जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-1082/2009
सोवरन सिंह पुत्र किषनलाल निवासी मकान नं0-9 नुनियन पुरवा पनकी नया मन्दिर पनकी परगना व तहसील, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. डा0 मनीश वर्मा द्वारा प्रबन्धक, ब ृज मेडिकल सेंटर ई-ब्लाक पनकी कानपुर नगर।
2. यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 कार्यालय कैपिटल सिनेमा बिल्डिंग वी.एस. मार्ग लखनऊ।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 08.12.2009
निर्णय की तिथिः 04.02.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से, चिकित्सा अनियमितता के लिए आर्थिक क्षति रू0 9,00,000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि परिवादी को पेट में दिक्कत थी। परिवादी को बृज मेडिकल सेंटर कानपुर नगर में डा0 मनीश वर्मा ने देखा, जांच करायी तथा यह कहने लगे कि गालब्लैडर में पथरी है। जिसके कारण मैं आपका आपरेषन करूॅंगा और आपको रू0 20000.00 देने होंगे। जिसमें दवा का खर्च भी षामिल है। विपक्षी की बात मानकर दिनांक 27.04.09 को रू0 20000.00 जमा करके विपक्षी सं0-1 से परिवादी ने गालब्लैडर का दुरबीन पद्धति से आपरेषन करवाया, जहां से परिवादी को दिनांक 01.05.09 को डिस्चार्ज कर दिया गया। आपरेषन के पहले अल्ट्रासाउण्ड रिपोर्ट में व जांच में परिवादी की सी.वी.डी. नली सही थी। आपरेषन के दौरान विपक्षी सं0-1 द्वारा कैथेटर लगाया गया था, जिसको विपक्षी ने 3 सप्ताह बाद निकाला था। परिवादी
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की तबियत ठीक नहीं थी। परिवादी ने डा0 आर0एन0 द्विवेदी को दिखाया तथा अल्ट्रासाउण्ड कराया तो अल्ट्रासाउण्ड में सी.वी.डी. नली कटी थी। कैथेटर नली निकालने के बाद परिवादी की हालत बिगड़ने लगी। परिवादी का षरीर पीला पड़ गया तथा लैट्रिन सफेद होने लगी तथा पूरे षरीर में खुजली होने लगी। परिवादी ने विपक्षी से संपर्क किया तो विपक्षी ने कहा कि हैलेट में भर्ती हो जाओ। विपक्षी की राय पर परिवादी हैलेट में भर्ती हो गया। जहां से परिवादी को एक दिन बाद मेडिकल कालेज लखनऊ के लिए रिफर कर दिया गया। लखनऊ मेडिकल कालेज में यह ज्ञात हुआ कि गालब्लैडर के आपरेषन में विपक्षी की लापरवाही व अयोग्यता के कारण परिवादी के षरीर की सी.वी.डी. नली व सी.एस.डी. नली कट गयी है। लखनऊ मेडिकल कालेज से इलाज के उपरान्त परिवादी को डिस्चार्ज कर दिया गया। परिवादी की पुनः हालत बिगड़ी तो परिवादी को संजय गांधी मेडिकल सेंटर लखनऊ में दिनांक 25.09.09 को भर्ती होना पड़ा जहां से दिनांक 19.10.09 को डिस्चार्ज किया गया। इस दौरान परिवादी के षरीर की सी.वी.डी. नली की आपरेषन करके पुनः सर्जरी की गयी तब जाकर परिवादी की जान बची और अब भी परिवादी का इलाज चल रहा है। विपक्षी के द्वारा लापरवाही से आपरेषन करने के कारण परिवादी का रू0 4,00,000.00 खर्च हुआ। रू0 5,00,000.00 की कार्य न कर पाने के कारण हानि हुई है। विपक्षी द्वारा किसी भी प्रकार से क्षतिपूर्ति अदा करने से मना कर दिया गया। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-1 डा0 मनीश वर्मा की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा पूर्ण सावधानी के साथ, पूर्ण व्यवसायिक विधि से, पूर्ण योग्यता के कारण तथा आवष्यक चिकित्सीय मानको के आधार पर परिवादी का आपरेषन किया गया है। परिवादी को अधिरोपित आरोप पूर्ण साक्ष्यों सहित चिकित्सीय विषेशज्ञ की राय के अनुसार प्रमाणित करना होगा। परिवादी
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द्वारा याचित उपषम झूठा, अस्पश्ट तथा बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है। परिवादी कोई उपषम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी का प्रस्तुत परिवाद झूठे/असत्य कथनों पर आधारित होने के कारण रू0 10000.00 के हर्जाने पर खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी से आपरेषन से पूर्व कोई अग्रिम धनराषि नहीं ली गयी है। मरीजों से कोई भी षुल्क अथवाा दवाओं की कीमत सीधे नर्सिंगहोम के द्वारा ली जाती हैं। डा0 के द्वारा किसी भी मरीज से सीधे कोई भुगतान नहीं लिया जाता है। ब्वउउवद इपसम कनबज ;ब्ठक्द्ध गालब्लैडर और लीवर को जोड़ती है। जिसका पूर्णतया अल्ट्रासाउण्ड के माध्यम से विनिष्चयन नहीं किया जा सकता। परिवादी का आपरेषन स्ंचतवेबवचपब बीवसमबलेजमबजवउल विधि के द्वारा किया गया है। आपरेषन के दौरान गालब्लैडर निकलने से सी.