BHOORE KHAN filed a consumer case on 09 May 2024 against MANAGER NATIONAL INSURANCE COMPANY in the Bareilly-II Consumer Court. The case no is CC/98/2023 and the judgment uploaded on 13 May 2024.
Uttar Pradesh
Bareilly-II
CC/98/2023
BHOORE KHAN - Complainant(s)
Versus
MANAGER NATIONAL INSURANCE COMPANY - Opp.Party(s)
KARAN SINGH KANAUJIYA
09 May 2024
ORDER
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- द्वितीय, बरेली।
उपस्थित :- 1- दीपक कुमार त्रिपाठी अध्यक्ष
2- दिनेश कुमार गुप्ता सदस्य
परिवाद सं0 : 98/2023
भूरे खां पुत्र श्री बाबू खां निवासी कटरा चांद खां पुराना शहर जिला बरेली।
..................परिवादी
प्रति
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय-179, सिविल लाईंस स्टेशन रोड़, बरेली जिला बरेली उ.प्र.।
.................विपक्षी
परिवाद संस्थित होने की तिथि 27.04.2023
निर्णय उद्घोषित करने की तिथि 09.05.2024
परिवादी अधिवक्ता श्री करन सिंह ।
विपक्षी अधिवक्ता श्री सुनील गोयल।
निर्णय
1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत यह परिवाद बीमित कार चोरी होने के कारण बीमा राशि रू. 4,88,563/- तथा मानसिक-शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति रू. 7,00,000/- दिलाए जाने हेतु दिनांक 27.04.2023 को प्रस्तुत किया गया है।
2. प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के स्वामित्व के वाहन ‘‘स्वीफट कार‘‘ संख्या यू.पी.25 सी.वी.4317 विपक्षी द्वारा पालिसी नं. 46130031211847147613 द्वारा रू. 4,88,563/- में दिनांक 30.11.2021 से दिनांक 29.11.2022 तक बीमित थी।
3. परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी दिल्ली में किराए के मकान में रह रहा है। दिल्ली जैसे शहर में मकान में गाड़ी खड़ी करने की जगह न होने के कारण दिनांक 29.07.2022 को रोजाना की तरह परिवादी ने घर के सामने ललिता पार्क पुलिस बूथ के सामने कार लॉक लगाकर खड़ा किया था। सोने से पहले रात के पौने दस बजे तक परिवादी की कार वहीं खड़ी थी। दिनांक 29/30-07-2022 की रात में किसी समय उक्त कार को चोर चुरा कर ले गए। परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 30.07.2022 को सुबह चार बजकर छह मिनट पर पूर्वी दिल्ली के थाना लक्ष्मीनगर में दर्ज करायी थी। चोरी की सूचना बिना किसी देरी के बीमा कम्पनी को दी। बीमा कम्पनी ने सर्वेयर नियुक्त किया। सर्वेयर ने दिनांक 02.09.2022 को जो कागजात मॉंगे वह दिए गए। किन्तु विपक्षी द्वारा दिनांक 22.03.2023 द्वारा परिवादी का क्लेम खारिज कर दिया गया। पत्र में 08दिन का वक्त इस शर्त पर जवाब देने के लिए दिया गया था कि परिवादी ने वाहन को असुरक्षित छोड़ रखा था। परिवादी को उक्त शर्त बीमा कराते समय नहीं बतलाई गई थी। विपक्षी ने बीमित वाहन बीमा अवधि में चोरी होने के बावजूद परिवादी को बीमाधन की अदायगी न करके परिवादी के प्रति सेवा में कमी की है। अतः विपक्षी से परिवादी को चोरी गई कार की बीमा राशि रू. 4,88,563/-, सेवा में कमी करने पर मानसिक-शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति रू. 7,00,000/- एवं वाद व्यय दिलाया जावे।
