Rajasthan

Kota

CC/231/2009

Pushpa Bai Meena - Complainant(s)

Versus

Manager,The Oriental Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Manoj Tiwari

10 Feb 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा।

पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-231/2009
    
1    श्रीमति पुश्पा वाई धर्मपत्नि स्व0 श्री राधाकिषन जी मीणा।

2    प्रेमचंद मीणा पुत्र स्व0 श्री राधाकिषन जी मीणा,निवासीगण-गणेषखेड़ा, पोस्ट लुहावद,पंचायत समिति इटावा,तहसील पीपल्दा जिला कोटा (राज0)।
                                                                   -परिवादीगण।
                         बनाम  

1    दी ओरिएण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये मण्डल प्रबन्धक,झालावाड रोड छावनी चैराहा, कोटा (राज0)।

2    कोटा सेण्ट्रल को-आॅपरेटिव बैंक लिमिटेड,जरिये प्रबन्धक, हैड आॅफिस,रामपुरा बाजार, कोटा (राज0)।
                                                                     -विपक्षीगण।

       परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

1    श्री मनोज तिवारी,अधिवक्ता ओर से परिवादीगण।
2    श्री नन्द सिंह हाडा,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-1।
3    श्री चेतन स्वरूप षर्मा,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-2।
                                        
                 
                  निर्णय                 दिनांक 10.02.2016    

यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।

      प्रस्तुत परिवाद ब्च् ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 29-07-2009 को इस आषय का प्रस्तुत किया है कि परिवादिनी-1 के पति तथा परिवादी-2 के पिता श्री राधाकिषन ने विपक्षी-2 से किसान क्रेडिट कार्ड क्रय किया था और क्रय करते समय विपक्षी-2 ने यह जानकारी दी थी कि स्व0 राधाकिषन जी द्वारा जो ऋण बैंक से प्राप्त किया जा रहा है,उस ऋण लेने वाले व्यक्ति के

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जीवन का बीमा विपक्षी-1 द्वारा किया जायेगा और अनहोनी की स्थिति में विपक्षी-1 द्वारा कार्डधारी व्यक्ति के परिजनों को बीमा राषि का भुगतान किया जायेगा। स्व0 राधाकिषन जी ने विपक्षी-2 बैंक से 1,73,891/-रूपये का ऋण प्राप्त किया गया था और इसी दिन से उनके जीवन का बीमा विपक्षी-2 द्वारा करा लिया गया था जिसका प्रीमियम 1,013/-रूपये अदा किया जिसकी पाॅलिसी नंबर 105277 दिनांक 10-10-2003 है। दिनांक 18-12-2003 को खेत पर कार्य करते समय स्व0 राधाकिषनजी की मृत्यु जहरीले साँप के काटने से हो गई। मृत्योपरान्त परिवादी-2 ने विपक्षी-1 को सूचित कर दिया और आवष्यक दस्तावेजात प्रेशित कर दिये जिसकी सूचना विपक्षी-2 को भी दी गई। लेकिन विपक्षी-1 ने श्री राधाकिषन की मृत्यु को संदिग्ध मानते हुए क्लेम अस्वीकार कर दिया जिसकी सूचना विपक्षी ने अपने पत्रांक प्ध्788ध्08.09 दिनंाक 18-03-2009 से दी तथा बकाया रकम जमा कराने के लिए कहा। तद्नुसार बैंक में बकाया रकम तो जमा करा दी परन्तु बीमाराषि का भुगतान नहीं किया गया। विपक्षीगण का यह कृत्य सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादीगण ने विपक्षीगण से बीमाराषि मय हर्जे खर्चे के दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है। 

    विपक्षी-1 ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि मृत्योपरान्त परिवादिनी द्वारा विपक्षी-2 के मार्फत बीमाक्लेम फार्म दिनांक 29-01-2004 को भिजवाने पर इंवेस्टीगेषन आॅफीसर द्वारा अनुसंधान करवाया जिसमें यह पाया गया कि राधाकिषनजी की मृत्यु सर्पदंष से न होकर लम्बी बीमारी के कारण हुई है। बीमाक्लेम स्वीकृत योग्य नहीं पाये जाने पर दिनंाक 29-06-2004 को क्लेम खारिज कर सूचना विपक्षी-2 को प्रेशित कर दी तथा परिवादिनी को भी इसकी जानकारी दे दी थी।  परिवादीगण ने क्लेम खारिज होने पर अविलम्ब फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए था लेकिन अतिविलम्ब से दिनंाक 29-07-2009 को पाँच वर्श पष्चात् प्रस्तुत किये जाने से चलने योग्य नहीं है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गई है। 
 
