Uttar Pradesh

StateCommission

A/1644/2018

Gomti Prasad Tiwari - Complainant(s)

Versus

Manager M/S Sri Ram Transport Finance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Pradeep Kumar Shukla & S.P. Pandey

30 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1644/2018
( Date of Filing : 12 Sep 2018 )
(Arisen out of Order Dated 10/08/2018 in Case No. C/143/2012 of District Faizabad)
 
1. Gomti Prasad Tiwari
S/O Late Bajnath Tiwari R/O Vill. Chawardhar (Pure Subedar) Post Chawardhar Pargana Paschim Rath Bikapur Distt. Faizabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Manager M/S Sri Ram Transport Finance Co. Ltd
Fatehganj Distt. Faizabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 Jan 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक) 

अपील सं0- 1644/2018

Gomti Prasad Tiwari, aged about 70 years, Son of Late Bajnath Tiwari, Resident of Village-Chawardhar (Pure Subedar), Post Chawardhar, Pargana Paschim Rath Tahsil Bikapur, District- Faizabad.                                                                                                       

                                                       …...Appellant

 

Versus

 

1. Manager, M/s Sri Ram Transport Finance Company Limited, Fatehganj, District Faizabad.

2. Sri Ram Transport Finance Company Limited, Suraj Deep Complex, E-Block, 1st Floor, 1 Jopling Road, Lucknow through its Power of Attorney Holder Avinash Anand.                                                                                                  

                                                 ………Respondents   

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री मनु दीक्षित,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।     

                                                                                       

दिनांक:- 30.01.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 143/2012 गोमती प्रसाद तिवारी बनाम प्रबंधक/मैनेजर द्वारा मेसर्स श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0 में जिला उपभोक्‍ता आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 10.08.2018 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा लिए गए ऋण को नियमित रूप से वापस नहीं किया गया और अपीलार्थी/परिवादी द्वारा स्‍वयं बकाया राशि को जमा नहीं किया गया।

3.          हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय एवं प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनु दीक्षित को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

4.          पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि प्रारम्‍भ में परिवाद सं0- 143/2012 जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा दि0 11.03.2013 को निस्‍तारित करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया:-

            ‘’विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रूपये 25,000/- (रूपये पच्चीस हजार मात्र) तथा परिवाद व्‍यय के मद में रूपये 1,500/- (रूपये एक हजार पांच सौ मात्र) का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्‍दर करें। विपक्षी को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी से वाहन कब्‍जे में लिये जाने की दिनांक 27.04.2012 से तथा आदेश की दिनांक से 30 दिन बाद तक का कोई ब्‍याज वसूल नहीं करेगा। परिवादी द्वारा देय बकाये की धनराशि रूपये 51,256/- (रूपये इक्‍यावन हजार दो सौ छप्‍पन मात्र) में परिवादी के क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय की धनराशि समायोजित की जायेगी। परिवादी, विपक्षी को जब पूरा भुगतान कर देगा तो उसके तत्‍काल बाद विपक्षी परिवादी के वाहन को अवमुक्‍त कर देगा। ओ0डी0 चार्ज को विपक्षी परिवादी से आदेश की दिनांक से 30 के बाद से परिवादी द्वारा भुगतान न करने पर वसूल करेगा।‘’

5.          इस निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध अपील सं0- 901/2013 श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस बनाम गोमती प्रसाद तिवारी प्रस्‍तुत की गई। इस आयोग द्वारा यह अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अंकन 25,000/-रू0 प्रतिकर के आदेश को अपास्‍त किया गया तथा प्रश्‍नगत विकल्‍प को परिवादी के पक्ष में 51,526/-रू0 प्राप्‍त कराते हुए उन्‍मुक्‍त करने का आदेश पारित किया गया और यह भी निर्देशित किया गया कि ऋण की बकाया राशि का भुगतान 02 माह के अन्‍दर किया जाए। इस निर्णय के विरुद्ध मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के समक्ष पुनरीक्षण आवेदन सं0- 2608/2017 प्रस्‍तुत किया गया जिसका निस्‍तारण करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया गया कि चूँकि प्रश्‍नगत वाहन का विक्रय दि0 22.01.2013 को हो चुका है, जिस पर विचार नहीं किया गया और तदनुसार प्रकरण पुन: जिला उपभोक्‍ता आयोग को गुण-दोष पर निर्णीत करने के लिए प्रेषित किया गया।

