Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/2287

IFFCO Tokio General Insurance - Complainant(s)

Versus

Manager Yadav - Opp.Party(s)

Ashok Mehrotra

19 Jan 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/2287
( Date of Filing : 24 Nov 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. IFFCO Tokio General Insurance
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Manager Yadav
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Jan 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-2287/2011

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, देवरिया द्वारा परिवाद संख्‍या 337/2006 में पारित निर्णय दिनांक 03.09.2011 के विरूद्ध)

इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी लि0, कार्पोरेट आफिस-चौथा

एवं पांचवा तल, इफको टावर, प्‍लाट नं0-3, सेक्‍टर-29, गुड़गांव

(हरियाणा) द्वारा चीफ मैनेजर क्‍लेम।             .........अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

1.मैनेजर यादव पुत्र श्‍याम लाल यादव, निवासी ग्राम अगरतपार

पोस्‍ट देवरिया तहसील व जिला देवरिया।

2.उ0प्र0 सहकारी किसान सेवा केन्‍द्र, कोल्‍हुआ, जनपद देवरिया।

                                        ......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित   : श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित :श्री बी0के0 उपाध्‍याय, विद्वान  

                         अधिवक्‍ता।

दिनांक 20.02.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम देवरिया द्वारा परिवाद संख्‍या 337/2006 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 03.09.2011 के विरूद्ध योजित की गई है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी के कथनानुसार परिवादी की पत्‍नी ने अपीलकर्ता की संकट हरण बीमा योजना के अंतर्गत दि. 01.08.03 को 8 बोरा यूरिया रू. 2056/-, दि. 06.12.2003 को 3 बोरा यूरिया रू. 771/- तथा दि. 09.01.2004 को 12 बोरा यूरिया रू. 3084 में खरीदा। इसके अतिरिक्‍त दि. 11.06.04 को भी खाद खरीदी गई थी। परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दि. 13.06.04 को छत गिरने के कारण जिला

 

-2-

चिकित्‍सालय देवरिया में हो गई। परिवादी के कथनानुसार उक्‍त योजना के अंतर्गत 50 किलोग्राम के खाद की सहकारी समितियों एवं किसान सेवा केन्‍द्र से खरीदने पर दुर्घटना में मृत्‍यु होने पर रू. 4000/- प्रत्‍येक बोरे की दर से व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा राशि दिए जाने का प्रावधान है। इस प्रकार परिवादी उक्‍त 26 बोरे खाद का रू. 4000/- प्रति बोरे की दर से रू. 104000/- की धनराशि परिवादी अपीलकर्ता से प्राप्‍त करने का अधिकारी है, किंतु इस संदर्भ में दावा प्रस्‍तुत किए जाने के बावजूद अपीलकर्ता द्वारा भुगतान नहीं किया गया। परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

     अपीलकर्ता द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद प्रस्‍तुत किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार अपीलकर्ता ने दि. 11.06.2004 को यूरिया एवं एनपीए 22 बोरा खाद खरीदने के बावत रसीद एवं क्‍लेम पत्र प्रस्‍तुत किया, किंतु क्रेता की मृत्‍यु दि. 28.06.2004 को होनी बताई गई, जबकि पालिसी की शर्तों के अनुसार खाद क्रय के 31वें दिन से पालिसी लागू मानी जाएगी। इस प्रकार प्रतीक्षा अवधि में लाभार्थी की मृत्‍यु हो जाने के कारण बीमा दावा स्‍वीकार नहीं किया गया। परिवाद में विपक्षी संख्‍या 2 उत्‍तर प्रदेश सहकारी किसान सेवा केन्‍द्र कोल्‍हुआ की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया।

     जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा 23 बोरी खाद की खरीद के संबंध में प्रश्‍नगत संकट हरण योजना के अंतर्गत रू. 4000/- प्रति बोरे की दर से कुल रू. 92000/- का प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्रेता के नामित व्‍यक्ति होने के आधार पर अधिकारी मानते हुए परिवाद अपीलकर्ता के विरूद्ध आज्ञप्‍त किया तथा अपीलकर्ता को आदेशित किया गया कि वह तदनुसार परिवादी को रू. 92000/- दिनांकित 26.02.2005 के 6 माह बाद से वार्षिक

 

