Uttar Pradesh

Mahoba

CC/47/2015

SHIVPRASAD - Complainant(s)

Versus

MANAGER SUNEEL SINGH MAX COM LTD. - Opp.Party(s)

G.L. PANDEY

01 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/47/2015
 
1. SHIVPRASAD
PTHA ROAD BHATIPURA MAHOBA
MAHOBA
UTTER PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. MANAGER SUNEEL SINGH MAX COM LTD.
MAHOBA
MAHOBA
UTTER PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV PRESIDENT
 HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI MEMBER
 HON'BLE MRS. NEELA MISHRA MEMBER
 
For the Complainant:G.L. PANDEY, Advocate
For the Opp. Party: NONE, Advocate
ORDER

 

समक्ष न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा

परिवाद सं0-47/2015                              उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्‍यक्ष,

                                                     डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी, सदस्‍य,

                                                        श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्‍य

शिवप्रसाद पुत्र श्री गोकुल प्रसाद निवासी-पठा रोड डिग्री कालेज के पास मुहाल-भटीपुरा महोबा  जिला-महोबा                                                           ....परिवादी                                          

                                   बनाम

प्रबंधक,सुनील सिंह मैक्‍स कोम होम लि0 नयापुरा नैकाना,महोबा तहसील व जिला-महोबा

                                                                     .....विपक्षी

निर्णय

श्री बाबूलाल यादव,अध्‍यक्ष द्वारा उदधोषित

      परिवादी शिवप्रसाद ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी प्रबंधक, सुनील सिंह मैक्‍स कोम होम लि0 नयापुरा नैकाना,महोबा तहसील व जिला-महोबा बाबत दिलाये जाने बांड क्रमश: 001एल00000237 लगायत 0001एल00000246 दिनांक:21.01.2013 धनराशि 5,00,000/- रू0 व इस पर देय धनराशि दिलाये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया है ।

      संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के यहां से दिनांक 21.01.2013 50,000/- 50,000/- रू0 के 10 बांड खरीदे । इन बांड के भुगतान का समय 6 वर्ष था । विपक्षी द्वारा परिवादी से यह भी कहा गया था कि वह बीमा धनराशि की 75 प्रतिशत धनराशि को कभी भी ऋण के रूप में प्राप्‍त कर सकता है तथा एक वर्ष के उपरांत यदि परिवादी चाहे तो मय ब्‍याज के अपने बांड तुडवा सकता है । परिवादी द्वारा खरीदे गये बांड का रजिस्‍ट्रेशन संख्‍या निम्‍नलिखित था :-

  1. 001एल 00000237 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  2. 001एल 00000238 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  3. 001एल 00000239 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  4. 001एल 00000240 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  5. 001एल 00000241 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  6. 001एल 00000242 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  7. 001एल 00000243 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  8. 001एल 00000244 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  9. 001एल 00000245 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

  10. 001एल 00000246 दिनांकित 21.01.2013 मुबलिग 50,000/- रू0

       परिवादी द्वारा 6 वर्ष उपरांत प्रत्‍येक बांड का भुगतान प्राप्‍त करने पर 1,02,000/-रू0 दिये जाने का आश्‍वासन दिया गया था । परिवादी के घर में अचानक आर्थिक परेशानी आ गई तो वह विपक्षी के पास गया और उनसे निवेदन किया कि उसको अत्‍यधिक आर्थिक परेशानी है और वह अपने उक्‍त बांड का भुगतान चाहता है,जिस पर विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी सभी बांड की मूलप्रतियां प्रदान कर दे तो उसका भुगतान कर दिया जायेगा,जिस पर परिवादी ने दिनांक:19.02.2015 को विपक्षी को अपने मूल बांड प्रदान किये,जिस पर विपक्षी द्वारा कहा गया कि तुम्‍हारा पेंमेंट एक सप्‍ताह में कर दिया जायेगा । विपक्षी ने परिवादी को मूल बांड वापस कर दिया तथा छायाप्रति अपने पास रख ली और कहा जब परिवादी पेंमेंट लेने आये तो मूल बांड साथ लेकर आये । विपक्षी द्वारा एक फार्म भरा गया एवं उस फार्म में परिवादी के हस्‍ताक्षर कराये गये तथा कहा गया कि एक सप्‍ताह में सारी औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्‍चात परिवादी को बांडों का भुगतान कर दिया जायेगा । परिवादी एक सप्‍ताह बाद परिवादी के पास गया एवं उनसे अपने बांड का भुगतान करने के बावत निवेदन किया तो पुन: विपक्षी द्वारा यह आश्‍वासन दिया गया कि 3-4 दिन बाद आपका भुगतान कर दिया जायेगा। इसके बाद जब भी अपने उपरोक्‍त बांड का भुगतान प्राप्‍त करने हेतु जाता तो उनके द्वारा हर बाद कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया जाता रहा । अंतत: विपक्षी ने दिनांक:19.03.2015 को भुगतान करने से पूरी तरह मना कर दिया । ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने विपक्षी द्वारा घोर सेवा त्रुटि एवं व्‍यापारिक कदाचरण किये जाने के कारण उसके विरूद्ध यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है ।

विपक्षी को फोरम द्वारा पंजीकृत डाक से तामील कराये जाने के बावजूद न तो कोई जबाबदावा प्रस्‍तुत किया और न ही कोई फोरम के समक्ष उपस्थित आया । विपक्षी पर तामीला जरिये रजिस्‍ट्री व प्रकाशन के द्वारा कराया गया । ऐसी परिस्थिति में फोरम द्वारा विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय रूप से की गई ।

      परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्‍वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग प्रस्‍तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में 10 किता रसीद मैक्‍सकाम होम्‍स लि0 कागज सं0 7ग/1 लगायत 7ग/12 व स्‍वयं के पहचान पत्र की छायाप्रति कागज सं08ग प्रस्‍तुत किया ।

      फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।

परिवादी ने 4ग शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया जिसमें उसने परिवाद पत्र में कहे गये तथा सशपथ बयान किया है तथा उसने सशपथ समर्थन की पुष्टि अभिलेख कागज सं0 7ग/1 लगायत 7ग/12 से भी होती है ।

इस प्रकार यह फोरम इस मत का है कि परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है ।

                                आदेश     

      परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी का आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय के अंदर एक माह परिवादी को उसके बांडों क्रमश: 001एल 00000237 लगायत 001एल 00000246 की धनराशि मु0 5,00,000/- रू0 प्रदान करे तथा इस धनराशि पर बांड लेने कि दिनांक अर्थात 21.01.2013 से भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्‍याज भी परिवादी को प्रदान करे । इसके अलावा परिवादी विपक्षी से मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज 20,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के रूप में 2,500/-रू0 प्राप्‍त करने का अधिकारी है ।   

 

(डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी)         (श्रीमती नीला मिश्रा)               (बाबूलाल यादव)

    सदस्‍य,                       सदस्‍या,                       अध्‍यक्ष,

जिला फोरम,महोबा।            जिला फोरम,महोबा।             जिला फोरम,महोबा।

  21.12.2015                  21.12.2015                   21.12.2015

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. NEELA MISHRA]
MEMBER

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