Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/95/2015

Shri Satyaveer Singh - Complainant(s)

Versus

Manager Milk Cooperative Dairy Federation - Opp.Party(s)

Shri Mukesh Kumar

06 Jul 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-95/2015  

सत्‍यवीर सिंह पुत्र श्री चन्‍द्रपाल सिंह निवासी ग्राम डिलारी थाना डिलारी जनपद मुरादाबाद।                                           ….......परिवादी

बनाम

प्रधान प्रबनधक, दुग्‍ध उत्‍पादन सहकारी समिति लि. दलपतपुर मुरादाबाद।

                                                                                                                                                                                     …....विपक्षी

वाद दायरा तिथि: 11-08-2015                                                                                                                      निर्णय तिथि: 06.07.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी से उसे सिक्‍योरिटी की धनराशि अंकन-11105/-रूपये तथा मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-55000/-रूपये की धनराशि दिलायी जाये।      
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी से कमीशन पर दूघ, दही, मट्ठा व पनीर आदि बेचने हेतु अंकन-11105/-रूपये की धनराशि बतौर सिक्‍योरिटी जमा करके दिनांक 20-06-2013 को एक अनुबन्‍ध किया था। बिजली के अभाव में दूध व दही इत्‍यादि खराब होने की वजह से जब परिवादी को नुकसान होने लगा तो उसने यह कार्य बन्‍द कर दिया। परिवादी ने कई बार विपक्षी से अपनी सिक्‍योरिटी की धनराशि वापस मांगी, आर.टी.आई. के अधीन सूचना मांगी और अधिवक्‍ता के माध्‍यम से कानूनी नोटिस भी विपक्षी को भिजवाया किन्‍तु विपक्षी ने न तो कोई जबाव दिया और न ही सिक्‍योरिटी की धनराशि वापस की। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 लगायत 3/6 दाखिल किया।
  4. परिवाद के साथ उसने सूची कागज सं.-3/10 के माध्‍यम से दूघ-दही इत्‍यादि खरीदने विषयक लेजर की प्रविष्टियों, सिक्‍योरिटी की धनराशि वापस करने हेतु विपक्षी को प्राप्‍त कराये गये पत्र दिनांकित 20-03-2015, सिक्‍योरिटी जमा करने की रसीद तथा हिसाब-किताब से संबंधित रजिस्‍टर की छायाप्रतियों को दाखिल किये, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/11 लगायत 3/25 हैं।
  5. विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/2 दाखिल हुआ, जिसमें परिवाद के पैरा-1 लगायत 13 में उल्लिखित कथनों से इंकार करते हुए विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादी विपक्षी संस्‍था का माल कमीशन पर बेचता था और इस हेतु परिवादी के साथ विपक्षी संस्‍था की संविदा हुई थी। परिवादी, विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है। अतएव फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। मामला सिविल प्रकृति का है, जो फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है। अग्रेत्‍तर यह भी कथन किया गया कि परिवादी पर विपक्षी संस्‍था के काफी रूपये निकल रहे हैं और परिवादी की लापरवाही की वजह से विपक्षी संस्‍था को काफी नुकसान हुआ है। विपक्षी ने उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
  6. परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/3 दाखिल किया।
  7. विपक्षी की ओर से कोई साक्ष्‍य दाखिल नहीं हुआ।
  8. किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  9. विगत कई तिथियों से पत्रावली बहस हेतु नियत है किन्‍तु कोई भी पक्ष बहस हेतु उपस्थित नहीं हुआ।
  10. हमने पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍य सामग्री का अवलोकन किया।
  11. परिवादी ने अपने परिवाद कथनों में स्‍वयं यह स्‍वीकार किया है कि विपक्षी संस्‍था का दूध, दही, मट्ठा व पनीर इत्‍यादि वह कमीशन पर बेचता था, ऐसी दशा में परिवादी विपक्षी का ‘’उपभोक्‍ता’’ नहीं कहा जा सकता अन्‍यथा भी इस प्रकरण में पक्षकारों के मध्‍य एकाउन्टिंग का विवाद है, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। हमारे इस मत की पुष्टि II(2005) सीपीजे पृष्‍ठ 92, अशोक लीलैण्‍ड फाइनेंस कंपनी लि. बनाम हिमांशु थुमार के मामले में माननीय राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गुजरात द्वारा दी गई विधि व्‍यवस्‍था से होती है।
  12. उपरोक्‍तानुसार परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय न होने के कारण खारिज होने योग्‍य है।

परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

(सत्‍यवीर सिंह)                                                                                                                 (पवन कुमार जैन)

  • सदस्‍य                                                                                                                                        अध्‍यक्ष

    

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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