Pradhuman singh chouhan filed a consumer case on 11 Mar 2015 against Manager, State Bank of Bikaner & Jaipur in the Kota Consumer Court. The case no is CC/150/2010 and the judgment uploaded on 25 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:श्रीएम अनवर आलम,अध्यक्ष,श्रीमति हेमलताभार्गव सदस्या।
प्रकरण संख्या-150/2010
प्रद्युमन सिंह पुत्र श्री मदन सिंह, आयु 28 साल जाति राजपूत पेषा व्यवसाय निवासी बजरंग बस्ती सकतपुरा कोटा, राजस्थान। -परिवादी।
बनाम
प्रबंधक, स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जयपुर षाखा थर्मल कालोनी, सकतपुरा, कोटा, (राज0) -विपक्षी।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री अषोक गुप्ता,, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 श्री कमल गुप्ता, अधिवक्ता, अप्रार्थी की ओर से ।
निर्णय दिनांक 11-03-2015
(1) प्रस्तुत परिवाद दिनांक 21-08-2009 को परिवादी ने इन अभिकथनों के साथ पेष किया है कि उसका बचत खाता प्रतिपक्षी की बैंक में है जिसमें उसने दिनांक 01.08.06 को बैंक आॅफ बडौदा षाखा जोधपुर का एक चैक संख्या 966809 राषि 7,000/- रूपये का जमा करवाया था। परिवादी को उक्त चैक गुम हो जाने के कारण राषि का भुगतान नहीं हुआ, इसलिये उसने चैक गुम हो जाने का नोटिस दिनांक 05.01.07 को विपक्षी को दिलवाया, परन्तु उक्त राषि परिवादी के खाते में जमा नहीं हो सकी। विवाद लोक अदालत कोटा के समक्ष भी पेष किया गया, जिसे दिनांक 13.08.07 को निर्णित कर परिवादी को 800/- रूपये दिलवाये गये, जिससे व्यथित होकर परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद पेष किया। अतः परिवाद पेष कर प्रार्थना की गई है कि परिवादी को उक्त चैक की राषि 7,000/- रूपये, मानसिक संताप की प्रतिकर राषि अन्य सहायता सादर फरमाई जावे।
(2) विपक्षी ने जवाब पेष कर परिवादी का बचत खाता होना स्वीकार किया है और परिवादी द्वारा चैक भी उसके खाते में जमा करना स्वीकार किया है, जिसको भी लोक अदालत द्वारा निर्णित किया जाकर परिवादी को 8,00/- रूपये की राषि दिलवाई जा चुकी है। विपक्षी ने जवाब के विषेश आपत्तियों में परिवाद के तथ्यों को अस्वीकार करते हुये यह स्पश्ट किया है कि उक्त चैंक क्लिेयरिंग हेतु बैंक आफ बडौदा षाखा जोधपुर को प्रेशित किया गया था, प्रतिपक्षी ने इस संबंध में चैक तलाष करने हेतु काफी प्रयास किया। प्रतिपक्षी ने कोई सेवा दोश नहीं किया है। प्रस्तुत प्रकरण में बैंक आफ बडौदा एवं कोरियर कंपनी को आवष्यक पक्षकार नहीं बनाया है और बिना पक्षकार बनाये प्रस्तुत प्रकरण चलने योग्य नहीं है।
(3) परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में दस्तावेज प्रदर्ष-1 लगायत प्रदर्ष-10 पेष किये गये है।
(4) जवाब के समर्थन में आर0के0 गुप्ता का षपथ-पत्र पेष किया है।
(5) उभय पक्षों की बहस सुनी गई एवं प्रस्तुत षपथपत्र,दस्तावेजीं साक्ष्य एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह है कि -
(अ) क्या परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है ?
(ब) क्या बैंक आफ बडौदा षाखा जोधपुर को पक्षकार बनाया जाना आवष्यक है और पक्षकार बनाये बिना परिवाद चलने योग्य नही है ?
(स) क्या परिवाद मियाद बाहर है ?
(द) क्या विपक्षी ने सेवा दोश किया है ?
(ध) अनुतोश ?
(6) बहस सुनी जाकर परिवादी द्वारा प्रस्तुत तर्को, षपथ-पत्र, दस्तावेजात और पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामलें में परिवादी का विपक्षी बैंक में बचत खाता होना, परिवादी द्वारा बचत खाता में विवादित चैंक जमा करने के तथ्यों को विपक्षी ने जवाब में स्वीकार किया है और दस्तावेजात प्रदर्ष-1,प्रदर्ष-2 से परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता साबित है। अतः परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
(6) परिवादी ने अपने परिवाद में यह अभिकथन किया कि उसने बैंक आफ बडौदा षाखा जौधपुर का एक चेक नं. 966809 राषि 7,000/- रूपये विपक्षी के यहाॅ दिनांक 01.08.06 को जमा करवाया था, उक्त चैक के गुम हो जाने के कारण, उसे भुगतान प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षी ने अपने जवाब के विषेश कथन में यह अभिकथन किया कि परिवादी के चैक को क्लियेरिंग हेतु बैंक आफ बडौदा षाखाा जोधपुर को प्रेशित किया था, इसलिये बैंक आफ बडौदा षाखा जौधपुर को पक्षकार बनाया जाना आवष्यक था, जो कि मंच में उपस्थित होकर यह बताता कि विवादित चैक का भुगतान क्यों नहीं हुआ। परिवादी ने बैंक आफ बडौदा षाखा जोधपुर को पक्षकार नहीं बनाया है और उक्त बैंक को पक्षकार बनाये बिना प्रस्तुत प्रकरण चलने योग्य नहीं है।
(7) परिवादी ने अपने परिवाद में यह अभिकथन किया उसे सर्व प्रथम विवादित चैक गुम होने के बार में दिसम्बर 06 में जानकारी हुई और परिवादी ने विपक्षी को विवादित चैक के संबंध में दिनांक 05.01.07 को नोटिस दिलवाया और परिवादी ने यह परिवाद मंच में दिनांक 21.08.09 को पेष किया, इस प्रकार परिवादी को परिवाद में वाद कारण उत्पन्न होने की गणना नोटिस की दिनांक 05.01.07 से की जावे तब भी प्रस्तुत परिवाद दिनांक 05.01.07 के पष्चात दिनांक 21.08.09 को अर्थात् 2 वर्श की अवधि के पष्चात पेष किया गया है जो कि कालातीत अवधि समाप्त होने के पष्चात पेष किया गया है । अतः चलने योग्य नहीं है।
(8) उपरोक्त विवेचन के बाद परिवादी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत कालातीत अवधि का होने के कारण चलने योग्य नहीं है। अतः अन्य बिन्दुओ पर मत एवं विचार व्यक्त किया जाना आवष्यक नहीं है।
(9) परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेष
(10) परिणामतः परिवादी प्रद्युमन सिंह का परिवाद खारिज किया जाता है। खर्चा मुकदमा पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
(11) निर्णय आज दिनंाक 11-03-2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.