Chhattisgarh

Durg

CC/173/2014

Smt. Mankunwar Sinha - Complainant(s)

Versus

Manager, The Oriental Insurance Co. - Opp.Party(s)

Mr. Prashant Sinha

25 Mar 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM, DURG (C.G.)
FINAL ORDER
 
Complaint Case No. CC/173/2014
 
1. Smt. Mankunwar Sinha
Durg
Durg
C.G.
...........Complainant(s)
Versus
1. Manager, The Oriental Insurance Co.
Durg
Durg
C.G.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. MAITREYI MATHUR PRESIDENT
 HON'BLE MRS. SHUBHA SINGH MEMBER
 
For the Complainant:Mr. Prashant Sinha, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

 

                                                  प्रकरण क्र.सी.सी./14/173

                                                                                                  प्रस्तुती दिनाँक 27.05.2014

श्रीमती मानकुंवर सिन्हा ध.प. स्व. तुलसीराम सिन्हा, आयु 46 वर्ष, निवासी-दीपकनगर, दुर्ग, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)                       

                                                                                                                - - - -          परिवादिनी

विरूद्ध

संभागीय प्रबंधक, दि ओरियंटल इंश्यारेंस कंपनी लिमि., पता-परमानंद बिल्डिंग, राजेन्द्र पार्क चैक के पास, जी.ई.रोड, तह. व जिला-दुर्ग   (छ.ग.)                                           - - - -    अनावेदक

आदेश

आज दिनाँक 25 मार्च 2015 को पारित

श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष

                                परिवादी द्वारा अनावेदक से व्यक्गित दुर्घटना बीमा दावा राशि 2,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 25,000रू., वाद व्यय 5,000रू. व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।

                                (2) प्रकरण मंे स्वीकृत तथ्य है कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा अभिकथित बीमा पाॅलिसी जारी की गई थी।           

परिवाद-

                                (3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति के द्वारा अपने जीवन काल में अपने वाहन टाटा सफारी का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी से कराया था, उक्त बीमा के अनुसार व्यक्तिगत दुर्घटना प्रीमियम लिया गया था,  उक्त पाॅलिसी के अनुसार बीमाधारक की आकस्मिक मृत्यु होने पर नाॅमिनी/ परिवादिनी को 2,00,000रू. प्राप्त होना था। दिनंाक 04.12.2013 को मृतक अपने अभिकथित वाहन सफारी से दुर्ग से गनियारी जा रहे थे कि रास्ते में शिवनाथ पुल के पास उनका वाहन अनियंत्रित होकर नदी में गिर गया, जिससे परिवादी के पति की वाहन नदी में भरे पानी में डूबने से मृत्यु हो गई, जिसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज करायी गयी तथा पी.एम. आदि पश्चात् शव परिजन को सौंप गया। परिवादी के द्वारा घटना की सूचना अनावेदक बीमा कंपनी को दि.06.12.14 को प्रदान की गई तथा क्लेम फार्म दि.19.03.2014 को संपूर्ण दस्तावेजों के साथ जमा किया गया, किन्तु अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आज दिनांक तक क्षतिपूर्ति राशि प्रदान नहीं की गई। उक्त संबंध में परिवादी द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को अधिवक्ता नोटिस भेजे जाने के बाजवूद भी बीमा राशि प्रदान नहीं की गई।  अनावेदक बीमा कंपनी का उपरोक्त कृत्य सेवा में कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में आता है। अतः परिवादी को अनावेदक बीमा कंपनी से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दावा राशि 2,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 25,000रू., वाद व्यय 5,000रू. व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।

जवाबदावाः-

                                (4) अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि मृतक बीमाधारक के पास घटना के समय वैध एवं प्रभावी वाहन चालन अनुज्ञप्ति नहीं थी। परिवादी के द्वारा बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्तुत ड्रायविंग लायसेंस का सत्यापन आर.टी.ओ. के माध्यम से कराए जाने पर यह पाया गया कि मृतक का ड्रायविंग लायसेंस दि.01.07.12 के बाद की तिथि के लिए प्रभावी नहीं था। इस प्रकार दुर्घटना दिनांक 04.12.13 को मृतक का ड्रायविंग लायसेंस वैध एवं प्रभावी नहीं था, जो कि बीमा पाॅलिसी की शर्तों का उल्लंघन होने से एवं बीमा दावा राशि का भुगतान योग्य नहीं होने से परिवादिनी के बीमा दावे को निरस्त किया गया है। इस प्रकार बीमा की शर्तों के उल्लंघन के फलस्वरूप परिवादी, अनावेदक से किसी प्रकार के अनुतोष को पाने की पात्रता नहीं रखती, फलस्वरूप परिवादी के द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध निरस्त किया जावे।

                                (5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-

1.             क्या परिवादी, अनावेदक से बीमा दावा  राशि 2,00,000रू. राशि मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है?        हाँ-सर्वेयर द्वारा आंकलित राशि का 75ः अमानक स्तर पर

