Uttar Pradesh

StateCommission

A/977/2015

IDBI Bank Ltd - Complainant(s)

Versus

Manju Bansal - Opp.Party(s)

Jitendra Saxena

09 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/977/2015
( Date of Filing : 25 May 2015 )
(Arisen out of Order Dated 29/11/2014 in Case No. C/246/2012 of District Kanpur Nagar)
 
1. IDBI Bank Ltd
Mumbai
...........Appellant(s)
Versus
1. Manju Bansal
Kanpur Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Aug 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-977/2015

आई0डी0बी0आई0 द्वारा चेयरमैन/मैनेजिंग डायरेक्‍टर व एक अन्‍य

बनाम

श्रीमती मंजू बंसल पत्‍नी श्री अशोक कुमार बंसल

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता      : श्री जितेन्‍द्र सक्‍सेना

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री आर0के0 मिश्रा

दिनांक :- 09.8.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी आई.डी.बी.आई. व एक अन्‍य द्वारा  इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-246/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.11.2014 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी आई0डी0बी0आई0 से Deep Discount Bond 96 IDBI, Act की धारा-1 उपधारा-1, के अनुसरण में जारी किये गये एवं दो बाण्‍ड प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के द्वारा दिनांक 01.3.1996 को रू0 5,300.00 के क्रय किये गये, जो कि जारी कीमत पर थे एवं प्रश्‍नगत बाण्‍ड जो अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जारी किए गये थे, पर आश्‍वासन दिया गया कि बाण्‍डधारक की मॉग पर निम्‍नलिखित तिथियों में डिमाण्‍ड फेस वैल्‍यू पर उक्‍त बाण्‍ड क्रेता के हक में रिडीम कर दिये जायेंगे। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के द्वारा रू0 10,600.00 चेक सं0-256952 दिनांक 01.3.1996 के द्वारा सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया सौरष्‍ट्रा बरेली से उपरोक्‍त दो बाण्‍ड खरीदे गये। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा क्रय किये गये

-2-

उपरोक्‍त दो बाण्‍ड यदि दिनांक 01.8.2000 को भुगतान हेतु रखे जाते तो उक्‍त बाण्‍ड की कीमत रू0 10,000.00 उसके बाद दिनांक 01.12.2006 को रू0 25,000.00 एवं दिनांक 01.9.2011 को रू0 50,000.00 बाण्‍डधारक को देय होती। दिनांक 01.9.2011 के पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा उपरोक्‍त आई0डी0बी0आई0 Deep Discount Bond विपक्षी के समक्ष भुगतान हेतु प्रस्‍तुत किये गये। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बिना कोई कारण बताये उक्‍त बाण्‍ड के रू0 50,000.00 में से भुगतानित रू0 13,894.00 मात्र, टैक्‍स काटने के बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को भुगतान किया गया। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को प्रत्‍येक बाण्‍ड की फेस वैल्‍यू रू0 50,000-13,894 =36,106.00 रू0 भुगतान करने में असफल रहे। इस प्रकार कम्‍पनी के द्वारा नियम एवं प्राविधान का अनुपालन नहीं किया गया। अत: कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के साथ धोखाधड़ी की गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को यह अधिकार है कि मय ब्‍याज उपरोक्‍त कथित बाण्‍ड की फेस वैल्‍यू की धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी से प्राप्‍त कर सके एवं अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अनुबन्‍ध का उल्‍लंघन किया गया है, जो कि उनकी सेवाओं में स्‍पष्‍ट कमी है अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख नोटिस तामीला के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

 

 

-3-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि परिवादिनी को रू0 72,212.00 परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 25.4.2012 से भुगतान की अंतिम तिथि तक मय 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज अदा करें। अन्‍यथा स्थिति में परिवादिनी को यह अधिकार होगा कि वह डिक्री की धनराशि राजस्‍व वसूली की भॉति जरिये, फोरम प्राप्‍त कर सकेगी।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा अनुचित लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से गलत एवं असत्‍य कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी को जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख सुनवाई का कोई अवसर प्राप्‍त नहीं हुआ है एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित एकपक्षीय निर्णय/आदेश अनुचित है।

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा प्रश्‍नगत बाण्‍ड की सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान मय ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को किया गया है, इसलिए अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है अत्एव अपील को स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता

 

-4-

आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है और उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

प्रस्‍तुत अपील विगत 08 वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्‍तागण की अनुपस्थिति के कारण स्‍थगित की जाती रही है, आज उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित

 

-5-

ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.