जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,रायगढ़ (छ0ग0)
समक्षः सनमान सिंह, अध्यक्ष प्रकरण क्रमांक-133/2014
सुभाष पाण्डेय, सदस्य संस्थित दिनांक-08.09.2014
डा.हेमलता सिंह, सदस्या
गुरू प्रसाद यादव आ0 श्री बलराम यादव,
निवासी-क्वा.नं.697 चन्द्रपुर तहसील डभरा
जिला जांजगीर चाम्पा (छ0ग0) ............ ........आवेदक/परिवादी
//वि रू द्ध//
1. प्रबंधक,
शिवम मोटर्स प्रायेवट लिमिटेड
पो.बा.नं.17 सेक्टर सी-4 इण्डस्ट्रीयल स्टेट सिरगिट्टी
रायपुर रोड, बिलासपुर (छ0ग0)
2. प्रबंधक,
शिव मोटर्स प्रायवेट लिमिटेड,
छातामुड़ा बाईपास चैक उड़ीसा रोड,रायगढ़(छ0ग0)
3. प्रबंधक,
टाटा मोटर्स फायनेंस लिमिटेड बिलासपुर
तह0 व जिला बिलासपुर (छ0ग0).......... ........ अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण
आवेदक/परिवादी द्वारा श्री सुरेन्द्र पाणिग्राही, अधिवक्ता।
अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 द्वारा श्री प्रभात प्रधान, अधिवक्ता।
अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 द्वारा श्री मुकेश गोयल, अधिवक्ता।
(आदेश)
(आज दिनांक 26/02/2015 को पारित)
सनमान सिंह, अध्यक्ष
1/ आवेदक/परिवादी ने अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण के विरूद्ध पिकअप वाहन क्र.ओ.आर.-17 जी/3076 वापस दिलाये जाने अथवा 3,40,734/-रूपये की वसूली कार्यवाही समाप्त किये जाने बाबत् धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत परिवाद का निवर्तन किया जा रहा है।
2/ दिनांक 29.12.2012 को आवेदक/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 के विरूद्ध 1,23,260/-रूपये एक महीने के भीतर भुगतान करने तथा उक्त राशि पर आदेश दिनांक से 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज, 1,000/-रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति तथा 1,000/-रूपये वाद व्यय भुगतान करने का आदेश पारित किया गया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 उक्त आदेश के विरूद्ध माननीय राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत
(2)
किया था। अपील क्र.F.A/13/149 आदेश दिनांक 30.08.2014 के अनुसार माननीय राज्य आयोग ने अपीलार्थी का अपील 4,000/-रूपये परिव्यय पर स्वीकार करते हुए इस फोरम द्वारा पारित आदेश दिनांक 29.12.2012 को अपास्त कर इस निर्देश के साथ प्रकरण जिला फोरम को वापस किया कि अपीलार्थी द्वारा अपील स्टेज पर प्रस्तुत दस्तावेजों के संबंध में उसके खण्डन में उत्तरवादीगण कोई अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करना चाहे तो अवसर प्रदान कर, उसके पश्चात् अपील में प्रस्तुत दस्तावेजों तथा खण्डन में प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उभयपक्ष को सुनवायी का अवसर प्रदान कर गुणदोष के आधार पर प्रकरण का निवर्तन किया जावे। मा0राज्य आयोग के उक्त निर्देश के पालन में पुनः प्रकरण का निवर्तन किया जा रहा है।
3/ आवेदक/परिवादी का परिवाद संक्षिप्त में इस प्रकार है कि आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 से अक्टूबर 2009 में पिकअप वाहन क्र.ओ.आर.-17 जी/3076 कीमती 4,40,381/-रूपये में क्रय किया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 द्वारा उक्त वाहन क्रय करने हेतु 4,05,000/- रूपये ऋण स्वीकृत किया था। 02.07.2010 को सरस्वती शिशु मंदिर बरमकेला के पास वाहन चालक द्वारा मवेशियों को बचाने में वाहन पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया, जिसकी सूचना थाना बरमकेला में दी गई। आवेदक/परिवादी क्षतिग्रस्त वाहन मरम्मत हेतु अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 के शोरूम में ले गया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 द्वारा वाहन मरम्मत 43,880/- रूपये तथा 49,000/-रूपये का स्टीमेट दिनांक 03.09.2010 को दिया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 एक माह के भीतर वाहन मरम्मत करने का आश्वासन दिया था। आवेदक/परिवादी एक माह पश्चात् अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 के संस्थान में गया तो उसे बताया गया कि वाहन विक्रय कर दिया है तथा विक्रय राशि आवेदक/परिवादी के ऋण खाते में समायोजित कर दिया गया है, अब कोई लेनदेन बकाया नहीं है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 आवेदक/परिवादी के सहमति व अनुमति के बिना वाहन को विक्रय कर दिया, जबकि आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 को 1,23,260/-रूपये किश्त भुगतान कर चुका था। अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण ने आवेदक/परिवादी के सहमति व अनुमति के बिना वाहन विक्रय तथा अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 द्वारा वाहन मरम्मत न कर सेवा में कमी व व्यवसायिक दुराचरण किया है। अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण द्वारा 3,40,734/-रूपये बकाया वसूली हेतु पत्र पे्रषित किया था, इसलिए आवेदक/परिवादी अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण से उपरोक्त अनुतोष दिलाये जाने बाबत् यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
