प्रकरण क्र.सी.सी./13/121
प्रस्तुती दिनाँक 22.05.2013
1. श्रीमती ललिता बाई यादव, पति-स्व.भानू यादव, आयु-33 वर्ष
2. श्रीमती लीलाबाई यादव, पति-स्व.बिट्ठल यादव, आयु-63 वर्ष,
3. कुमारी राजेश्वरी यादव, पिता-स्व.भानू यादव, आयु-18 वर्ष,
4. युगल यादव पिता-स्व.भानू यादव, उम्र-17 वर्ष,
(वली माता-श्रीमती ललिता यादव)
5. टामन यादव पिता-स्व.भानू यादव, आयु-17 वर्ष,
(वली माता-श्रीमती ललिता यादव)
सभी निवासी-ग्राम व पोस्ट-गोरकापार, तह. गुण्डरदेही, जिला-बालोद (छ.ग.) - - - - परिवादीगण
विरूद्ध
प्रबंधक, स्टेट बैंक आॅफ इंदौर (इंडिया), शाखा-देशलहरा काम्प्लेक्स, पता-स्टेशन रोड, दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदक
आदेश
(आज दिनाँक 17 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादीगण द्वारा अनावेदक से मियादी जमा खाते से टी.डी.आर. काटी गई राशि 4928रू. $ 2,969रू. $ 35,000रू. कुल 42,897रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 10,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादीगण का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी क्र.1 व 2 अशिक्षित महिला है, परिवादिनी क्र.1 दैनिक मजदूरी कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करती है। परिवादी क्र.1 के पति श्री भानू यादव की दिनंाक 29.4.2006 को मृत्यु हो जाने के कारण अति. मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण जिला-दुर्ग के द्वारा प्रकार क्र.99/2006 मे आदेश दिनंाक 26.10.2007 पारित करते हुए अनावेदक बैंक में दुर्घटना दावा राशि 425000रू. को भिन्न-भिन्न अवधि के लिए परिवादिनी क्र.1 व 2 के नाम पर सावधि जमा किया गया है तथा परिवादी क्र.3, 4 एवं 5 के हिस्से की राशि को उनके व्यस्क होते तक के लिए सावधि जमा किया गया है, साथ ही अवधि पूर्ण होने के पूर्व राशि आहरण किए जाने को निषेधित किया गया है। परिवादिनीगण के नाम पर बचत खाता क्र. 63023158043 अनावेदक बैंक में है, जिसमें सावधि जमा खाता परिपक्व होने पर परिपक्वता राशि जमा कराई जाती है। आयकर अधिनियम की धारा 194ए के तहत किसी खाताधारी द्वारा अपेक्षित वार्षिक विवरणी प्रस्तुत नहीं किया जाता या आपेक्षित छूट हेतु आवेदन पेश नही किया जाता है तो उस व्यक्ति के खाते में मियादी जमा राशियों पर आवर्ती जमा राशियों को छोड़कर एक वित्तीय वर्ष मे ब्याज की राशि 10,000रू. से अधिक होने पर टैक्स डिडक्शन स्कीम के अंतर्गत बैंक के द्वारा ब्याज पर से 20 प्रतिशत टी.डी.एस. राशि काट कर आयकर विभाग में जमा करायी जावेगी। आयकर अधिनियम के अनुसार किसी व्यक्ति के आय का तात्पर्य उसके व्यक्तिगत आय से है न की उसके पूरे परिवार की सामूहिक आय से, चंूकि उपरोक्त वर्णित मियादी/सावधि टी.डी.आर. जमा खातों में किसी भी परिवादिनी की किसी भी वित्तीय वर्ष मे ब्याज की राशि 10,000रू. से अधिक नहीं रहने के कारण टैक्स डिडक्शन स्कीम अंतर्गत नहीं आते। उसके बावजूद भी अनावेदक के द्वारा परिवादीगण को बगैर जानकारी दिए उनके खाते से 20 प्रतिशत डी.डी.एस. राशि काटी गई तथा आय कर विभाग मे जमा की गई है।
(3) परिवाद इस आशय का भी प्रस्तुत है कि अनावेदक द्वारा परिवादीगण से लगभग 4928रू. $ 2,969रू. 35,000रू. कुल 42,897रू. टी.डी.आर. राशि काटी गई है। नाबालिक व्यक्ति की प्रत्यक्ष रूप से स्वयं की कोई आय नहीं होती, परंतु उनके भी खाते से 20 प्रतिशत टी.डी.एस. राशि काटी गई, जो कि सेवा मे निम्नता की श्रेणी में आता है। परिवादिनीगण ने अनावेदक बैंक को अपना पैनकार्ड व बी.पी.एल. राशन कार्ड एवं मतदाता परिचय पत्र तथा के.वाई.सी. फार्म की प्रति के साथ फार्म नं.15 जी. भरकर दि.26.06.2012 को प्रदान किया, परंतु अनावेदक उन्हे बैंक के कई दिनों तक चक्कर लगवाया गया और यह निर्देश दिया कि उनका खाता गलत रीति से खुला है, इस कारण पुनः नया खाता खुलवाएं, परंतु नया खाता खोलने से भी इंकार कर दिया गया। परिवादिनी के द्वारा पंजीकृत डाक के माध्यम से अधिवक्ता द्वारा सूचना दि.25.07.2012 को अनावेदक को प्रेषित किया गया, परंतु अनावेदक बैंक के द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। अनावेदक द्वारा अनाधिकृत रूप से परिवादीगण के खाते से टी.