वी.डी. में कट/ चोट आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। चिकित्सीय साहित्य के अनुसार यदि सी.वी.डी. पूर्णतया कट जाती है तो मरीज 2 या 3 दिन से अधिक जीवित नहीं रह सकता। जबकि प्रस्तुत मामले में परिवादी को संजय गांधी पी.जी.आई. भेजा गया, जहां पर लगभग डेढ़ महीने तक परिवादी का इलाज चला। जिससे स्पश्ट होता है कि सी.एस.एम. मेडिकल युनिर्वसिटी लखनऊ की रिपोर्ट का यह अनुवाद करना कि सी.बी.डी. पूर्णतया कट गयी थी-गलत है। उपरोक्त विधि से आपरेषन करने पर सी.बी.डी. का कट जाना एक सामान्य समस्या है, जिसकी संभावना हमेषा बनी रहती है।
4. विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी की कथित बीमारी को साबित करने का भार परिवादी पर है, उसके बावत उत्तरदाता विपक्षी को कोई जानकारी नहीं है। विपक्षी द्वारा जारी मेडिक्लेम पाॅलिसी में दी गयी षर्तों के अनुरूप व षर्तों को पूरा करने के उपरान्त ही विपक्षी कथित प्रकार की क्षति की अदायगी के लिए जिम्मेदार है। यदि विपक्षी सं0-1 डा0 द्वारा परिवादी के इलाज में कोई लापरवाही की गयी है, तो इसके लिए विपक्षी सं0-1 पूर्ण रूप से उत्तरदायी है। बीमा पाॅलिसी में
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निर्धारित षर्तों का उल्लंघन होने के कारण विपक्षी किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति की अदायगी के लिए कतई जिम्मेदार नहीं है। अतः विपक्षी सं0-2 के संदर्भ में परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 07.12.09 एवं 01.12.12 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् कागज सं0-1/164 तथा सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगायत् 2/54 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 05.08.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में चिकित्सा सहित कागज सं0-प्ध्1 लगायत् प्ध्4ए प्प्ध्1 लगायत् प्प्ध्7 व प्प्प्ध्1 लगायत् प्प्प्ध्2 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में मात्र बीमा पाॅलिसी की प्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
8. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा दाखिल लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रालवी के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी डा0 मनीश वर्मा से बृज मेडिकल सेंटर पनकी कानपुर में अपने गालब्लैडर का आपरेषन करवाया गया। आपरेषन के दौरान ब्वउउवद इपसम कनबज ;ब्ठक्द्ध नली कट गयी। नली का कटना परिवादी की ओर से प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य, ब्ंेम भ्पेजवतल जो कि
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डा0 जी0 पार्थ सारथी एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ के द्वारा जारी की गयी है से तथा परिवादी की ओर से ही प्रस्तुत छत्रपति साहू जी महाराज मेडिकल युनर्वसिटी लखनऊ के द्वारा परिवादी की म्ण्त्ण्ब्ण्च्ण् रिपोर्ट से सिद्ध होता है। सी.बी.डी. नली गालब्लैडर और लीवर को जोड़ती है। परिवादी के कथनानुसार उक्त नली के कट जाने से, उसकी हालत बहुत बिगड़ गयी। परिवादी का षरीर पीला पड़ गया, लैट्रीन सफेद होने लगी तथा पूरे षरीर में खुजली होने लगी। फलस्वरूप परिवादी को छत्रपति साहू जी महाराज मेडिकल युनर्वसिटी लखनऊ एवं एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ में इलाज कराना पड़ा। एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ में परिवादी की उक्त सी.बी.