Uttar Pradesh

Kanpur Dehat

CC/13/2021

Sonu Singh - Complainant(s)

Versus

Manager, The New India Insurance Company Ltd. Branch Office, Gumti No.-5, Kanpur Nagar - Opp.Party(s)

Rajaram Katiyar

15 May 2024

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात ।

अध्यासीन:-    श्री मुशीर अहमद अब्बासी..........................अध्यक्ष

            श्रीहरिश चन्द्र गौतम ...............................सदस्य

             सुश्री कुमकुम सिंह .........................महिला सदस्य

उपभोक्ता परिवाद संख्या :- 13/2021

 

परिवाद दाखिला तिथि :- 21.01.2021

निर्णय दिनांक:- 15.05.2024

(निर्णय श्री मुशीर अहमद अब्बासी, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)

 

सोनू सिंह उम्र लगभग 32 वर्ष पुत्र श्री चन्द्रभान सिंह निवासी मकान नंबर-775 रनियाँ परगना व तहसील अकबरपुर जिला कानपुर देहात ।                                                                                                                                                                                           ..........................परिवादी

बनाम

 

  1. प्रबन्धक दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय जगजीत कॉम्प्लेक्स जी0टी0रोड गुमटी नं0-5 कानपुर द्वारा मंडलीय कार्यालय दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स क0 लि0 15/60 ग्रीन हाउस सिविल लाइंस कानपुर महानगर ।
  2. प्रबन्धक एच0डी0एफ़0सी0बैंक लि0 कृष्णा टावर ग्रीन पार्क के पास सिविल लाइंस कानपुर नगर ।

                                                                                                                                                                           ....….............प्रतिवादीगण

निर्णय

 

     प्रस्तुत परिवाद परिवादी सोनू सिंह की ओर से सशपथ पत्र प्रतिवादी संख्या-1 के विरुद्ध इस आशय का संस्थित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड मंडलीय कार्यालय 15/60 सिविल लाइंस कानपुर नगर से मु0 23,39,515/- रुपया वाद दाखिला की तिथि से वास्तविक अदायगी तक मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाये जाने तथा वाद व्यय भी विपक्षी संख्या-1 से दिलाये जाने हेतु दिनांक 21.01.2021 को योजित किया गया ।

     संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी ग्राम रनियाँ, परगना व तहसील अकबरपुर जिला कानपुर देहात का मूल निवासी है तथा ट्रक चलवाकर अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करता है । प्रार्थी ने एक ट्रक संख्या यू0पी077 ए0एन1289 आइशर कंपनी कानपुर से खरीदा था जिसको आइशर कंपनी द्वारा ही उक्त ट्रक को विपक्षी संख्या-2 ने ही विपक्षी संख्या-1 से बीमित कराया था तथा फ़ाइनेंस कम्पनी का यह प्रावधान है कि जब तक सम्पूर्ण किश्तें अदा नहीं हो जाती तब तक फ़ाइनेंस कम्पनी ही अपने ट्रक का बीमा कराती रहती है और कथित दुर्घटना के समय प्रार्थी का उक्त ट्रक विधिवत विपक्षी संख्या-1 द्वारा बीमित था । प्रार्थी समय से फ़ाइनेंस कम्पनी विपक्षी संख्या-2 को प्रतिमाह किश्तें भुगतान करता रहा है । प्रार्थी का ट्रक चालक नीरज सिंह दिनांक 24.10.2019 को रनियाँ से रिफाइंड लादकर रायबरेली जा रहा था, समय करीब 03:55 बजे सुबह जब वह चकरपुर मंडी के सामने पहुंचा था तभी एक अज्ञात ट्रक चालक ने बिना कोई संकेत दिये गाड़ी को लापरवाही के साथ रोड पर खड़ा कर रखा था जिससे प्रार्थी के चालक से ट्रक संख्या उपरोक्त टकरा गयी जिससे मेरे ट्रक का चालक नीरज सिंह की मौके पर मृत्यु हो गयी तथा प्रार्थी का ट्रक बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया । प्रार्थी की गाड़ी विधिवत सुयोग्य चालक द्वारा संचालित की जा रही थी जिस पर कथित दुर्घटना के समय चालक के पास वैध एवं प्रभावी लाइसेंस था । प्रार्थी के पिता चन्द्रभान सिंह द्वारा दिनांक 30.10.2019 को थाना हाजा सचेण्डी कानपुर नगर में मुकदमा अपराध संख्या-447/2019 अंतर्गत धारा- 279, 304ए, 427 आई0पी0सी0 में दर्ज कराया गया । प्रार्थी का ट्रक चालक नीरज सिंह प्रार्थी का सगा भाई था, उसके क्रिया कर्म के बाद क्षतिपूर्ति क्लेम संख्या-19/0782 फ़ाइल संख्या-4829 विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी के कार्यालय में दाखिल किया जिस पर नियमानुसार प्रार्थी के ट्रक को आइशर कंपनी किसान नगर में गाड़ी खड़ी कराकर सर्वे कराया गया और सर्वेयर के अनुसार गाड़ी को ठीक कराने का 8,99,514.96/- रुपया का कोटेशन दिया गया । सर्वे के पश्चात उक्त आइशर कंपनी किसान नगर में गाड़ी एक वर्ष तक खड़ी रही और आइशर कंपनी मालिक ने 500/- रु0 प्रतिदिन के हिसाब से चौकीदार शुल्क मांगने लगा जिससे प्रार्थी ने उक्त डेमिज गाड़ी को अपने घर के सामने खड़ा कर लिया और उक्त गाड़ी आज दिन तक खड़ी है । प्रार्थी के द्वारा बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या-1 से मौखिक रूप से कई बार कहा गया कि बीमा कम्पनी गाड़ी की मरम्मत कराये और जो मरम्मत का रुपया बीमा कम्पनी को अदा करने के बाद कटौती राशि प्रार्थी गाड़ी ठीक होने के बाद अदा करेगा लेकिन विपक्षी संख्या-1 ने कोई बात नहीं सुनी और प्रार्थी की गाड़ी उपरोक्त विपक्षी संख्या-1 द्वारा गाड़ी मरम्मत नहीं करायी गयी जबकि प्रार्थी की गाड़ी का काम्प्रेसिव बीमा था । प्रार्थी की गाड़ी मरम्मत न करने के कारण प्रार्थी का 4000/- रुपया प्रतिदिन के हिसाब से 1,20,000/- रुपया प्रतिमाह का नुकसान होता चला आ रहा है और गाड़ी खड़े हुये लगभग एक वर्ष हो गया है इसलिए 1,20,000/- रुपये के हिसाब से 14,40,000/- रुपये की हानि हुयी है और प्रार्थी बकाया किश्तों का भुगतान भी नहीं कर पाया है । विपक्षी संख्या-2 एच0डी0एफ़0सी0 फ़ाइनेंस कम्पनी बार-बार किश्तों के भुगतान की मांग कर रहा है, गाड़ी क्षतिग्रस्त होने के कारण विपक्षी संख्या-2 का पैसा अदा नहीं कर पा रहा है इसलिए विपक्षी संख्या-2 का रुपया अदा करने के दायित्व विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी का है । विपक्षी संख्या-1 ने अपनी सेवाओं में कमी करते हुये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का घोर उल्लंघन किया है । प्रार्थी का अब तक लगभग 23,39,514/- रुपये का नुकसान हुआ है जिसकी अदायगी के लिए विपक्षी संख्या-2 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड पर बनती है । परिवादी ने अपने अधिवक्ता राजाराम कटियार एडवोकेट द्वारा एक रजिस्टर्ड नोटिस दिनांक 05.01.2021 को विपक्षी संख्या-1 के पास जरिये रजिस्टर्ड डाक भेजी जिसका भी कोई जवाब विपक्षी संख्या-1 द्वारा आज तक नहीं दिया गया है । परिवादी का परिवाद प्रतिवादी संख्या-1 के विरुद्ध सव्यय स्वीकार किया जाये ।

     विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की ओर से जवाबदेही/ आपत्ति कागज संख्या-12/1 लगायत 12/10 दाखिल की गयी है । संक्षेप में, विपक्षी संख्या-1 ने अपनी जवाबदेही में अभिकथन किया है कि वाहन पंजीकृत प्रमाण पत्र व बीमा प्रपत्र के अनुसार प्रश्नगत वाहन पंजीयन संख्या यू0पी077 ए0एन0 1289 परिवादी वाहन स्वामी बीमा धारक है । परिवाद पत्र की धारा-5 के कथन में वाहन चालन अनुज्ञप्ति की वैधता एवं प्रभावी होने के कथन को स्वीकार किया है, शेष कथन को साबित करने का भार परिवादी पर है । परिवाद पत्र की धारा-6 के कथन जिस प्रकार से वर्णित हैं, कथित दुर्घटना की पुलिस में दर्ज प्राथमिकी स्वीकार है परंतु पुलिस को प्रेषित सूचना विलंब से देने के कारण वाहन स्वामी द्वारा पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन है । परिवाद पत्र की धारा-6 के कथन जिस प्रकार से वर्णित हैं, उत्तरदाता बीमा शाखा कार्यालय में बीमा दावा अति विलंब से दिनांक 30.10.2019 को प्रस्तुत होते ही बीमा कम्पनी द्वारा तत्काल सर्वेयर व अन्वेषक/ सर्वेएवं जांच सत्यापन हेतु नियुक्त किए गये सर्वेयर द्वारा सर्वप्रथम क्षतिग्रस्त वाहन का दिनांक 28.11.2019 को अविलंब सर्वे किया गया और सर्वे के उपरांत वाहन की अनुमानित क्षति “इस्टीमेट” 8,99,514/- रुपये उत्तरदाता बीमा कम्पनी में प्रस्तुत हुआ । परिवाद पत्र की धारा-8 के कथन को अस्वीकार किया है, वाहन स्वामी को वाहन सर्वे होने व अनुमानित क्षति “इस्टीमेट” बन जाने की जानकारी थी तो उसे अपने वाहन की मरम्मत उसी समय प्रारम्भ कराना चाहिये था किसकी अनुमति व रोक से वाहन स्वामी ने वाहन की मरम्म्त नहीं करायी तथा वाहन को क्षतिग्रस्त अवस्था में कथित घर में या गैरेज में खड़ा रखा । विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपनी जवाबदेही के प्रस्तर-9 लगायत 14 में परिवादी पत्र की धारा-9, 10, 11, 12, 13 व 14 के कथनों को झूठा बताते हुये अस्वीकार किया है तथा परिवादी पत्र की धारा-15 व 16 के सम्बन्ध में जवाब की कोई आवश्यकता नहीं है, कथन किया है । विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपनी जवाबदेही के अतिरिक्त कथन में यह अभिकथन किया है कि विपक्षी संख्या-1 के द्वारा प्रश्नगत वाहन का बीमा पॉलिसी संख्या- 42010331190100006529 बीमा अवधि 17.10.2019 से 16.10.2020 जो उक्त वाहन संचालन के समय तृतीय पक्ष को होने वाली क्षति या वाहन की दुर्घटना की वजह से वाहन के क्षतिग्रस्त हुये ऑटोपार्ट्स की रिपेरिंग या बदलने की क्षतिपूर्ति हेतु जारी की गयी है । परिवादी द्वारा वाहन संख्या यू.पी.-77 ए.एन.1289 कथित दुर्घटना दिनांक 24.10.2019 रात्रि 3:55 बजे उक्त वाहन क्षतिग्रस्त होने की सूचना दिनांक 30.10.2019 को जे0एम0डी0 इंश्योरेंस सर्वेयर द्वारा स्वाट सर्वे कराया जाना बीमा कम्पनी शाखा कार्यालय से वाहन की क्षति सर्वे किए जाने हेतु एवं दावा अन्वेषण जांच हेतु भी सर्वेयर व अनुदेशक नियुक्त किये गये उपरोक्त वाहन का सर्वे के दौरान श्री व्व्हीकल्स प्रा0 लि0 के द्वारा अनुमानित व्यय रुपया 8,99,514/- सर्वेयर को प्राप्त हुआ । सर्वेयर की आख्या के अनुसार यदि वाहन की मरम्मत करायी जाती तो मरम्मत व्यय के बिल भुगतान पत्रक प्रस्तुत होने वाले बिलों एवं सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति रुपया 3,84,760/- दावा की अन्य औपचारिकताएँ वाहन स्वामी द्वारा पूर्ण होने पर उक्त क्षतिपूर्ति धनराशि रुपया 3,84,760/- रुपये भुगतान हेतु बीमा कम्पनी द्वारा विचारण किया जाता परंतु वाहन स्वामी ने वाहन की मरम्मत ही नहीं करायी, वाहन को अकारण जानबूझकर अचल अवस्था में खड़ा रखा इसलिए उत्तरदाता बीमा कम्पनी परिणामी क्षति अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं है । सर्वेयर द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 03.12.2019 व 18.12.2019 के द्वारा बीमा कम्पनी को ज्ञात हुआ कि वाहन स्वामी ने प्रश्नगत वाहन की मरम्मत नहीं करायी । दावा निस्तारण के पूर्व उत्तरदाता बीमा कम्पनी द्वारा प्रथम अनुस्मारक दिनांकित 18.01.2020 व अंतिम अनुस्मारक दिनांकित 17.02.2020 पंजीकृत डाक से परिवादी को प्रेषित किये गये, अनुस्मारकों की अवधि समाप्त हो जाने पर दावा अधिक समय तक बीमा कम्पनी में लम्बित नहीं रखा जा सकता नियमानुसार दावा फ़ाइल नो क्लेम करके बंद की गयी । वाहन स्वामी के द्वारा कथित दुर्घटना दिनांक 24.10.2019 की सूचना घटना से लगभग 33 दिन पश्चात दिनांक 27.11.2019 को बीमा कम्पनी को प्रस्तुत करना पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन एवं वाहन स्वामी की घोर उपेक्षा का परिणाम है। परिवादी स्वच्छ हाथों से सही तथ्यों पर आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुआ है अतः परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है ।