4. विपक्षी ने निर्णय की कंडिका क्रमांक 2 में उल्लिखित स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवाद पत्र में उल्लिखित शेष अभिवचनों से इंकार करते हुए प्रस्तुत, जवाबदावे में यह विरोधी अभिवचन किया है कि प्रश्नगत कार आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक द्वारा वित्त-पोषित थी। अतः आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक परिवाद में आवश्यक पक्षकार है। किन्तु परिवादी द्वारा आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अतः आवश्यक पक्षकारों के असंयोजन के कारण परिवाद प्रचलन योग्य नहीं है। विपक्षी ने परिवादी को दिनांक 22.03.2022 को कारण बताओं नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मॉंगा था किन्तु परिवादी द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं देकर वर्तमान परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया है। अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अपरिपक्व होने के कारण खारिज किए जाने योग्य है। परिवादी द्वारा बीमित वाहन चोरी होना बता दिए जाने पर विपक्षी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया था जिसने यह पाया था कि परिवादी द्वारा बीमित कार खुले स्थान पर असुरक्षित तरीके से खड़ी हुई थी। सुरक्षा हेतु परिवादी द्वारा कोई समुचित कदम नहीं उठाए गए। घटना स्थल के पास Paid पार्किंग उपलब्ध थी। उक्त Paid पार्किंग का रजिस्ट्रेशन सं. AC/R.P.C/SEL/MCD/D-655 है जिसका लाईसेंस दिनांक 31.03.2021 से दिनांक 31.03.2024 तक वैध एवं प्रभावी था परन्तु परिवादी द्वारा पेसा बचाने के उद्देश्य से अधिकृत पार्किंग स्थल पर बीमित गाड़ी पार्क नहीं की, बल्कि पैसा बचाने के उद्देश्य से कार को असुरक्षित तरीके से खुली जगह में खड़ी की गई जो पालिसी की शर्त नं. 4 का उल्लंघन है। परिवादी को पालिसी की शर्तो के आधार पर कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था। परिवादी द्वारा कोई समुचित जवाब प्रस्तुत न करने के कारण परिवादी का दावा विपक्षी द्वारा दिनांक 21.06.2023 को खारिज किया गया किन्तु इसके पूर्व ही परिवादी द्वारा दिनांक 27.04.2023 को परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया है जोकि अपरिपक्व हे। परिवादी स्वच्छ हाथों से आयोग के समक्ष पेश नहीं हुआ है। परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
5. परिवादी ने अपने पक्ष समर्थन में POLICY SCHEDULE प्रश्नगत बीमित वाहन का रजिस्ट्रेशन सार्टिफिकेट, चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, Pre repudiation letter दिनांक 22.03.2023ए चैक लिस्ट प्रस्तुत की हे। परिवादी भूरे खॉ ने साक्ष्य में स्वयं के शपथपत्र पर कथन भी प्रस्तुत किया है।
6. विपक्षी की ओर से INVESTIGATION REPORT दिनांक 22.02.2023, Final repudiation letter दिनांक 21.06.2023, पालिसी कंडीशन, आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक लोन पेपर, घटना स्थल के फोटोग्राफ, क्लेम फार्म, विवेचना के दौरान परिवादी भूरे खॉ तथा पड़ोसी इमरान खान के लिए गए बयानों की प्रतिलिपि प्रस्तुत की है तथा इंचार्ज लींगल सेल नीरज शर्मा के शपथपत्र पर कथन प्रस्तुत किए है।
7. परिवाद के निस्तारण हेतु निम्नलिखित विचारणीय प्रश्न उत्पन्न
प्रथम क्या प्रकरण में आवश्यक पक्षकार का असंयोजन है-यदि हॉं
तो क्या आवश्यक पक्षकारों के असंयोजन के कारण परिवाद सुनवाई
योग्य नहीं है?
द्वितीय क्या प्रस्तुत परिवाद अपरिपक्व (Pre Mateure) है- यदि हॉ तो
प्रभाव?
तृतीय क्या विपक्षी द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी
की गई है?
चतुर्थ क्या परिवादी विपक्षी से बीमा राशि रू. 4,88,563/- तथा
क्षतिपूर्ति रू. 7,00,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है?