     विपक्षी-2 ने परिवाद के जवाब में राधाकिषन द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड क्रय करना तथा ऋण लेने वाले व्यक्ति का विपक्षी-1 के द्वारा बीमा किया जाना स्वीकार किया है एवं दिनांक 18-03-2009 को सूचित करना  और बकाया रकम जमा करने हेतु परिवादीगण को कहना स्वीकार किया है। विपक्षी-1 बीमा कम्पनी द्वारा दिनंाक 09-07-2004 को क्लेम अस्वीकृत कर दिया था। परिवादीगण का परिवाद विपक्षी-2 से संबंधित नहीं है, इसके लिए विपक्षी-1 ही उत्तरदायी है। विपक्षी-2 ने उनके विरूद्ध परिवाद सव्यय निरस्त करने की प्रार्थना की है। 


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      परिवाद के समर्थन में परिवादीगण की ओर से श्री प्रेमचन्द मीणा का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.13 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं तथा विपक्षी-1 की ओर से जवाब के समर्थन में किसी का षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है और न ही  प्रलेखीय साक्ष्य में कोई  दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये हंै जबकि विपक्षी-2 की ओर से जवाब के समर्थन में श्री बंषीधर, प्रभारी प्रबन्धक (विकास), का षपथ पत्र प्रस्तुत हुआ है।
    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1    क्या परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता हंै ं?

    परिवादीगण का परिवाद,विपक्षीगण का जवाब,एवं प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता होना प्रमाणित पाये जाते हंै।
2    आया परिवाद अवधि बाधित है ?

    उभयपक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया गया। विपक्षीगण का यह तर्क है कि मृतक राधाकिषन की मृत्यु दिनंाक 18-12-2003 को हुई है और दावा दिनांक 29-07-2009 को पेष किया है इसलिए अवधि बाधित है। परिवादीगण उक्त तथ्य को स्वीकार करते हैं परन्तु वादकारण उत्पन्न होना दिनांक 18-03-2009 को मानते हैं जिस दिन उनको बीमा क्लेम खारिज होने की सूचना मिली। विपक्षीगण ने यह तो कहा है कि परिवादी का क्लेम दिनंाक 29-06-2004 को खारिज कर दिया परन्तु विपक्षी-1 ने ऐसा कोई प्रमाण पेष नहीं किया है जिससे यह तथ्य प्रमाणित हो सके कि खारिज करने की सूचना विधिवत् रूप से परिवादीगण को कब दी गई। पत्रावली में विपक्षी-2 का पत्र क्रमांक 788 दिनंाक 18-03-2009 की प्रति संलग्न है इससे स्पश्ट हुआ कि परिवादीगण को क्लेम खारिज होने की सूचना दिनांक 18-03-2009 को प्राप्त हुई है और परिवाद दिनंाक 29-07-2009 को पेष कर दिया। इस प्रकार परिवाद का वादकारण दिनांक 18-03-2009 को प्राप्त हुआ। परिणामतः परिवाद अवधि बाधित नहीं है।
3    क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?

 उभयपक्षों द्वारा यह तथ्य स्वीकृत है कि मृतक राधाकिषन ने विपक्षी-2 से 1,73,891/-रूपये का ऋण प्राप्त किया था। मृतक का बीमा विपक्षी-1 के पास करवाया गया जिसका प्रीमियम 1,013/-रूपये अदा किया जाता था तथा मृतक राधाकिषन की मृत्यु दिनांक 18-12-2003 को खेत पर काम करते समय हो गई थी परन्तु मृत्यु का बिन्दु विवादित है, जहाँ परिवादी कहता है कि मृत्यु कोबरा साँप के काटने से हुई, इसके प्रमाण में ग्रामवासियों का पंचनामा म्ग.11 की प्रति पेष हुई है 

