Chhattisgarh

Durg

CC/283/2013

Suresh Kumar Humne - Complainant(s)

Versus

Manager, The Oriental Insurance Co. Ltd. - Opp.Party(s)

Shri Prashant Sinha

19 Mar 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM, DURG (C.G.)
FINAL ORDER
 
Complaint Case No. CC/283/2013
 
1. Suresh Kumar Humne
Dallirajhara
Balod
c.g.
...........Complainant(s)
Versus
1. Manager, The Oriental Insurance Co. Ltd.
durg
durg
c.g.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. MAITREYI MATHUR PRESIDENT
 HON'BLE MRS. SHUBHA SINGH MEMBER
 
For the Complainant:Shri Prashant Sinha, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

                                                   प्रकरण क्र.सी.सी./13/283

                                                                                                   प्रस्तुती दिनाँक 22.11.2013

सुरेश कुमार हुमने, आ. स्व चैतराम हुमने, उम्र 39 वर्ष, निवासी- पंचशील मेडिकल, मेनरोड सुभाष चैक, दल्लीराजहरा, बालोद (छ.ग.)    

                                                                                                - - - -            परिवादी

विरूद्ध

1.             प्रबंधक, दि. ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, राजेंद्र पार्क चैक, जी.ई.रोड, तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.) मुख्य कार्यालय-डी.ए.बी., 310 तृतीय तल कारपोरेट पार्क ए.आर.जी. बिल्डिंग गोपाल बाड़ी, अजमेर पुलिया के पास, जयपुर 302003

2.             प्रबंधक, टयूलिप ग्लोबल प्रायवेट लिमि. द्वारा प्रबंधक, आफिस 305, तृतीय तल, जयपुर टावर, अपोजिट आल इंडिया रेडियो एम.आई.रोड, जयपुर, राजस्थान-302001                                                                                    - - - -      अनावेदकगण

आदेश

आज दिनाँक 19 मार्च 2015 को पारित

श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष

                                परिवादी द्वारा अनावेदकगण से नागरिक सुरक्षा पाॅलिसी के तहत दुर्घटना पश्चात् ईलाज में हुए खर्च की राशि 39,070रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 5,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।            

परिवाद-

                                (2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अनावेदक क्र.2 टुलिप क्लोबल प्राय.लिमि. के माध्यम से अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी की नागरिक सुरक्षा पाॅलिसी लिया था।  बीमावधि के दौरान दि.28.11.2011 को दल्लीराजहरा-भानपुर रोड पर स्पीड ब्रेकर में मोटर सायकल से परिवादी के फिसलने से दोनों हाथ फ्रेक्चर हो जाने पर सुराज हाॅस्पिटल, नेहरू नगर, भिलाई में भर्ती हुआ, जहां परिवादी दि.28.11.2011 से 02.12.2011 तक भर्ती रहा, उक्त इलाज में कुल 39,070रू. खर्च हुए।  परिवादी ने दि.06.04.2012 को अनावेदक बीमा कपंनी क्लेम फार्म भेजा गया तथा अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दि.02.05.2012 को इलाज के मूल दस्तावेज की मांग की, जिसे परिवादी ने तत्काल भेज दिया, जिसपर अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दि.29.06.2012 को परिवादी को पत्र भेजकर परिवादी का क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया कि बीमा कंपनी को तत्काल सूचना नहीं दी गई थी। इस प्रकार परिवादी के द्वारा अनावेदक को अधिवक्ता के माध्यम से दि.31.07.2013 को नोटिस भेजने के बावजूद भी अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा बीमा दावा राशि भुगतान परिवादी को न कर सेवा में कमी एवं व्यवसायिक दुराचरण किया गया है। अतः परिवादी को अनावेदकगण से नागरिक सुरक्षा पाॅलिसी के तहत दुर्घटना पश्चात् ईलाज में हुए खर्च की राशि 39,070रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 5,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।

जवाबदावाः-

                                (3) अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी के द्वारा दिनंाक 06.04.12 को दुर्घटना की जानकारी पहली बार बीमा कंपनी को दी थी, तब अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दिनंाक 02.05.12 का पत्र भेजकर दुर्घटना की सूचना देने एवं क्लेम फार्म जमा करने संबंधी अवधि की जानकारी दी थी तथा पत्र मे वर्णित दस्तावेजों की मांग मय क्लेम फार्म के साथ की थी तथा विलंब का उचित एवं पर्याप्त कारण बताने हेतु कहा था, परंतु परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विलंब से देने एवं क्लेम फार्म विलंब से जमा करने का कोई पर्याप्त एवं उचित कारण नहीं बताया, जिसके कारण अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के बीमा दावे को निरस्त किया गया। घटना दिनांक 28.11.11 की है जबकि परिवादी के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को दिनांक 06.04.12 को 4 माह के विलंब से सूचना दी गई थी, परिवादी के द्वारा यदि बीमा पाॅलिसी की शर्तो का कोई उल्लंघन न किया गया होता तो वह हास्पिटलाईजेशन सेक्शन के तहत बीमा राशि का 20 प्रतिशत अर्थात 20,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी होता। अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने के 14 दिनंाक के भीतर अस्पताल की रसीदे, बिलो, केशमेमो, एफ.आई.आर., आदि कोई हो दावा फार्म में सूचीबद्ध कागजातों सहित अंतिम दावा कंपनी के पालिसी जारीकर्ता कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।  बीमा पाॅलिसी के अनुसार दावे को अस्वीकार करने की तिथि से यदि 12 महीनो के भीतर किसी भी न्यायालय में दावा प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिती में दावे का परित्याग माना जावेगा एवं इस मुददे पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकेगी, ऐसी स्थिति में प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत आवेदन समयावधि बाधित है, तदनुसार परिवाद खारिज किए जाने योग्य है। परिवादी, अनावेदक से किसी प्रकार के अनुतोष को पाने की पात्रता नहीं रखता, अतः परिवादी का दावा सव्यय निरस्त किया जावे।

