समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-65/2014 उपस्थित-डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य,
चरन सिंह पुत्र श्री परशुराम निवासी-ग्राम- चांदौ पो0 महोबा परगना,तहसील व जिला-महोबा
......परिवादी
बनाम
1.प्रबंधक,यूनीवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0,जोनल आफिस फस्ट फलोर एवव यूको बैंक गिल्ट बाजार,शिवपुर बनारसी 221003
2.प्रबंधक,इलाहाबाद यू0पी0ग्रामीण बैंक,शाखा फतेहपुर बजरिया,महोबा तहसील-महोबा जनपद-महोबा उ0प्र0 ....विपक्षीगण
निर्णय
श्रीमती नीला मिश्रा,सदस्या,द्वारा उदधोषित
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ने जय मां शेरावाली स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत विपक्षी सं02 के यहां से लोन लेकर एक भैंस मु035000/-रू0 खरीदी थी तथा समूह का ऋण खाता सं0 10160600000745 है । स्वयं सहायता समूह में 10 लोग थे तथा 5,00,000/-रू0 का ऋण विपक्षी के यहां से लिया गया था,जिसमें से प्रत्येक सदस्य को 50,000/-रू0 ऋण राशि मिली थी तथा इस ऋण राशि में 1,00,000/-रू0 का अनुदान था । परिवादी की भैंस का बीमा विपक्षी सं02 द्वारा परिवादी के खाते से 2449/-रू0 प्रीमियम राशि काटकर 35,000/-रू0 हेतु कराया गया था,जिसकी पालिसी सं03016/52859907/00/000 है । पालिसी दि0 25.01.2013 को जारी की गई थी तथा पालिसी दि0 10.01.2013 से 10.01.2016 तक प्रवर्तन में थी । भैंस का बीमा करने के पूर्व विपक्षीगण ने डाक्टर से भैंस का चेकअप कराया गया था तथा डाक्टर द्वारा भैंस का स्वास्थ्य प्रमाण जारी किया गया था कि भैंस पूर्ण रूप से स्वस्थ है और बीमा टैग सं0यू0एस0जी0आई0/ 0342404 डाक्टर द्वारा लगाया गया था । परिवादी की भैंस दि014.12.2013 को अचानक बीमार हो गई व उसकी मृत्यु हो गई तो परिवादी ने इसकी सूचना तत्काल विपक्षी सं02 को दी तथा उनसे कहा कि विपक्षी सं01 की शाखा महोबा में सूचित कर दें तो विपक्षी सं02 द्वारा कहा गया कि विपक्षी सं01 की कोई शाखा महोबा में नहीं है । हमने बीमा कराया है हम विपक्षी सं01 को सूचित कर देंगें । तुम अपनी मृत भैंस का पोस्टमार्टम कराओ । परिवादी ने अपनी भैंस का पोस्टमार्टम कराकर रिपोर्ट विपक्षी सं02 को प्रदान की तो विपक्षी सं02 द्वारा कहा गया कि तुम अन्य प्रपत्र लेकर आओ तो तुम्हारा क्लेम फार्म भरवा दें । परिवादी से क्लेमफार्म भरवाकर हस्ताक्षर कराये गये और विपक्षी सं02 द्वारा कहा गया कि हम इस क्लेमफार्म को विपक्षी सं01 को भेज देगें और तुमको तीन माह में क्लेम की धनराशि मिल जायेगी । क्लेम का नंबर सीएल 13051477 है । जब परिवादी को लगभग तीन माह में क्लेम की धनराशि नहीं दी गई तो वह विपक्षी सं02 के यहां गया और जानकारी की तो बताया गया कि विपक्षी सं01 द्वारा भैंस के टैग नये व फ्रेस है और इन्हें भैंस के कानों में प्रयोग नहीं किया गया तथा कहा कि फोटोग्राफ देखने के बाद लगता है कि टैग मृत्यु के बाद लगाये गये है और इसी आधार पर परिवादी का क्लेम खारिज कर दिया गया है । परिवादी ने इसे विपक्षीगण की सेवा में त्रुटि व व्यापारिक कदाचरण बताते हुये यह परिवाद मा0 फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया और प्रार्थना की कि परिवादी को विपक्षीगण से भैंस की बीमित धनराशि 35,000/-रू0 एवं इस धनराशि पर भैंस की मृत्यु से अदायगी तक 18 प्रतिशत की दर से ब्याज एवं मानसिक कष्ट के एवज में 35,000/-रू0 एवं वाद व्यय के रूप में 10,000/-रू0 दिलाया जाये ।
विपक्षी सं01 को जरिये रजिस्ट्री नोटिस भेजी गयी,जो लौटकर कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई और न ही उनकी और से कोई उपस्थित आया और न जबाबदावा या कोई साक्ष्य उनके द्वारा प्रस्तुत की गई इसलिये परिवादी पर तामीला पर्याप्त मानते हुये परिवाद की कार्यवाही विपक्षी सं01 के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से चलने का आदेश दि029.09.2014 को पारित किया गया।