     विपक्षी संख्या-2 प्रबन्धक एच0डी0एफ़0सी0 बैंक लि0, की ओर से जवाबदेही/ आपत्ति कागज संख्या-15/01 लगायत 15/8 मय शपथपत्र कागज संख्या-16/01 व 16/02 दाखिल की गयी है । संक्षेप में, विपक्षी संख्या-2 ने अपनी जवाबदेही में मुख्यतः अभिकथन किया है कि परिवाद पत्र से संबन्धित वाहन जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या यू.पी.-77 ए.एन.1289 को वाणिज्यिक उपयोग में लाया जा रहा है, इस आधार पर परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, धारा 2(7)(1) के तहत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, इस आधार पर परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है । विपक्षी संख्या-2 ने अपनी जवाबदेही में प्रस्तरवार जवाब देते हुये परिवाद पत्र की धारा-1 व 2 को असत्य बताते हुये अस्वीकार किया है तथा परिवाद पत्र की धारा-3 को भ्रामक बताते हुये उसे साबित करने का भार परिवादी पर होना कहा है । इसी प्रकार परिवाद पत्र की धारा-4 व 5 के कथनों को अस्वीकार किया है तथा धारा-6 व 7 के कथन को साबित करने का भार परिवादी पर होना कहा है । परिवाद पत्र की धारा-8 के कथन को अस्वीकार किया है तथा धारा-9 का सम्बन्ध बीमा कम्पनी से होने के कारण उसे साबित करने की आवश्यकता नहीं होना कहा है । इसी प्रकार परिवाद पत्र की धारा-10 व 11 के कथनों को अस्वीकार करते हुये उसे साबित करने का भार परिवादी पर होना कहा है तथा धारा-12 का सम्बन्ध विपक्षी संख्या-1 से होने के कारण उसके उत्तर की आवश्यकता नहीं है एवं धारा-13 को अस्वीकार किया है तथा धारा-14 का सम्बन्ध विपक्षी संख्या-1 से होने के कारण उसके उत्तर की आवश्यकता नहीं है । विपक्षी संख्या-2 ने जवाबदेही के अतिरिक्त कथन में यह अभिकथन किया है कि माह अक्तूबर 2016 में परिवादी ने “वाणिज्यिक वाहन” खरीदने हेतु ऋण हेतु आवेदन किया था। ऋण इकरारनामें की शर्तों के अनुसार वाणिज्यिक वाहन ऋण की अदायगी परिवादी पर आयद है । परिवादी व विपक्षी बैंक के मध्य वाणिज्यिक वाहन सम्बन्धी एक इकरारनामा दिनांक 05.10.2016 को निष्पादित हुआ । वाणिज्यिक वाहन, विपक्षी बैंक के पास “Secured Assset” के रूप में बन्धक संपत्ति है । परिवादी वित्तीय मदद की अदायगी ऋण इकरारनामें में वर्णित सारणी के अनुसार 47 मासिक किश्तों में मु0 25,495/- के हिसाब से अदा करना थी । विपक्षी संख्या-2 वित्तीय सहायता प्रदान करने का कार्य करती है न कि वाहन को बीमित करने का कार्य करती है । वाणिज्यिक वाहन की किश्तों का भुगतान ऋण इकरारनामें में वर्णित शर्तों के अनुसार नहीं किया गया, फलस्वरूप विपक्षी बैंक ने परिवादी के उपरोक्त ऋण खाता 42708579 लेखा जोखा विवरणी से स्पष्ट है कि परिवादी पर उपरोक्त ऋण खाते से संबन्धित दिनांक 17.02.2021 तक मु0 3,78,815/- रुपया बकाया है । इकरारनामें में वर्णित आर्बिट्रेशन क्लाज में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी विवाद की स्थिति में मामले का निस्तारण मध्यस्थम एवं समझौता अधिनियम 1996 में निहित प्रावधानों के तहत किया जायेगा । परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्य है ।

