View 1259 Cases Against Uco Bank
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Dinesh goyal filed a consumer case on 08 Dec 2015 against Manager, UCO Bank in the Kota Consumer Court. The case no is CC/143/2011 and the judgment uploaded on 11 Dec 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या-14311
दिनेश गोयल पुत्र स्व. कन्हैया लाल गोयल आयु 53 वर्ष निवासी 7, अग्रसेन कालोनी, दादाबाडी विस्तार नगर, कोटा -परिवादी।
बनाम
01. यूको बैंक द्वारा ब्रांच मैनेजर कार्यालय यूको बैंक, रामपुरा, कोटा।
02. मुन्नी देवी पत्नी नवलकिशोर आयु 57 वर्ष जाति महाजन निवासी तेलियो की
चौकडी, बहादुर बाजार, कोटा, जिला कोटा। -विपक्षीगण
समक्ष :
भगवान दास - अध्यक्ष
हेमलता भार्गव - सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपसिथत :-
1 अमरीश बलरिया, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 श्री कमल नयन सक्सेना, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 की ओर से।
3. श्री तेजमल जैन व श्री दिलीप शर्मा, अधिवक्तागण, विपक्षी सं. 2 की ओर से।
निर्णय दिनांक 08.12.15
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उनका संक्षेप में यह दोष बताया है कि उनकी माता र्इश्वरी देवी की 2,87,314- रूपये की रकम जो 7 एफ.डी.आर. के जरिये विपक्षी सं. 1 बैंक में जमा थी। जिसमें सुविधा के लिये ही विपक्षी सं. 2 का नाम जोडा गया था। उनकी माता का देहान्त 01.12.06 को हो गया तथा उनकी वसीयत के अनुसार उक्त सभी एफ.डी.आर. की राशि पाने का एक मात्र परिवादी ही अधिकारी है। माता के देहान्त पर 11 वे दिन दिनांक 11.12.06 को बैंक आफ बडौदा, रामपुरा सिथत उनका लाकर विपक्षी सं. 2 के हस्ताक्षर से खोला गया था जिसमें उक्त सभी एफ.डी.आर. थी जो विपक्षी सं. 2 ने परिवादी को संभलार्इ थी। विपक्षी सं. 2 ने विपक्षी सं. 1 के कर्मचारियों से मिलकर झूंठे शपथ-पत्र व अन्य दस्तावेजात के आधार पर बदनियति से उक्त एफ.डी.आर. में से एक एफ.डी.आर. का नवीनीकरण अपने नाम करवा लिया। जबकि असल सभी एफ.डी.आर. परिवादी के पास ही थी तथा विपक्षी सं. 2 ने उस एफ.डी.आर. की राशि हेतु इस उपभोक्ता मंच में परिवाद भी प्रस्तुत कर दिया, जिसकी जानकारी विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को नहीं दी गर्इ । परिवादी जब एफ.डी.आर. रिनिवल कराने गया तब ही उसे जानकारी मिली। परिवादी ने 12.05.08 को विपक्षी सं. 1 बैंक में आवेदन पत्र प्रस्तुत कर अवगत कराया कि असल एफ.डी.आर. व माता जी की ओर से की गर्इ वसीयत उसके पास है। परिवादी, उन एफ.डी.आर. को रिनिवल कराने विपक्षीसं. 1 बैंक में गया तब उसे विपक्षी सं. 2 द्वारा इस मंच में पूर्व में की गर्इ कार्यवाही के बारे में सूचना नहीं दी गर्इ तथा एफ.डी.आर. को रिनिवल भी नहीं किया और भुगतान भी नहीं किया, उससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप भी हुआ।
विपक्षी सं. 1 बैंक के जवाब का सार है कि तथाकथित एफ.डी.आर.श्रीमति र्इश्वरी देवी व विपक्षी सं. 2 के संयुक्त नाम से है। विपक्षी सं. 2 द्वारा श्रीमति र्इश्वरी देवी का मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर बैंकिग नियमों के अनुसार क्षतिपूर्ति बांड व अन्य दस्तावेजात प्रस्तुत करने पर उसके पक्ष मे अप्रेल 07 में नवीनीकृत एफ.डी.आर.
