Rajasthan

Jaipur-IV

CC/207/2014

Om Prakash Sharma - Complainant(s)

Versus

Manging Director Amit Clonizers ltd. - Opp.Party(s)

Vinod Kumar Sharma

09 Feb 2015

ORDER

          

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
     डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-207/2014 (पुराना परिवाद संख्या 281/2008)

श्री ओमप्रकाश शर्मा पुत्र श्री बृज किशोर शर्मा, उम्र 28 वर्ष, पता- प्लाॅट संख्या बी-586-587, मुरलीपुरा स्कीम, सीकर रोड, जयपुर । 

परिवादी
बनाम
मैनेजिंग डायरेक्टर, अमित काॅलोनाईजर लिमिटेड, दुकान संख्या 25 के ऊपर, अनाज मण्डी, घाटगेट बाजार, जयपुर ।
                                         विपक्षी

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री विनोद कुमार शर्मा, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री रामचन्द्र शर्मा, एडवोकेट

        निर्णय
दिनांकः- 09.02.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 15.03.2008 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी द्वारा विपक्षी की आवासीय योजना आशियाना लखेसरा रोड, माली की कोठी, आगरा रोड, जयपुर में आवासीय भूखण्ड के लिए आवेदन करने पर विपक्षी द्वारा परिवादी को किष्तों में भूखण्ड संख्या 537 साईज 50 वर्ग गज आवंटित किया गया । परिवादी द्वारा आवंटित भूखण्ड की समस्त किष्तों का नियमानुसार भुगतान विपक्षी को कर दिया गया । विपक्षी द्वारा परिवादी के उक्त भूखण्ड का जयपुर विकास प्राधिकरण में नियमन हेतु विकास शुल्क दिनंाक 10.01.2005 तक 19 किष्तों में जमा कराने का आदेश देने पर परिवादी विपक्षी द्वारा तय समय सीमा में विकास शुल्क जमा कराने गया तो विपक्षी ने 6 किश्तें जमा कर उनकी रसीदें परिवादी को दे दी । लेकिन विकास शुल्क की अन्य किश्तें जमा करने से मना कर दिया । और बार-बार निवेदन करने के बावजूद विपक्षी न तो उक्त भूखण्ड का विकास शुल्क जमा कर रहे हैं, न उक्त भूखण्ड का आवंटन पत्र, साईट प्लान व अन्य दस्तावेजात परिवादी का उपलब्ध करवा रहे है और न ही उक्त प्लाॅट का कब्जा परिवादी को सुपुर्द कर रहे हैं । जो विपक्षी का अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी से परिवाद के मद संख्या 14 में अंकित सभी अनुतोेष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
 विपक्षी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि विपक्षी कम्पनी  द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार उक्त आवासीय योजना जारी की गई थी और विपक्षी कम्पनी के यहां आवेदन करने वाले सभी सदस्यों को कम्पनी की आवासीय योजना आशियाना के नियम एवं शर्तों के अनुसार भूखण्ड आवंटित किये जाने थे । विपक्षी द्वारा परिवादी को सदस्य संख्या सी/3/62 आवंटित की गई थी । परिवादी को सम्पूर्ण किश्तों का भुगतान दिनंाक 10.01.2005 तक करना था । लेकिन उसने दिनांक         10.01.2005 को 6 किश्तें एक साथ जमा कराई तथा उसे शेष किश्तें प्रति माह जमा करानी थी । परिवादी पर किष्तें बकाया होने पर वह कम्पनी के नियम एवं शर्तों के    अनुसार डिफाल्टर हो गया था और इसीलिए परिवादी की शेष किश्तें जमा नहीं की   गई । परिवादी ने नोटिस दिनंाकित 24.12.2004 की अनुपालना में विकास शुल्क की 19 किश्तों में से मात्र 6 किश्तें ही जमा कराई और उसने आज तक बकाया विकास शुल्क जमा नहीं कराया हैं । इसलिए परिवादी भूखण्ड प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं । परिवादी ने अंतिम भुगतान जनवरी,2015 में किया है और इसके पश्चात् उसने विपक्षी कम्पनी से कभी सम्पर्क नहीं किया । इस प्रकार परिवादी ने यह परिवाद मियाद बाहर प्रस्तुत किया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।  
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री ओमप्रकाष शर्मा ने स्वयं का शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 से प्रदर्श-4 दस्तावेज कुल 19 पृष्ठों में प्रस्तुत किये ।  जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी कम्पनी की ओर से श्री विजय कुमार विजयवर्गीय का शपथ पत्र एवं 02 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी से भूखण्ड संख्या 537, जो 50 वर्ग गज का था, क्रय करने का अनुबन्ध किया था । जिसका विकास शुल्क 19 किष्तों में दिनंाक 10.01.2005 तक परिवादी द्वारा जमा करवाया जाना था । लेकिन परिवादी ने उक्त अवधि तक यह विकास शुल्क जमा नहीं करवाया ।  अंत में परिवादी ने दिनंाक 03.01.2006 को प्रदर्ष-4 पत्र विपक्षी को प्रेषित कर विपक्षी से विकास शुल्क की किष्त जमा करने का आग्रह किया । लेकिन तब तक विपक्षी ने परिवादी का भूखण्ड विकास शुल्क समय पर जमा नहीं कराने के आधार पर जवाब के मद संख्या 4 में अंकित तथ्यों के अनुसार दिनांक 10.01.2005 को निरस्त कर दिया । और फिर अंत समय तक परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क नहीं साधा और अंत में यह परिवाद दिनंाक          15.03.2008 को प्रस्तुत कर दिया । जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 (ए) के प्रावधानों के अनुरूप दो वर्ष की मियाद अवधि, जो दिनंाक 10.01.2005 से आरम्भ हुई थी और दिनंाक 10.01.2007 को समाप्त हो गई थी, के लगभग एक वर्ष दो माह बाद प्रस्तुत किया गया है । जो हमारे विनम्र मत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 (ए) के प्रावधानों के अनुरूप मियाद अवधि से बाहर होने के कारण मंच के समक्ष पौषणीय नहीं रह जाता हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 (ए) के प्रावधानों के अनुरूप अवधि बाधित है और विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।

आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 (ए) के प्रावधानों के अनुरूप अवधि बाधित होने के कारण विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 09.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा            डाॅं0 अलका शर्मा              डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष

 

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