Surendra filed a consumer case on 22 Jan 2016 against Mangal Radio Vission in the Kota Consumer Court. The case no is CC/50/2010 and the judgment uploaded on 25 Jan 2016.
सुरेन्द्र बनाम मंगल रेडियोविजन आदि
परिवादी संख्या 50/10
22.01.2016 दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह सेवा-देाष बताया है कि विपक्षी-विक्रेता(मंगल रेडियोविजन, कोटा) से नोकिया कम्पनी का मोबाईल हैण्डसेट मोडल न. 2626 दिनांक 31.10.08 को नगद 1950/-रूपये अदा करके खरीदा था। वारन्टी अवधि में खराब हो गया तो कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी-सुप्रीम इलेक्ट्रोनिक्स कोटा को दिया जो पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ पुनः खराब होने पर 22.10.09 को दिखाया लेकिन तब भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ तथा बताया कि निर्माण देाष है इसलिये ठीक नहीं हो सकता है। विपक्षी विक्रेता व सर्विस सेन्टर ने मोबाईल न तो ठीक किया, न ही बदल कर दूसरा दिया और न ही रकम वापस की इससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षी विक्रेता के जवाब का सार है कि यदि मोबाईल में निर्माण-दोष है या मरम्मत सही नहीं की गई तो इसके लिये वह उत्तरदायी नहीं है, निर्माता या सर्विस सेन्टर ही उत्तरदायी हो सकता है। उसे अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है उसका कोई देाष नहीं है।
विपक्षी सर्विस सेन्टर नोटिस की विधिवत तामील होने के बावजूद उपस्थित नहीं हुआ इसलिये उसके विरूद्ध एक-पक्षीय कार्यवाही की गई। निर्माता कम्पनी के विरूद्ध परिवादी ने कोई कार्यवाही नहीं चांही है। उसका नाम डिलीट कराया है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा मोबाईल खरीद बिल, सर्विस जाॅब शीट दिनांक 10.09.09 व 22.10.09 प्रस्तुत की है। विपक्षी विक्रेता ने प्रो0 मुन्ना लाल अग्रवाल का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है।
हमने विचार किया।
परिवादी ने अपने शपथ-पत्र व सर्विस जाॅब-शीट से यह सिद्ध किया है कि वारन्टी अवधि मंे मोबाईल खराब हो गया जिसे पूरी तरह ठीक भी नहीं किया । निर्माता कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर ने मंच की ओर से प्रेषित नोटिस की तामील होने के बावजूद उपस्थिति नहीं दी अर्थात परिवादी की कहानी का खण्डन करने हेतु अवसर उपलब्ध होने पर भी उपस्थित होकर अपना पक्ष नहीं रखा है, इसलिये हम पाते हैं कि विपक्षी-सर्विस सेन्टर का सेवा-दोष सिद्ध है। विपक्षी-विक्रेता का मोबाईल में होने वाले दोष या मरम्मत में कमी के संबंध में कोई उत्तरदायित्व नहीं है, इसलिये उसके विरूद्ध परिवाद खारिज होने योग्य है।
अतः विपक्षी-सर्विस सेन्टर (नोकिया केयर सुप्रीम इलेक्ट्रोनिक्स, कोटा) को एक-पक्षीय निर्देश दिये जाते हैं कि परिवादी द्वारा इस आदेश की रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से प्रेषित प्रति प्राप्त होने के एक माह के अन्दर परिवादी से मोबाईल प्राप्त करके उसकी कीमत 1950/-रूपये एवं मानसिक संताप की भरपाई हेतु 1000/-रूपये व परिवाद व्यय के पेटे 1500/-रूपये अर्थात कुल 4450/-रूपये अदा किये जावे।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
(हेमलता भार्गव) (महावीर तॅंवर) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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