प्रथम विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष
8. यह वाद प्रश्न विपक्षी द्वारा प्रतिवादपत्र में प्रस्तुत अभिवचन के आधार पर निर्मित किया गया है। विपक्षी के अनुसार परिवादी के स्वामित्व का प्रश्नगत बीमित वाहन परिवादी द्वारा आइ.सी.आइ.सी. बैंक से लोन लेकर क्रय किया गया था। अतः प्रश्नगत वाहन आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक द्वारा वित्त-पोषित होने के कारण आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक परिवाद में आवश्यक पक्षकार है तथा परिवादी द्वारा उक्त आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक को पक्षकार न बनाए जाने के कारण आवश्यक पक्षकार के संयोजन के कारण परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
9. परिवादपत्र एवं प्रतिवादपत्र में उल्लिखित अभिवचन के आधार पर परिवादी तथा विपक्षी के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता के संबंध होना तथा परिवादी एवं विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि. के मध्य ही उपभोक्ता मामला विवादित होना प्रकट होता है।
10. परिवादपत्र में आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक से परिवादी को कोई शिकायत न होने के कारण तथा विपक्षी द्वारा सेवा में कमी किए जाने के प्रश्न पर आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक का विपक्षी के साथ कोई समान हित न होने के कारण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत प्रस्तुत इस परिवाद प्रकरण में आइ.सी.आइ.सी.आइ. बैंक का (आवश्यक पक्षकार अथवा उचित पक्षकार) होना नहीं माना जा सकता क्योंकि परिवादी का आइ.सी.आइ.सी.आई. बैक से कोई भी विवाद नहीं है। इस प्रकार से प्रथम विचारणीय प्रश्न पर नकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त होता है तथा नकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त होने के कारण परिवाद प्रचलन योग्य होना पाया जाता है।
द्वितीय विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष
11. यह वाद प्रश्न भी विपक्षी द्वारा प्रतिवादपत्र में उल्लिखित अभिवचन के आधार पर निर्मित किया गया है। विपक्षी के अनुसार विपक्षी ने परिवादी को दिनांक 22.03.2034 को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था किन्तु परिवादी ने उक्त कारण बताओं नोटिस का कोई जवाब न देकर परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया है। जबकि परिवादी द्वारा कोई समुचित जवाब प्रस्तुत न करने के कारण विपक्षी द्वारा परिवादी का दिनांक 21.06.2023 को दावा खारिज किया गया है। जबकि परिवादी द्वारा वर्तमान दावा दिनांक 27.04.2023 को प्रस्तुत कर दिया गया था। अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अपरिपक्व होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं है।
12. उभयपक्ष द्वारा प्रस्तुत अभिवचन, दस्तावेजी साक्ष्य एवं शपथपत्रीय साक्ष्य का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट है कि विपक्षी ने परिवादी को दिनांक 22.03.2023 को पृष्ठ क्रमांक 7 में संलग्न Pre repudiation letter भेजकर प्रश्नगत वाहन असुरक्षित छोड़कर कंडीशन की शर्त क्रमांक 4 का उल्लंघन किए जाने के संबंध में 7दिनों के अंदर स्पष्टीकरण चाहा गया। परिवादी द्वारा विपक्षी के उक्त पत्र का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया- जैसाकि विपक्षी द्वारा दिनांक 21.06.2023 के पृष्ठ क्रमांक 26/7 में संलग्न Final repudiation letter समजजमत द्वारा परिवादी का क्लेम खारिज किया गया है इसके पूर्व दिनांक 27.04.2023 में यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