-3-

भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत ब्‍याज सहित एक माह के अंदर भुगतान करें। इसके अतिरिक्‍त परिवादी को विपक्षी वाद व्‍यय के मद रू. 2000/- भी अदा करे। इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

     हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अधिवक्‍ता श्री बी0के0 उपाध्‍याय के तर्क सुने। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत निर्णय जिला मंच के दो सदस्‍यगण द्वारा पारित किया गया है और इस निर्णय में मंच के अध्‍यक्ष के हस्‍ताक्षर नहीं हैं, अत: निर्णय उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियत के प्रावाधानों के अंतर्गत वैध नहीं माना जा सकता।

     उल्‍लेखनीय है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 14(2)(ए) के परन्‍तुक के अंतर्गत जिला मंच के बहुमत द्वारा पारित निर्णय ही प्रभावी होगा। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि प्रश्‍नगत परिवाद के निस्‍तारण की तिथि पर मंच के अध्‍यक्ष उपस्थित थे और उनके द्वारा परिवाद की सुनवाई की गई थी। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत निर्णय में अध्‍यक्ष के हस्‍ताक्षर न होने के आधार पर प्रश्‍नगत निर्णय त्रुटिपूर्ण होना नहीं माना जा सकता।

अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण में परिवादी की पत्‍नी द्वारा 22 बोरा खाद दि. 11.06.2004 को क्रय की जानी बताई गई तथा क्रेता की मृत्‍यु दि. 13.06.04 को हुई कथित दुर्घटना के कारण दि. 28.06.04 को होना बताया गया। इस प्रकार खाद क्रय किए जाने की तिथि से 30 दिन के अंदर क्रेता की मृत्‍यु हो जाने के

 

-4-

कारण प्रश्‍नगत पालिसी की शर्तों के अंतर्गत पालिसी प्रभावी नहीं थी, अत: इस खरीद के संदर्भ में क्षतिपूर्ति की अदायगी अपीलकर्ता बीमा कंपनी द्वारा नहीं की गई। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि दि. 11.06.04 को क्रय की गई 22 बोरे खाद के अतिरिक्‍त 23 बोरे खाद का कोई बीमा दावा अपीलकर्ता को प्रेषित नहीं किया गया। दि. 01.08.2003 को 8 बोरे की कथित बिक्री दि. 06.12.2003 को 3 बोरे की कथित बिक्री एवं दि. 09.01.04 का 12 बोरे की कथित बिक्री के संबंध में कोई साक्ष्‍य अपीलकर्ता को प्रेषित नहीं की गई। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलकर्ता को बीमा दावे के पुनर्विचार हेतु कथित रूप से प्रेषित पत्र दिनांकित 26.02.2005 कभी प्रेषित नहीं किया गया। ऐसे किसी पत्र का भेजा जाना प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने मनगढ़ंत बताया है। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि खाद के क्रेता की दुर्घटना में मृत्‍यु को साबित किए जाने हेतु पालिसी की शर्तों के अनुसार शव विच्‍छेदन आख्‍या और प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्‍तुत की जानी आवश्‍यक है, किंतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह अभिलेख उपलब्‍ध नहीं कराए गए हैं, किंतु जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलकर्ता ने जानबूझकर प्रस्‍तुत अपील में जिला मंच के समक्ष अपीलकर्ता द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य तथा अभिलेखों की प्रतियां दाखिल नहीं की हैं। प्रत्‍यर्थी ने अपील की सुनवाई के मध्‍य जिला मंच के समक्ष परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र दिनांकित 27.03.2007 की फोटोप्रति तथा दि. 01.08.2003 को 8 बोरी यूरिया की खरीद के संबंध में जारी किए गए कैश

 

-5-

मेमो की फोटोप्रति दि. 06.12.2003 को 3 बोरी यूरिया की खरीद के संदर्भ में जारी किए गए कैश मेमो की फोटोप्रति एवं दि. 09.01.2004 को 12 बोरी यूरिया की खरीद से संबंधित कैश मेमो की फोटोप्रति दाखिल की हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत शपथपत्र दिनांकित 27.03.2007 में परिवादी द्वारा यह स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित किया गया कि परिवादी ने अपने पत्र दिनांकित 17.08.04 जो विपक्षी के कार्यालय में प्रस्‍तुत किया गया, द्वारा उपरोक्‍त क्रय से संबंधित तीनों रसीदें भी दाखिल की थी तथा पुन: अपने पत्र दिनांकित 26.02.2005 द्वारा बीमा दावे की मांग की गई। पत्र दिनांकित 17.08.04 एवं 26.02.05 की प्रतियां भी शपथपत्र के साथ संलग्‍नक के रूप में जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गई। इस आयोग के समक्ष परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र दिनांकित 27.03.2007 की प्रति तथा उसके साथ संलग्‍न संलग्‍नक भी दाखिल किए गए हैं, अत: अपीलकर्ता का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि 22 बोरा खाद के अतिरिक्‍त परिवादी की पत्‍नी द्वारा क्रय की गई 23 बोरी अतिरिक्‍त खाद का कोई बीमा दावा अपीलकर्ता को प्रेषित नहीं किया गया।