     परिवादी ने वाद-पत्र के समर्थन में दस्तावेजों की सूंची कागज संख्या-5 से Shri Vehicles Pvt. Limited द्वारा परिवादी सोनू सिंह के नाम जारी वाहन का Service/ Repair Estimate दिनांकित 22.11.2019 की छायाप्रति कागज संख्या-6/1 व 6/2, वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज संख्या-6/3, परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी माल यान परमिट की छायाप्रति कागज संख्या-6/4, सर्टिफिकेट ऑफ फिटनेस की छायाप्रति कागज संख्या-6/5, बीमा सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति कागज संख्या-6/6, Collection Receipt Cum Adjustment Voucher की छायाप्रति कागज संख्या-6/7, वाहन बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज संख्या-6/8, परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी Tax receipt की छायाप्रति कागज संख्या-6/9, प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज संख्या-6/10, एफ़0आई0आर0 की छायाप्रति कागज संख्या-6/11 लगायत 6/15, रजिस्ट्री रसीद की छायाप्रति कागज संख्या-6/16, परिवादी सोनू सिंह द्वारा प्रबन्धक दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड कानपुर नगर को प्रेषित पत्र दिनांकित 23.05.2020 की छायाप्रति कागज संख्या-6/17, परिवादी अधिवक्ता श्री आर0आर0 कटियार द्वारा विपक्षीगण को प्रेषित रजिस्टर्ड नोटिस की छायाप्रति कागज संख्या-6/18 व 6/19 मय मूल रजिस्ट्री रसीद कागज संख्या-6/20 व परिवादी सोनू सिंह के आधार कार्ड की छायाप्रति कागज संख्या-6/21 साक्ष्य में दाखिल किया हैं ।

     परिवादी द्वारा दस्तावेजों की सूंची दिनांकित 06.10.2022 से मृतक नीरज सिंह की Body Disposal Slip की छायाप्रति व दाह संस्कार प्रमाण पत्र मृतक नीरज सिंह सेंगर, दिनांकित 24.10.2019 की छायाप्रति साक्ष्य में दाखिल किया हैं । परिवादी द्वारा एक अन्य दस्तावेजों की सूंची दिनांकित 07.12.2022 से मृतक नीरज सिंह के पंचायतनामा की छायाप्रति व जी.डी. विवरण थाना स्वरूप नगर कानपुर नगर दिनांकित 24.10.2019 की छायाप्रति, जी.डी. विवरण थाना सचेण्डी कानपुर देहात दिनांकित 24.10.2019 की छायाप्रति, शव विच्छेदन संबंधी प्रपत्र, नमूना सील, फोटो लाश, चालान शव विच्छेदन हेतु प्रपत्र की छायाप्रति व पोस्टमार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति साक्ष्य में दाखिल किया है । इसके अतिरिक्त परिवादी अधिवक्ता द्वारा एक अन्य दस्तावेजों की सूंची दिनांकित 03.01.2023 से आयुक्त कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम द्वारा वाद संख्या-276/2019 में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 10.12.2020 की छायाप्रति दाखिल की गयी है ।

     विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड ने अपनी जवाबदेही के समर्थन में दस्तावेजों की सूंची से परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 18.01.2020 व 17.02.2020 की छायाप्रति, विपक्षी अधिवक्ता श्री आर0 नाथ मिश्रा द्वारा परिवादी अधिवक्ता को प्रेषित पत्र दिनांकित 18.01.2021 की छायाप्रति, वाहन बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति, हानि/ दुर्घटना सूचना पत्र की छायाप्रति, सर्वेयर जी0बी0एस0 खन्डूजा द्वारा प्रेषित रिपोर्ट (5 पेज) दिनांकित 14.01.2020 की छायाप्रति, सर्वेयर जी0बी0एस0 खन्डूजा द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 03.12.2019 व 18.12.2019 की छायाप्रतियां साक्ष्य में दाखिल किया है ।

     विपक्षी संख्या-2 द्वारा अपनी जवाबदेही के साथ दस्तावेजों की सूंची से Loan Application Form की छायाप्रति कागज संख्या-18/1 लगायत 18/3, Agreement for Loan and Guarantee सम्बन्धी प्रपत्रों की छायाप्रतियां कागज संख्या-18/4 लगायत 18/19, Agreement Schedule Form की छायाप्रति कागज संख्या-18/20, Statement of Account की छायाप्रति कागज संख्या-18/21 लगायत 18/26 व HDFC बैंक द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 17.02.2021 की छायाप्रति कागज संख्या-18/27 साक्ष्य में दाखिल किया है ।

     परिवादी की ओर से परिवाद पत्र में वर्णित कथनों के समर्थन में स्वयं परिवादी सोनू सिंह का साक्ष्य शपथपत्र कागज संख्या-20/1 लगायत 20/4 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।

     विपक्षी संख्या-1 की ओर से देवेन्द्र सिंह, वरिष्ठ मंडलीय प्रबन्धक, दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, मंडलीय कार्यालय प्रथम सर्वोदय नगर, कानपुर नगर द्वारा साक्ष्य शपथपत्र कागज संख्या-23/1 लगायत 23/10 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।

     विपक्षी संख्या-2 की ओर से हरीश चन्द्र, पुत्र स्व0 राकेश चन्द्र, प्रबन्धक विधि/ अधिकृत अधिकारी एच0डी0एफ़0सी0 बैंक लि0, कृष्णा टावर सिविल लाइंस कानपुर नगर, द्वारा साक्ष्य शपथपत्र कागज संख्या-19/1 लगायत 19/8 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।

     परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित बहस पत्रावली पर दाखिल की गयी ।

     विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित बहस पत्रावली पर दाखिल की गयी । लिखित बहस के साथ विपक्षी संख्या-2 द्वारा विधि व्यवस्थाओं को दाखिल किया गया ।

     विपक्षी संख्या-2 एच0डी0एफ़0सी0 बैंक लि0 की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा लिखित बहस पत्रावली पर दाखिल की गयी ।

     मैंने उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की मौखिक बहस सुनी तथा लिखित बहस का अवलोकन किया ।