4/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 की ओर से संयुक्त तथा अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 की ओर से पृथक से जवाब प्रस्तुत किया है।
5/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 की ओर से जवाब में बताया गया है कि आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 से ऋण प्राप्त कर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 से पिकअप वाहन क्र.ओ.आर.-17 जी/3076 दिनांक 16.10.2009 को लोन एग्रीमेंट निष्पादित कर 4,40,381/-रूपये, फायनेंस चार्ज 4,05,000/-रूपये, फायनेंस राशि पर ब्याज 1,58,760/-रूपये तथा बीमा 37,500/-रूपये कुल कान्ट्रेक्ट वेल्यू 6,01,260/-रूपये थी। जिसकी परिपक्वता तिथि दिनांक 15.08.2013 है। ऋण राशि को 46 किश्तों में जिसमें प्रथम किश्त 14,010/-रूपये शेष 45 किश्त 13,050/-रूपये मासिक की दर से भुगतान किया जाना था। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 के शोरूम में वाहन
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मरम्मत हेतु नहीं लाया था, बल्कि वाहन मरम्मत के संबंध में स्टीमेट मांगा था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 द्वारा दिनांक 03.09.2010 को वाहन की जांच कर पार्टस का इस्टीमेट 43,880/-रूपये एवं लेबर चार्ज का स्टीमेट 49,000/-रूपये आवेदक/परिवादी को दिया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 आवेदक/परिवादी को वाहन मरम्मत के संबंध में कोई आश्वासन नहीं दिया था। वाहन क्रय करने के पश्चात् आवेदक/परिवादी दिनांक 30.12.2009 एवं दिनांक 20.01.2010 को वाहन सर्विसिंग हेतु अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 संस्थान में लाया था। उसके बाद कभी भी सर्विसिग के लिए नहीं लाया और न ही वाहन मरम्मत हेतु लाया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 टाटा वाणिज्यिक वाहनों का डीलर है। उनके द्वारा वाहन पुनः कब्जा में लेने या पुनः विक्रय करने तथा विक्रय राशि ऋण खाते में समायोजित करने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता और न ही अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 आवेदक/परिवादी को 3,40,734/-रूपये बकाया ऋण वसूली हेतु नोटिस दिया था। वाहन ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से बीमित थी। इसकी जानकारी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 को नहीं है। वाहन का पुनः कब्जा एवं पुनः विक्रय अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 फायनेंस कंपनी द्वारा किया गया है। जिसका संबंध अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 से नहीं है। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया है। आवेदक/परिवादी अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण का उपभोक्ता नहीं है। आवेदक/परिवादी वाणिज्यिक उद्देश्य से वाहन क्रय किया है। जीविको- पार्जन हेतु वाहन क्रय करने व वाहन का चालन स्वयं किये जाने का अभिवचन परिवाद पत्र में नहीं है । आवेदक/परिवादी वाहन चलाने हेतु चालक नियुक्त किया है, बल्कि आवेदक वाणिज्यिक लाभ प्राप्त करने के आशय से वाहन क्रय किया है, इसलिए आवेदक/परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता। परिवाद निरस्त किया जावे।