डी.एस की राशि लगातार काटकर आयकर विभाग मे जमा कराई जा रही है, जो सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। अतः परिवादीगण को अनावेदक से सावधि जमा खाते से टी.डी.आर. काटी गई राशि 4928रू. 2,969रू. 35,000रू. कुल 42,897रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 10,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि आवेदिका क्र.1 नं स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की देशलहरा काॅपलेक्स, दुर्ग शाखा में स्वयं विठ्ठल यादव लीला बाई यादव राजेश्वरी यादव युगल यादव एवं अपने नाबालिग पुत्र टामन यादव को दुर्घटना दावा में प्राप्त क्षतिपूर्ति राशि का एक चेक कीमती 4,55,009रू. दिनांक 21.02.2008 माननीय प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, दुर्ग के आदेशानुसार सावधि जमा खाता मे जमा किए जाने हेतु प्रदत्त किया गया था। उक्त चेक सभी आवेदिकागणों के संयुक्त नाम पर था जिसके पृष्ठ भाग में टंकित निर्देश में आवेदिकागण को भिन्न राशि दिए जाने का उल्लेख था तथा भिन्न-भिन्न अवधि के लिए भी सावधि जमा खाते मंे जमा करने का निर्देश था। श्री विठ्ठल यादव की मृत्यु हो जाने के कारण उसकी पत्नि श्रीमती लीला बाई ने शेष आवेदकगणों के साथ मिलकर यह दावा प्रस्तुत किया है। माननीय प्रथम अति. मोटर दुर्घटना दावा अधिकारण, दुर्ग ने चेक भी प्रत्येक आवेदिका के व्यक्तिगत नाम से न देकर संयुक्त नाम पर ही जारी किया था, अतः आवेदिका क्र.1 ने स्वयं एवं अन्य चेक धारकों के नाम पर ही स्वयं एवं नाबालिक के वली की हैसियत से खाता खोलते समय प्रत्येक खाता धारक की सी.आई.एफ. (कस्टमर इन्फर्मेशन फाइल) बनती है, प्रत्येक सी.आई.एफ. के लिए प्रत्येक वर्ष के अप्रैल माह में पहचान प्रमाण एवं निवास के पते का प्रमाण एड्रेस पू्रफ देना होता है, जो कि चेक धारकों के पास उपलब्ध नहीं था, इसलिए बैंक के कम्प्यूटर ने आयकर अधिनियम के प्रावधान के अनुसार 20 प्रतिशत टी.डी.एस./ टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स के पेटे काट ली, जो आयकर विभाग के खाते में जमा की गई, ऐसा कर बैंक ने कोई सेवा में कमी या त्रुटि कारित नहीं की है। इसी तरह टी.डी.एस. न काटे जाने हेतु फार्म 15 जी. भी प्रतिवर्ष जमा करना होता है। बाद में आवेदिका क्र.1 ने दि.26.06.2012 को बैंक मंे पहचान प्रमाण पत्र एवं निवास के पते का प्रमाण के साथ फार्म 15 जी. प्रस्तुत किया, इसलिए वर्ष 2013 में कोई टी.डी.एस. की राशि आवेदिकागण के खाते से नहीं काटी गई, वास्तव में पहचान प्रमाण एवं निवास के पते का प्रमाण के अभाव मे केवल 15,666रू. ही काटे गए है। इस प्रकार आवेदकगण, अनावेदक बैंक से किसी प्रकार के अनुतोष को पाने की पात्रता नहीं रखते है, अतः परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादीगण, अनावेदक से काटी गई राशि 4928रू.2,969रू.35,000रू. कुल 42,897रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. क्या परिवादीगण, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि संबंधित चेक आवेदकगण/परिवादीगण के संयुक्त नाम से थे, अनावेदक बैंक ने तर्क किया है कि नियमानुसार टी.डी.एस. की कटौती की गई है, अभिकथित चेक प्रत्येक आवेदक के व्यक्तिगत नाम से ना होकर संयुक्त नाम से जारी की गई थी, इसी कारण बैंक के कम्प्यूटर सिस्टम से आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार टी.डी.एस. पेटे राशि काट ली गई और आयकर विभाग के खाते में जमा कर दी गई। इस प्रक्रिया को अनावेदक द्वारा सेवा में निम्नता कारित करना नहीं माना जा सकता है।
(8) प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए हम अनावेदक बैंक को सेवा में निम्नता या व्यवसायिक कदाचरण का दोषी नहीं पाते हैं, क्योंकि बैंक ने नियमानुसार ही काम किया है।
(9) फलस्वरूप परिवादीगण का दावा स्वीकार करने के समुचित आधार नहीं पाते हैं, फलस्वरूप दावा खारिज करते हैं।
(10) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।