जारी की गर्इ थी, इससे पूर्व परिवादी ने विपक्षी सं. 1 के यहा कोर्इ क्लेम प्रस्तुत नहीं किया था। परिवादी की ओर से प्रेषित कानूनी नोटिस 12.01.09 के प्राप्त होने पर उसे जवाब भेजकर अवगत करा दिया गया कि नियमानुसार उतराधिकार प्रमाण-पत्र, लेटर आफ प्रोबेट प्रस्तुत किये जावे, लेकिन परिवादी ने उस पत्र के अनुसार कार्यवाही नहीं की। परिवादी स्वच्छ हाथों से भी नहीं आया है, उसने श्रीमति र्इश्वरी देवी के वसीयत के संबंध में प्रोबेट प्रमाण-पत्र जारी करने हेतु जिला न्यायालय कोटा के समक्ष आवेदन-पत्र क्रमांक 145712 प्रस्तुत किया है तथा उस आवेदन-पत्र में एफ.डी.आर.
का कोर्इ विवरण ही नहीं किया है तथा परिवाद में ऐसा आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने का उल्लेख तक नहीं किया है। विपक्षी सं. 2 द्वारा मंच के समक्ष पूर्व मं परिवाद प्रस्तुत करने पर उसके जवाब में स्पष्ट कर दिया गया कि परिवादी (दिनेश गोयल) आवश्यक पक्षकार है जिसे पक्षकार नहीं बनाने से परिवाद खारिज होने योग्य है। चूंकि विपक्षी बैंक के यहा श्रीमति र्इश्वरी देवी की एफ.डी.आर. के संबंध में दो आवेदकों द्वारा क्लेम किया गया तो दावेदारी का निर्धारण बैंक के नियमों के अनुसार नहीं हो सकने की अवस्था में सक्षम न्यायालय से इसका निर्धारण आवश्यक हो गया तथा उसके अभाव में किसी भी पक्ष को एफ.डी.आर. का भुगतान किया जाना संभव नहीं था, इसकी सूचना भी परिवादी व विपक्षी सं. 2 को दे दी गर्इ थी तथा एफ.डी.आर. का भुगतान भी विपक्षी सं. 2 को नहीं किया गया। परिवादी ने एफ.डी.आर. का भुगतान प्राप्त करने हेतु सक्षम न्यायालय से कोर्इ प्रमाण-पत्र नहीं लिया है। यह भी आपतित उठार्इ गर्इ है कि विवाद के निर्धारण हेतु जटिल प्रश्न विधमान है। जिसका निर्धारण करना इस मंच द्वारा संभव नहीं है। उनकी ओर से सेवा में कोर्इ कमी नहीं की है।
विपक्षी सं. 2 के जवाब का सार है कि एफ.डी.आर. की रकम श्रीमति र्इश्वरी देवी व उसने संयुक्त रूप से जमा करार्इ। र्इश्वरी देवी ने परिवादी के पक्ष में कोर्इ वसीयत नहीं की है। परिवादी ने धोखा देकर उससे समस्त दस्तावेजात प्राप्त किये है। परिवादी एफ.डी.आर. की रकम पाने का अधिकारी नहीं है। श्रीमति र्इश्वरी देवी के सभी वारिसान को पक्षकार नहीं बनाया है। इस मामलें में जटिल प्रश्न है जिनका निर्धारण सिविल न्यायालय द्वारा ही किया जा सकता है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
परिवादी ने साक्ष्य में विपक्षी सं. 2 को प्रेषित पत्र दिनांक 12.05.08, श्रीमति र्इश्वरी देवी का मृत्यु प्रमाण-पत्र, सभी एफ.डी.आर., वसीयतनामा, इस मंच में विपक्षी सं. 2 द्वारा पूर्व में प्रस्तुत किये गये परिवाद व उसकी आदेशिका दिनांक 03.03.11 आदि की प्रतिया प्रस्तुत की हैं ।
विपक्षी सं. 1 ने साक्ष्य में परिवाद संख्या 22809 मुन्नी देवी बनाम यूको बैंक में पारित निर्णय दिनांक 12.06.14 की प्रति प्रस्तुत की है।
विपक्षी सं. 2 ने अपने शपथ-पत्र के अलावा अन्य कोर्इ दस्तावेजात प्रस्तुत नहीं किये।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवाद पत्र में परिवादी ने वर्णित किया है कि विपक्षी सं. 1 बैंक को उसने 12.05.08 को ही श्रीमति र्इश्वरी देवी के एफ.डी.आर. के संबंध में स्वयं का अधिकार होने की सूचना दी थी, उनको वसीयत की जानकारी दी थी, एफ.डी.आर. नवीनीकरण हेतु सूचित किया था। परिवाद में यह भी अंकित किया है कि उनको भुगतान करने के लिये भी सूचित किया गया था, लेकिन विपक्षी सं. 1 बैंक ने कार्यवाही नहीं की। परिवादी ने यह परिवाद 03.05.11 को प्रस्तुत किया, इस प्रकार परिवादी का परिवाद 2 वर्ष की नियत अवधि में प्रस्तुत नहीं होने के कारण खारिज होने योग्य है।
परिवादी यह केस लेकर आया है कि श्रीमति र्इश्वरी देवी की 7 एफ.डी.आर.