डी. नली का पुनः आपरेषन किया गया। परिवादी द्वारा अपने उक्त इलाज में रू0 4,00,000.00 का खर्च होना बताया गया है। परिवादी ने अपने चिकित्सा से सम्बन्धित अन्यान्य अभिलेखीय साक्ष्य, षपथपत्रीय साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किये गये हैं, जिनका वर्णन प्रस्तुत निर्णय के प्रस्तर-5 में किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादी के द्वारा प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्यों का खण्डन नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-2 की ओर से यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी के इलाज में यदि कोई लापरवाही की गयी है, तो इसके लिए विपक्षी सं0-1 पूर्ण रूप से उत्तरदायी है। यदि विपक्षी सं0-1 द्वारा बीमा पाॅलिसी में उल्लिखित षर्तों का किसी प्रकार से उल्लंघन किया गया है, तो उसका उत्तरदायित्व विपक्षी सं0-2 पर नहीं है। विपक्षी सं0-2 इंष्योरेन्स कंपनी है, जिसके द्वारा विपक्षी सं0-1 के व्यावसायिक कार्य का बीमा किया गया है। विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 के उपरोक्त कथन का कोई खण्डन अपने जवाब दावा में नहीं किया गया है। मात्र यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा पूर्ण व्यवसायिक विधि से पूर्ण योग्यता के साथ तथा आवष्यक चिकित्सीय मानको के आधार पर परिवादी का आपरेषन किया गया है। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी के आपरेषन में किसी प्रकार की लापरवाही अथवा सेवा में कमी से इंकार किया गया है। विपक्षी सं0-1 द्वारा अपने कथन के समर्थन में सूची के साथ चिकित्सीय साहित्य प्रस्तुत
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किया गया है। चिकित्सीय साहित्य के अवलोकन से विदित हेाता है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा उक्त अभिलेख इस संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है कि गालब्लैडर का दुरबीन के माध्यम से आपरेषन से ब्वउउवद इपसम कनबज ;ब्ठक्द्ध नली में कभी-कभी चोट/घाव हो जाना स्वाभाविक है। विपक्षी सं0-1 द्वारा सी.बी.डी. नली का आपरेषन के दौरान पूर्णतयः कट जाने के परिवादी के कथन से तथा परिवादी की ओर से तत्संबंधी प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्य व ई.आर.सी.पी. रिपोर्ट सी.एस.एम. लखनऊ का मौखिक रूप से खण्डन किया गया है। किन्तु उक्त साक्ष्यों के विपरीत कोई सम्यक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम का यह मत है कि परिवादी के गालब्लैडर के आपरेषन के दौरान विपक्षी सं0-1 डा0 मनीश वर्मा के द्वारा एक सामान्य प्रज्ञा के सर्जन के द्वारा बरती जाने वाली सावधानी नहीं बरती गयी। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी के आपरेषन में लापरवाही की गयी, जिससे परिवादी की सी.बी.डी. नली कट गयी, जिस कारण परिवादी को घोर मानसिक व षारीरिक परेषानी का सामना करना पड़ा तथा रू0 4,00,000.00 का चिकित्सा में व्यय भार वहन करना पड़ा। परिवादी द्वारा अपने कथन में यह भी कहा गया है कि उसे विपक्षी सं0-1 की उक्त घोर लापरवाही के कारण अत्यन्त षारीरिक व मानसिक क्षति कारित हुई है, जिसके लिए विपक्षीगण से रू0 5,00,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में दिलायी जाये। किन्तु परिवादी द्वारा उक्त मानसिक व षारीरिक क्षति के सम्बन्ध में कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। लेकिन प्रस्तुत मामले की परिस्थितियों में यह बात स्पश्ट है कि परिवादी को विपक्षी सं0-1 की लापरवाही से घोर षारीरिक पीड़ा व मानसिक तनाव हुआ है, जिसके लिए परिवादी को एकमुष्त रू0 1,00,000.00 की क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों तथा उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 से कुल रू0 5,00,000.00, बतौर चिकित्सा व्यय के
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लिए रू0 4,00,000.00 तथा बतौर मानसिक व षारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए रू0 1,00,000.00 तथा परिवाद व्यय रू0 5000.00 के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है।
ःःःआदेषःःः
7. उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी सं0-1, परिवादी को रू0 5,00,000.00 (रू0 4,00,000.00 बावत चिकित्सा व्यय तथा रू0 1,00,000.00 बावत षारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति) तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के रूप में अदा करे।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।