Rajasthan

Kota

CC/289/2013

Ram Mohan sharma s/o gauri shankar - Complainant(s)

Versus

Managing director, the kota central co-operative bank - Opp.Party(s)

Rakesh kumar Sharma

12 Aug 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:
अध्यक्ष  :        नंद लाल शर्मा         
सदस्य  :        महावीर तंवर 
सदस्या    ः    हेमलता भार्गव
परिवाद संख्या:-289/13

राम मोहन शर्मा पुत्र स्वर्गीय गारीशकंर शमा्र जाति ब्राहमण निवासी मकान नं.1 जी35 महावीर नगर तृतीय, कोटा राजस्थान।                                 परिवादी

                    बनाम

01.    प्रंबंध निदेशक, दी कोटा सेन्ट्रल को-आपरेटिव बैंक लि0, प्रधान कार्यालय रामपुरा,     कोटा राजस्थान।   
02.    शाखा प्रंबंधक, दी कोटा सेन्ट्रल को-आपरेटिव बैंक लि0, रामपुरा, कोटा     राजस्थान।   
                                         अप्रार्थीगण

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री राकेश कुमार शर्मा, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    श्री चैतन्य स्वरूप शर्मा, अधिवक्ता, अप्रार्थीगण की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 12.08.2015

    परिवादी ने इस मंच में परिवाद पेश किया जिसमें अंकित किया कि उसका अप्रार्थी सं. 2 के यहाॅ बचत खातासंख्या 11948 है। परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 से भवन निर्माण ऋण लिया था जिसको मूल व ब्याज सहित चुकता कर दिया और अप्रार्थीगण का कोई ऋण बकाया नहीं है। ऋण प्राप्त करते समय परिवादी ने अपने मकान नम्बर1 जी 35 महावीर नगर तृतीय की मूल रजिस्ट्री दस्तावेज ऋण की सिक्युरिटी बतौर अप्रार्थीगण के यहाॅ रहन रखे गये थे जो अप्रार्थीगण वापस नहीं दे रहे है। परिवादी ने राहुल शर्मा पुत्र रमेश चन्द शर्मा को ढाई लाख का ऋण लेने पर दिनांक 18.11.99 से दिनांक 30.06.2000 तक के लिये जमानत दी थी। परन्तु राहुल शर्मा ने दुबारा ऋण आवेदन देकर दिनांक 25.07.2000 को चार लाख रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया जो दिनांक 31.07.2000 से दिनांक 30.06.01 तक के लिये किया गया, इस ऋण की परिवादी ने जमानत नहीं दी। परिवादी ने दिनांक 17.06.13 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस दिया जिसका जवाब दिनांक 30.07.13 को भेजा जिसमें मूल दस्तावेज रजिस्ट्री परिवादी को लौटाने से मना कर उसकी सेवा में कमी की है। इसलिये परिवादी को अप्रार्थीगण से  मूल दस्तावेज मकान नं. 1-जी-35 महावीर नगर तृतीय, कोटा की रजिस्ट्री, मानसिक संताप की राशि, परिवाद खर्च दिलवाया जावे। 

     अप्रार्थीगण परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी का राहुल शर्मा द्वारा लिये गये ऋण में जमानतदार होना सही है। राहुल शर्मा को दिनांक 18.11.99 को दिये गये ऋण की सीमा दिनांक 25.07.2000 को बढाकर चार लाख रूपये की गई, लेकिन इस ऋण स्वीकृति में भी परिवादी की जमानत रही थी। परिवादी की जमानत समाप्त नहीं हुई। परिवादी का मकान बैंक में रहन चला आ रहा है। ऋणी राहुल शर्मा द्वारा ऋण नही चुकाने के कारण ऋण राशि व ब्याज की राशि दिनांक 31.12.13 तक 36,46,213/- रूपये बकाया इस ऋण खाते में है जो वसूली योग्य है। ऋणी द्वारा ऋण राशि नहीं चुकाने पर इस ऋण के संबंध में रहन भार दर्ज सम्पति को नीलाम बेचान कर ऋण की वसूली सहकारी अधिनियम व नियमों के अन्तर्गत करने का अप्रार्थीगण का पूर्ण अधिकार है। जब तक पूरा जमा नही हो जाता तब तक रहन की गई संपत्ति मकान के मूल दस्तावेजात परिवादी को नही लौटाये जा सकते है, परिवादी राम मोहन शर्मा उपभोक्ता न होकर अप्रार्थीगण बैक का पूर्व कर्मचारी है। अप्रार्थीगण ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।  