     पत्रावली के परिशीलन से विदित है कि परिवादी सोनू सिंह ने ट्रक संख्या- UP77 AN 1289 आइशर कंपनी कानपुर से खरीदा था । उक्त ट्रक को विपक्षी संख्या-2 एच0डी0एफ़0सी0 बैंक ने ही विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से बीमित कराया था । परिवादी का उक्त ट्रक दिनांक 24.10.2019 रनियाँ से रिफाइंड लादकर रायबरेली जा रहा था, 03:00 बजे सुबह चकरपुर मंडी के पास पहुंचा तभी एक अज्ञात ट्रक चालक ने बिना कोई संकेत दिये गाड़ी को लापरवाही के साथ रोड पर खड़ा कर रखा था जिससे परिवादी का उपरोक्त ट्रक उस अज्ञात ट्रक से टकरा गया और ट्रक चालक नीरज सिंह की मौके पर ही मृत्यु हो गयी । इसके सम्बन्ध में दिनांक 30.10.2019 को थाना सचेण्डी कानपुर नगर में मुकदमा अपराध संख्या-447/2019 अंतर्गत धारा- 279, 304ए, 427 आई0पी0सी0 में दर्ज कराया गया । ट्रक का चालक नीरज सिंह परिवादी का सगा भाई था । विपक्षी संख्या-2 एच0डी0एफ़0सी0 फ़ाइनेंस कम्पनी बार-बार किश्तों के भुगतान की मांग कर रही है, गाड़ी क्षतिग्रस्त होने के कारण परिवादी, विपक्षी संख्या-2 फाइनेन्स कंपनी का पैसा अदा नहीं कर पा रहा है । विपक्षी संख्या-2 का रुपया अदा करने के दायित्व विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी का है । अतः विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी द्वारा सेवाओं में कमी का उल्लेख करते हुये परिवाद प्रस्तुत किया गया है और विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी से मु0 23,39,515/- रुपया सव्यय दिलाये जाने की माँग की है ।

     प्रस्तुत मामले में विपक्षी संख्या-2 एच0डी0एफ़0सी0 बैंक का तर्क यह है कि परिवाद पत्र से सम्बन्धित वाहन जिसका जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या यू.पी.-77 ए.एन.1289 है, को वाणिज्यिक उपयोग में लाया जा रहा है । इस कारण परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, की धारा 2(7)(1) के अन्तर्गत पोषणीय नहीं है क्योंकि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, जैसा कि The Consumer Protection Act, 2019 की धारा-2(7)(I) में निम्न प्रकार से परिभाषित किया है कि –    

     “Consumer means any person who-

     “Buys any goods for a consideration which has been paid or promised or partly paid and partly promised, or under any system of deferred payment and includes any user of such goods other than the person who buys such goods for consideration paid or promised or partly paid or partly promised, or under any system of deferred payment, when such use is made with the approval of such person, but does not include a person who obtains such goods for resale or for any commercial purpose”.

     परिवादी को दिनांक 05.10.2016 को वाणिज्यिक वाहन क्रय करने हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गयी । वाणिज्यिक वाहन को खरीदने के उपरान्त उसका पंजीयन ए0आर0टी0ओ0 कानपुर देहात के यहाँ कराया गया था, जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या यू.पी.-77 ए.एन.1289 है । परिवादी को दी गयी वित्तीय सहायता को 47 मासिक किश्तों में अदा करना था जिसमें प्रत्येक मासिक किश्त मु0 25,495/- रुपये की थी । माह अक्टूबर 2016 में परिवादी ने विपक्षी बैंक से “वाणिज्यिक वाहन” खरीदने हेतु ऋण हेतु आवेदन किया था । ऋण इकरारनामा की शर्तों के अनुसार परिवादी द्वारा लिये गये वाणिज्यिक वाहन के ऋण की अदायगी का दायित्व वादी का है । विपक्षी बैंक ने परिवादी के वाणिज्यिक वाहन ऋण सम्बन्धी प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुये परिवादी व विपक्षी बैंक के मध्य एक इकरारनामा दिनांक 05.10.2016 को निष्पादित हुआ जिसमें परिवादी के हस्ताक्षर लिपिबद्ध हैं । इस प्रकार वाणिज्यिक वाहन के ऋण सम्बन्धी समस्त औपचारिकताओं को मूल रूप से विपक्षी बैंक ने परिवादी के ऋण खाता संख्या- 42708579 को खोलकर मु0 9,52,040/- रुपये की ऋण सुविधा आयशर प्रो0 1059 रजिस्ट्रेशन संख्या यू.पी.-77 ए.एन.1289 के तहत प्रदान की और उपरोक्त वाणिज्यिक वाहन आयशर प्रो0 परिवादी द्वारा ली गयी वित्तीय सुविधा के बिल एवज में विपक्षी बैंक के पास “Secured Asset” के रूप में उपरोक्त वाहन बन्धक संपत्ति है ।

     इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क यह भी है कि ऋण इकरारनामा में वर्णित आर्बिट्रैशन क्लाज में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी विवाद की स्थिति में मामले का निस्तारण Arbitration and Conciliation Act1996 में निहित प्रावधानों के तहत किया जायेगा । इस कारण प्रस्तुत परिवाद को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष दाखिल किये जाने का कोई विधिक औचित्य नहीं है ।

     परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया है कि विपक्षी बैंक की सेवाओं की कमी की वजह से आर्थिक तथा सामाजिक क्षति पहुंची है ।  अतः परिवादी का परिवाद सम्यक दृष्टि से उक्त आधार के प्रकाश में पोषणीय न होने कारण खरज होने योग्य है ।

     विपक्षी एच0डी0एफ़0सी0 बैंक की ओर से दस्तावेजों की सूची पत्र के साथ दस्तावेज दाखिल किये हैं जिसमें Commercial Loan Application Form, Copy of Loan Agreement, Copy of Commercial Vehicle Schedule, Statement of Account आदि प्रपत्र दाखिल किये हैं, जिससे विदित होता है कि प्रस्तुत मामला वाणिज्यिक वाहन से सम्बन्धित है ।

     परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद पत्र की धारा-1 में यह उल्लेख किया है कि “ट्रक चलवाकर अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करता है”। परिवादी ने उपरोक्त कथन वाणिज्यिक मामले को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष दाखिल करने के उद्देश्य से किया है ।

     इस सम्बन्ध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या- 11397/ 2016 Shrikant G Mantri बनाम पंजाब नैशनल बैंक के मामले में निर्णय पारित करते हुये निर्णय के पैरा-47 में स्पष्ट रूप से इस सम्बन्ध में व्याख्या की गयी है और यह निर्णीत किया है कि ऐसे मामले वाणिज्यिक मामले के रूप में आते हैं जैसा कि प्रस्तुत मामले में है;-

     “In the present case, the Commission has come to a finding that the appellant had opened an account with the respondent bank, took overdraft facility to expand his business profits, and subsequently from time to time the overdraft facility was enhanced so as to further expand his business and increase his profits. The relations between the appellant and the respondent is purely “business to business” relationship. As such, the transaction would clearly come within the ambit of ‘commercial purpose’. It cannot be said that the services were availed “exclusively for the purpose of earning his livelihood” “by means of self-employment”. If the interpretation as sought to be placed by the appellant is to be accepted, then the ‘business to business’ disputes would also have to be construed as consumer disputes, thereby defeating the very purpose of providing speedy and simple redressal to consumer disputes.

     इसके अतिरिक्त मान0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा First Appeal No. 489/ 2020, Standard Chartered Bank and ANR.  Versus  Mankumar Kundliya के मामले में निर्णीत किया गया है कि :-

     After holding that the Complainant is not a Consumer under the Act, we restrain from examining the tenability of the deductions made by the Appellants from the Account of the Complainant/ Respondent”.

     अतः विधिक दृष्टि से परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद, The Consumer Protection Act 2019 की धारा 2(7)(1) के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रातितोष आयोग के समक्ष पोषणीय नहीं है, परिवाद खारिज किये जाने योग्य है ।

आदेश

     परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध खारिज किया जाता है । पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें ।

 

( सुश्री कुमकुम सिंह )       ( हरिश चन्द्र गौतम )       ( मुशीर अहमद अब्बासी )

     म0 सदस्य                            सदस्य                               अध्यक्ष

 जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग       जिला उपभोक्ता आयोग

    कानपुर देहात                       कानपुर देहात                कानपुर देहात

 

प्रस्तुत निर्णय / आदेश हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले कक्ष में उद्घोषित किया गया ।

 

( सुश्री कुमकुम सिंह )       ( हरिश चन्द्र गौतम )        ( मुशीर अहमद अब्बासी )

     म0 सदस्य                           सदस्य                                 अध्यक्ष

 जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग       जिला उपभोक्ता आयोग

    कानपुर देहात                   कानपुर देहात                       कानपुर देहात

दिनांक:- 15.05.2024

 

 

 

 

    

 

 

         

      

 

 

 

 

 

 

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