Uttar Pradesh

Hamirpur

CC/31/2014

RAM RATAN SINGH - Complainant(s)

Versus

MANISH MATHUR AND OTHERS - Opp.Party(s)

DEVENDRA BAHADUR SINGH

26 Aug 2016

ORDER

FINAL ORDER
DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
HAMIRPUR
UP
COURT 1
 
Complaint Case No. CC/31/2014
 
1. RAM RATAN SINGH
HAMIRPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. MANISH MATHUR AND OTHERS
KANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SHRI BRAJESH KUMAR MISHRA MEMBER
 HON'BLE MRS. HUMERA FATMA MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Aug 2016
Final Order / Judgement

                                        दायरा तिथि- 24-03-2014

                                              निर्णय तिथि- 26-08-2016

  समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)

   उपस्थिति-  श्री रामकुमार                     अध्यक्ष

              श्रीमती हुमैरा फात्मा              सदस्या

     

                                       

  परिवाद सं0- 31/2014 अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

रामरतन सिंह पुत्र श्री बदलू सिंह निवासी ग्राम छानी बुजुर्ग थाना बिवार, जिला हमीरपुर।                                                   

                                                           .....परिवादी।

                        बनाम

1-मनीष माथुर पुत्र श्री ए0वी0 माथुर मकान नं0-196 सफीपुर हरिजन्दर नगर कानपुर जिला कानपुर नगर।

2-प्रबंधक बी0सी0 मोटर्स रूमा कानपुर नगर, जिला कानपुर नगर।उ0प्र0

                                                       ........विपक्षीगण।

                       निर्णय

द्वारा- श्री, रामकुमार,पीठासीन अध्यक्ष,

       परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण मु0 153440/- रू0 मय ब्याज दिलाने, उसके बचत खाता सं0 21456100023 की 09 चेक न0 003792 लगायत 003800 वापस कराने तथा मानसिक कष्ट हेतु मु0 10000/- रू0 व वाद व्यय का मु0 10000/- रू0 दिलाये जाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।

       परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि उसने महिन्द्रा मेक्समो गाड़ी खरीदने के लिए विपक्षीगण से दि0 14-03-12 को सम्पर्क किया। जिस पर विपक्षी सं0 2 के प्रबंधक आकाश साहनी ने उसे गाड़ी की कीमत मय रजिस्ट्रेशन, बीमा व फीस सहित 380000/-  रू0 बताया तथा महिन्द्रा फाइनेन्सियल सीवर्स लि0  से ऋण दिलाने का वादा कर दिया और कहा कि हमारा कर्मचारी विपक्षी सं0 1 आपके घर जाकर हैसियत के सम्बन्ध में जॉच करेगा तथा आवश्यक कागजात पर हस्ताक्षर करवायेगा। दि0 15-03-12 को विपक्षी सं0 1 परिवादी से समस्त कागजात व  उसके बचत खाता सं0 21456100023 की 10 चेक 003891 लगायत 003800 पर परिवादी के हस्ताक्षर कराकर ले गया और अपना तथा आकाश साहनी का फोन नम्बर देकर कहा कि गाड़ी 10 दिन बाद मिल जायेगी। 10 दिन बाद जब विपक्षी सं0 1 से बात की तो उसने आश्वासन दे दिया तथा बाहर होने की बात कही। परिवादी ने विपक्षी सं0 2 से सम्पर्क किया तो उसने बताया कि विपक्षी सं0 1 मनीष माथुर ने अभी तक एजेन्सी में कोई कागजात व हस्ताक्षरित चेक जमा नहीं किया है। सही उत्तर न मिलने पर परिवादी ने सम्बन्धित बैंक में अपना खाता चेक करवाया तो पता चला कि मनीष माथुर ने अपने बैंक आफ बदैड़ा के खाता सं0 3064010002794 में दि0 16-03-12 को चेक सं0 003791 के द्वारा 153440/- रू0  जमा कर  लिया है।

                                 (2)