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
    
    दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अध्य्यन अवलोकन करने पर स्पष्ट हुआ कि परिवादी ने प्रोपराइटर राहुल शर्मा मै0 शक्ति एन्टर प्राइजेज के ऋण के लिये अपनी संपत्ति के द्वारा जमानत दी और जमानत की एवज में विवादित मकानके दस्तावेज रहन रखे है इस प्रकार जमानतदार का दायित्व ऋणी के दायित्व के बराबर माने जाते है इसलिये परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता पाया जाता है। इस संबंध में परिवादी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त 01. सी.पी.जे. 2000 (पप) 326 यूको बैंक बनाम डा. शिशिर कुमार कर, 02. सी.पी.जे. 2005 ख्पअ, 171 संजय बीसान  और आयल मील प्राइवेट लिमिटेड बनाम नरेन्द्र कुमार राय चैधरी और अन्य ,03. पअ ख्2008, सी.पी.जे. 535 सिंडीकेंट बैक बनाम नरोतम जेना से प्रकाश प्राप्त होता है।  
02.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?

    उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादी ने मै0 शक्ति एन्टर प्राइजेज के डायरेक्टर राहुल शर्मा द्वारा ढाई लाख रूपये लोन लिये जाने के संदर्भ में जमानत दी थी और इस हेतु विवादित मकान के दस्तावेज अप्रार्थीगण के यहाॅ गिरवी रखे, इन तथ्यों की पुष्टि 100/- रूपये के स्टाम्प पर जमानत नामा, 5/- रूपये के स्टाम्प पर सहमति-पत्र, 10/- रूपये के स्टाम्प पर शपथ-पत्र तथा सेन्ट्रल को-आपरेटिव बैंक द्वारा जारी पत्र दिनांक 18.11.99 व प्रधान कार्यालय रामपुरा, कोटा के पत्र दिनांक 31.07.2000 से होती ह,ै इसलिये ढाई लाख रूपये के लोन की एवज में परिवादी द्वारा जमानत देना और मकान के दस्तावेज गिरवी रखना पूर्णतः प्रमाणित पाया जाता है।  इससे आगे परिवादी कहता है कि ढाई लाख रूपये के ऋण को चार लाख रूपये में वृद्धि कर दी, इसके लिये परिवादी द्वारा कोई सहमति नही दी गई। परन्तु पत्रावली पर ढाई लाख रूपये लोन के लिये जमानत देना और संपत्ति के दस्तावेज गिरवी रखना प्रमाणित है। लेकिन इस ढाई लाख रूपये की राशि का पूर्ण रूप से चुकता करना, परिवादी द्वारा नहीं दर्शाया गया है और यदि इस ढाई लाख रूपये की राशि की सीमा को बढा दिया गया है तो परिवादी को अपनीः आपत्ति स्वयं अप्रार्थीगण के कार्यालय में दर्ज करानी चाहिये थी और यदि उसकी आपत्ति को अप्रार्थीगण द्वारा निरस्त करते तो ही वाद-कारण उत्पन्न होता। ऐसी स्थिति में इस बिन्दु पर परिवादी को वाद-कारण ही उत्पन्न होना नही माना जा सकता और जब तक परिवादी द्वारा दी गई जमानत अर्थात्  ढाई लाख रूपये की लोन राशि पूर्णत चुकता नहीं हो जाती तब तक परिवादी अपने दायित्व से मुकर ही नही सकता। इस संबंध में परिवादी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त ब्ण्च्ण्श्रण् 2008 ख्पप, 75 हरियाणा राज्य को-आपरेटिव हाउसिंग फेडरेशन लिमिटेड बनाम ईश्वर सिंह और अन्य में नो ड्यूज प्रमाण-पत्र देने के बाद परिवादी को उसके डाकूमेन्ट रिलीज करने का आदेश है। परन्तु प्रस्तुत प्रकरण में अप्रार्थीगण द्वारा नो ड्यूज प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया है इसलिये परिवादी को रहन रखी गई संपत्ति के दस्तावेज नहीं लौटाये जा सकते। अतः परिवादी जब तक नो ड्यूज प्रमाण-पत्र पेश नही करे, बचे हुई लोन राशि के लिये अप्रार्थीगण के यहाॅ आपत्ति दर्ज नहीं करे और वे इंकार नही करे तब तक अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोष प्रमाणित नहीं पाया जाता है। 

03.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 
 
                     आदेश 

     परिवादी राम मोहन शर्मा का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है।  परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 


(महावीर तंवर)                (हेमलता भार्गव)                ( नंद लाल शर्मा)  
  सदस्य                        सदस्या                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद       जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।           प्रतितोष मंच, कोटा।
     निर्णय  आज दिनंाक 12.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद      जिला उपभोक्ता विवाद                              प्रतितोष  मंच, कोटा।     प्रतितोष  मंच, कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।          

 

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