विपक्षी सं02 ने परिवादी द्वारा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ऋण लेना तथा ऋण की धनराशि से मु035,000/-रू. में एक भैंस खरीदना एवं उस भैंस का विपक्षी सं01 के माध्यम से बीमा दि010.01.2013 से 10.01.2016 तक की अवधि हेतु कराया जाना एवं बीमा के प्रीमियम की धनराशि उसके ऋण खाते से काटा जाना तथा भैंस का स्वास्थय परीक्षण डाक्टर द्वारा किया जाना एवं स्वास्थ्य प्रमाण पत्र का उनको प्राप्त कराया जाना एवं डाक्टर द्वारा भैंस के कान में टैग लगाया जाना तथा भैंस की मृत्यु के उपरांत डाक्टर द्वारा भैंस का पोस्टमार्टम किया जाना और परिवादी का क्लेम उनके माध्यम से विपक्षी सं01 को भेजा जाना स्वीकार किया गया है । साथ ही यह भी स्वीकार किया गया कि विपक्षी सं01 बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के भैंस के टैग को नया व फ्रेस बताकर यह कहा गया कि भैंस के कान में टैग उसकी मृत्यु के उपरांत लगाये गये इसलिये परिवादी का क्लेम निरस्त किया गया है । विपक्षी सं02 द्वारा कोई सेवा में त्रुटि नहीं की गई है इसलिये परिवादी का परिवाद उसके विरूद्ध निरस्त किये जाने योग्य है और परिवादी विपक्षी सं01 बीमा कंपनी से भैंस की बीमित धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी है ।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त परिवादी श्री चरन सिंह का शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
विपक्षी सं02 की और से प्रबंधक मोतीलाल कुशवाहा द्वारा अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व परिवादी व विपक्षी सं02 के अधिवक्ता के तर्क सुने गये । विपक्षी सं01 की और से कोई बहस के समय उपस्थित नहीं आया ।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य एवं शपथ पत्र तथा विपक्षी सं02 द्वारा प्रस्तुत जबाबदावा से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी सं02 के यहां से स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ऋण लिया और उससे 35,000/-रू0 में एक भैंस खरीदी तथा उसका बीमा विपक्षी सं02 बैंक द्वारा विपक्षी सं01 से परिवादी के ऋण खाते से प्रीमियम की धनराशि काटकर दि010.01.2013 से 10.01.2016 तक हेतु बीमा कराया और बीमा अवधि के अंतर्गत 14.12.2013 परिवादी की भैंस अचानक बीमार होकर मर गई और उसने भैंस का पोस्टमार्टम कराया तथा विपक्षी सं02 के माध्यम से क्लेम विपक्षी सं01 को भेजा,जिसे विपक्षी सं01 बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के भैंस के टैग को नया व फ्रेस बताकर यह कहा गया कि भैंस के कान में टैग उसकी मृत्यु के उपरांत लगाये गये इसलिये परिवादी का क्लेम निरस्त किया गया है,जिसकी पुष्टि परिवादी द्वारा प्रस्तुत नौ क्लेम लेटर से होती है । विपक्षी बीमा कंपनी पर्याप्त तामीला के उपरांत भी उपस्थित नहीं हुई और न ही उसके द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है और विपक्षी सं01 बीमा कंपनी द्वारा बिना किसी पर्याप्त आधार के परिवादी का परिवाद निरस्त किया गया है । यह विपक्षीगण की सेवा में त्रुटि एवं व्यापारिक कदाचरण की श्रेणी में आता है । अत: परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी सं01 बीमा कंपनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है और विपक्षी सं01 को आदेशित किया जाता है कि वे इस निर्णय दिनांक से एक माह के अंदर परिवादी को उसकी भैंस की बीमित धनराशि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत सालाना ब्याज की दर से ब्याज सहित अदा करें । साथ परिवादी मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में मु02,000/-रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 विपक्षी सं01 से प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी सं01 परिवादी की इस धनराशि को परिवादी के ऋण खाता में जमा करेगा । विपक्षी सं02 बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी की ऋण की धनराशि का समायोजन करने के उपरांत शेष धनराशि परिवादी को प्रदान करे ।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
31.05.2016 31.05.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
31.05.2016 31.05.2016