नारायण अग्रवाल द्वारा बैंक से सम्‍पर्क किया गया और OTS का लाभ प्राप्‍त करने के लिए आवेदन प्रस्‍तुत किया गया तथा रू0 1,08,46,557.52 पैसे के स्‍थान पर इस योजना के अंतर्गत केवल 29,76,000/-रू0 जमा करने की स्‍वीकृति प्रदान की गई, इस राशि में से 25 प्रतिशत राशि का भुगतान OTS योजना का लाभ प्रदान करने की स्‍वीकृति की पुष्टि में तुरन्‍त तथा 75 प्रतिशत राशि का भुगतान 6 महीने के बाद किया जाना था। प्रत्‍यर्थी दोनों फर्म के परिवारिक सदस्‍य हैं तथा अधिकृत हस्‍ताक्षरी हैं, उनके द्वारा बकाया धनराशि का विवरण एवं प्रमाण पत्र अनेक बार बैंक से मांगा गया है, उन्‍हें फर्म के सभी तथ्‍यों के बारे में जानकारी है तथा OTS योजना के अंतर्गत समाधान  की  जानकारी  भी है। विपक्षी द्वारा अंकन 5,17,039/-रू0 तथा

 

-3-

अंकन 37,159/-रू0 के चेक भी जारी किए गए हैं। योजना की एक निश्चित समयावधि के कारण मौखिक अनुरोध किया गया था कि अंकन 3,25,000/-रू0 तथा अंकन 14,25,000/-रू0 इस योजना के तहत परिवादी के खाते से निकालकर समयोजित किए जाए। इस प्रकार अपील के ज्ञापन में जो बिन्‍दु उठाए गए हैं, उन बिन्‍दुओं का निस्‍तारण समुचित साक्ष्‍य ग्रहण किए जाने के पश्‍चात किया जा सकता है। इस केस की परिस्थिति‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रश्‍नगत प्रकरण का निस्‍तारण गुणदोष पर किया जाना आवश्‍यक प्रतीत होता है, इसलिए अपीलार्थी को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करने के उद्देश्‍य से प्रकरण विद्वान जिला आयोग को प्रतिप्रेषित किए जाने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

6.    प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा प्रकरण संबंधित जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग प्रश्‍नगत परिवाद को अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करे तथा उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का गुणदोष पर निस्‍तारण, यथासंभव 03 माह में करना, सुनिश्चित करे।

     उभय पक्ष दिनांक 24.12.2024 को विद्वान जिला आयोग, वाराणसी के समक्ष उपस्थित हों।

     यहां यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा इसी तिथि को अपना लिखित कथन एवं साक्ष्‍य विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की जाएगी तथा इसके पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा सुनवाई करते हुए परिवाद का गुणदोष पर निस्‍तारण किया जाएगा। यह भी स्‍पष्‍ट किया  जाता  है  कि  अपीलार्थी बैंक का विद्वान जिला आयोग के समक्ष

 

-4-

किसी भी प्रकार का कोई स्‍थगन आवेदन स्‍वीकार नहीं किया जाएगा।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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