प्रकरण क्र.सी.सी./13/239
प्रस्तुती दिनाँक 23.09.2013
रायपुर पावर एण्ड स्टील लिमिटेड, द्वारा-लाईजीनिंग मैनेजर, सौरभ सेन गुप्ता आ. उत्तपल सेन गुप्ता, आयु-38 वर्ष, पता-प्लाट नं.75-76, इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर, बोरई, रसमड़ा, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, द्वारा-शाखा प्रबंधक, पता-स्टेशन रोड, पारख भवन, दुर्ग, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदक
आदेश
(आज दिनाँक 13 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से बीमा पालिसी के तहत क्षतिपूर्ति राशि 10,47,607रू. मय ब्याज, मानसिक पीड़ा, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण में स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी संस्था का अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा मरीन कार्गो स्पेशल डिक्लियरेसन पाॅलिसी दि.16.12.2010 से दि.15.12.2011 तक की अवधि के लिए किया गया था।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी जो कि स्पंज आयरन फैक्ट्री मे लाईजनिंग प्रबंधक के पद पर कार्यरत है के द्वारा निलेश स्टील एंड एलाईस प्रायवेट, जालना, महाराष्ट्र से आर्डर प्राप्त होने के पश्चात स्पंज आयरन को किराये के वाहन ट्रक क्र.सी.जी.07/ई/8368 में लोड कराकर जालना, महाराष्ट्र दि.14.08.2011 को भेजा था, उक्त माल की कीमत 10,47,607रू. थी तथा उक्त माल स्पंज आयरन अनावेदक बीमा कंपनी के पास बीमित था, जिसके लिए अनावेदक के द्वारा प्रीमियम राशि 44,122रू. आवेदक से प्राप्त की गई थी। दि.16.08.11 को बाघनदी, बुलार्ड पाम के पास वाहन जैसे ही पहुंचा तब वाहन में तकनीकी खराबी आ जाने के कारण वाहन नदी मे गिर गया, जिससे उक्त वाहन ट्रक में लोड संपूर्ण स्पंज आयरन पानी मे डूबने एवं बहने के कारण खराब हो गया। जिसकी सूचना थाना-मौजा पवनार, जिला-वर्धा, महाराष्ट्र में दर्ज कराई गई तथा बीमा कंपनी को सूचना प्रदान की गई। अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया, जिसके द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण किया गया। परिवादी द्वारा अनावेदक को संपूर्ण दस्तावेज सहित क्लेम आवेदन प्रस्तुत किया गया। अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा बीमा अवधि में बीमित माल वाहन के नदी में गिर जाने के कारण खराब होने के उपरांत भी अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा उक्त माल की राशि का भुगतान नहीं किया गया, तत्पश्चात परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से दि.24.08.2013 को अनावेदक को नोटिस भेजी गई, इसके बावजूद भी अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी को उसके क्षतिग्रस्त माल की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान न कर सेवा में कमी की जा रही है। अतः परिवादी को अनावेदक से बीमा पालिसी के तहत क्षतिपूर्ति राशि 10,47,607रू. मय ब्याज, मानसिक पीड़ा, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा मेसर्स रायपुर पाॅवर एण्ड स्टील लिमि. का मरीन कार्गो स्पेशल डिक्लियरेसन पाॅलिसी दि.16.10.2010 से 15.12.2011 तक की अवधि के लिए बीमा पालिसी नियम एवं शर्तो के अधीन बीमा किया गया था, जिसमे स्पंज आयन का पैकेजिंग ओपन ट्रक से कराने का उल्लेख है। परिवादी द्वारा स्पंज आयरन का ढुलाई वाहन ट्रक क्र.