जब परिवादी ने विपक्षीगण से महिन्द्रा मेक्समों गाड़ी व समस्त कागजात व समस्त चेक देने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया और गालियां दिया तथा जान से मारने की धमकी देने लगे। तब परिवादी ने उच्चाधिकारयों तथा थाना में लिखित शिकायत की गई। प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई न होने पर अन्तर्गत धारा 156(3) द0प्र0सं0 प्रार्थना पत्र देकर रिपोर्ट की प्रार्थना की जिस पर अ0स0-87/2013 धारा-419,420, 504, 506 भा0द0वि0 थाना बिवार में कायम हुई। विपक्षीगण द्वारा वाहन न देकर सेवा में कमी की गयी है तथा अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई गयी है। इस कारण परिवादी को फोरम में परिवाद दायर करना पड़ा।

        विपक्षी सं0 1 को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गई लेकिन उसने कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया और न ही फोरम में उपस्थित हुआ।

         विपक्षी सं0 2 ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाबदावा पंजीकृत डाक से भेज करके परिवादी से महिन्द्रा मेक्समो गाड़ी खरीदने के लिए सम्पर्क करना स्वीकार किया है। विपक्षी ने कहा है कि मनीष माथुर अब बी0सी0 मोटर्स का कर्मचारी नहीं है। विपक्षी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा वाहनो का अधिकृत विक्रेता है और वह क्रेता  ग्राहको के पूछे जाने पर रेट की जानकारी भी देता है तथा ग्राहकों द्वारा पैसा जमा करने पर गाड़ी प्रदान करता है। परिवादी द्वारा किसी वाहन हेतु विपक्षी के यहां पैसा जमा नहीं किया गया। इसलिए गाड़ी प्रदान नहीं की गई। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं  की गई है तथा परिवादी का परिवाद क्षेत्राधिकार में न होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।

      परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0 3 से 03 अभिलेख, तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 24 दाखिल किया है।

      विपक्षीगण ने अभिलेखीय साक्ष्य में कोई अभिलेख दाखिल नहीं किया है।

      परिवादी के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।

      उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने दि0 14-03-12 को बी0सी0 मोटर्स रूमा कानुपर नगर के शोरूम में गया था। महिन्द्रा मैक्समों गाड़ी क्रय करने के लिए विपक्षी सं0 2 के सेल्समैन/ कर्मचारी विपक्षी सं0 1 से बातचीत किया। सेल्समैन ने उक्त वाहन की कीमत  रू0 380000/- मय रजिस्ट्रेशन व बीमा के बताया तथा फाइनेन्स कराने की सुविधा देने का आश्वासन दिया। दि0 14-03-12 की वार्ता के क्रम में विपक्षी सं0 1 मनीष माथुर परिवादी के घर पर आकर परिवादी से फोटो, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, कृषि भूमि के खसरा खतौनी की फोटो प्रतियों तथा इलाहाबाद बैंक छानी बुजुर्ग जिला हमीरपुर में परिवादी के बचत खाता सं0 21456100023 से सम्बन्धित 10 चेक सं0 003791 लगायत 003800 पर परिवादी के हस्ताक्षर करवाकर ले गया। 10 दिन बाद गाड़ी मिलने का आश्वासन देकर चला गया।

        विपक्षी सं0 1 ने कपट करते हुए परिवादी की 10 चेक के माध्यम से बैंक आफ बडौदा घाटमपुर जिला कानपुर के खाता सं0 3064010002794 में रूपया153441/- दि0 16-03-12 को स्थानान्तरित करवा लिया। परिवादी ने अपने

                                   (3)

साथ हुए कपट व धोखाधडी के बावत थाना बिवार जिला हमीरपुर में मु0अ0सं-87/13 अन्तर्गत धारा 419, 420, 504, 506 भा0द0स0 दर्ज कराया। परन्तु कोई परिणाम नहीं निकलने से परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद वांछित अनुतोष हेतु संस्थित किया है।

       विपक्षी सं0 2 का जवाबदावा कागज सं0 10 दि0 28-04-13 पंजीकृत डाक से पत्रावली में प्राप्त होना अंकित है। परन्तु जवाबदावा अधिवक्ता द्वारा तस्दीक नहीं किया गया है न ही किसी वकील का वकालतनामा ही लगा है। न ही जबावदावे के  समर्थन में किसी व्यक्ति का शपथपत्र प्राप्त हुआ है। जवाबदावे में बने हस्ताक्षर अपठनीय है जवाबदावा देखने में ही फर्जी प्रतीत होता है। अतएव उक्त जवाबदावे का कोई विधिक महत्व नहीं है। विपक्षी सं0 1 का परिवादी सही पता देने में असफल रहा है।

      परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों को साबित करने का भार परिवादी पर है परन्तु   परिवादी ने ऐसा कोई अभिलेखीय साक्ष्य पत्रावली पर दाखिल नहीं किया है, जिससे यह साबित हो कि परिवादी ने विपक्षी सं0 2 के साथ प्रश्नगत वाहन खरीदने के लिए कोई संविदा अथवा एग्रीमेंट किया है। प्रायः देखा गया है कि वाहन खरीदने के लिए फाइनेन्स कम्पनिया एग्रीमेन्ट करवाती है तब वाहन के लिए ऋण स्वीकृत करने की कार्यवाही की जाती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2 में उपभोक्ता की परिभाषा दी गई है-

      उपरोक्त अधिनियम की धारा 2(घ) में उपभोक्ता की परिभाषा दी गई है-

(घ) ‘‘ उपभोक्ता’’ से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है जो-

    (i) किसी ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या  भागतः संदाय किया गया है, और भागतः वचन दिया गया है या  किसी आस्थागित संदाय की पद्धति के अधीन किसी माल का क्रय करता है, और इसके अन्तर्गत ऐसे किसी व्यक्ति से भिन्न, जो ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागतः संदाय किया गया है या भागतः वचन दिया गया है या आस्थागित संदाय की पद्धति के अधीन माल का क्रय करता है ऐसे माल की कोई प्रयोगकर्ता भी है, जब ऐसा प्रयोग ऐसे व्यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो  ऐसे माल को पुनः विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए अभिप्राप्त करता है ; और

    (ii) किसी ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या  भागतः संदाय किया गया है और भागतः वचन दिया गया है, या किसी आस्थागित संदाय की पद्धित के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उपयोग करता है और इसके अन्तर्गत ऐसे किसी व्यक्ति से भिन्न जो ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है और वचन दिया गया है और भागतः संदाय किया गया है और भागतः वचन दिया गया है, या किसी आस्थागित संदाय की पद्धति के अधीन सेवाओं को [भाड़े पर लेता है या उपयोग करता है] ऐसी सेवाओं का कोई हिताधिकारी भी है जब ऐसे सेवाओं का उपयोग प्रथम वर्णित व्यक्ति के अनुमोदन  से किया जाता है, [किन्तु इसमें वह व्यक्ति सम्मिलित नही है, जो किसी वाणिज्यिक प्रयोजन से ऐसी सेवाओं का उपयोग करता है।]

                                      (4)

      उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(ण) में सेवा की परिभाषा दी गई है-

    (ण) “सेवा” से किसी भी प्रकार की कोई सेवा अभिप्रेत है जो उसे संभावित प्रयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराई जाती है और इसके अन्तर्गत, किन्तु उस तक सीमित नहीं, बैंकिक,वित्तपोषण, बीमा, परिवहन, प्रसंस्करण, विद्युत या अन्य ऊर्जा के प्रदाय बोर्ड या निवास अथवा दोनों [ग्रह निर्माण] मनोरंजन, आमोद-प्रमोद या समाचार या अन्य जानकारी पहँचाने के सम्बन्ध में सुविधाओं का प्रबंध भी है किन्तु इसके अंतर्गत निःशुल्क या व्यक्तिगत सेवा संविदा के अधीन सेवा का किया जाना नहीं है;

 अतएव फोरम इस मत का है कि परिवादी का परिवादी खारिज किये जाने योग्य है।

                       -आदेश-

परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। उभय पक्ष खर्चा मुकदमा अपना- अपना वहन करेंगे। पत्रावली बाद आवश्यक कार्यवाही दाखिल दफ्तर हो।

 

       (हुमैरा फात्मा)                                 (रामकुमार)   

         सदस्या                                      अध्यक्ष 

       यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।

 

       (हुमैरा फात्मा)                                 (रामकुमार)   

         सदस्या                                      अध्यक्ष  

 
 
[HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SHRI BRAJESH KUMAR MISHRA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. HUMERA FATMA]
MEMBER

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