(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1780/2010
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा दो अन्य बनाम मनोहर सिंह पुत्र श्री राम स्वरूप
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 08.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-389/2008, मनोहर सिंह बनाम दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा दवारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.8.2010 के विरुद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित वाहन संख्या-यू.पी. 86 डी/5925 के बीमित अवधि में चोरी होने के कारण बीमित राशि अंकन 4,29,300/-रू0 5 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. बीमा कंपनी ने उपरोक्त वर्णित वाहन का बीमा होना स्वीकार किया है, परन्तु कथन किया है कि वाहन दिनांक 4.8.2008 को चोरी होना कहा गया है। 48 घण्टे के अन्दर सूचना दी जानी चाहिए थी, परन्तु चोरी होने की सूचना विलम्ब से दी गई है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
4. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने निष्कर्ष दिया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से ज्ञात
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होता है कि दिनांक 5.8.2008 को पुलिस को सूचना दी गई और पुलिस ने यह निष्कर्ष देते हुए एफ.आर. लगा दी कि मुल्जिम का पता नहीं लग सका, इसलिए बीमा क्लेम देय है।
5. अपील के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के मौखिक तर्कों का सार यह है कि वाहन चोरी होने की सूचना पुलिस को समय पर नहीं दी गई। दिनांक 5.8.2008 को यथार्थ में पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई। पुलिस को सूचना देने संबंधी पत्र पत्रावली पर मौजूद है, वह फर्जी है, इस पर पुलिस थाने की मोहर अवश्य अंकित है, किंतु कोई तिथि अंकित नहीं है और इस तिथि को कोई अपराध पंजीकृत नहीं हुआ। अपराध दिनांक 12.8.2008 को पंजीकृत हुआ है। पत्रावली पर दस्तावेज सं0-11 मौजूद है, यह पत्र दिनांक 5.8.2008 को थाना अध्यक्ष न्यू आगरा को दिया गया है, जिस पर पुलिस की मोहर दर्ज है यद्यपि तिथि अंकित नहीं है, परन्तु पत्र दिनांक 5.8.2008 का है, इस आवेदन के फर्जी होने का निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता। चूंकि आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि दिनांक 5.8.2008 अंकित है, इसलिए माना जाएगा कि इसी तिथि को पुलिस द्वारा यह आवेदन प्राप्त किया गया और मोहर अंकित की गई। तिथि अंकित न करना संबंधित पुलिस कर्मचारी की भूल है, परन्तु इस भूल एवं चूक के लिए बीमाधारक को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। चोरी की घटना की सूचना तुरन्त देने का आशय यह है कि पुलिस द्वारा वाहन की खोज की जा सके। यदि सूचना के बावजूद पुलिस द्वारा मुकदमा देरी से दर्ज किया जाता है, जैसा कि प्रस्तुत केस में किया गया है तब कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, क्योंकि बीमाधारक द्वारा अपने कर्तव्य की पूर्ति की जा चुकी है। इसी प्रकार बीमा कंपनी को देरी से सूचना देने का आज्ञात्मक प्रावधान नहीं है। बीमित वाहन चोरी होने पर त्वरित सूचना देने का दायित्व पुलिस को सूचना देने के संबंध में है ताकि चोरी गए वाहन की
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खोज पुलिस द्वारा की जा सके। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2