Uttar Pradesh

Chanduali

CC/42/2014

MAHAVEER PRASAD MEENA - Complainant(s)

Versus

Manager Proprietor Libra Technicom - Opp.Party(s)

Arun Mishra/Deelip kumar

14 Oct 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/42/2014
 
1. MAHAVEER PRASAD MEENA
Mans Kaloni Mughalsarai,Chandauli
Chandauli
Up
...........Complainant(s)
Versus
1. Manager Proprietor Libra Technicom
A Kmlanagar Thana Sigra Ke Pchhe varanasi
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 14 Oct 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 42                                सन् 2014ई0
महावीर प्रसाद मीना वयस्क पुत्र श्री कन्हैया लाल निवासी र्क्वाटर नं0 1338/डी मानसनगर कालोनी मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-मैनेजर/प्रोपराइटर लिब्रा टेक्निमॉंम ए. कमलानगर थाना सिगरा के पीछे शहर वाराणसी।
2-सेल्स मैनेजर सोनी इण्डिया प्रा0लि0 ए-31मोहन कोआपरेटिव इन्डस्ट्रीयल स्टेट मथुरा रोड नई दिल्ली 110044
3-सर्विस हेड सोनी इण्डिया प्रा0लि0 ए. 31मोहन कोआपरेटिव इन्डस्ट्रीयल स्टेट मथुरा रोड नई दिल्ली 110044
4-प्रबन्ध निदेशक सोनी इण्डिया प्रा0लि0ए. 31मोहन कोआपरेटिव इन्डस्ट्रीयल स्टेट मथुरा रोड नई दिल्ली 110044
5-प्रो0 साई कृपा डिस्ट्रीव्यूटर्स 261 मैनाताली गल्ला मण्डी मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप,सदस्य
                                                                                   निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण से नया मोबाइल सेट व क्षतिपूर्ति व हर्जे खर्चे के रूप में रू0 50000/- दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    संक्षेप में परिवादी की ओर से कथन किया गया है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 5 से एक सोनी एक्सपिरिया मोबाइल सेट ई.एम.आई. नं. 355810050080608 व प्रोडक्ट कोड 121226 रू0 25370/- में दिनांक 12-5-2013 को क्रय किया जिसका बिल भी प्राप्त किया। विपक्षी संख्या 5 ने परिवादी को बताया कि उक्त मोबाइल सेट पर एक वर्ष की वारन्टी है और एक वर्ष में  मोबाइल सेट में कोई खराबी आती है तो ठीक कर दिया जायेगा या आवश्यकता पडने पर उसे बदल दिया जायेगा। परिवादी उक्त मोबाइल सेट का उपयोग शुरू किया परन्तु कुछ दिनों बाद मोबाइल में खराबी आ गयी और कैमरा पूर्ण रूप से बन्द हो गया तो दिनांक 20-3-2014 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 5 से शिकायत किया  तो विपक्षी संख्या 5 ने मोबाइल सेट को विपक्षी संख्या 1 के पास ले जाने के लिए कहा। परिवादी दिनांक 25-3-2014 को मोबाइल सेट लेकर विपक्षी संख्या 1 के सर्विस सेन्टर पर दिया, किन्तु विपक्षी संख्या 1 ने न तो उसका मोबाइल रिपेयर किया और न ही मोबाइल वापस किया। परिवादी लगातार डेढ महीने तक दौडता रहा किन्तु विपक्षी संख्या 1 परिवादी की एक नहीं सुनी और दिनांक 10-5-2014 को विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी के मोबाइल कवर रिसीव कर लिया और आज तक मोबाइल सेट को रिपेयर नहीं किया और न ही उसे वापस किया। परिवादी का उक्त मोबाइल आज भी विपक्षी संख्या 1 के पास पडा है और उसकी गडबडी भी दूर नहीं किया। परिवादी उक्त मोबाइल सेट को प्राप्त करने हेतु बार-बार दौडता रहा और पत्र भी
                                                                                              2
 दिया किन्तु कोई उपचार न मिलने पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 12-7-2014 को विपक्षीगण को रजिस्टर्ड नोटिस दिया किन्तु विपक्षीगण ने कोई जबाब नहीं दिया। इस आधार पर परिवादी ने यह परिवाद उपरोक्त मोबाइल सेट के रिपेयर  एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
3-    विपक्षी नं0 1 ता 4 की ओर  से परिवाद के विरूद्ध आपत्ति दाखिल की गयी है। संक्षेप में विपक्षीगण का अभिकथन है कि विपक्षी संख्या 1 सोनी इण्डिया प्राइवेट लि0 का अधिकृत सर्विस सेण्टर है तथा विपक्षी संख्या 2 ता 4 उपरोक्त कम्पनी के कर्मचारीगण है उनका अभिकथन है कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है। परिवादी ने दिनांक 12-5-2013 को जो मोबाइल हैण्डसेट खरीदा था, खरीदते समय उसके प्रयोग,कार्य पद्धति आदि के सम्बन्ध में उसे विधिवत जानकारी तथा डिमांसट्रेशन दिया गया था। विपक्षी कम्पनी के उत्पादों पर एक वर्ष की वारण्टी दी जाती है और इस वारण्टी के तहत यदि क्रय की गयी वस्तु में प्रयोग किये गये किसी सामान में कोई कमी पायी जाती है, या कारीगरी