(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या:-735/2019
डॉ0 मोबीन उम्र लगभग 45 वर्ष पुत्र रफीकुददीन, निवासी 4/1108, विकास नगर, लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1.मुकेश कश्यप उम्र लगभग 35 वर्ष पुत्र श्री रामदास निवासी ग्राम आलापुर, परगना व तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी।
2.प्रबन्धक(मैनेजर), प्रबन्धक, इन्ट्रीगल इन्सटीटयूट आफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च दसौली पोस्ट-बसहा, कुर्सी रोड, जनपद बाराबंकी।
3.दि यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी, द्वारा रीजनल मैनेजर, ब्रिन्दावन कुंज, इक्जीवीशन रोड, पटना (बिहार)-800001
प्रत्यर्थी/परिवादी
एवं
अपील संख्या:-905/2019
मुकेश कश्यप उम्र 35 वर्ष पुत्र श्री रामदास निवासी ग्राम आलापुर, पोस्ट गांधी आश्रम, परगना व तहसील नवाबगंज थाना- कोतवाली नगर जनपद-बाराबंकी।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1.प्रबन्धक, इन्ट्रीगल इन्सटीटयूट आफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च दसौली पोस्ट-बसहा, कुर्सी रोड, जनपद बाराबंकी।
2.डॉ0 मोबीन आई सर्जन, द्वारा इन्ट्रीगल इन्सटीटयूट आफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च,दसौली पोस्ट बसहा, कुर्सी रोड लखनऊ 226026
3.शाखा प्रबन्धक,युनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, शाखा अशोक मार्ग लखनऊ-226001
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
परिवादी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
विपक्षी सं01 की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
विपक्षी सं02 डॉ0मोबीन की ओर से :विद्वान अधिवक्ता श्री प्रत्यूष त्रिपाठी।
विपक्षी सं03 की ओर से उपस्थित :विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा।
दिनांक :- 13.09.2022
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मा0 श्री सुशील कुमार,सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0 510/2016 मुकेश कुमार कश्यप बनाम प्रबन्धक इन्ट्रीगल व दो अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.03.2019 के विरूद्ध अपील सं0 735/2019 विपक्षी सं02 डॉ0 मोबीन की ओर से प्रस्तुत की गयी है तथा अपील सं0 905/2019 परिवादी कश्यप की ओर से प्रस्तुत की गयी है। उपरोक्त दोनो अपीले एक निर्णय द्वारा निर्णीत की गयी है, इसलिये दोनों अपीलों का निर्णय एक साथ किया जा रहा है, इस हेतु अपील सं0 735/2019 अग्रणी अपील होगी।
जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुये यह आदेश पारित किया है कि परिवादी द्वारा खर्च के रूप में ली गयी धनराशि परिवादी द्वारा रसीद देने पर वापस की जायेगी तथा मानसिक, शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति रू0 10,000/- परिवाद व्यय के रूप में रू0 5000/- अदा करने का आदेश दिया गया है।
परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी दिनांक 18.03.2014 को विपक्षी सं01 के अस्पताल में भर्ती हुआ था। विपक्षी सं02 द्वारा 19.03.2014 को बॉयी ऑख का आपरेशन कर दिनांक 20.03.2014 को डिस्चार्ज कर दिया। लापरवाही बरतते हुये आपरेशन करने के कारण ऑख की रोशनी चली गयी। विपक्षी सं02 ने बताया कि आपरेशन सही नहीं हो पाया है जो मुझसे ठीक नहीं हो सकता इसलिये डॉक्टर शोभित कक्कड़ अलीगंज लखनऊ के यहॅा चले जाओ। परिवादी द्वारा कुल रू0 5000/- खर्च हुये। KGMC लखनऊ में दिखाने से ज्ञात हुआ कि बॅायी ऑख का आपरेशन ठीक ढंग से न होने के कारण दांयी आंख भी खराब हो गयी। दिनांक 23.4.2014 को डॉ0 संजीव गुप्ता द्वारा परिवादी की ऑख का आपरेशन करके दिनांक 29.04.2014 को डिस्चार्ज किया गया। इसलिये विपक्षी सं01 तथा यहॉ सेवारत विपक्षी सं02 के विरूद्ध परिवाद उपभोक्ता मंच में क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिये प्रस्तुत किया गया।
