प्रकरण क्र.सी.सी./14 /157
प्रस्तुती दिनाँक 05.05.2014
देवेन्द्र कुमार बंजारे आ.स्व राम भरोसा आयु-45 वर्ष, साकिन गा्रम-भर्रेगांव,तह-राजनांदगांव, जिला-राजनांदगांव (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
दि ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लि.मि., द्वारा -मंडल प्रबंधक, जी.ई.रोड, परमानंद भवन,राजेन्द्र पार्क के सामनें, दुर्ग तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदक
आदेश
(आज दिनाँक 26 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से जे.पी.ए बीमा पाॅलिसी अंतर्गत दुर्घटना पर देय बीमा राशि 1,00,000रू. मय मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण मंे स्वीकृत तथ्य है कि अनावेदक के द्वारा परिवादी का बीमा जे.पी.ए बीमा पाॅलिसी अंतर्गत पालिसी क्र 192500/48/2012/868 अवधि दिनांक 05.10.11सेदि 04.10.12के लिए कराया गया था।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी से जे.पी.ए बीमा पाॅलिसी अंतर्गत पाॅलिसी क्र 192500/48/2012/868 अवधि दिनांक 05.10.11 से दि. 04.10.12 के लिए कराया गया था जिसके अंतर्गत परिवादी को इलाज व्यय अनावेदक द्वारा प्रदान की जाना थी। परिवादी दिनंाक 22.08.12 को 9ःबजे अपनी मोटर साईकल से सावधानी पूर्वक जिला सेवा सहकारी बैक, (अपने कार्यालय) सिकोसा से कार्य कर अपने घर आ रहा था कि अर्जुन्दा-राजनांदगांव पहुंच मार्ग पर धर्म कांटा अर्जुन्दा के पास रोड के बीचों बीच बिना सिग्नल दिए वाहन स्वराज माजदा ट्रक क्र सी.जी.07/सी/3108 के चालक द्वारा अने वाहन कोरो कर खड़ा कर दिया गया, जिसके कारण आवेदक अधिक अंधेरा होने तथा उपरोक्त वाहन का इंडिकेटर बंद होनें के कारण वाहन मेटाडोर ट्रक से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसके फलस्वरूप आवेदक को गंभीर चोटें आई तथा आवेदक का अधिक रक्तस्त्राव हो जाने के कारण स्थानीय लोगों की मदद से परिवादी को प्राथमिक उपचार हेतु राजनांदगांव हाॅस्पिटल ले जाया गया परंतु परिवादी की हालत गंभीर होनें के कारण उसे तत्काल स्वराज हास्पिटल भिलाई में भर्ती किया गया तथा परिवादी का आपरेशन कर उसका ईलाज किया गया, आवेदक का ईलाज आज भी जारी है तथा वह समय-समय पर अस्पताल आता जाता रहता है। दुर्धटना की सूचना थाना -अर्जुन्दा बालोद में दर्ज कराई गई व आवेदक के द्वारा तत्काल अपनें बैंक के माध्यम से अनावेदक को सूचना प्रेषित की गई तथा क्लेम फार्म भरकर दस्तावेज संलग्न कर आवेदक बैंक के माध्यम से जमा किया गया। अनावेदक के द्वारा सर्वे के उपरांत दि.31.01.13 को परिवादी का दावा निरस्त कर दिया गया। आवेदक के द्वारा अब तक अपनें ईलाज में 1,00,000रू का व्यय किया जा चुका है, जिसे बीमा के अनुसार अनावेदक द्वारा अदा किया जाना था जिसे न अदा कर अनावेदक के द्वारा सेवा में कमी की गई जिसके लिए परिवादी को अनावेदक से इलाज व्यय की राशि 1,00,000रू मय उचित आर्थिक, मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु उचित अनुतोष दिलाए जानें हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदक द्वारा परिवादी का बीमा जे.पी.ए बीमा पाॅलिसी अंतर्गत पाॅलिसी क्र 192500/48/2012/868 अवधि दिनांक 05.10.11से दि 04.10.12के लिए किया गया था।अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक के दावे का बीमा पाॅलिसी को ध्यान में रखते हुए उचित निराकरण किया गया है तथ बीमा पाॅलिसी के नियम एवं अपवर्जनाआंे के अनुसार आवेदक का दावा भुगतान योग्य न होने ंसे आवेदक को दावा राशि का भुगतान नहीं किया गया है एवं उसके दावे को दि 31.01.13 को निरस्त किया गया है। उक्त दुर्घटना आवेदक की स्वयं की लापरवाही के कारण खड़े वाहन से स्वयं टकरा जाने के कारण घटित हुई थी, घटना के समय वाहन मोर सायकल चलाने हेतु कोई चालन अनुज्ञप्ति परिवादी के पास नहीं थी, जो कि मोटर यान अधिनियम के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है तथा बीमा पाॅलिसी में वर्णित अपवर्जन कंडिका 5(ई) के अंतर्गत आवरित नहीं है एवं आवेदक नें संबंधित वाहन स्वराज माजदा के चालक एवं बीमाकर्ता के विरूद्ध क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करनंे हेतु दावा अधिकरण के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है, ऐसी स्थिती में इसी दुर्घटना हेतु आवेदक के द्वारा पुनः प्रस्तुत आवेदन पोषणीय नहीं है अतः खारिज किया जावे। आवेदक अनावेदक से किसी प्रकार के अनुतोष को प्राप्त करने की पात्रता नहीं रखता है अतः अनावेदक के विरूद्ध संस्थित यह परिवाद निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से जे.पी.ए बीमा पाॅलिसी अंतर्गत देय 1,00,000रू की राशि प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में उचित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) परिवादी का तर्क है कि घटना के समय परिवादी खड़ी ट्रक में अंधेरा होनें के कारण और उक्त ट्रक का इंटीकेटर बंद होनें के कारण परिवादी उक्त वाहन से टकरा गया जिससे उसे गंभीर चोटें आई तथा उसके नाक, कान, कमर के विभिन्न हिस्सों में गंभीर चोटें आई परिवादी के बाऐं पैर में फ्रैक्चर हो गया जो छः टुकडे़ हो गया, मुंह में छेद हो गया, 4 दांत टूट गए, जबडे़ में गंभीर चोटे आयी, तथा सिर में गंभीर चोटें आई, चेहरा विकृत हो गया, तथा सीनें में गंभीर चोटें आई तथा आथ फै्रक्चर हो गया उक्त दुर्घटना के कारण परिवादी का शरीर क्षतिग्रस्त हो गया एवं अधिक खून बह गया तथा आर पास के लोगों की मदद से आवेदक को प्राथमिक उपचार हेतु राजनांदगांव हाॅस्पिटल ले गए और वहां पर आवेदक की हालत गंभरी होनें के कारण उसे तत्काल स्वराज हाॅस्पिटल, भिलाई में भर्ती कराया गया, जहां पर आवेदक का आॅपरेशन कर ईलाज किया गया, तथा आज भी आवेदक अपंगता की श्रेणी में अपना जीवन यापन कर रहा है।
(8) अनावेदक का कथन है कि घटना के समय परिवदी के पास ड्राईविंग लायसेंस नहीं था तथा बीमा पाॅलिसी की शर्त अपवर्जन कंडिका क्र.5 के अनुसार परिवादी बीमा दावा राशि प्राप्त करनें का अधिकारी नहीं है। परिवादी के द्वारा ऐसा कोई ंदस्तावेज, अपंगता प्रमाण पत्र सक्षम चिकित्ससालय द्वारा जारी किया हुआ प्रस्तुत नहंी किया गया है। जिसके आधार पर यह निष्कर्षित किया जा सके कि परिवादी को एनेक्सर डी.1बीमा पाॅलिसी की शर्तों के मुताबिक शारीरिक क्षति हुई थी। एनेक्सर डी.1 की पाॅलिसी में शारीरिक क्षति के सबंध में संपूर्ण विवरण दिया गया हैं जिसके संबंध में परिवादी नें कोई चिकित्सकीय प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है फलस्वरूप हम अनावेदक का यह बचाव कि परिवादी नें अपंगता संबंधी अभिकथित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है स्वीकार योग्य पाते है।
(9) परिवादी के द्वारा अभिकथित वाहन को चलाए जानें हेतु स्वयं का ड्राईविंग लाईसेंस प्रस्तुत नहीं किया है जिससे यह सिद्ध होता है कि घटना के समय परिवादी के पास वैध लाईसेंस नहीं था। परिवादी से समुचित साक्ष्य द्वारा यह भी सिद्ध नहीं किया है कि उसे ईलाज में 1,00,000रू किस प्रकार खर्च हुआ जबकि अनावेदक का तर्क है कि 1,00,000रू की राशि केवल मृत्यु की स्थिती में ही देय होती है।
() चंूकि परिवादी द्वारा समुचित साक्ष्य शारीरिक अपंगता के संबंध में प्रस्तुत नहंी की गई है अतः अनावेदक द्वारा बीमादावा स्वीकार योग्य नहीं पाया तो उसे सेवा मे कमी नहीं माना जा सकता है, फलस्वरूप हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करनें का कोई समुचित आधार नहीं पाते है और खारिज करते है।
(10) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।