प्रकरण क्र.सी.सी./14/83
प्रस्तुती दिनाँक 26.11.2013
आर.के.ट्रांसपोर्ट कंपनी, प्रोप्राईटरशिप फर्म, पता-नवकार परिसर, पुलगांव नाका, दुर्ग द्वारा प्रोपराईटर-रमेश कुमार आ. हीरालाल जैन, नवकार परिसर, पुलगांव, दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
1. चेयरमेन सह मैनेजिंग डायरेक्टर, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमि., 3, मिडीलटन स्ट्रीट, कोलकाता-700 071 (प.ब.)
2. डिविजनल प्रबंधक, डिविजनल आॅफिस 22, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमि., 8 इंडिया एक्सचेंज प्लेस (भूतल), एन.आई.सी.बिल्डिंग, कोलकाता - 700 001 (प.ब.)
3. नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमि. ब्रांच आफिस-गिल काॅम्पलेक्स, गुरूद्वारा रोड के पास, स्टेशन रोड, दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 17 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से वाहन की रिपेयरिंग राशि 12,50,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के द्वारा अनावेदक से अपने मालवाहक वाहन एक्टोस टिप्पर का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी से कराया था, दिनंाक 07.05.2010 को रात्रि 10ः30 बजे परिवादी का वाहन करीमनगर, आंध्रप्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। परिवादी के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को समय पर घटना की सूचना प्रदान कर दी गई थी तथा क्लेम फार्म मय दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए गए थे, किंतु अनावेदक के द्वारा क्लेम का निराकरण न किए जाने के कारण परिवादी के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को अपने अधिवक्ता मार्फत नोटिस भी प्रेषित कराई गई जिसके पश्चात अनावेदकगण के द्वारा परिवादी को सहानूभूतिनुरूप पत्र प्रेषित करते हुए बीमा दावा राशि शीघ्र प्रदान करने का कथन किया जाता रहा, किंतु परिवादी के दावे को लंबित रखते हुए उक्त बीमा दावा राशि परिवादी को प्रदान नहीं की गई। अनावेदकगण का उपरोक्त कृत्य सेवा में कमी तथा व्यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में आता है। अतः परिवादी को अनावेदकगण से वाहन की रिपेयरिंग राशि 12,50,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(3) अनावेदकगण का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदकगण के द्वारा आई.एम.टी.13 की प्रति फोरम के समक्ष प्रस्तुत की गई है, जिसके अनुसार वाहन का उपयोग बीमित के द्वारा अपने परिसर में ही किया जाना था, परिवादी का वाहन बीमित परिसर से बाहर सिंगरेनी काॅलरीज़ में उपयोग किए जाने के कारण आग से जला है। इस प्रकार परिवादी के द्वारा बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन किया गया, फलस्वरूप परिवादी का दावा देय नहीं था, किंतु बीमा कंपनी के द्वारा वाहन क्षति क्लेम के सेटलमेंट को अनावेदक के हेड आॅफिस के द्वारा कैशलाॅस एवं 50 प्रतिशत अमानक स्तर पर 6,06,124रू. स्वीकृत किया गया था तथा आवेदक को इस हेतु दिनंाक 28.04.14 को सूचित किया गया था, किंतु आवेदक के द्वारा दिनंाक 05.05.14 को पत्र द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। जिसके लिए परिवादी स्वयं जिम्मेदार है। आवेदक, अनावेदक से किसी अनुतोष को पाने की पात्रता नहीं रखता। अनावेदक के द्वारा परिवादी के प्रति किसी प्रकार सेवा मे कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण नहीं किया गया है, अतः परिवादी का दावा सव्यय निरस्त किया जावे।
(4) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण से वाहन की रिपेयरिंग राशि 12,50,000रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 1,00,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(5) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(6) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि अभिकथित पाॅलिसी बीमित व्यक्ति के स्वयं के क्षेत्र के उपयोग हेतु थी, जहां समान्य जनता को जाने का अधिकार नहीं था, परंतु परिवादी द्वारा बीमा पाॅलिसी के शर्तों के उल्लंघन में सिंगरेनी काॅलरीज़ कंपनी लिमिटेड के क्षेत्र में गाड़ी चलाई गई है जो दुर्घटना के समय बीमित व्यक्ति के कब्जे का क्षेत्र नहीं था, अतः निश्चित रूप से परिवादी ने बीमा शर्तों का उल्लंघन किया है, फिर भी बीमा कंपनी ने परिवादी के पक्ष में दावा निराकरण कर नाॅन स्टेण्डर्ड बेसिस पर राशि निधार्रित की है और इस प्रकार हम भी कोई कारण नहीं पाते है कि अनावेदक बीमा कंपनी ने किसी भी प्रकार से सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण किया।
(7) फलस्वरूप हम परिवादी को न्यायदृष्टांत:-
(1) मेसर्स हरसोलिया मोटर्स विरूद्ध मेसर्स नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड प्रथम अपील नं.159 आॅफ 2004 (एन.सी.)
का लाभ नहीं देते हैं, अतः परिवादी का दावा खारिज करते हैं।
(8) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।