में कोई कमी या निर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि पायी जाती है तो कम्पनी का अधिकृत डिस्ट्रीव्यूटर या तो इस कमी को दुरूस्त करता है या पुरानी वस्तु के स्थान पर नई वस्तुत जैसा उक्त परिस्थितियों में उचित हो प्रदान करता है। प्रस्तुत मामले में परिवादी ने हैण्डसेट खरीदने के बाद दिनांक 6-7-2013,24-8-2013 तथा दिनांक 30-1-2014 को अपने हैण्डसेट में कई कमियों की शिकायते किया था और कम्पनी के इंजीनियर ने उनका अवलोकन करने के बाद कमियों को मुफ्त में दुरूस्त किया था और परिवादी उससे संतुष्ट हुआ था। हैण्डसेट में कोई समस्यां न होने के बावजूद परिवादी बार-बार उसी तरह की शिकायत कर रहा था। दिनांक 26-3-2014 को परिवादी विपक्षी संख्या 1 के यहॉं जाकर यह शिकायत किया कि कैमरा के फोकस/तीव्रता में समस्यां है और तब कम्पनी के इंजीनियरों ने हैण्डसेट की मरम्मत की और उसका एसी कवर भी बदल दिया। अन्तिम बार परिवादी दिनांक 10-5-2014 को विपक्षी संख्या 1 के यहॉं जाकर कैमरा फोकस और तीव्रता के सम्बन्ध में शिकायत किया तो विपक्षी के सर्विस इंजीनियर ने हैण्डसेट का विधिवत निरीक्षण किया लेकिन हैण्डसेट में कोई समस्यां नहीं पायी गयी। अतः परिवादी का हैण्डसेट उसे वापस दिया गया लेकिन परिवादी ने उसे लेने से मना कर दिया और यह कहा कि उसे दूसरा हैण्डसेट दिया जाय। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से दिनांक 16-4-2014 को जो पत्र प्रेषित किया गया था उसके बाद विपक्षीगण ने दिनांक 22-4-2014 को परिवादी को बुलाया और उसे यह बताया गया कि उसका हैण्डसेट अच्छा है और कार्य कर रहा है और वह अपना हैण्डसेट ले,ले लेकिन परिवादी नहीं आया और गलत तथ्यों के आधार पर यह परिवाद दाखिल कर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादी की शिकायतों पर पूरा ध्यान दिया गया और सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद पत्र में किये गये अभिकथन बिल्कुल गलत है और परिवादी ने नाजायज लाभ प्राप्त करने के लिए यह परिवाद दाखिल किया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। 
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4-    विपक्षी संख्या 5 की ओर से कोई जबाबदावा दाखिल नहीं है और मुकदमा उसके विरूद्ध एक पक्षीय चल रहा है।
5-    परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में परिवादी महावीर प्रसाद मीना का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त परिवादी के पैनकार्ड की छायाप्रति, परिवादी द्वारा विपक्षीगण को भेजे गये रजिस्ट्री की रसीदें,लीगल नोटिस,हैण्डसेट क्रय करने की रसीद(कैशमेमो) मोबाइल सर्विस जांब सीट,परिवादी द्वारा विपक्षी को भेजे गये रिमाइण्डर लेटर तथा रिमाइण्टर कम लीगल नोटिस दिनांकित 15-5-2014 व 16-4-2014 की छायाप्रति दाखिल की गयी है। विपक्षी संख्या 1 ता 4 की ओर से सोनी इण्डिया प्रा0लि0 के अधिकृत सिग्नेट्री,मीना बोस का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सोनी इण्डिया प्रा0लि0 के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स द्वारा 4 जुलाई 2011 को पारित रेजोल्यूशन की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
6-    उभय पक्ष की ओर से लिखित बहस दाखिल है। पक्षकारों के अधिवक्तागण की मौखिक बहस भी सुनी गयी तथा पत्रावली का पूर्ण रूपेण परिशीलन किया गया।
7-    परिवादी की ओर से तर्क दिया गया कि दिनांक 12-5-2013 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 5 से एक मोबाइल सेट रू0 25370/- में क्रय किया और उस समय विपक्षी संख्या 5 द्वारा यह बताया गया कि इस सेट की वारण्टी एक वर्ष है और एक वर्ष के दौरान मोबाइल सेट में आई किसी भी खराबी को ठीक कर दिया जायेगा या आवश्यकता पडने पर बदल दिया जायेगा तब आश्वस्त होकर परिवादी ने मोबाइल सेट क्रय किया और उसका उपयोग शुरू किया लेकिन कुछ ही दिन बाद मोबाइल का कैमरा पूर्ण रूप से बन्द हो गया जिसकी शिकायत दिनांक 20-3-2014 को विपक्षी संख्या 5 से की गयी कि तो उसने मोबाइल सेट को लेकर विपक्षी संख्या 1 के पास जाने के लिए कहा। परिवादी दिनांक 25-3-2014 को अपना मोबाइल सेट विपक्षी संख्या 1 के सर्विस सेण्टर पर जाकर दिया लेकिन विपक्षी संख्या 1 ने न तो उसे रिपेयर किया और न ही मोबाइल वापस किया। परिवादी डेढ महीने तक दौडता रहा किन्तु विपक्षी द्वारा उसे मोबाइल सेट आजतक वापस नहीं किया गया और न ही रिपेयर किया गया तब विपक्षीगण को कानूनी नोटिस परिवादी द्वारा दी गयी लेकिन इसके बाद भी कोई जबाब विपक्षीगण ने नहीं दिया। विपक्षीगण जानबूझकर परिवादी, जो एक उपभोक्ता है, के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है और अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है जबकि परिवादी विपक्षीगण से विक्रय वाद सेवा प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति पहुंची। मोबाइल सेट खराब होने के कारण परिवादी समाज से तो कटा ही उसकी नौकरी एवं अन्य गतिविधियॉं भी प्रभावित हुई। परिवादी के मोबाइल में जो खराबी आई वह वारण्टी पीरियड में आई थी। अतः विपक्षीगण का यह दायित्व था कि वह उसे ठीक करता या परिवादी को नया
