राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 2795/2018
Future Generali India Life Insurance Company Limited, Tower 3, 6th Floor, India Bulls Finance Centre, Senapati Bapat Marg, Elphinstone Road (West), Mumbai-400013.
Through Authorized Signatory Priti Sawant At present Working as Associate Vice President-Legal & Secretarial.
…….Appellant
Versus
Ms. Manju Devi, W/o Harilal R/o Post Adila, Tehsil Salempur, Deoria.
……….Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिव्य कुमार श्रीवास्तव के सहयोगी
अधिवक्ता श्री अविनाश शर्मा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 13.12.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 159/2016 मंजू देवी बनाम सत्यम श्रीवास्तव शाखा प्रबंधक, फ्यूचर जनरल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 15.06.2018 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग देवरिया द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 को पालिसी की परिपक्वता धनराशि 07 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
3. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। पालिसी 20 वर्ष के लिए जारी की गई थी। सरेंडर वैल्यूएशन खुद बीमाधारक द्वारा दी गई थी। इसलिए सरेंडर वैल्यू बीमाधारक के बैंक एकाउंट में जमा करा दी गई थी। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इन सब तथ्यों पर कोई विचार नहीं किया।
4. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दिव्य कुमार श्रीवास्तव के सहयोगी अधिवक्ता श्री अविनाश शर्मा को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
5. प्रस्तुत अपील के विनिश्चायक के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी सरेंडर करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसके आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा सरेंडर वैल्यू बीमाधारक के बैंक एकाउंट में जमा करा दी गई, यदि हां तो क्यों?
6. दस्तावेज सं0- 33 के अवलोकन से जाहिर होता है कि लगभग पांच वर्ष तक बीमा पालिसी के संचालन के पश्चात बीमा पालिसी के सरेंडर वैल्यू प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रारूपों में आवेदन भरकर दिया गया। दस्तावेज सं0- 36 पर मंजू देवी ने स्वीकार किया है कि बीमा पालिसी बीस वर्ष के लिए दी गई थी जिस समय बीमाधारक छठीं किश्त जमा करने कार्यालय में गई तब वहां पर बताया गया कि पालिसी का सरेंडर होकर भुगतान हो चुका है जो मंजू गुप्ता पत्नी महेश गुप्ता बैरिया तिवारी पोस्ट मिर्जापुर, थाना भलुअनी, जिला देवरिया के खाता सं0- 32920681101 में हुआ है। इस पालिसी को पुन: संचालित करने का अनुरोध किया गया है। इस पत्र को प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी द्वारा बीमाधारक को दस्तावेज सं0- 37 की प्रति के अनुसार एक पत्र लिखा गया और यह अनुरोध किया गया है कि आपके जिस खाते में सरेंडर वैल्यू जमा की गई वह खाता आपके द्वारा संचालित नहीं है इसका सुबूत प्रस्तुत करें, ताकि अग्रिम कार्यवाही की जा सके, परन्तु इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया। यानी स्वयं बीमाधारक इस तथ्य को साबित करने में विफल रही कि बैंक में उनका वह खाता नहीं है जिस खाते में सरेंडर वैल्यू जमा करना कहा गया है। पांच वर्ष की अवधि के दौरान बीमा पालिसी परिपक्व नहीं हो सकती थी। स्वयं बीमाधारक द्वारा अपने लिखित पत्र में यह भी कथन नहीं किया है कि बीमा पालिसी पांच वर्ष के लिए थी, अपितु यह कथन है कि सरेंडर वैल्यू मंजू देवी के नाम से जमा कर दी गई है जब कि बीमा कार्यालय द्वारा जवाबदेही किए जाने पर यह प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया कि जिस खाते में सरेंडर वैल्यू जमा की गई है वह खाता बीमाधारक को मौजूद नहीं है। इसलिए माना जाना चाहिए कि बीमाधारक को यह तथ्य स्वीकार हो गया है कि सरेंडर वैल्यू की धनराशि उनके खाते में जमा हो चुकी है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में यह उल्लेख किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी का बीमा पांच वर्ष का था जब कि यथार्थ में बीमा अवधि बीस वर्ष प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने अपने द्वारा लिखित पत्र में बतायी है और स्वयं बीमाधारक द्वारा सरेंडर वैल्यू का फार्म बीमा कम्पनी को दिया गया है। अत: स्पष्ट है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथ्य और विधि के विपरीत है जो अपास्त होने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
7. अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है। अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2