राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2188/2015
( सुरक्षित )
( जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-94/2014 में पारित आदेश दिनांकित 22-09-2015 के विरूद्ध )
1- हीरो मोटर्स कार्प0लि0, 34 कमुनिटी सेंटर, बसंत लोक, बसंत बिहार, नई दिल्ली-110057 द्वारा प्रबन्धक।
2- नार्दन मोटर्स 127 दि माल कानपुर नगर-208004 अधिकृत डीलर हीरो मोटर्स कार्प0 लि0 द्वारा मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
मनन नारंग पुत्र श्री अश्वनी नारंग निवासी मकान नं0-128/505 वाई-1 ब्लाक, किदवई नगर, कानपुर नगर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
- माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
- माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0 एन0 सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुशीला गौतम।
दिनांक : 29-08-2016
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-94/2014 मनन नारंग बनाम् हीरो मोटर्स कार्प0 लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 22-09-2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपरोक्त वाद के विपक्षीगण हीरो मोटर्स कार्प0 लि0 एवं नार्दन मोटर्स की ओर से आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा उपरोक्त परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या-2 को यह आदेशित किया है कि वह निर्णय पारित करने के
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30 दिन के अंदर परिवादी को प्रश्नगत वाहन की कीमत रू0 56,000/- मय 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वसूली की तिथि तक अदा करें और इसके साथ ही जिला फोरम ने विपक्षी संख्या-2 को रू0 5000/- वाद व्यय भी परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है। जिला फोरम ने निर्णय और आदेश में यह भी उल्लेख किया है कि विपक्षी संख्या-2 चाहे तो डिक्री की धनराशि, विपक्षी संख्या-1 निर्माता कम्पनी से वसूल सकता है।
अपीलार्थी की ओर से उसके विद्धान अधिवक्ता श्री आर0 एन0 सिंह तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता मिसेज सुशीला गौतम उपस्थित आई।
हमने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विपरीत है और जिला फोरम ने बिना किसी उचित आधार के प्रश्नगत स्कूटी में निर्माणी त्रुटि माना है । अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने 56,000/-रू0 स्कूटी की कीमत वापस करने का आदेश दिया है जबकि वास्तव में स्कूटी का मूल्य 48,900/-रू0 है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रश्नगत स्कूटी में इंगित त्रुटियों का निवारण कर दिया गया है और प्रश्नगत स्कूटी चलती हालत में है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुरूप है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दिनांक 08-11-2013 को उसने विपक्षी संख्या-2 नार्दन मोटर्स से एक मैस्ट्रो स्कूटी इंजन नं0-JF32AADGL00373 और चेचिस नम्बर-MBLJF 32ABDGL00730 इन्वाइस नं0-10035-02-SINY-1113-5652 से रू0 48,900/- में और इंश्योरेंस व रोड टैक्स मिलाकर कुल रू0 56,000/- खर्च करके खरीदी। परन्तु स्कूटी जैसे ही परिवादी ने शोरूम से निकालकर चलाई तो गाड़ी का पिछला पहिया जाम हो गया और परिवादी गिरते-गिरते बचा। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी संख्या-2 से की। तब विपक्षी संख्या-2 ने मैकेनिक बुलाकर गाड़ी को तुरन्त दिखाया, मैकेनिक गाड़ी को शोरूम में वापस ले गया और परिवादी के सामने ही एक नई खड़ी गाड़ी से पहिया निकालकर परिवादी की गाड़ी में लगा दिया तथा परिवादी की गाड़ी से निकाला हुआ पहिया दूसरी गाड़ी में लगा दिया। तदोपरान्त परिवादी विपक्षी संख्या-2 के आश्वासन पर स्कूटी लेकर चला गया, परन्तु दिनांक 04-12-2013 को परिवादी के पिता जरूरी काम से स्कूटी लेकर गये थे तो अचानक लौटते समय स्कूटी का अगला पहिया जाम हो गया। परिवादी के पिता बीच सड़क पर गिर गये और उन्हें चोटें आई। परिवादी ने विपक्षी के शोरूम में इसकी शिकायत की, तो दिनांक 07-12-2013 को विपक्षी के वर्कशाप से मैकेनिक आया जिसने पहिया घुमाकर देखा और बताया कि ब्रेक जाम है और यह कहकर गाड़ी उठा ले गया। आज भी गाड़ी विपक्षी संख्या-2 नार्दन मोटर्स के वर्कशाप में खड़ी है।