6.          मा0 राष्‍ट्रीय आयोग का आदेश प्राप्‍त होने पर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पुन: सुनवाई करते हुए दि0 10.08.2018 को परिवाद का निस्‍तारण किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा नोटिस दिए गए और वाहन को अपनी अभिरक्षा में लिया गया है। इसलिए विधिक प्रावधानों का उल्‍लंघन किया गया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है जब कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूँकि स्‍वयं अपीलार्थी/परिवादी डिफाल्‍टर रहा है और स्‍वयं अपीलार्थी/परिवादी ने इस आशय का शपथ पत्र दिया था कि यदि एक भी किश्‍त बकाया हो जाती है तब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को अधिकार होगा कि वह वाहन को वापस अपने पास ले ले। इस शपथ पत्र के अनुपालन में ऋण की किश्‍त बकाया होने पर वाहन को कब्‍जे में लिया गया और विक्रय किया गया है।

7.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि यह शपथ पत्र फर्जी व बनावटी है, परन्‍तु शपथ पत्र पर अपीलार्थी के हस्‍ताक्षर से इंकार नहीं किया गया है। इसलिए इस शपथ पत्र के फर्जी एवं बनावटी होने के सम्‍बन्‍ध में निष्‍कर्ष दिया जाना सम्‍भव नहीं है।

8.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि शपथ पत्र के साक्ष्‍य से पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार की शर्तों को विचार में लिया जाना चाहिए। इस आयोग का भी मत है कि शपथ पत्र के बजाय पक्षकारों के मध्‍य ऋण से सम्‍बन्धित करार की शर्तों पर विचार करना उचित है। क्रमांक सं0- 7 पर ऋण की अदायगी में विफलता पर समस्‍त राशि देय हो जायेगी और विकल्‍प को वापस लौटाने का निर्देश कम्‍पनी द्वारा दिया जा सकता है तथा विकल्‍प वापस प्राप्‍त कर सार्वजनिक नियमों के द्वारा विक्रय किया जा सकता है एवं बोर्रोवर को नोटिस देने की आवश्‍यकता नहीं होगी। अत: इस शर्त के अनुसार बोर्रोवर को नोटिस देने की कोई आवश्‍यकता नहीं है, यदि बोर्रोवर पर ऋण की राशि बकाया है। परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी ने पैरा सं0- स में खुद उल्‍लेख किया है कि दो-तीन माह की किश्‍त प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के समयानुसार जमा नहीं कर पाया। इसलिए ऋण की राशि बकाया होने और किश्‍त का समय पर भुगतान न होने पर स्‍वयं अपीलार्थी/परिवादी द्वारा परिवाद में उल्‍लेख किया गया है। अत: वाहन ऋण की राशि बकाया होने पर कब्‍जे में लेने तथा सार्वजनिक नीलामी द्वारा विक्रय करने का अधिकार पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार के अनुसार स्‍वत: प्राप्‍त हो जाता है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इस पीठ का ध्‍यान इसी आयोग के एक अन्‍य पीठ जिसमें इस पीठ के एक सदस्‍य द्वारा स्‍वयं निर्णय उद्घोषित किया गया है। इस पीठ का ध्‍यान इस ओर आकर्षित किया गया है। परिवाद सं0- 332/2019 जुनैद अहमद बनाम प्रबंधक श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0 का निस्‍तारण करते हुए इस आयोग की पीठ द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि यदि ऋण प्राप्‍तकर्ता पर ऋण की राशि बकाया है तब ऋणदाता कम्‍पनी पर किसी प्रकार का अनुतोष स्‍वीकार नहीं किया जा सकता।

9.          प्रस्‍तुत केस में यह स्थिति मौजूद है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने निर्णय में परिवादी द्वारा किश्‍त की राशि बकाया होने का विस्‍तृत उल्‍लेख किया है। परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत करने के पश्‍चात किश्‍त की कोई राशि अदा नहीं की है। इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।               ‍          

आदेश

10.         अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

            अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।   

      आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

    (विकास सक्‍सेना)                       (सुशील कुमार)

              सदस्‍य                                  सदस्‍य 

                               

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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