6/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 की ओर से प्रारंभिक आपत्ति करते हुए जवाब में बताया है कि आवेदक/परिवादी एवं अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 के बीच वाहन क्र.ओ.आर.-17 जी/3076 कामर्शियल वाहन के संबंध में हाईपोथिकेशन कम गारंटी अनुबंध पत्र निष्पादित किया गया था, इसलिए आवेदक/परिवादी धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। आवेदक/परिवादी एवं अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 के बीच हुए अनुबंध के अनुसार विवाद का निराकरण मध्यस्थ के माध्यम से किये जाने का प्रावधान है, इसलिए भी परिवाद का सुनवायी क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम, रायगढ़ को नहीं है। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 से 4,05,000/-रूपये ऋण तथा फायनेंस चार्ज 1,58,760/-रूपये, बीमा राशि 37,500/-रूपये कुल 6,01,260/-रूपये कान्ट्रेक्ट वेल्यू का भुगतान 46 किश्तों जिसमें प्रथम किश्त 14,010/-रूपये तथा शेष किश्त 13,050/-रूपये भुगतान किया जाना था। आवेदक/परिवादी किश्त का भुगतान नहीं किया है। दिनांक 20.09.2012 स्टेटमेंट के अनुसार आवेदक/परिवादी पर 3,18,142/-रूपये तथा डिले पेमेंट चार्ज सहित 1,25,795.49/-रूपये बकाया है। आवेदक/परिवादी द्वारा किश्त का भुगतान न करने पर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 द्वारा सिटी कोतवाली रायगढ़ को सूचित कर वाहन आधिपत्य में लिया गया है। वाहन आधिपत्य में लेने के पश्चात् आवेदक/परिवादी को बकाया किश्त भुगतान हेतु सूचित किया गया था। आवेदक/परिवादी द्वारा बकाया किश्त भुगतान न करने पर वाहन
75,000/-रूपये में विक्रय कर प्राप्त राशि आवेदक के खाते में समायोजित किया गया । अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 द्वारा बलपूर्वक वाहन आधिपत्य में नहीं लिया
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है। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 से कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। अतः आवेदक/परिवादी का परिवाद खारिज कर अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 को क्षतिपूर्ति दिलायी जावे।
7/ उभयपक्ष की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।
8/ आवेदक/परिवादी की ओर से टाटा मोटर्स का लोन दिनांक 18.11.2009, टेक्ट इन्वाईस दिनांक 16.10.2009, फ्री सर्विस, रिपेमेण्ड शेड्यूल, रिपेमंेेेट रिकार्ड, गर्वन्मेंट आफ उड़ीसा का वाहन पजी. दिनांक 11.11.2009, बीमा पालिसी, फिटनेस सर्टिफिकेट, बीमा कंपनी का पत्र, विधिक नोटिस, थाना प्रभारी बरमकेला में को सूचना दिनांक 15.08.2010, इस्टीमेट सहित समस्त दस्तावेजों की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
9/ आवेदक/परिवादी की ओर से तर्क में बताया गया है कि पिकअप वाहन क्र.ओ.आर.-17 जी/3076 अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 से अक्टूबर 2009 में 4,40,381/-रूपये में क्रय किया था। दिनांक 02.07.2010 को सरस्वती शिशु मंदिर बरमकेला के पास वाहन चालक द्वारा मवेशियों को बचाने में वाहन पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना थाना बरमकेला दी गई। आवेदक/परिवादी क्षतिग्रस्त वाहन मरम्मत हेतु अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 के शोरूम में ले गया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 द्वारा वाहन मरम्मत स्टीमेट 43,880/- रूपये तथा 49,000/-रूपये का स्टीमेट दिनांक 03.09.2010 को दिया। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 द्वारा एक माह के भीतर वाहन मरम्मत करने का आश्वासन भी दिया था। एक माह पश्चात् अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.2 के संस्थान में गया तो उसे बताया गया कि वाहन विक्रय कर दिया है विक्रय राशि आवेदक/परिवादी के ऋण खाते में समायोजित कर दिया गया है, अब कोई लेनदेन बकाया नहीं है। आवेदक/परिवादी का यह भी तर्क है कि उसके अनुमति के बिना वाहन को विक्रय कर दिया, जबकि वाहन का 1,23,260/-रूपये किश्त भुगतान कर चुका था। वाहन विक्रय पश्चात् उसे 3,40,734/-रूपये बकाया वसूली हेतु पत्र पे्रषित किया था। वाहन ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से बीमित थी। क्षतिग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति आावेदक/पदिवादी को प्राप्त नहीं हुए हैं। आवेदक/परिवादी अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण से वाहन वापस दिलाये जाने, 3,40,734/-रूपये की वसूली कार्यवाही समाप्त किये जाने का अनुतोष चाहा है।
10/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 की ओर से सर्विस हिस्ट्री दिनांक 12.10.2012, टाटा मोटर्स का कार्डेक्टस I, ii, viii दिनांक 12.10.2012, प्रस्तुत किया है।