13. किन्तु विपक्षी की ओर से प्रस्तुत पृष्ठ क्रमांक 26/1 लगायत पृष्ठ क्रमांक 26/6 में संलग्न INVESTIGATION REPORT के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि INVESTIGATION द्वारा दिनांक 22.02.2023 को Repudiation की संस्तुति की जा चुकी थी। साथ ही पृष्ठ क्रमांक 7 में संलग्न Pre repudiation letter दिनांक 22.03.2023 में 7दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत न करने पर परिवादी का क्लेम Repudiate कराए जाने का लेख किया गया था। अतः Pre repudiation letter दिनांक 22.03.2023 से 7दिन से अधिक समय हो जाने तथा INVESTIGATION REPORT के आधार पर दिनांक 22.02.2023 को Repudiation की संस्तुति कर दिए जाने के पश्चात् दिनांक 27.04.2023 को प्रस्तुत परिवाद अपरिपक्व (Pre Mateure) होना कदापि नहीं माना जा सकता। इस प्रकार से द्वितीय विचारणीय प्रश्न पर भी नकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त होता है।
तृतीय विचाराणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष
14. विपक्षी द्वारा सेवा में कमी किए जाने के संबंध में परिवादी भूरे खां ने साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत शपथपत्र पर कथनों में विपक्षी द्वारा बीमित वाहन दिनांक 29/30-07-2022 की रात चोरी हो जाने पर तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराए जाने, विपक्षी को अविलंब चोरी की सूचना दिए जाने तथा विपक्षी द्वारा INVESTIGATION REPORT दिए जाने किन्तु INVESTI GATION REPORT के आधार पर अंतिम रूप से परिवादी का क्लेम खारिज किए जाने की साक्ष्य दी है तथा विपक्षी द्वारा पालिसी की कंडीशन क्रमांक 4 के बारे में पूर्व में जानकारी न दिए जाने के कारण अनुचित रूप से क्लेम निरस्त कर परिवादी के प्रति सेवा में कमी किए जान का कथन किया है।
15. विपक्षी की ओर से इंचार्ज लींगल सेल नीरज शर्मा ने परिवादपत्र में उल्लिखित अभिवचनों का तथा परिवादी भूरे खां के साक्ष्य के खण्डन में यह साक्ष्य दी है कि पालिसी की शर्त क्रमांक 4 के अनुसार परिवादी का यह दायित्व था कि वह कार को सुरक्षित स्थान में रखता किन्तु परिवादी ने बीमित कार खुले स्थान पर असुरक्षित तरीके से खड़ी की थी। जबकि घटना स्थल के पास Paid पार्किंग उपलब्ध थी। परिवादी द्वारा पैसा बचाने के उद्देश्य से अधिकृत Paid पार्किंग स्थल पर खड़ी न करके असुरक्षित तरीके से खड़ी की थी जोकि पालिसी की शर्त सं. 4 का उल्लंघन होने के कारण परिवादी को कोई भी बीमा देय नहीं है।
16. परिवादी ने परिवादपत्र की कंडिका क्रमांक 2 व 3 में दिल्ली से शहर में किराए के मकान में गाड़ी खड़े करने की जगह न होने के कारण घर के सामने ललिता पार्क पुलिस बूथ के सामने लॉक करके वाहन गाड़ी खड़े किए जाने का अभिवचन किया है जिसके समर्थन में परिवादी भूरे खां ने शपथपत्र की कंडिका क्रमांक 3 में साक्ष्य दी हे तथा यह कथन भी किया हे कि विपक्षी ने जिस लाईसेंसिंग पेड पार्किंग का जिक्र किया है, वह परिवादी के घर व ललिता पार्क लगभग 3किलोमीटर दूर है। जबकि ललिता पार्क में सी.सी.टी.