सी.जी.07/ई./8368 से कराया जा रहा था, उक्त ट्रक का लदान रहित वजन 8000 कि.ग्रा. तथा लदान सहित वजन 25,000 कि.ग्रा. है। उक्त वाहन का परमिट 17,000 कि.ग्रा. भार क्षमता के लिए जारी किया गया है। दुर्घटना दि.16.08.2011 को उक्त वाहन में इनवायस नं990 के जरिये 16.120 एम.टी. एवं इनवायस नं.991 के जरिये 24.000 एम.टी. कुल 40.120 एम.टी. स्पंज आयरन लोड कर ले जाया जा रहा था, जबकि वाहन ट्रक का आर.सी.बुक एवंपरमिट के तहत भार क्षमता 17,000 कि.ग्रा. है। इस प्रकार उक्त वाहन में क्षमता से अधिक माल का परिवहन किया जा रहा था, इसलिए दुर्घटना आवेदक की लापरवाही से घटित हुई थी, आवेदक के द्वारा ट्रक के लोडिंग क्षमता से अधिक माल भरकर परिवहन किया जा रहा था, जो मरीन बीमा पालिसी शर्त एवं मोटर यान अधिनियम उल्लंघन है, इसलिए बीमा कंपनी की क्षतिपूर्ति हेतु कोई दायित्व नहीं होने से आवेदक को क्षतिपूर्ति राशि भुगतान नहीं किया गया। आवेदक से दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने के पश्चात बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वे रिपोर्ट दि.20.8.2011 में भी यही बात बताई गई है कि ट्रक का भार क्षमता 17,000 कि.ग्रा था तथा उक्त ट्रक में 40,000 कि.ग्रा भार का स्पंज आयरन लदा हुआ था। आवेदक द्वारा बीमा कंपनी में दि.14.08.2011 को मरीन घोषणा पत्र में यह लिख कर दिया गया है कि वाहन ट्रक सी.जी.07/ई./8368 में 40.120 एम.टी. स्पंज आयरन लोड कर रसमड़ा से जालना भेजा गया है, जिसका बीमा मूल्य 10,47,607रू. है। इस प्रकार आवेदक के घोषणा पत्र तथा उसके द्वारा प्रस्तुत इनवायस एवं बिल्टी से स्पष्ट है कि उक्त वाहन में उसकी भार क्षमता 17,000 कि.ग्रा. से अधिक 40,000 कि.ग्रा. स्पंज आयरन लोड कर परिवहन किया जा रहा था, अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा मरीन बीमा पाॅलिसी शर्त एवं मोटर यान अधिनियम का उल्लंघन होने के कारण आवेदक को 10,47,607रू. का भुगातन नहीं किया गया है, अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को दि.25.03.2013 को पत्र भेजकर यह सूचित किया गया था। परिवादी द्वारा प्रेषित अधिवक्ता नोटिस का जवाब अनावेदक द्वारा दि.02.09.2013 को दिया गया। इस बीमा पाॅलिसी शर्त एवं मोटर यान अधिनियम का उल्लंघन होने के कारण अनावेदक बीमा कंपनी की क्षतिपूर्ति हेतु कोई देयता नही होने से परिवादी का दावा भुगतान योग्य नहीं है। इस प्रकार परिवादी अनावेदक से किसी प्रकार के अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नही है, अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से बीमित स्पंज आयरन की क्षतिपूर्ति राशि 10,47,607रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि एनेक्चर-12 अनुसार दि.02.08.2011 को परिवादी द्वारा मरीन कार्गो स्पेशल डिक्लियरेसन पाॅलिसी हेतु 44,122रू. प्रीमियम की राशि पटाई गई थी। मरीन घोषणा फार्म दि.14.8.2011, एनेक्चर-12 अनुसार अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा जारी हुई है, एनेक्चर-14 अनुसार दि.23.08.2011 को परिवादी द्वारा समस्त दस्तावेज भेजे गये हैं और घटना परिवादी के परिवाद पत्र अनुसार दि.16.08.2011 की है।