11/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 की ओर से तर्क में बताया गया है कि वह वाणिज्यिक वाहन टाटा पिकअप वाहन का डीलर है। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 से ऋण प्राप्त किया था। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 द्वारा न तो वाहन कब्जे में लिया गया है और न ही उनके द्वारा वाहन विक्रय किया गया है और न ही उनके द्वारा बकाया ऋण राशि के संबंध में कोई नोटिस दिया है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.1 एवं 2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। आवेदक/परिवादी वाहन व्यवसायिक उद्देश्य हेतु क्रय किया है। इसलिए आवेदक/परिवादी उपभोक्ता की परिधि में नहीं आता, इसलिए परिवाद निरस्त किया जावे।
12/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 की ओर से Concern Letter लोन कम हाइपोथिकेशन एग्रीमेंट, एनेक्सर-1 लोन एग्रीमेंट, कान्ट्रेक्ट डिटेल,रि-पेमंट, । Authorisation letter pre repossession intimation to the police station inventory of items in vehicle, post repossession intimation to police receipt vehicle release order,
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नोटिस दिनांक 12.07.2010, 27.09.2010, रसीद दिनांक 21.07.2010, 29.09.2010 दस्तावेज प्रस्तुत किया है।
13/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 की ओर से तर्क में बताया गया है कि आवेदक/परिवादी एवं अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 के बीच हाईपोथिकेशन कम गारंटी अनुबंध पत्र निष्पादित किया गया था। आवेदक/उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। आवेदक/परिवादी अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 से 4,05,000/-रूपये ऋण तथा फायनेंस चार्ज 1,58,760/-रूपये, बीमा राशि 37,500/-रूपये कुल 6,01,260/-रूपये कान्ट्रेक्ट वेल्यू का भुगतान 46 किश्तों जिसमें प्रथम किश्त 14,010/-रूपये तथा शेष किश्त 13,050/-रूपये भुगतान किया जाना था। आवेदक/परिवादी किश्त भुगतान करने में चूक किया है। बार-बार सूचित करने के बाद भी किश्त राशि का भुगतान नहीं किया है। दिनांक 20.09.2012 तक आवेदक/परिवादी पर 3,18,142/-रूपये तथा विलंब पेमेंट चार्ज सहित 1,25,795.49/-रूपये बकाया है। आवेदक/परिवादी कोई मासिक किश्त समय पर भुगतान नहीं किया है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 अनुबंध शर्त के अनुसार सिटी कोतवाली रायगढ़ तथा वाहन के अधिकृत एजेंसी को सूचित करने के बाद वाहन आधिपत्य में लिया गया है। वाहन आधिपत्य लेते समय इन्वेन्ट्री लिस्ट बनायी गयी। वाहन आधिपत्य में लेने के बाद आवेदक/परिवादी को सूचित किया था तथा बकाया राशि भुगतान करने बाबत् भी सूचित किया था। आवेदक/परिवादी द्वारा बकाया किश्त भुगतान न करने पर वाहन 75,000/-रूपये में विक्रय कर प्राप्त राशि आवेदक के खाते में समायोजित किया गया तथा क्रेता को वाहन आधिपत्य में दिया गया।
14/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 का यह भी तर्क है कि ऋण किश्त अदायगी चूक होने पर फायनेंसर वाहन कब्जे में लेने का अधिकारी है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 का यह भी तर्क है कि आवेदक/परिवादी एवं अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 के बीच हुए अनुबंध के अनुसार विवाद का निराकरण मध्यस्थ के माध्यम से किये जाने का प्रावधान है। आवेदक/परिवादी व्यवसायिक प्रयोजन हेतु ऋण प्राप्त कर वाहन क्रय किया है, इसलिए वह उपभोक्ता नहीं है।
15/ अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 द्वारा राज्य आयोग के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किया है। जिसके आधार पर ही राज्य आयोग ने आवेदक/परिवादी को उक्त दस्तावेजों के खण्डन करने का अवसर प्रदान कर गुणदोष के आधार पर प्रकरण निर्वतन करने का निर्देश दिया है, किन्तु आवेदक/परिवादी की ओर से उक्त दस्तावेजों के खण्डन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है। अनावेदक/विरूद्ध पार्टी क्र.3 की ओर से प्रस्तुत लोन एग्रीमेंट में वाहन क्रय करने का उद्देश्य ’’कामर्शियल’’ लिखा है। जिसमें आवेदक/परिवादी अनावेदकगण/विरूद्ध पार्टीगण तथा गारेण्टर का हस्ताक्षर है। आवेदक/परिवादी, वाहन क्र.ओ.आर.-17 जी/3076 व्यवसायिक उद्देश्य हेतु क्रय किया है, इसलिए धारा-2(घ)(II) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आवेदक/परिवादी उपभोक्ता नहीं है। अतः आवेदक/परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(डा.हेमलता सिंह) (सुभाष पाण्डेय) (सनमान सिंह)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण
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