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तथा डाॅक्टर जी.एल. मीणा द्वारा जारी मृत्यु प्रंमाण पत्र म्ग.9 दिनांक 07-01-2004 पेष हुआ है। इन दोनों ही दस्तावेजी साक्ष्य में मृतक राधाकिषन की मृत्यु कोबरा सांँप के काटने से होना बताया है। इस तथ्य के खंडन में विपक्षीगण का कहना है कि मृतक राधाकिषन की मृत्यु का प्रमाण पत्र डाॅक्टर जी.एल. मीणा द्वारा लाभ प्राप्त करने के हिसाब से गलत जारी करवाया है, जो छः महीने विलम्ब से जारी किया गया है परन्तु यह प्रमाण पत्र जारी कैसे किया है, फर्जी या गलत कैसे है, इस बिन्दु को किसी प्रकार से साबित नहीं किया है। जहाँ छः महीने विलम्ब से जारी करना बताया है यह भी मानने योग्य नहीं है क्योंकि राधाकिषन की मृत्यु 18-12-2003 को हुई है और प्रमाण पत्र 07-01-2004 को जारी किया गया। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रमाण पत्र 22 दिन बाद जारी किया है इसलिए विपक्षीगण का यह तर्क भी मानने योग्य नहीं है। जहाँ तक मृतक के पोस्टमार्टम कराये जाने का प्रष्न है, साँप के काटे जाने पर पोस्टमार्टम कराया जाना आवष्यक नहीं है। इस बिन्दु पर परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त ब्च्श्र.2006 च्ंहम 199  व  ब्च्श्र.2008 च्ंहम 296 से प्रकाष प्राप्त होता है। परिणामस्वरूप विपक्षीगण ने साँप के काटने से राधाकिषन की मृत्यु न बताकर बीमारी से मृत्यु होना बताया है, इस तथ्य की पुश्टि किसी भी दस्तावेजी साक्ष्य से नहीं की गई है, केवल अन्वेक्षक विकास चतुर्वेदी के अनुसंधान को ही विपक्षीगण ने आधार माना है जबकि दूसरी तरफ डाॅक्टर जी.एल. मीणा का प्रमाण पत्र, गाँव के 30-40 लोगों का पंचनामा आदि दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर विकास चतुर्वेदी का अन्वेक्षण मानने योग्य नहीं है। परिणामस्वरूप विपक्षी-1 ने मृतक राधाकिषन के सन्दर्भ में बीमाक्लेम खारिज करके सेवादोश कारित किया है। इस संदर्भ में मंच द्वारा पारित आदेष दिनंाक 23-04-2009 से भी सहायता मिलती है। परिणामस्वरूप विपक्षी-1 का सेवादोश प्रमाणित है। विपक्षी-2 चूंकि प्रक्रिया का एक पार्ट है इसलिए विपक्षी-2 का कोई सेवादोश प्रमाणित नहीं पाया जाता है।

4    अनुतोश ?

    चूंकि प्रार्थिया पुश्पा वाई की मृत्यु दिनंाक 15-04-2013 को हो गई है इसलिए परिवादी नंबर-2 प्रेमचन्द के पक्ष में परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार योग्य पाया जाता है।

                           आदेष  
       परिणामतः परिवादी प्रेमचन्द मीणा का परिवाद खिलाफ विपक्षी-1 आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि:-

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1    विपक्षी-1 परिवादी नंबर-2 प्रेमचन्द मीणा को बीमा क्लेम की राषि 1,73,891/-रूपये (अक्षरे एक लाख तिहत्तर हजार आठ सौ इक्कानवे रूपये) बतौर क्षतिपूर्ति अदा करें।

2    विपक्षी-1 परिवादी नंबर-2 प्रेमचन्द मीणा को 2,000/-रूपये (अक्षरे दो हजार रूपये) मानसिक और आर्थिक क्षति के और 3,000/-रूपये (अक्षरे तीन हजार रूपये) परिवाद व्यय के अदा करें। 


3    विपक्षी-1 आदेषित राषि को निर्णय सुनाये जाने की तारीख से दो माह के अन्द अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान पर 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के लिए दायित्वाधीन होगें।

4    चूंकि प्रार्थिया पुश्पावाई फौत हो गई है इसलिए इसका नाम डिलीट कर दिया गया है। विपक्षी-2 प्रक्रिया का पार्ट है, इसलिए इसके खिलाफ कोई अनुतोश पारित नहीं किया जा सकता है।

           (महावीर तंवर)                                (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                            अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                           झालावाड केम्प,कोटा (राज0)

 

       निर्णय आज दिनंाक 10.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

           (महावीर तंवर)                                (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                            अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                           झालावाड केम्प,कोटा (राज0)

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