View 20824 Cases Against United India Insurance
Manoj kumar mahawar filed a consumer case on 10 Nov 2015 against Manager, United India Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/374/2008 and the judgment uploaded on 10 Nov 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या-374/2008
मनोज कुमार महावर पुत्र श्री प्यारे लाल महावर,निवासी-43.ठ वीर सावरकर नगर,रंगबाडी, कोटा (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
1 यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड षाखा कार्यालय गुमानपुरा, कोटा जर्ये षाखा प्रबन्धक,कोटा।
2 यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड मण्डलीय कार्यालय,27 झलावाड रोड,कोटा जरिये मण्डल प्रबन्धक, कोटा।
3 प्ब्प्ब्प् बैंक लिमिटेड झालावाड रोड,कोटा (राज0) जरिये प्रबन्धक।
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री किषनसिंह जादौन,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2 श्री विजेन्द्र गौड़,अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण।
निर्णय दिनांक 10.11.2015
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच, झालावाड केम्प, कोटा, को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 14-05-2007 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी की मोटरसाईकिल त्श्र.20.15ड.6481 का बीमा विपक्षीगण नेे 931/-रूपये का प्रीमियम प्राप्त कर 37,905/-रूपये की अदाएगी के लिए किया था। दिनंाक 31-10-2005 को परिवादी का भाई सुनील महावर अपने दोस्त नईम के पास मकान नंबर 8.।.8 महावीर नगर तृतीय पर गया और मोटरसाईकिल लाॅक करके मकान के अन्दर चला गया। जब कुछ देर पष्चात् वापिस आया तो मोटरसाईकिल नहीं मिली जिसपर थाना महावीरनगर रिपोर्ट करने के लिए गये तो थानाधिकारी ने आष्वासन दिया कि रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे पहले अपने दोस्तों/रिष्तेदारों से मिलकर तलाष कर लो। मोटरसाईकिल चोरी होने की वायरलेस से समस्त थानों को सूचित कर दिया था। मोटरसाईकिल को तलाष किया गया लेकिन पता नहीं चला तो दिनांक 10-11-2005 को थ्प्त् दर्ज की गई। तत्पष्चात् मोटरसाईकिल नहीं मिलने पर पुलिस द्वारा मामले में थ्त् पेष की गई। विपक्षीगण को वांछित दस्तावेजात के साथ क्लेम प्रस्तुत किया। विपक्षी-1 द्वारा दुर्भाविक रूप से परिवादी की क्लेम पत्रावली को गुम कर दिया और विलम्ब से सूचना देने का आरोप लगाते हुए दिनंाक 29-03-2007 को क्लेम खारिज कर दिया। परिवादी का वाहन
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विपक्षी-3 बैंक के यहाँ हाईपोथिकेटेड था इसलिए क्लेम राषि प्राप्त करने का दायित्व एवं अधिकार विपक्षी बैंक का है। विपक्षीगण का यह कृत्य अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादी ने बीमाक्लेम की राषि मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी-1 व 2 की ओर सेे परिवाद का यह जवाब दिया है कि वाहन मनोज कुमार के नाम से बीमित है। परिवादी ने अपने भाई सुनील को वाहन चलाने दिया जिसके पास वैध एवं प्रभावी वाहन चालक अनुज्ञा पत्र नहीं था जो पाॅलिसी की षर्तों एवं नियमों का उल्लंघन है। परिवादी ने चोरी की सूचना 11-11-2005 को नहीं दी और ग्याहर माह बाद दी। विषेश आपत्तियों में उल्लेख किया है कि वाहन पर प्ब्प्ब्प् बैंक का हाईपोथिकेषन दर्ज है इसलिए बैंक के अनापत्ति प्रमाणपत्र के अभाव में क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवादी की ओर से विपक्षी-3 को तलब नहीं करवाना चाहा, अतः उनकी तलबी दिनंाक 08-04-2005 को बन्द कर दी गई।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं के अलावा सुनील महावर का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.12 दस्तावेज तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में श्री रमेष चन्द्र वर्मा,षाखा प्रबन्धक, का शपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में एक म्गक.1 लगायत म्गक.12 दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,षपथपत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता प्रमाणित पाया जाता है।
2 क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि उभयपक्षों द्वारा यह तथ्य स्वीकृत है कि परिवादी ने दिनंाक 14-05-2005 को तथाकथित मोटरसाईकिल का विपक्षीगण के पास बीमा करवाया था और दिनंाक 31-10-2005 को मोटरसाईकिल चोरी हो गई। इस सम्बन्ध में परिवादी क्लेम प्राप्त करना चाहता है लेकिन विपक्षीगण ने क्लेम खारिज कर दिया। विपक्षीगण का तर्क है कि चालक के पास वैध लाईसेंस नहीं था, यह मानने योग्य नहीं है क्योंकि चोरी के मामलों में वाहन चालक के लाईसेंस की वैधता पर विचार किया जाना न्यायसंगत नहीं है लेकिन विपक्षीगण का यह तर्क मानने योग्य है कि परिवादी ने थ्प्त् विलम्ब से दर्ज करवायी और विपक्षीगण को सूचना भी
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बहुत देरी से दी। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेज के आधार पर चोरी दिनंाक 31-10-2005 को हुई और थ्प्त् दिनांक 10-11-2005 को दर्ज करायी। इस प्रकार थ्प्त् 11 दिन विलम्ब से दर्ज करवायी और परिवादी ने क्लेम प्रस्तुत करने से पहले विपक्षीगण को नियत समय पर सूचना दी हो ऐसा कोई दस्तावेज पेष नहीं किया है बल्कि दिनंाक 20-09-2006 को क्लेम पेष किया है वही प्रमाण पत्रावली में उपलब्ध है, इससे पहले सूचना देने का कोई प्रमाण पत्रावली में उपलब्ध नहीं है।
इस प्रकार उपरोक्त विवेचन और विष्लेशण से स्पश्ट है कि विलम्ब से थ्प्त् दर्ज करवाना,अति विलम्ब से विपक्षीगण को सूचना देना आदि तथ्यों के आधार पर परिवादी ने बीमा की विहित षर्तों का तथा विधि द्वारा स्थापित न्यायिक सिद्धान्तों का उल्लंघन किया है। परिणामस्वरूप विपक्षीगण का कोई सेवादोश परिवादी प्रमाणित नहीं कर पाया है।
3 अनुतोश ?
परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
आदेष
परिणामतः परिवाद परिवादी मनोज कुमार महावर खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 10.11.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
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