में से एक एफ.डी.आर. का विपक्षी सं. 1 बैंक ने विपक्षी सं. 2 के पक्ष में गलत नवीनीकरण कर दिया। उल्लेखनीय है कि बैंक के जवाब के अनुसार नवीनीकरण अप्रेल 07 में ही किया गया जब तक परिवादी ने एफ.डी.आर. के संबंध में उसका हक होने का कोर्इ क्लेम ही प्रस्तुत नहीं किया था, मात्र नवीनीकरण कर देने से बैंक की कार्यवाही को गलत नहीं माना जा सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि बैंक ने किसी भी एफ.डी.आर. का भुगतान विपक्षी सं. 2 को नहीं किया है। विपक्षी सं. 2 ने इस मंच में पूर्व में जो परिवाद प्रस्तुत किया था उसका निर्णय 12.06.14 को हो चुका है। जिसमें उसका परिवाद खारिज किया गया है तथा सक्षम न्यायालय से स्वामित्व का निर्धारण आवश्यक माना गया है।
विपक्षी सं. 1 की यह भी आपतित है कि श्रीमति र्इश्वरी देवी की एफ.डी.आर. के संबंध में परिवादी व विपक्षी सं. 2 दावेदार है बैंकिंग नियमों के अनुसार दावे का निपटारा नहीं हो सकता, इसीलिये सक्षम न्यायालय से सही दावेदारी का निर्धारण आवश्यक है तथा इसकी सूचना दोनो को दी जा चुकी है, इसलिये हम पाते है कि विपक्षी बैंक ने गुण-दोष के आधार पर सेवा में कोर्इ कमी नहीं की है। विपक्षी बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है कि परिवादी ने श्रीमति र्इश्वरी देवी की वसीयत के संबंध में प्रोबेट जारी कराने हेतु जिला न्यायालय कोटा में आवेदन-पत्र प्रस्तुत किया हैं परिवादी स्वयं ने इस तथ्य को छिपाया हैं, लेकिन इससे यह तो प्रकट होता है कि परिवादी को भी यह जानकारी है कि श्रीमति र्इश्वरी देवी की वसीयत के आधार पर कोर्इ अधिकार प्राप्त होने के लिये सक्षम न्यायालय से प्रमाण-पत्र आवश्यक है। परिवादी ने हमारे समक्ष ऐसा कोर्इ प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया है कि सक्षम न्यायालय से उसे श्रीमति र्इश्वरी देवी की वसीयत के संबंध में प्रोबेट प्रमाण-पत्र जारी हो गया हो। परिवादी यह केस भी लेकर नहीं आया है कि ऐसा कोर्इ प्रमाण-पत्र उसने विपक्षी बैंक को प्रस्तुत कर दिया हो और उसके बावजूद विपक्षी बैंक ने एफ.डी.आर. का रिनिवल नहीं किया हो या उनको रकम का भुगतान नहीं किया हो ।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि परिवादी विपक्षी बैंक का कोर्इ सेवा-दोष सिद्ध नहीं कर सका है। विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध कोर्इ वादकारण ही नहीं है।
परिणामत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(हेमलता भार्गव) ( भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनांक 08.12.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
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