वी. लगे होने के कारण एवं पुलिस चौकी होने के कारण सुरक्षित है तथा उस स्थल पर परिवादी सहित 200 गाड़ियॉं रोज खड़ी होती है। विपक्षी की ओर से खण्डन में कोई ऐसी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की हे जिससे परिवादी की इस साक्ष्य का खण्डन हो कि लाईसेंसिंग पेड पार्किंग स्थल परिवादी के घर व ललिता पार्क में 3किलोमीटर की दूरी पर है तथा विपक्षी की ओर से परिवादी के इस साक्ष्य के खण्डन में भी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है कि परिवादी ने जहां कार खड़ी की थी, वहां सामने पुलिस चौकी मौजूद नहीं है अथवा अन्य 200 कारें खड़ी नहीं होती हे। विपक्षी की ओर से उक्त संबंध में न तो सर्वेयर के शपथपत्र पर कथन प्रस्तुत किया गया है, न ही वहां के रहने वाले किसी अन्य व्यक्ति के शपथपत्र पर कथन प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार से घटना स्थल के पास च्ंपक पार्किंग होने के संबंध में विपक्षी की ओर से कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है।
17. विपक्षी की ओर से प्रस्तुत INVESTIGATION REPORT में चोरी की घटना की रात्रि में परिवादी द्वारा वाहन लॉक करके घर में सोने चले जाने का तथ्य किए जाने तथा वाहन चोरी हो जाने का तथ्य स्वीकार किया गया है। परिवादी से वाहन की दोनो चाबियॉं भी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा ले ली गई है तथा विपक्षी का ऐसा तर्क भी नहीं हे कि परिवादी ने घटना के वक्त वाहन बिना लॉक करके खड़ा कर रखा था अथवा वाहन की प्हदपजपवद में चाबी छोड़ कर चला गया था।
18. विपक्षी की ओर से प्रस्तुत न्याय दृष्टांत ICICI LOMBARD GENERAL INSURANCE CO. LTD & ANR V/S JASPAL SINGH I(2016) CPJ 110 (Punj), PARAMJIT KAUR V/S ORIENTAL INSURANCE CO. LTD III(2014) CPJ 164 (NC) में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया हे कि वाहन के अंदर Ignition में चाबी लगी हुई छोड़ दिए जाने की दशा में वाहन चोरी होने पर बीमाधारक द्वारा असुरक्षित तरीके से वाहन छोड़ दिए जाने के कारण पालिसी की कंडीशन की शर्त क्रमांक 4 का उल्लंघन होता है तो ऐसी अवस्था में बीमाधन देय नहीं हे। किन्तु वर्तमान प्रकरण में परिवादी द्वारा वाहन में चाबी लगी हुई नहीं छोड़ी गई हे और न ही वाहन अनलॉक छोड़ा गया हे। अतः उक्त न्याय दृष्टांतों से विपक्षी को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।
19. विपक्षी की ओर से प्रस्तुत न्याय दृष्टांत NATIONAL INSURANCE COMPANY LTD V/S KAMAL SINGHAL IV(2010) CPJ 297 (NC) में nature’s call आने पर ड्राइवर चाबी को कार में ही छोड़ कर चला गया। इस बीच 3चोर वाहन को चुरा ले गये। उक्त मामले में मा. राष्ट्रीय आयोग ने यह माना कि ड्राइवर से ऐसी उम्मद नहीं की जा सकती कि वह nature call आने पर nature call का समाधान करते वक्त चाबी को भी साथ में ले जाए। उक्त मामले में मा. राष्ट्रीय आयोग ने जिला आयोग और राज्य आयोग द्वारा पारित दोनो के निर्णयों को स्थिर रखा। इस प्रकार से विपक्षी द्वारा प्रस्तुत उक्त न्याय दृष्टांत परिवादी के पक्ष में होना प्रतीत होता है।
20. इसके अलावा विपक्षी की ओर से एक अन्य न्याय दृष्टांत NATIONAL INSURANCE COMPANY LTD V/S TRACK WAY SECURITIES AND FINANCE PVT. LTD & ANR II(2011) CPJ 132 (NC) में चोरी गया बीमित वाहन प्राईवेट वाहन के रूप में बीमित होने के बावजूद Commercial Purpose में प्रयोग किए जाने के कारण Breach of policy conditionमाना किन्तु वर्तमन प्रकरण में ऐसा कोई प्रस्तुत न होने के कारण उक्त न्याय दृष्टांत से भी विपक्षी को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता।