(8) अनावेदक ने मुख्य आधार यह लिया है कि उक्त वाहन का परमिट 17,000 किलोग्राम भार क्षमता के लिए लिया गया था, घटना के समय उक्त वाहन में अभिकथित दस्तावेजों के आधार पर 24,000 एम.टी. सहित कुल भार 40.12 एम.टी. स्पंज आयरन उक्त वाहन में लोड कर ले जाया जा रहा था, जबकि उक्त वाहन का आर.सी.बुक, परमिट के तहत भार क्षमता 17,000 कि.ग्रा. थी। इस प्रकार वाहन में क्षमता से अधिक माल का परिवहन किया जा रहा था, जिसके कारण दुर्घटना घटी, क्षमता से अधिक माल परिवहन किया जाना मरीन पाॅलिसी और मोटर यान अधिनियम का उल्लंघन है और इस प्रकार अनावेदक बीमा कंपनी ने बीमा दावा खारिज करने में कोई सेवा में निम्नता नहीं की है।
(9) वाहन में क्षमता से अधिक लदान लोड करना निश्चित रूप से बीमा पालिसी की शर्त का घोर उल्लंघन है, परिवादी ने कहीं भी सिद्ध नहीं किया है कि क्षमता से अधिक भार का लदान ट्रक में नहीं था, इन परिस्थितियों में हम यह पाते हें कि यदि अनावेदक बीमा कंपनी ने परिवादी का बीमा दावा खारिज किया तो उसमें किसी प्रकार की सेवा में निम्नता नहीं मानी जा सकती, यद्यपि अभिकथित स्पंज आयरन का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा उक्त स्पंज आयरन को फैक्ट्री से दूसरे फैक्ट्री पहुंचाने के लिए किया गया था, परंतु स्पंज आयरन समेत ट्रक का नदी में गिरने की स्थिति तब आई, जब वाहन में क्षमता से अधिक वजन का स्पंज आयरन भरा गया था। हम परिवादी के तर्क से सहमत नहीं है कि पुल छोटा होने के कारण दुर्घटना कारित हुई है।
(10) परिवादी का यह कर्तव्य था कि वह बीमा पालिसी की शर्त के अनुकूल ही कार्यवाही करता, हम परिवादी को इस तर्क का लाभ देना उचित नहीं पाते हैं कि सामान ले जाते समय अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से भी व्यक्ति उपस्थित थे। एनेक्चर-17 की सर्वे रिपोर्ट के अंतिम पृष्ठ पर स्पष्ट उल्लेख है कि वाहन की लोड क्षमता 17,000 कि.ग्राम थी, जबकि उसमें 40,000 कि.ग्राम लदान लोडेड था और अनावेदक बीमा कंपनी ने परिवादी द्वारा भेजी गई नोटिस का जवाब एनेक्चर डी.11 भी इसी आशय का दिया है। प्रकरण में अनावेदक की ओर से मण्डल प्रबंधक, मुकेश सवाई का शपथ पत्र संलग्न है।
(11) प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए हम अनावेदक द्वारा प्रस्तुत न्यायृष्टांत:-
1) 2013 एस.टी.पी.एल. (सी.एल.) 4472 (एन.सी.) देहली आसाम रोडवेज़ कापोरेशन लिमिटेड विरूद्ध यूनाईटेड इंडिया इंशोरेंस कंपनी लिमिटेड,
का लाभ अनावेदक बीमा कंपनी को देते हैं।
(12) उपरोक्त परिस्थितियों में हम यह निष्कर्षित करते हैं कि चूंकि वाहन में क्षमता से अधिक लोड भरा गया था, इस स्थिति में भरा गया लोड, बीमा शर्त के विरूद्ध, अधिक वजन का था, फलस्वरूप यदि अनावेदक बीमा कंपनी ने परिवादी का बीमा दावा खारिज किया है तो उसे सेवा में निम्नता नहीं माना जा सकता है, अतः दावा खारिज किया जाता है।
(13) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।