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परिवादी जब विपक्षी के शोरूम में पहुँचा तो वहॉं पर सेल्स मैनेजर बैठे थे जिनका नाम संदीप है ने माना कि गाड़ी में खराबी है। परिवादी का जाबकार्ड भी बनाया गया जिसमें मैनूफैक्चरिंग डिफेक्ट लिखा गया लेकिन जब दूसरे दिन परिवादी उस जाबकार्ड की फोटोकापी लेने गया तो वहॉं पर फोटोकापी देने से आना-कानी की गयी। बहुत कहासुनी के बाद जब फोटोकापी दी गयी तो उसमें उपरोक्त लिखा हुआ शब्द काटकर रेयर व्हील जाम लिखा गया था जिस पर परिवादी ने ऐतराज किया तो फिर से मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट लिखा गया। परिवादी कई बार विपक्षी संख्या-2 के शोरूम गया और कहा कि उसे डिफेक्टिव गाड़ी नहीं चाहिए। उसका पैसा वापस कर दें, किन्तु विपक्षी ने पहले तो टालमटोल की फिर परिवादी से अभद्र व्यवहार किया अत: परिवादी ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम, कानपुर नगर के समक्ष प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया और कहा है कि प्रश्नगत स्कूटी में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है। परिवाद पत्र का कथन असत्य और झूठ है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिवचन एवं उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रश्नगत निर्णय और आदेश पारित किया है और यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रश्नगत स्कूटी में निर्माणी त्रुटि साबित है और निर्माणी त्रुटि युक्त स्कूटी परिवादी को दी गयी है जो उसकी सेवा में घोर कमी है अत: जिला फोरम ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
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मेमों आफ अपील के साथ अपीलार्थीगण की ओर से प्रश्नगत स्कूटी के जाबकार्ड 07-12-2013 को फोटोप्रति प्रस्तुत की गयी है जिसमें रेयर व्हील जाम, ब्रेक जाम और मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट अंकित है।
परिवाद पत्र के कथन का समर्थन परिवादी ने शपथ पत्र के माध्यम से किया है और परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत स्कूटी की दिनांक 08-11-2013 को जब डिलीवरी दी गयी तो उसी दिन स्कूटी का पिछला पहिया जाम हो गया और वर्कशाप से मैकेनिक बुलाकर उसे ठीक कराया गया और उसके बाद दिनांक 04-12-2013 को स्कूटी जब परिवादी के पिता लेकर गये थे तो पुन: अचानक स्कूटी का अगला पहिया जाम हो गया। विपक्षीगण की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया जा सका है कि स्कूटी में अगला और पिछला पहिया बार-बार क्यों जाम हो रहा है और इसका कारण क्या है ? इसके विपरीत स्वयं विपक्षी के मैकेनिक ने स्कूटी में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट अंकित किया है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने स्कूटी में निमाणी त्रुटि होने का जो निष्कर्ष निकाला है उसे अनुचित और आधाररहित नहीं कहा जा सकता है।
परिवाद पत्र के कथन से स्पष्ट है कि स्कूटी का मूल्य 48,900/-रू0 है और उसके इंश्योरेंस और रोड टैक्स का व्यय मिलाकर परिवादी को उक्त स्कूटी हेतु कुल 56,000/-रू0 खर्च करना पड़ा है अत: जिला फोरम ने प्रश्नगत आदेश के द्वारा जो स्कूटी का मूल्य 56,000/-रू0 विपक्षी संख्या-2 को वापस करने का आदेश दिया है उसे भी अनुचित और आधाररहित नहीं
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कहा जा सकता है। जिला फोरम ने 5,000/-रू0 वाद व्यय जो दिलाया है वह भी उचित है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अत: अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-94/2014 में पारित आदेश दिनांकित 22-09-2015 की पुष्टि की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान ) ( महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा