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M.C.Guopta filed a consumer case on 08 Feb 2016 against Manager, National Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/116/2008 and the judgment uploaded on 08 Feb 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या-116/2008
1 एम0सी0 गुप्ता पुत्र श्री हरी हर लाल।
2 श्रीमति ऊशा गुप्ता पत्नि श्री एम0सी0 गुप्ता निवासीगण मकान नंबर 2 गली नंबर 9 सरस्वती काॅलोनी,बारां रोड, कोटा (राज0)।
-परिवादीगण।
बनाम
1 नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड लि0 जरिये मैनेजर षाखा कार्यालय 25 झालावाड रोड, कोटा 324 005
2 विपुल मेडीक्रोप प्रा0 लि0 515 उद्योग विहार फेज-5 गुडगांव हरियाणा।
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री लीलाधर अग्रवाल,अधिवक्ता ओर से परिवादीगण।
2 श्री बिजेन्द्र गौड़,अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण।
निर्णय दिनांक 08.02.2016
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 01-09-2007 को परिवादीगण ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादीगण ने विपक्षी-1 से एक मेडीक्लेम इंष्योरेंस पाॅलिसी नंबर 370803/48/04/850/276 दिनांक 19-03-2005 से दिनंाक 18-03-2006 तक की अवधि के लिए 2,378/-रूपये का प्रीमियम अदा करके प्राप्त की थी। पाॅलिसी के अनुसार विपक्षी-2 ज्च्। है जिसके
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द्वारा मेडीकल क्लेम की जांच की जाती है। परिवादिनी-2 श्रीमति ऊशा गुप्ता की छाती में दिनंाक 21-11-2005 को दर्द होने पर हृदय रोग विषेशज्ञ डा0 साकेत गोयल को दिखाया जिन्होंने आवष्यक जाँच आदि कराये जाने के बाद दवाईयां लिखीं और सात दिवस बाद रिपोर्ट दिखाने को कहा गया। उसके बाद चार सप्ताह के अन्तराल में डा0 गोयल ने ।दहपवहतंचील की करवाने के लिए कहा और डाॅक्टर की राय पर दिनांक 11-01-2006 को भर्ती करा दिया और दिनंाक 12-01-2006 को छुट्टी दे दी गई। इस प्रकार एक माह की औशधियां, ।दहपवहतंचील की राषि तथा होस्पीटल का खर्चा मिलाकर कुल 8,618/-रूपये का क्लेम विपक्षीगण को प्रेशित किया। लेकिन कई बार पत्राचार करने के बाद क्लेम की अदाएगी नहीं करके सेवामें कमी की है। परिवादी ने विपक्षीगण से 8,618/-रूपये का क्लेम मय ब्याज एवं हर्जे खर्चे के दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी-1 ने परिवाद के जवाब में पाॅलिसी दिया जाना स्वीकार किया है। षेश तथ्यों से इन्कार करते हुए विषेश आपत्तियों में यह उल्लेख किया है कि परिवादी ने मेडीकल बिल व पर्चे अस्पताल के डाॅक्टर से वेरिफाई करवाकर पेष नहीं किये हैं। परिवादिनी को नियमित चेक अप के लिए डाॅक्टर को दिखाया गया है,बीमारी से संबंधित इलाज नहीं करवाया है तथा चेक अप के उद्देष्य से परिवादिनी-2 भ्वेचपजंसपेंजपवद हुई है जो पाॅलिसी की षर्तों व नियमों का उल्लंघन है। इसलिए वह कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिनी नहीं है। विपक्षीगण ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादीगण ने स्वयं के षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.5 दस्तावेज तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में श्री पंकज कुमार,प्रषासनिक अधिकारी का षपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है परन्तु प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 लगायत म्गक.2 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं।
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उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता हैं ?
परिवादीगण का परिवाद,षपथ-पत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता होना प्रमाणित पाये जाते हैं।
2 क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि प्रार्थी नंबर 2 की तबीयत खराब हो गई, उसने डाॅक्टर साकेत गोयल को दिखाया और देखने के बाद सुधा होस्पीटल में भर्ती रही और अपना इलाज कराया। प्रार्थिया ने क्लेम पेष किया लेकिन पाॅलिसी की षर्तों की पालना नहीं करने के आधार पर क्लेम खारिज कर दिया।
प्रस्तुत प्रकरण में मुख्य विवाद का बिन्दु है कि प्रार्थिया को पाॅलिसी की षर्तों के मुताबिक लाभ नहीं दिया जा सकता परन्तु यह अप्रार्थीगण की जिम्मेदारी थी कि वे पाॅलिसी होल्डर को एक्सक्लूजिव क्लाॅज का विवरण बताते इसकी जिम्मेदारी स्वयं अप्रार्थीगण की थी। लेकिन अप्रार्थीगण ने एक्सक्लूजिव क्लाॅज बताने का कोई प्रमाण पेष नहीं किया है। यहाँ तक कि पत्रावली में कवरनोट संलग्न है,पाॅलिसी संलग्न नहीं है। परिवादी को पाॅलिसी नहीं दी। इस गलती को अप्रार्थीगण स्वीकार नहीं करते उल्टा यह कहते हैं कि उसे पाॅलिसी माँगनी चाहिए थी, ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण ने एक्सक्लूजिव क्लाॅज को प्रार्थीगण को एक्सप्लेन नहीं करके तथा पत्रावली में पाॅलिसी पेष नहीं करके अपने दायित्व के पूर्ति नहीं की है और यही इनका सेवादोश पाया गया है। प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त-1-2001 ;2 द्ध ब्च्श्र 108 ैीलंउं छंदकं श्रंसंद टध्ै छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वण्स्जक ;ॅमेज ठमदहंस ैजंजम ब्वदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवदएब्ंसबनजजं 2.2015 ;1द्ध ब्स्ज्.590रू 2015 ;2द्ध ब्च्श्र 78 ैजंत भ्मंसजी ंदक ।ससपमक प्देनतंदबम ब्वण्स्जक टध्ै ।ेीं ;ैजंजम ब्वदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवदए भ्ंतपलंदं से इस बिन्दु पर प्रकाष प्राप्त होता है।
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3 अनुतोश ?
प्रार्थीगण का परिवाद खिलाफ अप्रार्थीगण आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवादीगण का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि:-
1 विपक्षीगण संयुक्तः व पृथकतः परिवादिनी संख्या-2 को 8,618/-रूपये इलाज हेतु व्यय की गई राषि की क्षतिपूर्ति करें।
2 विपक्षीगण 2,000/-रूपये मानसिक और षारीरिक क्षति के और 3,000/-रूपये परिवाद व्यय के अदा करें।
3 विपक्षीगण आदेष की पालना निर्णय पारित किये जाने की तारीख से दो माह में अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान उक्त राषि पर 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के लिए दायित्वाधीन होगा।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
निर्णय आज दिनंाक 08.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
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