     हमने प्रत्‍यर्थी/ परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपीलीय स्‍तर पर दाखिल अभिलेखों का अवलोकन किया जिसके अवलोकन से प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा प्रस्‍तुत किए गए तर्क के तथ्‍यों की पुष्टि हो रही है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी/खाद क्रेता की मृत्‍यु छत से गिरकर आई चोटों के कारण हुई। दि. 13.06.04 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी का

 

-6-

इलाज हेतु जिला चिकित्‍सालय देवरिया में भर्ती किया गया। जिला चिकित्‍सालय देवरिया द्वारा दि. 13.06.04 को चिकित्‍सालय में भर्ती किए जाने तथा परिवादी की पत्‍नी के किए गए इलाज के संदर्भ में जारी किए गए पर्चे की फोटोप्रति भी जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दाखिल की गई थी। यह फोटोप्रतियां प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलीय स्‍तर पर भी दाखिल की हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दि. 28.06.04 को हुई मृत्‍यु के संदर्भ में मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक जिला चिकित्‍सालय देवरिया द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्र की फोटोप्रति भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से दाखिल की गई है जिनसे यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी मेवाती देवी की मृत्‍यु दुर्घटना में हुई।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उसकी पत्‍नी श्रीमती मेवाती देवी के जिला चिकित्‍सालय में इलाज के संदर्भ में जिला चिकित्‍सालय द्वारा जारी किए गए पर्चे तथा मृत्‍यु प्रमाणपत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किए गए, जिनकी फोटोप्रतियां अपीलीय स्‍तर पर भी दाखिल की गई, जिनके अवलोकन से यह विदित होता है कि क्रेता श्रीमती मेवाती देवी के सिर में आई चोटों के संदर्भ में दि. 13.06.04 को इलाज हेतु जिला चिकित्‍सालय देवरिया में भर्ती किया गया और अंतत: उसकी मृत्‍यु दि. 28.06.04 को हो गई। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी खाद क्रेता श्रीमती मेवाती देवी की मृत्‍यु दुर्घटना में होना साबित है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि श्रीमती मेवाती देवी की मृत्‍यु किसी दुर्घटना में न होने के संबंध में कोई अन्‍यथा साक्ष्‍य अपीलकर्ता द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई है। ऐसी परिस्थिति में मात्र शव विच्‍छेदन आख्‍या तथा थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न कराए जाने के आधार पर मेवाती देवी की मृत्‍यु दुर्घटना में न होना नहीं माना जा सकता।

 

-7-

     यह तथ्‍य निर्विवाद है कि दि. 01.08.2003, 06.12.2003 एवं दि. 09.01.2004 को क्रय की गई कुल 23 बोरे खाद की क्रय तिथि से 30 दिन की अवधि बीत जाने के बाद 12 माह की अवधि के मध्‍य ही क्रेता की मृत्‍यु हो गई, अत: खाद के इन क्रयों के संदर्भ में प्रश्‍नगत संकट हरण बीमा योजना के अंतर्गत क्रेता के पति/नामित व्‍यक्ति/परिवादी रू. 4000/- प्रति बोरे की दर से बीमित धनराशि प्राप्‍त करने के अधिकारी होंगे। प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला मंच ने 23 बोरे खाद के उक्‍त खरीद के संबंध में हुई बीमित धनराशि की अदायगी हेतु निर्देशित किया है। प्रश्‍नगत निर्णय हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है। अपील में बल नहीं है और अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

 

 

       (उदय शंकर अवस्‍थी)                        (गोवर्द्धन यादव)                                                                                                                                                पीठासीन सदस्‍य                               सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

  कोर्ट-1

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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