2.             क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 25,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है?   नहीं

3.             अन्य सहायता एवं वाद व्यय?           आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत

निष्कर्ष के आधार

                                (6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है। 

फोरम का निष्कर्षः-

                                (7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि परिवादी का बीमा दावा मूलतः इस आधार पर खारिज किया गया है कि घटना के समय वाहन चालक के पास बीमित वाहन को चलाने हेतु वैध एवं प्रभावी वाहन चालन अनुज्ञप्ति नहीं थी, जो कि बीमा शर्त का उल्लंघन है।

(8) प्रकरण के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी के द्वारा बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्तुत ड्रायविंग लायसेंस का अनावेदक बीमा कंपनी ने अन्वेषक कृष्ण कुमार जी.आर. के द्वारा सत्यापन आर.टी.ओ. के माध्यम से कराए जाने पर यह पाया गया कि मृतक का ड्रायविंग लायसेंस दि.01.07.12 के बाद की तिथि के लिए प्रभावी नहीं था। इस प्रकार दुर्घटना दिनांक 04.12.13 को मृतक का ड्रायविंग लायसेंस वैध एवं प्रभावी नहीं था, जो कि बीमा पाॅलिसी की शर्तों का उल्लंघन होने से एवं बीमा दावा राशि का भुगतान योग्य नहीं होने से परिवादिनी के बीमा दावे को निरस्त किया गया है।

(9) प्रकरण का अवलोकन कर हम यह पाते हैं कि बीमित व्यक्ति जब अभिकथित वाहन शिवनाथ पुल से जा रहा था तो वाहन नदी में गिर गया, जिसके फलस्वरूप मृतक बीमित व्यक्ति की मृत्यु पानी में डूब जाने के कारण हुई।  उक्त संबंध में परिवादी द्वारा एनेक्चर-1 से एनेक्चर-12 के दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं।

(10) परिवादी द्वारा तर्क किया गया है कि वाहन चालक का असल ड्रायविंग लायसेंस यद्यपि प्रस्तुत नहीं किया गया है, क्योंकि जब अभिकथित वाहन दुर्घटना के फलस्वरूप शिवनाथ पुल में डूब गया तो उसी वाहन में मृतक का ड्रायविंग लायसेंस और अन्य दस्तावेज थे, जो कि गुम हो गये, तब आर.टी.ओ. दुर्ग द्वारा फोटोप्रति प्रदान की गई जो कि एनेक्चर-11 है, इस स्थिति में एनेक्चर-11 जो कि अखण्डित दस्तावेज है और वाहन चालक का ड्रायविंग लायसेंस है, उक्त एनेक्चर -11 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि चालक का ड्रायविंग लायसेंस दि.04.01.2009 तक वैध था, अर्थात् यह स्थिति साफ होती है कि मृतक के पास 2009 तक का वैध तिथि का ड्रायविंग लायसेंस था, उक्त ड्रायविंग लायसेंस की प्रति परिवादी ने संबंधित कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की है, यदि वास्तव में दुर्घटना दिनांक तक का वैध एवं प्रभावी ड्रायविंग लायसेंस होता तो परिवादी को उक्त दिनांक तक की जानकारी भी संबंधित विभाग द्वारा दी जा सकती थी, परंतु चूंकि सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी नहीं दी गई कि घटना दिनांक को वाहन चालक के पास वैध एवं प्रभावी ड्रायविंग लायसेंस था, अतः यही अभिनिर्धारित किया जायेगा कि घटना दिनांक को बीमित व्यक्ति के पास वैध एवं प्रभावी ड्रायविंग लायसेंस नहीं था, फलस्वरूप प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए हम बीमा राशि 2,00,000रू. का आमानक स्तर पर 75 प्रतिशत राशि 1,50,000रू.परिवादी को अनावेदक बीमा कंपनी से दिलाया जाना उचित पाते हैं।

(11) प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए हम अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत न्यायदृष्टांत:-

1)            मूडीपल्ली इलप्पा रवि विरूद्ध राॅयल सुन्दर्म एलायेंस इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड प्ट (2012) सी.पी.जे. 816 (एन.सी.) 

का लाभ दिया जाना उचित नहीं पाते हैं।

                                (12) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करे:-

(अ)    अनावेदक, परिवादी को बीमा दावा राशि 2,00,000रू. का 75 प्रतिशत राशि 1,50,000रू. (एक लाख पचास हजार रूपये) अदा करे।

(ब)    अनावेदक द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर उपरोक्त राशि का भुगतान परिवादी को नहीं किये जाने पर अनावेदक, परिवादी को आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करने के लिए उत्तरदायी होगा।

(स)    अनावेदक, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करे।

 
 
[HON'BLE MRS. MAITREYI MATHUR]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. SHUBHA SINGH]
MEMBER

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