लिखित कथन में उल्लेख है कि मोतियाबिंद के साथ साथ लेंस का आधे से ज्यादा हिस्सा अपनी नार्मल जगह से खिसका हुआ था। इस संबंध में मरीज को पहले ही बता दिया गया था कि ऐसी स्थिति में सामान्य तरीके से कैप्सूलर बैग में PCIOL नहीं पड़ सकता है बल्कि ACIOL लगाना पड़ेगा। दिनांक 25.03.2014 को जब मरीज को पुन: दिखाया गया तब उसकी पुतली पर सूजन थी जो आपरेशन के बाद समुचित रूप से देखभाल न करने के कारण तथा डॉक्टर के द्वारा दिये गये निर्देशों का ठीक से पालन न करने के कारण हुयी है इसलिये विशेषज्ञ की राय के लिये रेटिना स्पेशलिस्ट डॉ0 शोभित कक्कड़ के पास भेजा गया था। परिवादी ने
फोन करके बताया गया कि उसने रेटिना स्पेशलिस्ट को दिखाया है परन्तु खर्च ज्यादा होना है। तब परिवादी से कहा गया कि वह उत्तरदाता डॉ0 के पास इसकी शिकायत करे परन्तु परिवादी कभी भी विपक्षी के पास नहीं आया इसलिये वह
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स्वयं जिम्मेदार है। विपक्षी द्वारा किसी स्तर से कोई लापरवाही व त्रुटि कारित नहीं की गयी। केवल रू0 500/- आपरेशन एवं लेंस के लिये जमा कराये गये थे साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि विपक्षी का व्यावसायिक बीमा रू0 5,00,000/- का किया गया था। इसलिये यदि कोई उत्तरदायित्व बनता है तो वह बीमा कम्पनी द्वारा देय है।
दोनों पक्षकारों के साक्ष्यों पर विचार करने के पश्चात जिला मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षी द्वारा इलाज में लापरवाही बरती गयी है तदनुसार उपरोक्त आदेश पारित किया गया।
उपरोक्त दोनों अपीलों का सार यह है कि उपभोक्ता मंच द्वारा साक्ष्यों के विपरीत निर्णय पारित किया गया है।
दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना तथा पत्रावलियों का अवलोकन किया।
जिला उपभोक्ता मंच ने इलाज के दौरान डॉक्टर की लापरवाही के संबंध में यह निष्कर्ष दिया गया है कि डिस्चार्ज स्लिप में कहीं पर यह अंकित नहीं है कि मोतियाबिंद के साथ लेंस का आधे से ज्यादा हिस्सा खिसका हुआ था इसलिये लिखित कथन का यह उल्लेख असत्य साबित होता है कि उपभोक्ता परिवादी को इसके बारे में बता दिया गया था। प्राप्त डिस्चार्ज स्लिप में यह उल्लेख नहीं है कि दोनों ऑख का निरीक्षण किया गया। केवल एक ऑख का आपरेशन करना और दूसरी ऑख का आपरेशन न करना यह जाहिर करता है कि डॉक्टर द्वारा लापरवाही के साथ ऑख का आपरेशन किया गया। इसलिये उपभोक्ता मंच द्वारा दिया गया निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत है इसमें किसी प्रकार की हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
आदेश
उपरोक्त दोनों अपीले अर्थात अपील सं0 735/2019 व अपील सं0 905/2019 निरस्त की जाती है।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0 905/2019 में रखी जाय एवं इसकी एक सत्यप्रति संबंधित अपील में भी रखी जाय।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
रामेश्वर, पी ए ग्रेड-2,
कोर्ट नं0-1