                                (4) अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदक क्र2 एक मार्केटिंग कंपनी है, जिसका मुख्य कार्य अपने उत्पाद को अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से विक्रय करना है। परिवादी ने टूलिप कंपनी से 3,200रू. राशि का उत्पाद क्रय किया था, इस प्रकार परिवादी एवं अनावेदक के मध्य व्यापारिक संबंध है।  अनावेदक क्र.2 अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को चार वर्ष की अवधि की व्यक्तिगत दुर्घटना पाॅलिसी, अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी से उपलब्ध करा दी थी, क्लेम राशि संबंधी अनावेदक क्र.1 बीमा कपंनी द्वारा पाॅलिसी की शर्तानुसार देय होगी, जिस हेतु अनावेदक क्र.2 परिवादी से कोई सुविधा शुल्क प्राप्त नहीं किया है, इसलिए परिवाद अनावेदक क्र.2 के विरूद्ध चलने योग्य नहीं है तथा उपरोक्त परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की परिधि में नहीं आता है।

                                (5) अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का भी प्रस्तुत है कि परिवादी, अनावेदक क्र.2 कंपनी का डिस्ट्रब्यूटर रहा है तथा परिवादी को नागरिक सुरक्षा पाॅलिसी उपलब्ध कराते समय ही परिवादी को अवगत करा दिया गया था कि दुर्घटनावश चोट कारित होने पर अस्पताल में हुई व्यय राशि के पुनर्भरण का दायित्व अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी का होगा, अनावेदक क्र.2 की कोई भूमिका नहीं होगी।  इस प्रकार यदि परिवादी के द्वारा अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी के समक्ष किसी प्रकार का दावा प्रस्तुत किया गया है तो उसकी जानकारी अनावेदक क्र.2 को नहीं है। इस प्रकार परिवादी, अनावेदक क्र.2 से किसी प्रकार के अनुतोष को पाने की पात्रता नहीं रखता।  परिवादी को माननीय न्यायालय की अधिकारिता में कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ और न ही अनावेदक क्र.2 का कार्यालय माननीय न्यायालय की अधिकारिता में स्थित है, जहां से पाॅलिसी जारी की गई है, वहीं पर परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है, ऐसी स्थिति में उपरोक्त परिवाद को सुनने एवं निर्णित करने की अधिकारिता माननीय न्यायालय को प्राप्त नहीं है। इस प्रकार प्रकरण में सुनवाई का क्षेत्राधिकार माननीय फोरम को प्राप्त न होने से परिवाद खारिज किये जाने योग्य है, अतः सव्यय निरस्त किया जावे।

                                (6) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-

1.             क्या परिवादी, अनावेदकगण से बीमा पाॅलिसी के इलाज में हुए खर्च की राशि 39,070रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है?                नहीं

2.             क्या परिवादी, अनावेदकगण से मानसिक परेशानी के एवज में 5,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है?               नहीं

3.             अन्य सहायता एवं वाद व्यय?           आदेशानुसार परिवाद खारिज

निष्कर्ष के आधार

                                (7) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है। 

फोरम का निष्कर्षः-

                                (8) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि अनावेदक का बचाव है कि परिवादी का दावा विलम्ब और दस्तावेज सही समय पर प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसी आधार पर बीमा कंपनी द्वारा खारिज किया गया है।  अनावेदक क्र.2 ने क्षेत्राधिकार के संबंध में आपत्ति की है कि बीमित व्यक्ति को अभिकथित पालिसी दुर्ग क्षेत्र से जारी नहीं हुई थी और न ही अनावेदकगण का कार्यालय दुर्ग क्षेत्राधिकार में है।

(9) अनावेदक क्र.2 का पता जयपुर (राजस्थान) का, जिसने बीमा हेतु परिवादी से कोई शुल्क या करार नहीं किया है, बल्कि बीमा कपंनी अनावेदक क्र.1 है, जिसका पता भी परिवादी ने जयपुर का दिया है, अनावेदक क्र.2 ने परिवादी को केवल डिस्ट्रीब्यूटर्स नियुक्त किया, जिसके तहत अनावेदक क्र.1 द्वारा एक नागरिक सुरक्षा पाॅलिसी उपलब्ध करायी गई है, जब अनावेदक क्र.2 का पता जयपुर का है और जयपुर कार्यालय से परिवादी को बीमा संबंधी सुविधा दी गई है तब परिवादी को यह परिवाद प्रस्तुत करने हेतु उचित क्षेत्राधिकार में दावा प्रस्तुत करना था। एनेक्चर डी.1 से भी यही उल्लेख होता है कि बीमा कंपनी का पता जयपुर (राजस्थान) उल्लेखित है, परिवादी को एनेक्चर डी.1 पाॅलिसी की कापी भी जयपुर कार्यालय से जारी हुई है, फलस्वरूप परिवादी का दावा क्षेत्राधिकार के बाहर प्रस्तुत होना सिद्ध होता है।

(10) उपरोक्त स्थिति में हम अनावेदक क्र.2 की क्षेत्राधिकार संबंधी आपत्ति को स्वीकार करते हैं और यह निष्कर्षित करते हैं कि इस फोरम को वाद सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, फलस्वरूप हम परिवादी का परिवाद स्वीकार करने का समुचित आधार नहीं पाते है, अतः परिवाद खारिज करते हैं।

(11) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

 
 
[HON'BLE MRS. MAITREYI MATHUR]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. SHUBHA SINGH]
MEMBER

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