21. साक्ष्य के उपरोक्त विश्लेषण एवं प्रस्तुत न्याय दृष्टांतों के परिप्रेक्ष्य में मात्र घर के बाहर वाहन लॉक करके खड़ी कर देने के कृत्य को वाहन असुरक्षित रूप से छोड़कर पालिसी की कंडिका क्रमांक 4 का उल्लंघन किया जाना नहीं माना जा सका क्योंकि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अधिकतर वाहन मालिकों के पास उनके मकान में बंद गैरेज नहीं है। इस कारण वे अपने वाहन को घर के बाहर लॉक करके खड़ी कर देते है। यदि विपक्षी बीमा कम्पनी यह मानती है कि वाहन सुरक्षित अवस्था में तभी माना जा सकता है जब वाहन बंद गैरेज में तथा गैरेज के बाहर भी ताला लगाकर खड़ी करें तभी असुरक्षित नहीं माना जाएगा अथवा पालिसी की कंडिका क्रमांक 4 का उल्लंघन नहीं होगा तो ऐसी दशा में बीमा कम्पनी को चाहिए कि वह किसी वाहन का बीमा करते समय यह सुनिश्चित करें कि वाहन स्वामी के पास बंद गैरेज उपलब्ध है जहां वह गाड़ी खड़ी कर सके तथा ऐसा न होने की स्थिति में ऐसे वाहन स्वामी के वाहन का बीमा ही न करें।
22. उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट है कि विपक्षी ने परिवादी का क्लेम बिना उचित आधार के निरस्त करने में परिवादी के प्रति सेवा में कमी की हे। इस प्रकार से तृतीय विचारणीय प्रश्न पर सकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त होता है।
चतुर्थ विचाराणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष
23. तृतीय विचारणीय प्रश्न पर प्राप्त निष्कर्ष के अनुसार चूॅंकि विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी के बीमित वाहन चोरी होने के बावजूद परिवादी द्वारा बीमा क्लेम राशि चाहें जाने पर कलेम न देते हुए क्लेम निरस्त किए जाने में परिवादी के प्रति सेव में कमी की है। अतः परिवादी विपक्षी से चोरी गए वाहन का बीमा धन रू. 4,88,563/- प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही विपक्षी द्वारा सेवा में कमी किए जाने के कारण परिवादी विपक्षी से मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति भी प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है।
24. परिवादी ने विपक्षी से मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 7,00,000/- दिलाए जाने की मॉंग की हे। किन्तु प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए परिवादी को विपक्षी से रू. 25,000/- मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है।
25. समस्त विचारणीय प्रश्नों पर प्राप्त निष्कर्षो के परिणामस्वरूप परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अंशतः सव्यय स्वीकार करते हुए विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विरूद्ध निम्न आशय की डिक्री पारित की जाती हैः-
प्रथम यहकि विपक्षी परिवादी को 45दिनों के भीतर बीमाधन रू. 4,88,563/- (चार लाख अटठासी हजार पॉच सौ तिरेसठ) प्रदान करेगा। उक्त अदायगी में व्यतिक्रम की दशा में उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 27.04.2023 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 6(छः)प्रतिशत वार्षिक दर पर ब्याज भी देय होगा।
द्वितीय यहकि विपक्षी परिवादी को 45दिनों के भीतर मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 25,000/- (पच्चीस हजार) प्रदान करेगा। उक्त अदायगी में व्यतिक्रम की दशा में उक्त राशि पर निर्णय की दिनांक 09.05.2024 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 6(छः)प्रतिशत वार्षिक दर पर ब्याज भी देय होगा।
तृतीय यहकि विपक्षी स्वयं सहित परिवादी का वाद व्यय रू. 10,000/- (दस हजार) भी वहन करेगा।
26. पक्षकारों को निर्णयों की प्रतिलिपि निःशुल्क तत्काल उपलब्ध कराई जावे।
(दिनेश कुमार गुप्ता) (दीपक कुमार त्रिपाठी)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय
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