(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2087/1999
अवधेश राम पुत्र श्री नथुन राम निवासी ग्राम शिवपुर, पोस्ट दतिवड़ तहसील बॉसडीह, जिला बलिया।
........अपीलार्थी
बनाम
मनीषा कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 ग्राम बलेजी (कनैला) फेफना बलिया द्वारा प्रबंधक/मालिक मनीषा कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 बलेजी (फेफना) बलिया व एक अन्य।
........प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री सी0एल0 वर्मा के सहयोगी
श्री कुमार सम्भव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 11.02.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 310/1997 अवधेश राम बनाम मनीषा कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0 व एक अन्य में पारित आदेश दि0 03.07.1999 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत यह अपील प्रस्तुत की गई है।
जिला उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थी/परिवादी के पक्ष में प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि अपीलार्थी/परिवादी को 100/-रू0 प्रति बोरे (सौ बोरे) की दर से क्षतिपूर्ति की राशि अदा करें और दि0 13.03.1997 से 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाए।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सी0एल0 वर्मा के सहयोगी अधिवक्ता श्री कुमार सम्भव को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
इस निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने कुल सौ बोरे, 100/-रू0 प्रति बोरे की दर से देने का आदेश पारित किया है। परिवाद पत्र में एक बोरे की कीमत 250/-रू0 अंकित है जिसका खण्डन प्रत्यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपने लिखित कथन में नहीं किया गया है, इसलिए प्रति बोरा 250/-रू0 कीमत ही माना जाना चाहिए था। यह परिवाद पत्र वर्ष 1997 में प्रस्तुत किया गया और आक्षेपित निर्णय दि0 30.07.1999 में पारित किया गया है। आलू के बोरे दि0 13.03.1997 को प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में रखे गये हैं जो दि0 02.11.1997 को निकाले गए हैं। इसलिए तत्समय प्रचलित बाजार भाव के अनुसार ही आलू के प्रत्येक बोरे की कीमत सुनिश्चित की जानी चाहिए थी। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में इस बिन्दु पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया है कि तत्समय प्रति बोरा आलू का क्या भाव था? अत: प्रति बोरा आलू भाव के सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निष्कर्ष भ्रामक है जो अपास्त होने योग्य है।
आदेश
अपील इस सीमा तक स्वीकार की जाती है कि अपीलार्थी/परिवादी सौ बोरा आलू की कीमत उस दर से प्राप्त करेगा जो तत्समय प्रचलित बाजार भाव के अनुसार अस्तित्व में है। इस तथ्य को साबित करने के लिए अपीलार्थी/परिवादी जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष निष्पादन आवेदन प्रस्तुत करते समय जिला हॉर्टी कल्चर आफीसर से आलू के बाजार भाव का प्रमाण पत्र प्राप्त करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष दाखिल करेगा, जिसमें जिला हॉर्टी कल्चर आफीसर द्वारा तत्समय प्रचलित बाजार भाव की न्यूनतम एवं अधिकतम दर का उल्लेख होगा और निष्पादन वाद में न्यूनतम एवं अधिकतम दर का अनुपात निकालते हुए आलू के प्रत्येक बोरे की कीमत निर्धारित की जायेगी। ब्याज के सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश पुष्ट रहेगा।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2