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 मोबाइल सेट देते। अतः परिवादी विपक्षीगण से नया मोबाइल सेट तथा क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 50000/- प्राप्त करने का अधिकारी है।
8-    दौरान मौखिक बहस विपक्षीगण के अधिवक्ता द्वारा फोरम के समक्ष यह कहा गया कि विपक्षीगण कभी भी परिवादी के मोबाइल सेट को दुरूस्त करने से मना नहीं किये बल्कि परिवादी जब भी मोबाइल सेट में गडबडी बताया तब उसे दुरूस्त किया गया जैसा कि विपक्षीगण की आपत्ति में कहा गया है और आज भी विपक्षीगण परिवादी के मोबाइल सेट में आई खराबी को दूर करने के लिए तैयार है। परिवादी स्वयं मरम्मत के बाद अपना मोबाइल सेट लेना नहीं चाहता है बल्कि वह चाहता है कि उसे नया मोबाइल सेट दिया जाय जबकि नया मोबाइल सेट उन्हीं परिस्थितियों में दिया जा सकता है जब पुराने सेट में कोई ऐसी निर्माणगत खराबी हो जो दुरूस्त न की जा सकती हो, लेकिन परिवादी के मोबाइल में जो खराबी बतायी गयी है वह दुरूस्त होने योग्य है और उसे दुरूस्त भी कर दिया गया है। अतः परिवादी अपना मोबाइल सेट प्राप्त कर सकता है।
9-    उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने मोबाइल सेट में खराबी बताते हुए उसे विपक्षी संख्या 1 के सर्विस सेण्टर पर मरम्मत किये जाने हेतु जमा किया है। परिवादी की ओर से कोई ऐसा साक्ष्य नहीं दिया गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी के मोबाइल सेट में कोई निर्माणगत खराबी है या उसमे लगायी गयी सामग्री खराब है जिसके कारण परिवादी को नया मोबाइल सेट दिया जाना आवश्यक है। परिवादी का अभिकथन है कि उसने अपने मोबाइल सेट में आई खराबी को दूर करने के लिए उसे विपक्षी संख्या 1 को दिया था लेकिन बार-बार दौडने के बावजूद विपक्षी संख्या 1 ने उसे दुरूस्त नहीं किया जबकि फोरम के समक्ष विपक्षीगण की ओर से उनके अधिवक्ता ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि विपक्षीगण मोबाइल को दुरूस्त करने के लिए सदैव तत्पर रहे है और स्वयं परिवादी दुरूस्त किया हुआ मोबाइल विपक्षीगण से प्राप्त नहीं करना चाहता है बल्कि नया मोबाइल सेट दिलाये जाने की मांग करता रहा। फोरम के समक्ष विपक्षीगण के अधिवक्ता ने कहा कि विपक्षीगण परिवादी का मोबाइल सेट दुरूस्त करके उसे देने के लिए अब भी तैयार है। अतः मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी को नया मोबाइल सेट दिलाये जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं पाया जाता है। बल्कि परिवादी का मोबाइल सेट दुरूस्त कराकर उसे दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को रू0 1000/- बतौर शारीरिक व मानसिक कष्ट तथा रू0 1000/- बतौर वाद व्यय भी दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
                                                                                      आदेश
    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे दो माह के अन्दर परिवादी को उसका मोबाइल सेट 
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दुरूस्त करके दे,दे। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे उपरोक्त अवधि में परिवादी को रू0 1000/-(एक हजार)बतौर शारीरिक व मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति एवं रू0 1000/-(एक हजार) बतौर वाद व्यय भी अदा करें। यदि वे ऐसा नहीं करते है तो उन्हें उक्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से पैसा अदा करने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज भी अदा करना होगा।

 (लक्ष्मण स्वरूप)                                                             (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                                              अध्यक्ष
                                                                                दिनांकः 14-10-2016 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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