View 15990 Cases Against The Oriental Insurance
View 26856 Cases Against Oriental Insurance
View 7937 Cases Against Oriental Insurance Company
Ghanshyam meena filed a consumer case on 10 Sep 2015 against Manager, The Oriental Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/223/2012 and the judgment uploaded on 16 Sep 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)
परिवाद संख्या:- 223 /12
घनश्याम पुत्र रामचन्द्र आयु 43 साल जाति मीणानिवासी ग्राम ब्रजेशपुरा तहसील लाडपुरा, जिला कोटा, राजस्थान। -परिवादी
बनाम
01. दी आॅरियन्टल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड जर्ये शाखा प्रंबंधक,1, सहयोग भवन, एरोड्रम सर्किल कोटा राजस्थान।
02. दी आॅरियन्टल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड, जर्ये मुख्य शाखा प्रबंधंक, ए-25/27, आशफ अली रोड नई दिल्ली-110002 (पंजीकृत एवं मुख्य कार्यालय) -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री हेमन्त, शर्मा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से ।
02. श्री वी0के0 सक्सेना, अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से।
निर्णय दिनांक 10.09.2015
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि उसकी बीमित मोटर साइकिल आर.जे.20-एस.बी. 6314 बीमा अवधि में दिनांक 07.12.10 को सांय 6 बजे टी.टी. अस्पताल के सामने से चोरी हो गयी, जिसकी प्रथम सूचना पुलिस को दी गई, पुलिस ने तलाश करने का आश्वासन दिया। बाद में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की उसमें एफ.आर. प्रस्तुत कर दी जो सक्षम न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गई, जिसका क्लेम बीमा कंपनी को प्रस्तुत करने पर क्लेम राशि नहीं दी गई, जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप भी हुआ।
विपक्षी बीमा कंपनी के जवाब का सार है कि परिवादी ने वाहन चोरी होने की सूचना लगभग 27 दिन बाद पुलिस को दी, जबकि पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार 48 धंटे के अंदर-अंदर सूचना देना अनिवार्य था। विपक्षी बीमा कंपनी को भी लगभग एक माह बाद सूचना दी गई। परिवादी का इस संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु बार-बार पत्र जारी किये गये व अन्य दस्तावेज भी मांगे गये लेकिन कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया, दस्तावेज भी प्रस्तुत नहीं किए। इसलिये पालिसी शर्तो का उल्लधंन होने के कारण दिनांक 17.08.11 को क्लेम निरस्त कर दिया गया , जिसकी सूचना परिवादी को रजिस्टर्ड ए/डी डाक से भेज दी गई। सेवामें कोई कमी नहीं की गई।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा आर0सी0, पालिसी, प्रथम सूचना रिपोर्ट, एफ.आर., वाहन दुर्घटना सूचना, एफ.आर. स्वीकृति आदेश, आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की।
विपक्षी बीमा कंपनी ने साक्ष्य में निर्मल कुमार जैन के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी को पंजीकृत डाक से प्रेषित पत्र दिनांक 09.03.11,21.03.11,04.04.11, 26.05.11, परिवादी की ओर से प्रस्तुत क्लेम फार्म, पालिसी की प्रति, अन्वेषण रिपोर्ट आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
निर्णय हेतु प्रश्न है कि क्या बीमा कंपनी ने परिवादी को बीमित चोरी गये वाहन के क्लेम की अदायगी नही कर सेवा में कमी की है? विपक्षी ने परिवादी को प्रेषित पत्र के जरिये देरी से पुलिस में रिपोर्ट करने का स्पष्टीकरण मांगा व दस्तावेज मांगे। जवाब में भी वर्णित किया है कि न तो स्पष्टीकरण दिया और ना ही दस्तावेज दिये । हमारे समक्ष परिवादी की ओर से ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है कि स्पष्टीकरण प्रस्तुत कर दिया था, दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये।
परिवादी ने एफ.आई.आर. की प्रति प्रस्तुत की है जिससे स्पष्ट है कि उसका वाहन दिनांक 07.12.10 को चोरी हुआ और पुलिस थाना दादाबाडी में दिनांक 04.01.11 को सूचना दी गई अर्थात् 27 दिन के पश्चात पुलिस को सूचना दी गई। परिवाद में स्वयं परिवादी ने यह भी प्रकट किया है कि वाहन चोरी की सूचना विपक्षी कंपनी को 07.01.11 को दी गई अर्थात् बीमा कंपनी को भी लगभग एक माह की देरी से सूचना दी गई है । बीमित वाहन के चोरी जाने के संबंध में पुलिस को 48 घंटे के अंदर सूचना नही देना निश्चित रूप से पालिसी शर्तो का उल्लधंन है। विपक्षी बीमा कंपनी को भी तत्काल सूचना नहीं देना पालिसी शर्त का उल्लधंन है। माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने ज्ञनसूंदज ैपदही ध् न्दपजमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्वण् स्ज्क्ण् पअ ख्2014, ब्च्श्र 350 ख् छण्ब्ण्, में यह सुस्पष्ट व्यवस्था दी है कि बीमित वाहन के चोरी होने की सूचना पुलिस को 3 दिन बाद देना पालिसी की शर्ताे का उल्लधंन है तथा इस आधार पर विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा क्लेम खारिज करना गलत या सेवादोष नहीं है। उक्त दृष्टान्त प्रस्तुत मामले में भली-भाॅति लागू होता है।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि बीमा कंपनी ने परिवादी का क्लेम खारिज कर सेवा में कोई कमी नही की है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
परिवादी घनश्याम का परिवाद, विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद, पक्षकारान अपना-अपना वहन करेगें।
(हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 10.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.